Sunday, August 7, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल के पूर्ण नियंत्रण में चल रहे नोएडा ब्लड बैंक की कमाई, दिल्ली स्थित रोटरी ब्लड बैंक की कमाई की तुलना में करीब पचास गुणा कम होने का राज आखिर क्या है ?

नोएडा । दिल्ली स्थित रोटरी ब्लड बैंक के मुख्य कर्ता-धर्ता के रूप में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल की उपलब्धियों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी सतीश सिंघल के लिए खासी मुसीबत खड़ी कर दी है - और रोटरी नोएडा ब्लड बैंक के मैनेजिंग ट्रस्टी के रूप में उनकी भूमिका को गंभीर वित्तीय आरोपों के घेरे में ला दिया है । पहले, विनोद बंसल की उपलब्धि पर गौर करते हैं : विनोद बंसल की देखरेख में चल रहे दिल्ली स्थित रोटरी ब्लड बैंक ने पिछले महीने में करीब 2300 यूनिट ब्लड की बिक्री करके करीब 15 लाख रुपए का लाभ दर्ज किया है । अब, सतीश सिंघल की देखरेख में चल रहे रोटरी नोएडा ब्लड बैंक का रिकॉर्ड देखते हैं : सतीश सिंघल ने पिछले दिनों एक मीटिंग में बताया था कि पिछले वर्ष उनके ब्लड बैंक ने करीब 30 हजार यूनिट ब्लड बेचा था, और करीब चार लाख रुपए का लाभ दर्ज किया था । उनके बताए इस आंकड़े को महीने में विभाजित करें, तो हिसाब ढाई हजार यूनिट पर 34/35 हजार रुपए के लाभ का बना । जिन लोगों को दोनों ब्लड बैंक के हिसाब का पता चला, उनके लिए हैरानी की बात यह हुई कि दिल्ली वाला ब्लड बैंक ढाई हजार से भी कम यूनिट बेच कर 15 लाख रुपए के करीब का लाभ कमा लेता है, तो सतीश सिंघल की देखरेख में चलने वाले ब्लड बैंक की कमाई ढाई हजार यूनिट ब्लड बेचने के बाद भी कुल करीब 34/35 हजार रुपए पर ही क्यों ठहर जाती है ? यहाँ नोट करने की बात यह भी है कि दिल्ली वाला ब्लड बैंक बड़ा है, और इसलिए उसके खर्चे भी ज्यादा हैं; ब्लड के विभिन्न कंपोनेंट्स के दाम बिलकुल बराबर हैं - बल्कि एक कंपोनेंट के दाम सतीश सिंघल के ब्लड बैंक में कुछ ज्यादा ही बसूले जाते हैं । इस लिहाज से सतीश सिंघल की देखरेख में चलने वाले रोटरी नोएडा ब्लड बैंक का लाभ तो और भी ज्यादा होना चाहिए । लाभ के इस भीषण अंतर ने ब्लड बैंक के कर्ता-धर्ता के रूप में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल की भूमिका को न सिर्फ संदेहास्पद बना दिया है, बल्कि गंभीर वित्तीय आरोपों के घेरे में भी ला दिया है ।
सतीश सिंघल का अपना व्यवहार व रवैया भी उनकी भूमिका के प्रति संदेह व आरोपों को विश्वसनीय बनाने का काम करता है । रोटरी नोएडा ब्लड बैंक के ट्रस्टी अक्सर शिकायत करते सुने गए हैं कि सतीश सिंघल ब्लड बैंक का हिसाब-किताब देने/बताने में हमेशा आनाकानी करते हैं, और पूछे जाने पर नाराजगी दिखाने लगते हैं । सतीश सिंघल अपना पूरा समय ब्लड बैंक में ही बिताते हैं, जिससे लगता है कि उनके पास और कोई कामधंधा नहीं है । सतीश सिंघल के इसी व्यवहार व रवैये से लोगों को यह लगता रहा है कि रोटरी ब्लड बैंक को उन्होंने अपनी कमाई का जरिया बना लिया है । ब्लड बैंक के कुछेक ट्रस्टी यह कहते सुने जाते रहे हैं कि सतीश सिंघल का कामकाज पूरी तरह चौपट हो गया है, और पिछले वर्षों में उन्हें काफी वित्तीय मुसीबतों का सामना करना पड़ा है । अपनी मुसीबतों से पार पाने के लिए वह पंडितों की शरण में भी गए; और किसी पंडित के सुझाव पर ही उन्होंने अपने नाम की स्पेलिंग में एक अतिरिक्त 'टी' और जोड़ा । सतीश को अंग्रेजी में जितने भी तरीके से लिखा जाता है, उसकी स्पेलिंग में एक ही 'टी' आता है; किंतु सतीश सिंघल खुद जब अपना नाम लिखते हैं, तो उसमें दो 'टी' लगाते हैं । अब सतीश सिंघल अपने नाम की स्पेलिंग में 'टी' एक बार की बजाए दो बार लिखें, या दस बार लिखें - किसी को क्या फर्क पड़ना चाहिए ? 
फर्क तो कुछ नहीं पड़ता है, दूसरों को लेकिन अजीब जरूर लगता है - और जब अजीब लगता है, तो फिर सवाल उठते हैं; सवाल उठते हैं, और उचित तरीके से जब उनके जबाव नहीं मिलते हैं तो लोग अपने अपने तरीके से उनके जबाव खोज लेते हैं । इस मामले में भी यही हुआ । यह तो नहीं पता कि सतीश सिंघल ने खुद बताया या लोगों ने अपने प्रयासों से जान लिया कि नाम में दो 'टी' लगाने का सुझाव किसी पंडित ने उन्हें दिया था और आश्वस्त किया था कि ऐसा करने से उनका कामधंधा फिर से चमक उठेगा । उनका कामधंधा फिर से पटरी पर लौटा या नहीं, यह तो सतीश सिंघल को ही पता होगा - लोगों को तो सिर्फ यह पता है कि पिछले कुछेक वर्षों से सतीश सिंघल अपना पूरा कामकाजी समय ब्लड बैंक को देते हैं, और ब्लड बैंक का हिसाब-किताब पूछने पर भड़क जाते हैं ।
सतीश सिंघल के इस व्यवहार और रवैये से लोगों को यह तो लगता रहा है कि सतीश सिंघल ब्लड बैंक में ऐसा कुछ करते हैं, जिसे दूसरों से छिपाकर रखना चाहते हैं । ब्लड बैंक के कुछेक ट्रस्टियों का ही आरोप भी रहा कि सतीश सिंघल ब्लड बैंक को अपने निजी संस्थान के रूप में इस्तेमाल करते हैं, और उसकी कमाई हड़प जाते हैं । सतीश सिंघल हालाँकि कई बार घाटे का रोना रोते हुए भी सुने गए हैं । तमाम तरह की बातों व आरोपों के बावजूद रोटरी नोएडा ब्लड बैंक में सतीश सिंघल का किया-धरा ज्यादा बबाल का कारण नहीं बना । किंतु अब जब दिल्ली स्थित रोटरी ब्लड बैंक के लाभ के तथ्य सामने आ रहे हैं, तो लोगों को हैरानी हो रही है कि सतीश सिंघल नोएडा ब्लड बैंक की आड़ में कर क्या रहे हैं ? कुछेक लोग हालाँकि सतीश सिंघल को संदेह का लाभ देना चाहते हैं - उनका कहना है कि सतीश सिंघल अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर होंगे, इसलिए ब्लड बैंक की आड़ में मोटी कमाई करने के आरोपों के चलते उनके साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट की भी बदनामी होगी; इसलिए इस मामले में उनका पक्ष भी सुना जाना चाहिए । ऐसे लोगों का कहना है कि यह ठीक है कि अभी तक सतीश सिंघल हिसाब-किताब माँगने पर भड़क उठते रहे हैं, लेकिन अब दिल्ली के रोटरी ब्लड बैंक के लाभ के आँकड़े आने पर मामला गंभीर हो गया है - और उम्मीद की जानी चाहिए कि सतीश सिंघल भी इस गंभीरता को समझेंगे, तथा भड़कने की बजाए नोएडा ब्लड बैंक के हिसाब-किताब को पारदर्शी बनायेंगे ।
लोगों का कहना है कि नोएडा ब्लड बैंक रोटरी में डिस्ट्रिक्ट 3012 की मुख्य पहचान है : इसकी कमाई पर यदि सचमुच डाका पड़ रहा है, और या सचमुच उचित तरीके से कमाई हो नहीं रही है - तो यह सभी के लिए चिंता की बात होना चाहिए; इसके कर्ता-धर्ता का पद सँभाले बैठे सतीश सिंघल के लिए तो यह और भी ज्यादा चिंता की बात होना चाहिए । उनकी तमाम मेहनत के बाद भी नोएडा ब्लड बैंक में कमाई का वास्तविक आँकड़ा यदि सचमुच वही है, जो वह बता रहे हैं - तो उन्हें खुद भी देखना चाहिए कि उनके जितना यूनिट ब्लड बेच कर दिल्ली वाला ब्लड बैंक उनके मुकाबले पचास गुना लाभ आखिर कैसे कमा पा रहा है ?