मुंबई
। इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद के लिए प्रस्तुत अशोक महाजन की उम्मीदवारी के
प्रति सुदर्शन अग्रवाल के रूखे/ठंडे रवैये के चलते नोमीनेटिंग कमेटी की
मीटिंग होने के चार दिन पहले ही अशोक महाजन के लिए मौका बिलकुल खत्म सा हो
गया है । उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018-19 के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट को
चुनने के लिए 17 सदस्यीय नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग आठ अगस्त को हो रही है
। नोमीनेटिंग कमेटी में अमेरिका के पाँच जोन के अलावा जापान, थाईलैंड,
आस्ट्रेलिया, ताईवान, इटली, जर्मनी, नार्वे, इंग्लैंड, तुर्की, ब्राजील,
कनाडा और भारत के एक एक जोन का प्रतिनिधित्व है । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट
चुनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में भारत के जोन 4 का प्रतिनिधित्व पूर्व
इंटरनेशनल डायरेक्टर सुदर्शन अग्रवाल कर रहे हैं । अशोक महाजन ने अपनी
उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने वास्ते नोमीनेटिंग कमेटी के कई सदस्यों को
साधने का जो प्रयास किया, उसमें उन्हें सफलता मिलती तो दिख रही थी - लेकिन
जैसे जैसे फैसले का दिन नजदीक आ रहा है, सुदर्शन अग्रवाल के कारण अशोक
महाजन को सारा गुड़ गोबर होता हुआ नजर आ रहा है । दरअसल नोमीनेटिंग कमेटी के
कई सदस्यों ने अशोक महाजन को बताया है कि जब आपका अपना 'आदमी' ही आपकी
वकालत करता हुए नहीं दिख रहा है, तो दूसरे लोग कैसे और क्यों आपकी
उम्मीदवारी में दिलचस्पी लेंगे ? इस प्रतिक्रिया ने खेल शुरू होने से पहले
ही अशोक महाजन का खेल बिगाड़ दिया है । यहाँ मजे की यह बात नोट करने वाली है
कि अशोक महाजन और सुदर्शन अग्रवाल - दोनों ही पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट
राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू के 'आदमी' हैं । नोमीनेटिंग कमेटी में सुदर्शन
अग्रवाल को रखवाने के लिए लॉबिंग ही इसलिए की गई थी, ताकि वह अशोक महाजन की
उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बना सकें; लेकिन जो बातें सुनने को मिल रही
हैं - उनसे पता चल रहा है कि खुद कुछ करना तो दूर, सुदर्शन अग्रवाल ने अशोक
महाजन की मेहनत पर पानी और फेर दिया है । अशोक महाजन ने राजा साबू से भी
कहा कि वह सुदर्शन अग्रवाल को सक्रिय होने के लिए कहें, लेकिन उसका भी कोई
असर नहीं हुआ है - हालाँकि यह पता नहीं चला है कि राजा साबू ने सुदर्शन
अग्रवाल से कहा नहीं, या सुदर्शन अग्रवाल ने उनकी बात भी नहीं सुनी ।
मजेदार
सीन यह देखने में आ रहा है कि राजा साबू और सुदर्शन अग्रवाल की तरफ से
अशोक महाजन को मिलने जा रही असफलता के लिए उलटे अशोक महाजन को ही जिम्मेदार
ठहराया जा रहा है । कहीं कहीं इन्होंने कहा/बताया है कि पूर्व इंटरनेशनल
प्रेसीडेंट कल्याण बनर्जी का समर्थन जुटाने में विफल होने के कारण अशोक
महाजन का रास्ता पहले ही बंद हो गया था । उल्लेखनीय है कि कल्याण बनर्जी
स्पेन के रोटरी डिस्ट्रिक्ट 2210 के जूलियो सोरजस की उम्मीदवारी का समर्थन
कर रहे हैं । एक वही नहीं, रोटरी इंटरनेशनल के तमाम 'चौधरी' जूलियो सोरजस
की उम्मीदवारी के पक्ष में हैं । कल्याण बनर्जी चूँकि रोटरी इंटरनेशनल के
'चौधरियों' के साथ हैं - जिनके समर्थन के चलते उन्हें टीआरएफ ट्रस्टी
चेयरमैन का पद मिला है - इसलिए वह भी जूलियो सोरजस की उम्मीदवारी के समर्थक
बन गए हैं । कल्याण बनर्जी सहित रोटरी इंटरनेशनल के कई प्रमुख चौधरी इस
बार जूलियो सोरजस को इंटरनेशनल प्रेसीडेंट चुनवाना चाहते हैं - इसी तथ्य को
भाँप कर डिस्ट्रिक्ट 3011 के सुशील गुप्ता ने इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद के
लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत नहीं की । कल्याण बनर्जी से मिले इशारे को
समझने में सुशील गुप्ता ने कोई गलती नहीं की, किंतु अशोक महाजन ने राजा
साबू और सुदर्शन अग्रवाल पर भरोसा किया - और झटका खा गए ।
मजेदार
तथ्य यह है कि अशोक महाजन और जूलियो सोरजस - दोनों ही रोटरी फाउंडेशन
(टीआरएफ) में अभी हाल तक साथ साथ ट्रस्टी रहे हैं; और टीआरएफ ट्रस्टी के
रूप में दोनों ने ही अपनी अपनी राजनीति की जड़ें मजबूत करने/बनाने की
कोशिशें कीं । अशोक महाजन के नजदीकी बताते रहे हैं कि अशोक महाजन ने रोटरी
इंटरनेशनल के सेट-अप में अपनी अच्छी स्थिति बनाई है । किंतु उनकी स्थिति की
परीक्षा की अब जब घड़ी आई - तब भेद खुला कि उनकी अच्छी स्थिति की जड़ें
ज्यादा गहरी और मजबूत नहीं थीं । जूलियो सोरजस उनसे ज्यादा स्मार्ट साबित
हुए । आठ अगस्त को नोमीनेटिंग कमेटी क्या फैसला करेगी और जूलियो सोरजस
इंटरनेशनल प्रेसीडेंट चुन ही लिए जायेंगे - यह अभी कोई भी दावे के साथ नहीं
कह सकता है । नोमीनेटिंग कमेटी के अमेरिकी प्रतिनिधियों के तेवर जूलियो
सोरजस के विरोध के संकेत दे रहे हैं; हालाँकि दूसरा कोई उम्मीदवार उनके
विरोधी तेवरों का फायदा उठाता हुआ दिख नहीं रहा है - फिर भी चुनाव तो चुनाव
ही है, नतीजे का ऊँठ न जाने किस करवट बैठे ? आठ अगस्त को नोमीनेटिंग कमेटी
की बैठक में क्या फैसला निकलेगा, यह तो आठ अगस्त को ही पता चलेगा - किंतु
राजा साबू और सुदर्शन अग्रवाल के भरोसे इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने का ख़्वाब
देख रहे अशोक महाजन के नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग होने से पहले ही
मुकाबले से बाहर हो जाने के हालात ने उनके साथ साथ राजा साबू के लिए भी
फजीहत के मौके बना दिए हैं ।