Tuesday, August 2, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग का झंडा अपने पास बनाए रखने के लिए अपनाई गई अरुण मित्तल की 'तरकीब' ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी की बेचारगी को उजागर किया

देहरादून । अरुण मित्तल से डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग का झंडा छीन लेने में असफल रहने के बाद अनीता गुप्ता के सुर फिर कुछ बदले बदले से सुनाई दे रहे हैं, जिस कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी तथा उनके साथी अपने आप को मुसीबत में पा रहे हैं । उल्लेखनीय है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनीता गुप्ता करीब तीन महीने पहले तक मुकेश गोयल खेमे में थीं, और पिछले लायन वर्ष में हुए चुनाव में शिव कुमार चौधरी के उम्मीदवार को हरवाने तथा शिव कुमार चौधरी के खिलाफ रिकॉर्ड नेगेटिव वोट डलवाने में उन्होंने बहुत ही सक्रिय और प्रभावी भूमिका निभाई थी । चुनाव में बुरी तरह चिथड़ा चिथड़ा हुई अपनी 'दुनिया' को फिर से बसाने की कोशिश करते हुए शिव कुमार चौधरी ने खुशामद करके और पदों का लालच देकर अनीता गुप्ता को अपनी तरफ कर लेने में सफलता हासिल कर ली थी । अनीता गुप्ता को लगा था कि शिव कुमार चौधरी जिस तरह से डिस्ट्रिक्ट में बुरी तरह बदनाम हो गए हैं और बदनामी के चलते अकेले पड़ गए हैं, उसके चलते उन्हें अपनी नेतागिरी दिखाने का भरपूर मौका मिलेगा । उन्हें जिस तरह से किसी न किसी बहाने से शिव कुमार चौधरी के खुशामदभरे फोन आ रहे थे, उससे उन्हें उम्मीद बनी थी कि चौधरी शब्द भले ही शिव कुमार के नाम में लगा हो, डिस्ट्रिक्ट की 'चौधरी' लेकिन वही बनेंगी । इसी उम्मीद में अनीता गुप्ता ने पाला बदलने में देर नहीं की । लेकिन जल्दी ही उन्हें अहसास हो गया कि शिव कुमार चौधरी ने उन्हें एक बार फिर धोखा दिया है, और शिव कुमार चौधरी की खुशामदभरी बातों में आकर उन्होंने बड़ी गलती की । शिव कुमार चौधरी के नजदीकियों के अनुसार, अनीता गुप्ता दरअसल डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग की जिम्मेदारी चाहती थीं, जिसे 'देने' के लिए शिव कुमार चौधरी पहले तैयार भी हो गए थे - लेकिन बाद में फिर वह मुकर गए । शिव कुमार चौधरी की इस 'पलटीबाजी' ने अनीता गुप्ता को बुरी तरह से निराश किया है, और उनकी बातों व उनके रवैये में उनकी इस निराशा को लोगों के बीच तीखे स्वरों में 'सुना' जा रहा है ।
डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग का झंडा लेने की अनीता गुप्ता की कोशिश को फेल करने का काम वास्तव में किया तो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अरुण मित्तल की 'राजनीति' ने, लेकिन इस मामले को शिव कुमार चौधरी और खुद को चाणक्य समझने वाले उनके एक सलाहकार ने जिस तरह से हैंडल किया - उससे ठीकरा फूटा शिव कुमार चौधरी के सिर । दरअसल, पारिवारिक समस्या में फँसने के कारण अरुण मित्तल पीएसटी स्कूलिंग में अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सके थे - जिस कारण पीएसटी स्कूलिंग का आयोजन बुरी तरह फ्लॉप हुआ और मजाक बन कर रह गया था । शिव कुमार चौधरी और उनके तथाकथित चाणक्य ने पीएसटी स्कूलिंग को सफल बताने/दिखाने के लिए फर्जीबाड़े तो खूब किए, लेकिन सच्चाई पर पर्दा डाल पाने में वह असफल रहे । इस दोहरी असफलता की खीझ उन्होंने अरुण मित्तल पर उतारी । 'चाणक्य जी' कुछ ज्यादा जोश में आ गए और इसी जोश में उन्होंने अनीता गुप्ता से कह दिया कि डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग की जिम्मेदारी अरुण मित्तल की बजाए उन्हें निभानी चाहिए । इस तरह की बातों से अनीता गुप्ता को लगा कि डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग का झंडा उन्हें मिल जायेगा - और इस तरह डिस्ट्रिक्ट पर छा जाने का अवसर उनके हाथ लगेगा ।
अरुण मित्तल को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने अपनी 'राजनीति' खेल दी : उन्होंने मुकेश गोयल के साथ हुई अपनी एक मुलाकात की सूचना खुद से लीक कर दी । यह मुलाकात क्यों हुई थी और इसमें क्या बात हुई - इसका तो किसी को नहीं पता; लेकिन अरुण मित्तल की तरफ से इस मुलाकात का जिस तरह से जिक्र हुआ, उसमें यह संदेश छिपा देखा/सुना गया कि शिव कुमार चौधरी ने यदि उनसे डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग का झंडा वापस ले लिया - तो वह मुकेश गोयल के साथ चले जायेंगे । शिव कुमार चौधरी के नजदीकियों के अनुसार, शिव कुमार चौधरी ने इस संदेश को पढ़ने में कोई गलती नहीं की और अपने 'चाणक्य जी' को साफ साफ बता दिया कि अपनी चाणक्यबाजी अपने पास रखो और इज्जत का बिलकुल फालूदा ही मत बनवाओ । शिव कुमार चौधरी को डर हुआ कि डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग की जिम्मेदारी छिनने पर अरुण मित्तल यदि मुकेश गोयल के साथ चले गए - तो वह एक एक व्यक्ति को जोड़ कर अपनी उजड़ी पड़ी 'दुनिया' को बसाने की जो कोशिश रहे हैं, वह फिर से बिखर जायेगी । नेताओं को अपने साथ जोड़ने तथा बनाए रखने की कवायद उनके लिए वैसे ही मेढकों को तोलने जैसी कार्रवाई हो गई है । उन्होंने बड़ी मुश्किलों से सुशील अग्रवाल को अपने निकट लाने - या 'दिखाने' में सफलता प्राप्त की थी, इसके लिए उन्हें सुशील अग्रवाल की पत्नी अर्चना अग्रवाल को जोन चेयरपरसन बनाना पड़ा - उन्होंने उम्मीद की थी कि इसके बदले में सुशील अग्रवाल वर्ष भर 'दुश्मनों' से उनकी रक्षा करेंगे; लेकिन सुशील अग्रवाल ने पहली डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग में ही अनुपस्थित होकर शिव कुमार चौधरी को धोखा दे दिया ।   
शिव कुमार चौधरी के गवर्नर-काल की पहली डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग की जैसी जो बुरी गत बनी, जिसमें कैबिनेट के मुश्किल से पंद्रह प्रतिशत पदाधिकारी ही शामिल हुए - उसने शिव कुमार चौधरी के सामने विकट संकट पैदा कर दिया । एक के बाद एक जिस तरह से उनके कार्यक्रम पिटते जा रहे हैं, और वह अपने कार्यक्रमों में लोगों को जोड़ने व शामिल करने में विफल साबित होते जा रहे हैं - उससे सबक लेते हुए शिव कुमार चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग का झंडा अरुण मित्तल के पास ही बने रहने देने का फैसला किया । सुशील अग्रवाल के असहयोगात्मक रवैये को देखते हुए उन्होंने अरुण मित्तल को दूर कर लेने का खतरा उठाना ठीक नहीं समझा । शिव कुमार चौधरी ने एक बात और समझी कि जोन/रीजन स्कूलिंग की जिम्मेदारी अनीता गुप्ता ठीक से नहीं निभा सकेंगी, और उनके भरोसे जिम्मेदारी छोड़ी तो जोन/रीजन स्कूलिंग का हाल भी पीएसटी स्कूलिंग की तरह बेहाल ही होगा । अरुण मित्तल की यह खूबी तो सभी जानते ही हैं, कि वह जिस जिम्मेदारी को लेते हैं - उसे प्रभावी तरीके से पूरा करते हैं; और फिर स्कूलिंग का उनका खासा अनुभव भी है । अनीता गुप्ता में राजनीतिक जोश चाहें जितना भी हो, लेकिन किसी काम को संयोजित कर सकने का हुनर वह अभी तक नहीं दिखा सकी हैं - इसलिए शिव कुमार चौधरी को उनके भरोसे रिस्क लेना उचित नहीं लगा ।
डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग की जिम्मेदारी न मिलने से अनीता गुप्ता को जोर का झटका लगा । चाणक्य जी की तमाम कोशिशों के बावजूद अनीता गुप्ता को यह जिम्मेदारी नहीं मिली - यह देख/जान कर अनीता गुप्ता को गहरी निराशा हुई है । यह सुन/जान कर तो अनीता गुप्ता का पारा और चढ़ गया है कि डिस्ट्रिक्ट ऑफीसर्स स्कूलिंग का झंडा अपने पास बनाए रखने के लिए अरुण मित्तल ने मुकेश गोयल के साथ चले जाने की 'धमकी' का इस्तेमाल किया है - और उनकी धमकी कामयाब रही । अनीता गुप्ता का कहना है कि शिव कुमार चौधरी यह क्यों समझ रहे हैं कि जो 'काम' अरुण मित्तल कर सकते थे, उसे वह नहीं कर सकती हैं । अनीता गुप्ता के तेवरों ने शिव कुमार चौधरी के लिए मामले को ढाक के तीन पात वाली स्थिति में ला दिया है - वह खुशामद कर/करा कर किसी एक को अपने साथ लाते हैं, तो दूसरा उछल कर अलग हो जाता है; और जो साथ आता भी है, वह मुसीबतों को कम करने की बजाए बढ़ाने का काम ज्यादा करता है ।