Thursday, August 18, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080, यानि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास के मामले में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट जॉन जर्म को एक रोटेरियन का खुला पत्र

श्री जॉन जर्म जी,
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमन अनेजा को लिखा आपका पत्र पढ़ने का मौका मिला, तो यह जानकर वास्तव में अच्छा लगा कि आपने प्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट्स का संज्ञान लिया और अपनी तरफ से पहल करके एक मामले में स्पष्टीकरण दिया । आप शायद पहले इंटरनेशनल प्रेसीडेंट हैं, जिन्होंने अपनी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद प्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट्स का संज्ञान लिया । मुझे लगता है कि यह किया जाना चाहिए, क्योंकि प्रेस रिपोर्ट्स ही हैं - जो हमें आईना दिखाती हैं और हमें सच्चाई के सामने ला खड़ा करती हैं : हो सकता है कि कई प्रेस रिपोर्ट्स बात को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करती हों; हो सकता है कि कई प्रेस रिपोर्ट्स कुछ सच और कुछ झूठ का घालमेल करती हों; यह भी हो सकता है कि कई प्रेस रिपोर्ट्स बिलकुल झूठ बात ही कहती हों - लेकिन फिर भी यह प्रेस रिपोर्ट्स ही हैं, जो हमें सच्चाई की तरफ जाने के लिए प्रेरित करती हैं या मजबूर करती हैं । अन्यथा आप तो जानते ही हैं कि हम रोटेरियंस पीठ पीछे तो एक दूसरे की बुराई करते हैं और सामने पड़ने पर चापलूसी करते हैं । प्रेस के प्रति भी हमारा रवैया धूर्ततापूर्ण व पाखंडभरा है - हम यह प्रयास तो खूब करते हैं कि प्रेस हमारे कामकाज को और हमारी तस्वीरों को अच्छे से छापे; इसके लिए हम प्रेस के लोगों को अपनी मीटिंग्स में बुलाते हैं, उन्हें खिलाते-पिलाते हैं, उन्हें गिफ्ट्स देते हैं; लेकिन प्रेस के जो लोग हमारी गलतियों, हमारी कमजोरियों, हमारी बेईमानियों की बात करते हैं, हमें हमारी असलियत बताने/दिखाने की कोशिश करते हैं - उन्हें हम अपना दुश्मन मान लेते हैं । हम इस सच्चाई को समझने व स्वीकार करने से बचते/छिपते हैं कि प्रेस का काम हमारी तारीफ करना और या हमारा प्रचार करना नहीं है; प्रेस का काम सच सामने लाने का है - यदि हम कभी पाते हैं कि किन्हीं प्रेस रिपोर्ट्स में सच की बजाए झूठ कहा/लिखा जा रहा है, तो हमें उनसे संवाद करना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि सच वह नहीं है जो लिखा/छापा जा रहा है, बल्कि सच 'यह' है । पर, लगता है कि हम चाहते ही नहीं हैं कि सच सामने आए -  और इसीलिए हमारी गलतियों, हमारी कमजोरियों व हमारी बेईमानियों की बात करने वाली प्रेस को हम 'दुश्मन' घोषित कर देते हैं और समझ लेते हैं कि ऐसा करके हम सच्चाई पर पर्दा डाल देंगे ।
श्रीमान जॉन जर्म, इसीलिए मुझे यह 'देख' कर अच्छा लगा कि प्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट्स का आपने संज्ञान लिया और एक मामले में उसका स्पष्टीकरण दिया ।
श्री जॉन जर्म, अब आपके स्पष्टीकरण पर दो बात करना चाहूँगा । आपका कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल की इलेक्शन रिव्यू कमेटी की सदस्यता तथा उसके चेयरमैन पद से हटने का फैसला यशपाल दास का अपना फैसला है; और आपने या अन्य किसी ने उन्हें हटने के लिए नहीं कहा था । यह बताते हुए आपने लेकिन एक बात स्पष्ट नहीं की कि यशपाल दास यदि उक्त कमेटी से खुद नहीं हटते तो क्या वह उक्त कमेटी के सदस्य और चेयरमैन बने रहते ? रोटरी के अपने करीब बीस वर्षों के जीवन में अर्जित किए ज्ञान और समझ के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि रोटरी इंटरनेशनल यशपाल दास को उस कमेटी का सदस्य और चेयरमैन नहीं बने रहने देता, जिस कमेटी को यशपाल दास की मिलीभगत के आरोप लगाने वाली उनके डिस्ट्रिक्ट की चुनावी शिकायत पर विचार और कार्रवाई करना है । मेरा विश्वास है कि रोटरी इंटरनेशनल नैसर्गिक न्याय की इस माँग का पुरजोर समर्थन करता है कि आरोपी को ही जज नहीं बनाया जा सकता है । इस आधार पर यशपाल दास को उक्त कमेटी से हटना ही था । ऐसे में, यदि आपकी बात को सच भी मान लें कि यशपाल दास अपने आप उक्त कमेटी से हटे हैं - तो यह बात उनके 'हाई करैक्टर' को कैसे दर्शाती है ? एक अपराधी अपराध करने के बाद पकड़े जाने से बचने की कोशिश में छिपता/भागता है, लेकिन यह समझ लेने के बाद कि वह ज्यादा दिन तक छिप/भाग नहीं सकेगा और कभी भी पकड़ा जायेगा - वह सरेंडर कर देता है; तो उसका सरेंडर करना उसके 'हाई करैक्टर' का सुबूत कैसे हो सकता है ?
श्री जॉन जर्म, अपने करीब बीस वर्षों के रोटरी जीवन में मैं यह जानने/समझने में सर्वथा असमर्थ रहा हूँ कि इलेक्शन रिव्यू कमेटी और या अन्य कमेटियों के लिए सदस्य व पदाधिकारी चुनने के मापदंड या पैमाने आखिर हैं क्या ? बीस वर्षों में मुझे जो बात समझ में आई वह यह कि इन कमेटियों में सदस्यता और पद फैसला करने वाले बड़े पदाधिकारियों के परिचय के चलते होने वाली सिफारिश, उनकी चापलूसी और तिकड़मों से मिलते हैं । यशपाल दास को भी इनमें से ही किसी कारण से इलेक्शन रिव्यू कमेटी की सदस्यता व चेयरमैन का पद मिला होगा; मैंने सुना है कि इस कमेटी में जगह पाने वाले की रोटरी में राजनीति बहुत चमकती है और उसके सामने पैसे बनाने के मौके भी होते हैं, इसलिए इस कमेटी में जगह पाने के लिए रोटेरियंस के बीच बड़ी मारामारी रहती है । ऐसे में, यह सहज समझा जा सकता है कि इस कमेटी में जगह पाने के लिए यशपाल दास ने पता नहीं किस किस की सिफारिश जुटाई होगी, किस किस की चापलूसी की होगी और न जानें कैसी कैसी तिकड़में की होंगी ? लेकिन उनके अपने ही डिस्ट्रिक्ट के रोटरी क्लब हिमालयन रेंजेस मनसा देवी की तरफ से रोटरी इंटरनेशनल में दर्ज हुई चुनावी शिकायत ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया । स्वाभाविक सी बात है कि अपनी मेहनत पर पानी पड़ता देख उन्होंने अपनी मेहनत की 'कमाई' को बचाने की कोशिश की होगी । कोई भी ऐसा करेगा ही । कौन होगा जो अपनी मेहनत को पानी में बहते जाते हुए चुपचाप देखता रहेगा ? हर कोई अपनी तरफ से अपनी मेहनत की 'कमाई' को बचाने की हर संभव कोशिश करेगा ही ।
श्री जॉन जर्म, आप चाहते हैं कि सभी लोग लेकिन आपकी इस बात पर विश्वास कर लें कि यशपाल दास ने अपनी मेहनत की कमाई को बचाने की कोई कोशिश नहीं की; और अपना 'हाई करैक्टर' दिखाते हुए खुशी खुशी अपनी 'कमाई' छोड़ दी । चलिए, आप कहते हैं तो मान लेते हैं; लेकिन कृपया इतना तो बता दीजिए कि अपना 'हाई करैक्टर' दिखाने में यशपाल दास को खासा लंबा समय क्यों लगा और उन्होंने 22 जून को चुनावी शिकायत दर्ज होते ही इलेक्शन रिव्यू कमेटी की सदस्यता व चेयरमैनी क्यों नहीं छोड़ दी थी ? 20 जुलाई तक किसी को यह नहीं पता था कि यशपाल दास उक्त कमेटी के सदस्य और चेयरमैन नहीं हैं । खुद यशपाल दास ने, या आपने या अन्य किसी ने यह जानकारी देने की जरूरत आखिर क्यों नहीं समझी ? 20 जुलाई तक भी रोटरी इंटरनेशनल की बेवसाइट यशपाल दास को ही उक्त कमेटी का चेयरमैन क्यों दिखा रही थी ? संभवतः इसी आधार पर टीके रूबी ने आपको ईमेल लिखा होगा; और जैसा कि आपने अपने पत्र में बताया है कि 20 जुलाई के टीके रूबी के ईमेल का जबाव में आपने उन्हें बताया - और पहली बार यह बात सामने आई कि यशपाल दास उक्त कमेटी छोड़ चुके हैं । यह बात यदि पहले से लोगों को पता होती, तो टीके रूबी को आपको उक्त मेल लिखने की जरूरत ही नहीं पड़ती । दरअसल इन्हीं बातों के चलते लोगों के बीच संदेह है कि आप जितना बता रहे हैं, उससे ज्यादा छिपा रहे हैं - और इस कारण से लोगों के बीच यशपाल दास की और भी ज्यादा फजीहत हो रही है, जिसके लपेटे में आप भी आते जा रहे हैं । यशपाल दास के चक्कर में आप अपनी फजीहत क्यों करवा रहे हैं, यह आप ही बेहतर बता सकते हैं ।
श्री जॉन जर्म, दो बातों लिए मैं आपसे माफी भी माँगना चाहूँगा । पहली बात तो यह कि अपना यह पत्र मैं आपको प्रेस के जरिये भेज रहा हूँ । इसका कारण यह है कि इस पत्र में मैंने जो बातें की हैं, वह कोई मेरे और आपके बीच का मामला तो है नहीं; यह तो रोटेरियंस के बीच का मामला है - इसलिए यह बातें लोगों के बीच आनी चाहिएँ । आप इंटरनेशनल प्रेसीडेंट हैं, आप डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमन अनेजा से कह सकते हैं कि वह लोगों के सामने आपके पत्र में कहीं गईं बातें लाएँ; मेरी तो ऐसी हैसियत है नहीं, लिहाजा मुझे प्रेस की ही मदद लेनी पड़ेगी । दूसरी बात यह है कि मैं अपनी पहचान छिपाते हुए यह पत्र लिख रहा हूँ । आप तो जानते ही हैं कि मेरे डिस्ट्रिक्ट में बड़े पॉवरफुल रोटरी नेता हैं, जो सिर्फ चापलूसों को पसंद करते हैं और वह जिसे पसंद नहीं करते हैं उसका रोटरी कैरियर तबाह कर देते हैं । मुझे अभी रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में रहना है, इसलिए मुझे उनकी चापलूसी ही करनी है और इस पत्र के लेखक के रूप में उनकी नजरों में आने की मेरी हिम्मत नहीं है । उम्मीद है कि आप मेरी मजबूरी समझेंगे ।
रोटरी अभिवादन सहित
आपका
एक रोटेरियन 
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रमन अनेजा को संबोधित जॉन जर्म का पत्र :