वाराणसी
। इंटरनेशनल फर्स्ट वाइस प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट 321 ई के
अधिष्ठापन समारोह में डिस्ट्रिक्ट के एक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर रमाशंकर
अग्रवाल की जिस तरीके से सार्वजनिक रूप से बेइज्जती की - उससे नरेश अग्रवाल
का असली चेहरा लोगों के सामने आया है, जिसे देख कर लोग सचमुच हैरान हैं । अधिष्ठापन
समारोह में डिस्ट्रिक्ट के तमाम पदाधिकारियों तथा प्रमुख लोगों के साथ साथ
दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारी व अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे - जिनके
बीच दिए अपने भाषण में नरेश अग्रवाल ने रमाशंकर अग्रवाल को पूरी निर्लज्जता
के साथ अपमानित किया । नरेश अग्रवाल ने न तो इस बात का कोई लिहाज किया कि
वह जिस डिस्ट्रिक्ट में मुख्य अतिथि के रूप में आए हैं, रमाशंकर अग्रवाल उस
डिस्ट्रिक्ट के एक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर हैं - और न रमाशंकर अग्रवाल की
उम्र का, उनके वृद्ध होने की उन्होंने कोई परवाह की । नरेश अग्रवाल ने
रमाशंकर अग्रवाल का नाम लेकर कहा कि इनके जैसे बूढ़े लोग अब किसी काम के
नहीं रह गए हैं और इन्हें तो लायनिज्म से और डिस्ट्रिक्ट से निकाल देना
चाहिए । रमाशंकर अग्रवाल का 'अपराध' यह था कि कार्यक्रम शुरू होते समय
उन्होंने मंच पर प्रोटोकॉल के हिसाब से पदाधिकारियों को बैठाने की तरफ
ध्यान खींचने का प्रयास किया था । उस समय भी नरेश अग्रवाल ने मंच से
चिल्लाते हुए रमाशंकर अग्रवाल को चुपचाप बैठने तथा कार्यक्रम को डिस्टर्ब न
करने के लिए फटकार लगाई थी । रमाशंकर अग्रवाल भी चुप हो गए थे, और सभी ने
मान लिया था कि मामला खत्म हो गया है । इस तरह के 'सीन' किसी भी कार्यक्रम
में बन जाते हैं, इसलिए किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि नरेश अग्रवाल
जब अपना भाषण करने के लिए खड़े होंगे - तो वह रमाशंकर अग्रवाल को और भी
अभद्र व अशालीन तरीके से संबोधित करेंगे । रमाशंकर अग्रवाल वर्ष 1993-
94 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर थे । बढ़ती उम्र के कारण होने वाली शारीरिक
व्याधियों के चलते उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होती है, लेकिन फिर भी
लायनिज्म के प्रति अपने लगाव के कारण वह व्हीलचेयर पर प्रमुख आयजनों में
पहुँचते हैं । इस बात को ध्यान में रखते हुए, रमाशंकर अग्रवाल के प्रति
प्रकट किए गए नरेश अग्रवाल के बर्ताव के लिए अधिकतर लोगों ने नरेश अग्रवाल
को खूब धिक्कारा भी । लोगों के बीच डिस्ट्रिक्ट के बड़े पदाधिकारियों के
प्रति भी नाराजगी देखी/सुनी गई, जो रमाशंकर अग्रवाल के अपमान को चुपचाप
बैठे देखते रहे और उन्होंने एक बार भी नरेश अग्रवाल को टोकने/रोकने का
प्रयास नहीं किया ।
नरेश अग्रवाल का सामने सामने विरोध भले ही किसी न न किया हो, किंतु नरेश अग्रवाल के रवैये पर अधिकतर लोगों ने उनकी थू थू ही की । वाराणसी के कुछेक वरिष्ठ लायन सदस्यों ने याद किया कि नरेश अग्रवाल जब इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उम्मीदवार थे, तब वाराणसी में रमाशंकर अग्रवाल की मदद से ही वह लोगों से मिले थे । कई लोगों का कहना रहा कि रमाशंकर अग्रवाल के प्रति नरेश अग्रवाल का जो व्यवहार रहा, वह उनकी अहसानफरामोशी का सुबूत तो है ही, साथ ही इस बात का भी सुबूत है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की 'गर्मी' नरेश अग्रवाल के दिमाग में जा घुसी है । जो हुआ, उससे नरेश अग्रवाल की दरअसल दोहरी पोल खुली । रमाशंकर अग्रवाल ने जो मुद्दा उठाया था, वह प्रोटोकॉल का एक सामान्य सा मामला था, जिसे नरेश अग्रवाल चाहते तो सेकेंड्स में हल कर सकते थे । रमाशंकर अग्रवाल ने कार्यक्रम शुरू होते समय जब निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रकाश जी अग्रवाल को मंच की बजाए दर्शक दीर्घा में बैठे देखा, तो उन्होंने मंच पर बैठे लोगों का ध्यान खींचते हुए प्रोटोकॉल की बात उठाई और प्रकाश जी अग्रवाल को मंच पर बुलाने/बैठाने की माँग की । उनके अलावा, कार्यक्रम में मौजूद डिस्ट्रिक्ट के तथा दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के कई पदाधिकारियों को भी यह देख कर अचरज हुआ था कि प्रकाश जी अग्रवाल मंच की बजाए दर्शक दीर्घा में क्यों बैठे हैं ? लोगों का कहना रहा कि डिस्ट्रिक्ट के आधिकारिक कार्यक्रमों में निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के ठीक बगल में बैठने का अधिकार लायंस इंटरनेशनल द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल देता है । कई लोगों ने प्रकाश जी अग्रवाल से कहा भी कि वह मंच पर क्यों नहीं बैठते ? प्रकाश जी अग्रवाल का कहना होता कि वह अपने आप मंच पर जाकर तो नहीं बैठ सकते हैं, उन्हें बुलाया जायेगा - तो वह जायेंगे । लोगों के लिए हैरानी की बात यह रही कि मंच पर नरेश अग्रवाल के होते हुए भी प्रोटोकॉल का पालन क्यों नहीं हो रहा है ? रमाशंकर अग्रवाल ने इसी बात की तरफ ध्यान खींचने के लिए दर्शक दीर्घा से सवाल उठाया - लेकिन उनके सवाल पर ध्यान देने व कार्रवाई करने की बजाए नरेश अग्रवाल ने उन्हें बहुत ही बुरी तरह से डपटते हुए चुप करा दिया ।
मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल तुल्सियान ने डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह की तैयारी शुरू करते समय प्रकाश जी अग्रवाल के लिए मंच पर जगह सुनिश्चित की थी । इसका सुबूत यह है कि मंच पर बैठने वाले पदाधिकारियों के लिए उन्होंने एक ड्रेसकोड तय किया था, और उसके लिए कोट का कपड़ा पहले से ही उन पदाधिकारियों को उपलब्ध करवा दिया था । यह कपड़ा और ड्रेसकोड का विवरण प्रकाश जी अग्रवाल को भी मिला था । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल तुल्सियान से प्राप्त दिशा-निर्देश के अनुसार ही तैयार होकर प्रकाश जी अग्रवाल अधिष्ठापन समारोह में पहुँचे थे, किंतु फिर भी अनिल तुल्सियान ने उन्हें मंच पर जगह देने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई । अनिल तुल्सियान के नजदीकियों का कहना है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स दीपक वधावन तथा मंगल सोनी की शह पर अनिल तुल्सियान ने प्रकाश जी अग्रवाल को मंच पर जगह न देने का फैसला किया । अनिल तुल्सियान के नजदीकियों के अनुसार, अनिल तुल्सियान दरअसल पहले से ही प्रकाश जी अग्रवाल से कुछ खिंचे खिंचे से थे । हुआ असल में यह कि अनिल तुल्सियान ने अपनी कैबिनेट के सदस्यों से पदों के बदले में मोटी मोटी 'कीमतें' माँगना शुरू किया, तो लोगों ने उनसे सवाल किया कि प्रकाश जी अग्रवाल जब कैबिनेट सदस्यों से बिना पैसा लिए काम कर सकते हैं, तो उन्हें पैसा क्यों चाहिए ? उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में प्रकाश जी अग्रवाल के कामकाज को लोगों से बहुत ही प्रशंसा मिली है, और लोगों को पहली बार इस बात का पता चला कि कैबिनेट सदस्यों से मनमाने पैसे लिए बिना भी डिस्ट्रिक्ट का काम किया जा सकता है - और अच्छे से किया जा सकता है । लोगों के बीच होने वाली इस तरह की बातों से अनिल तुल्सियान ने अपने आपको प्रकाश जी अग्रवाल के सामने बहुत 'छोटा' पाया । अपने आप को 'बड़ा' साबित करने के लिए वह किसी भी तरह से प्रकाश जी अग्रवाल को अपमानित करना चाहते थे ।
ऐसे में उन्हें दीपक वधावन और मंगल सोनी से सुझाव मिला कि वह अधिष्ठापन समारोह में प्रकाश जी अग्रवाल को मंच पर जगह न दें । दीपक वधावन की प्रकाश जी अग्रवाल के साथ पुरानी खुन्नस है : दीपक वधावन के गवर्नर-काल में प्रकाश जी अग्रवाल उम्मीदवार बने थे; डिस्ट्रिक्ट के 'रिवाज' के अनुसार डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के कुछेक खर्चों के लिए उन्होंने दीपक वधावन को मोटी रकम दी थी । किंतु कॉन्फ्रेंस से कुछ ही दिन पहले दीपक वधावन के रवैये से परेशान व निराश होकर उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी । प्रकाश जी अग्रवाल चूँकि उम्मीदवार के रूप में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के लिए दी गई अपनी रकम वापस माँग रहे हैं, इसलिए रकम वापस करना तो दूर की बात - दीपक वधावन उनसे खुन्नस और रखने लगे । कई बार लोगों ने उनसे कहा भी कि भई, खुन्नस रखो तो रखो - प्रकाश जी अग्रवाल के पैसे तो वापस कर दो; पर दीपक वधावन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा । मंगल सोनी की नाराजगी का कारण बिलकुल नया है । मंगल सोनी अभी पिछले दिनों अपनी हरकतों के चलते वाराणसी की प्रतिष्ठित संस्था - प्रभुनारायण यूनियन क्लब के पद से हटा दिए गए हैं । मंगल सोनी इस बात को पहले से जानते हैं कि उक्त क्लब के प्रमुख लोगों के साथ प्रकाश जी अग्रवाल के अच्छे संबंध हैं - सो, मंगल सोनी इस बात पर खफा हैं कि प्रकाश जी अग्रवाल ने उक्त क्लब में उनका पद बचवाने में कोई दिलचस्पी क्यों नहीं ली ? इन्हीं अलग अलग कारणों से मंगल सोनी, दीपक वधावन व अनिल तुल्सियान ने प्रकाश जी अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में मंच न देने का फैसला किया । अनिल तुल्सियान के नजदीकियों के अनुसार, पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर जगदीश गुलाटी ने अनिल तुल्सियान को समझाने की बहुत कोशिश की, कि निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को मंच पर जगह नहीं दोगे - तो यह लायंस इंटरनेशनल के प्रोटोकॉल का तो उल्लंघन होगा ही, साथ ही मल्टीपल में बहुत बदनामी भरा काम भी होगा । लेकिन अनिल तुल्सियान ने जगदीश गुलाटी की भी नहीं सुनी और वह प्रकाश जी अग्रवाल को मंच पर जगह देने के लिए तैयार नहीं हुए ।
प्रकाश जी अग्रवाल को अपमानित करके लोगों की निगाह में प्रकाश जी अग्रवाल से 'बड़ा' बनने/दिखने की कोशिश में अनिल तुल्सियान ने जगदीश गुलाटी को तो धता बता दी, किंतु उन्हें नरेश अग्रवाल की तरफ से डर था - उन्हें लगता था कि नरेश अग्रवाल इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की राह पर हैं, वह कम से कम अपने सामने तो लायंस इंटरनेशनल के प्रोटोकॉल व परंपरा का उल्लंघन नहीं होने देंगे और प्रकाश जी अग्रवाल मंच पर बुलवा ही लेंगे । अनिल तुल्सियान के डर को दूर किया मंगल सोनी ने । मंगल सोनी ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह नरेश अग्रवाल की एक ऐसी कमजोरी जानते हैं, कि उसके डर से नरेश अग्रवाल वही करेंगे - जैसे हम चाहेंगे । मंगल सोनी को भरोसा था, किंतु दूसरे लोगों को नहीं था - डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमाशंकर अग्रवाल को तो बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि नरेश अग्रवाल अपने सामने लायंस इंटरनेशनल के प्रोटोकॉल को तथा लायनिज्म की परंपरा को भंग होने देंगे । इसीलिए उन्होंने नरेश अग्रवाल का ध्यान खींचने का प्रयास किया - किंतु अपने इस प्रयास में उन्हें नरेश अग्रवाल के हाथों जिस तरह अपमानित होना पड़ा, उससे साबित हुआ कि नरेश अग्रवाल सचमुच ही मंगल सोनी व अनिल तुल्सियान के हाथों इस कदर मजबूर हुए कि अपनी हरकत के चलते लोगों की आलोचना का और उनकी थू थू का शिकार बने ।
नरेश अग्रवाल का सामने सामने विरोध भले ही किसी न न किया हो, किंतु नरेश अग्रवाल के रवैये पर अधिकतर लोगों ने उनकी थू थू ही की । वाराणसी के कुछेक वरिष्ठ लायन सदस्यों ने याद किया कि नरेश अग्रवाल जब इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उम्मीदवार थे, तब वाराणसी में रमाशंकर अग्रवाल की मदद से ही वह लोगों से मिले थे । कई लोगों का कहना रहा कि रमाशंकर अग्रवाल के प्रति नरेश अग्रवाल का जो व्यवहार रहा, वह उनकी अहसानफरामोशी का सुबूत तो है ही, साथ ही इस बात का भी सुबूत है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की 'गर्मी' नरेश अग्रवाल के दिमाग में जा घुसी है । जो हुआ, उससे नरेश अग्रवाल की दरअसल दोहरी पोल खुली । रमाशंकर अग्रवाल ने जो मुद्दा उठाया था, वह प्रोटोकॉल का एक सामान्य सा मामला था, जिसे नरेश अग्रवाल चाहते तो सेकेंड्स में हल कर सकते थे । रमाशंकर अग्रवाल ने कार्यक्रम शुरू होते समय जब निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रकाश जी अग्रवाल को मंच की बजाए दर्शक दीर्घा में बैठे देखा, तो उन्होंने मंच पर बैठे लोगों का ध्यान खींचते हुए प्रोटोकॉल की बात उठाई और प्रकाश जी अग्रवाल को मंच पर बुलाने/बैठाने की माँग की । उनके अलावा, कार्यक्रम में मौजूद डिस्ट्रिक्ट के तथा दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के कई पदाधिकारियों को भी यह देख कर अचरज हुआ था कि प्रकाश जी अग्रवाल मंच की बजाए दर्शक दीर्घा में क्यों बैठे हैं ? लोगों का कहना रहा कि डिस्ट्रिक्ट के आधिकारिक कार्यक्रमों में निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के ठीक बगल में बैठने का अधिकार लायंस इंटरनेशनल द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल देता है । कई लोगों ने प्रकाश जी अग्रवाल से कहा भी कि वह मंच पर क्यों नहीं बैठते ? प्रकाश जी अग्रवाल का कहना होता कि वह अपने आप मंच पर जाकर तो नहीं बैठ सकते हैं, उन्हें बुलाया जायेगा - तो वह जायेंगे । लोगों के लिए हैरानी की बात यह रही कि मंच पर नरेश अग्रवाल के होते हुए भी प्रोटोकॉल का पालन क्यों नहीं हो रहा है ? रमाशंकर अग्रवाल ने इसी बात की तरफ ध्यान खींचने के लिए दर्शक दीर्घा से सवाल उठाया - लेकिन उनके सवाल पर ध्यान देने व कार्रवाई करने की बजाए नरेश अग्रवाल ने उन्हें बहुत ही बुरी तरह से डपटते हुए चुप करा दिया ।
मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल तुल्सियान ने डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह की तैयारी शुरू करते समय प्रकाश जी अग्रवाल के लिए मंच पर जगह सुनिश्चित की थी । इसका सुबूत यह है कि मंच पर बैठने वाले पदाधिकारियों के लिए उन्होंने एक ड्रेसकोड तय किया था, और उसके लिए कोट का कपड़ा पहले से ही उन पदाधिकारियों को उपलब्ध करवा दिया था । यह कपड़ा और ड्रेसकोड का विवरण प्रकाश जी अग्रवाल को भी मिला था । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल तुल्सियान से प्राप्त दिशा-निर्देश के अनुसार ही तैयार होकर प्रकाश जी अग्रवाल अधिष्ठापन समारोह में पहुँचे थे, किंतु फिर भी अनिल तुल्सियान ने उन्हें मंच पर जगह देने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई । अनिल तुल्सियान के नजदीकियों का कहना है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स दीपक वधावन तथा मंगल सोनी की शह पर अनिल तुल्सियान ने प्रकाश जी अग्रवाल को मंच पर जगह न देने का फैसला किया । अनिल तुल्सियान के नजदीकियों के अनुसार, अनिल तुल्सियान दरअसल पहले से ही प्रकाश जी अग्रवाल से कुछ खिंचे खिंचे से थे । हुआ असल में यह कि अनिल तुल्सियान ने अपनी कैबिनेट के सदस्यों से पदों के बदले में मोटी मोटी 'कीमतें' माँगना शुरू किया, तो लोगों ने उनसे सवाल किया कि प्रकाश जी अग्रवाल जब कैबिनेट सदस्यों से बिना पैसा लिए काम कर सकते हैं, तो उन्हें पैसा क्यों चाहिए ? उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में प्रकाश जी अग्रवाल के कामकाज को लोगों से बहुत ही प्रशंसा मिली है, और लोगों को पहली बार इस बात का पता चला कि कैबिनेट सदस्यों से मनमाने पैसे लिए बिना भी डिस्ट्रिक्ट का काम किया जा सकता है - और अच्छे से किया जा सकता है । लोगों के बीच होने वाली इस तरह की बातों से अनिल तुल्सियान ने अपने आपको प्रकाश जी अग्रवाल के सामने बहुत 'छोटा' पाया । अपने आप को 'बड़ा' साबित करने के लिए वह किसी भी तरह से प्रकाश जी अग्रवाल को अपमानित करना चाहते थे ।
ऐसे में उन्हें दीपक वधावन और मंगल सोनी से सुझाव मिला कि वह अधिष्ठापन समारोह में प्रकाश जी अग्रवाल को मंच पर जगह न दें । दीपक वधावन की प्रकाश जी अग्रवाल के साथ पुरानी खुन्नस है : दीपक वधावन के गवर्नर-काल में प्रकाश जी अग्रवाल उम्मीदवार बने थे; डिस्ट्रिक्ट के 'रिवाज' के अनुसार डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के कुछेक खर्चों के लिए उन्होंने दीपक वधावन को मोटी रकम दी थी । किंतु कॉन्फ्रेंस से कुछ ही दिन पहले दीपक वधावन के रवैये से परेशान व निराश होकर उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी । प्रकाश जी अग्रवाल चूँकि उम्मीदवार के रूप में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के लिए दी गई अपनी रकम वापस माँग रहे हैं, इसलिए रकम वापस करना तो दूर की बात - दीपक वधावन उनसे खुन्नस और रखने लगे । कई बार लोगों ने उनसे कहा भी कि भई, खुन्नस रखो तो रखो - प्रकाश जी अग्रवाल के पैसे तो वापस कर दो; पर दीपक वधावन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा । मंगल सोनी की नाराजगी का कारण बिलकुल नया है । मंगल सोनी अभी पिछले दिनों अपनी हरकतों के चलते वाराणसी की प्रतिष्ठित संस्था - प्रभुनारायण यूनियन क्लब के पद से हटा दिए गए हैं । मंगल सोनी इस बात को पहले से जानते हैं कि उक्त क्लब के प्रमुख लोगों के साथ प्रकाश जी अग्रवाल के अच्छे संबंध हैं - सो, मंगल सोनी इस बात पर खफा हैं कि प्रकाश जी अग्रवाल ने उक्त क्लब में उनका पद बचवाने में कोई दिलचस्पी क्यों नहीं ली ? इन्हीं अलग अलग कारणों से मंगल सोनी, दीपक वधावन व अनिल तुल्सियान ने प्रकाश जी अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में मंच न देने का फैसला किया । अनिल तुल्सियान के नजदीकियों के अनुसार, पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर जगदीश गुलाटी ने अनिल तुल्सियान को समझाने की बहुत कोशिश की, कि निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को मंच पर जगह नहीं दोगे - तो यह लायंस इंटरनेशनल के प्रोटोकॉल का तो उल्लंघन होगा ही, साथ ही मल्टीपल में बहुत बदनामी भरा काम भी होगा । लेकिन अनिल तुल्सियान ने जगदीश गुलाटी की भी नहीं सुनी और वह प्रकाश जी अग्रवाल को मंच पर जगह देने के लिए तैयार नहीं हुए ।
प्रकाश जी अग्रवाल को अपमानित करके लोगों की निगाह में प्रकाश जी अग्रवाल से 'बड़ा' बनने/दिखने की कोशिश में अनिल तुल्सियान ने जगदीश गुलाटी को तो धता बता दी, किंतु उन्हें नरेश अग्रवाल की तरफ से डर था - उन्हें लगता था कि नरेश अग्रवाल इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की राह पर हैं, वह कम से कम अपने सामने तो लायंस इंटरनेशनल के प्रोटोकॉल व परंपरा का उल्लंघन नहीं होने देंगे और प्रकाश जी अग्रवाल मंच पर बुलवा ही लेंगे । अनिल तुल्सियान के डर को दूर किया मंगल सोनी ने । मंगल सोनी ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह नरेश अग्रवाल की एक ऐसी कमजोरी जानते हैं, कि उसके डर से नरेश अग्रवाल वही करेंगे - जैसे हम चाहेंगे । मंगल सोनी को भरोसा था, किंतु दूसरे लोगों को नहीं था - डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमाशंकर अग्रवाल को तो बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि नरेश अग्रवाल अपने सामने लायंस इंटरनेशनल के प्रोटोकॉल को तथा लायनिज्म की परंपरा को भंग होने देंगे । इसीलिए उन्होंने नरेश अग्रवाल का ध्यान खींचने का प्रयास किया - किंतु अपने इस प्रयास में उन्हें नरेश अग्रवाल के हाथों जिस तरह अपमानित होना पड़ा, उससे साबित हुआ कि नरेश अग्रवाल सचमुच ही मंगल सोनी व अनिल तुल्सियान के हाथों इस कदर मजबूर हुए कि अपनी हरकत के चलते लोगों की आलोचना का और उनकी थू थू का शिकार बने ।