Tuesday, August 30, 2016

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में दीपक गर्ग के इस्तीफ़े से शुरू हुए नाटक के अंजाम तक पहुँचने से पहले ही आलोचना का शिकार हो जाने से पूजा बंसल का कोई फायदा हो सकेगा क्या ?

नई दिल्ली । दीपक गर्ग के इस्तीफे के कारण खाली हुए नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरपरसन पद पर कब्ज़े को लेकर पॉवर ग्रुप में सुबह-शाम नए समीकरण बन/बिगड़ तो रहे हैं, लेकिन किसी समीकरण पर बात बन नहीं पा रही है - और इस स्थिति में लोगों को पूजा बंसल की दाल गलती हुई नजर आ रही है । पूजा बंसल दरअसल इस तर्क के आधार पर चेयरपरसन पद पर अपना दावा जता रही हैं कि चेयरपरसन पद के लिए चुनाव तो एक वर्ष में एक बार ही होने की परंपरा है; इसलिए दीपक गर्ग के इस्तीफे से खाली हुए पद को भरने के लिए चुनाव कराना - उस परंपरा को तोड़ने जैसा होगा; इसलिए परंपरा को तोड़ने की बजाए वाइस चेयरपरसन को ही चेयरपरसन बना देना चाहिए । वाइस चेयरपरसन पूजा बंसल खुद हैं और उम्मीद करती हैं कि शांता क्लॉज उन्हें चेयरपरसन का पद का गिफ्ट दिलवा देंगे । उनके इस तर्क में दम इस कारण से और भर गया है - क्योंकि दीपक गर्ग के इस्तीफे के जरिए नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल को सेंट्रल काउंसिल सदस्य राजेश शर्मा तथा रीजनल काउंसिल के उनके समर्थक लोगों ने अपनी कठपुतली बनाने का जो कांड किया है, उसकी चौतरफा निंदा ही हो रही है । इस चौतरफा निंदा ने राजेश शर्मा तथा उनके समर्थकों की भारी फजीहत की है, और उन्हें अपनी योजना में पंक्चर होता हुआ नजर आ रहा है । हालाँकि यह उनकी खुशकिस्मती है कि उनकी इस फजीहत का फायदा उठाने के लिए उनके विरोधी आपसी एकता नहीं बना पा रहे हैं । विरोधियों के बीच बने बिखराव ने पॉवर ग्रुप के सदस्यों को एकजुट बने रहने के लिए 'मजबूर' किया हुआ है ।
 रीजनल काउंसिल में पॉवर ग्रुप से बाहर के सदस्यों को सेंट्रल काउंसिल सदस्यों से 'मदद' की उम्मीद थी, किंतु सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के अपने लफड़े हैं : नवीन गुप्ता कभी किसी भी काम में कोई दिलचस्पी लेते ही नहीं हैं; संजीव चौधरी और संजय वासुदेवा विवादास्पद मामलों से दूर रहने का प्रयास करते हैं; संजय अग्रवाल और विजय गुप्ता वाइस प्रेसीडेंट चुनाव के मद्देनजर मामले से दूर रहने में अपनी भलाई देख रहे है; अतुल गुप्ता को बेपेंदी के लौटे के रूप में देखा/पहचाना जाता है, जिनके बारे में कोई भी आश्वस्त भाव से यह नहीं कह/बता सकता है कि वह लुढ़क कर कब किस तरफ पहुँच जायेंगे । लिहाजा सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की मदद के सहारे रीजनल काउंसिल में चेयरपरसन का पद पाने की योजना बनाने वाले विरोधी खेमे के लोगों को तगड़ा झटका लगा है, और राजेश शर्मा एण्ड टीम ने राहत महसूस की है ।
नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पॉवर ग्रुप में अभी एकजुटता तो बनी हुई दिख रही है, लेकिन इस एकजुटता की दीवारों में से मट्ठा भी रिसता हुआ नजर आ रहा है : पॉवर ग्रुप के सदस्यों के नजदीकियों का कहना है कि पॉवर ग्रुप के सदस्यों के बीच परस्पर अविश्वास के बीज पड़ चुके हैं, और हर सदस्य दूसरे सदस्य पर शक कर रहा है । मजेदार बात यह है कि अभी तक कोई भी चेयरपरसन पद के लिए अपनी दावेदारी पेश नहीं कर रहा है, लेकिन हर कोई यह सुनिश्चित कर लेने में लगा हुआ है कि चेयरपरसन का पद किसी दूसरे को न मिल जाए । पॉवर ग्रुप का हर सदस्य उम्मीद कर रहा है कि चेयरपरसन पद के लिए दूसरा कोई उसका नाम प्रस्तावित करे और आगे बढ़ाए; पर कोई भी किसी दूसरे का नाम आगे करने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है । इस उठापटक में सबसे ज्यादा नुकसान पंकज पेरिवाल का होता दिख रहा है । लोगों के बीच यह बात चर्चा में आई थी कि दीपक गर्ग के अचानक हुए इस्तीफे के नाटक के मास्टरमाइंड राजेश शर्मा हैं, जिन्होंने छह छह महीने के चेयरपरसन बनवाने का जिम्मा उठाया है - और जो अगला चेयरपरसन पंकज पेरिवाल को बनवायेंगे; लेकिन दीपक गर्ग के इस्तीफे से साथ ही जो बबाल पैदा हुआ है, उसके कारण राजेश शर्मा ने फिलहाल चुप्पी साध ली है । राजेश शर्मा को दबाव में देख पॉवर ग्रुप के सदस्यों के बीच भी पंकज पेरिवाल के 'भाव' एकदम से गिर गए हैं । पॉवर ग्रुप की चौकड़ी में पंकज पेरिवाल पहले भी अलग-थलग ही पड़े हुए थे । 
इस बीच एक संभावना यह भी पैदा हुई कि दीपक गर्ग का इस्तीफ़ा मंजूर ही न हो और उनसे अपना इस्तीफ़ा वापस लेने के लिए कह दिया जाए - और उन्हें ही चेयरपरसन बने रहने दिया जाए । दीपक गर्ग के नजदीकियों का कहना है कि दीपक गर्ग खुद भी यही चाहते हैं । वास्तव में इसीलिए इस्तीफ़े के साथ ही उन्होंने अपने नजदीकियों के जरिए इस्तीफ़े के पीछे की अंतर्कथा को जगजाहिर कर दिया - जो बबाल का कारण बना । लेकिन पॉवर ग्रुप के सदस्यों का मानना है कि दीपक गर्ग ने यदि अपना इस्तीफ़ा वापस लिया, तो उनके साथ-साथ पॉवर ग्रुप की और ज्यादा फजीहत होगी । माना यही जायेगा कि दीपक गर्ग ने पॉवर ग्रुप को ब्लैकमेल कर लिया है । रीजनल काउंसिल के पॉवर ग्रुप के सदस्यों के नजदीकियों का कहना है कि दीपक गर्ग ने अपने इस्तीफ़े में इंस्टीट्यूट प्रशासन पर जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उनके लिए इंस्टीट्यूट प्रशासन माफी माँगे तो ही दीपक गर्ग को अपना इस्तीफ़ा वापस लेने के लिए तैयार होना चाहिए - अन्यथा, इस्तीफ़ा वापस लेने पर उनके साथ-साथ पॉवर ग्रुप के दूसरे सदस्यों की भी भारी किरकिरी होगी । इस तरह की बातों के जरिए, पॉवर ग्रुप के सदस्य दरअसल दीपक गर्ग की इस्तीफ़ा-वापसी की संभावना को ख़त्म करने का काम कर रहे हैं ।  
विडंबनापूर्ण स्थिति यह है कि रीजनल काउंसिल के पॉवर ग्रुप के पास वास्तव में अभी भी पॉवर है, और अपनी एकजुटता के जरिए उन्होंने अपने संख्याबल को बदस्तूर बनाए रखा हुआ है; उन्हें इस बात से भी ताकत मिली है कि विरोधी खेमे में एकजुटता का नितांत अभाव है और सेंट्रल काउंसिल के सदस्य मामले को दूर से ही देखते रहने में मशगूल हैं - लेकिन फिर भी पॉवर ग्रुप के सदस्यों ने प्रोफेशन के लोगों के बीच अपनी प्रेस्टीज खो दी है । दरअसल इसीलिए जो भी सदस्य अगला चेयरपरसन बनना भी चाहता है, वह भी किसी से यह कहने का साहस नहीं कर पा रहा है । इसी स्थिति में यह सुझाव आया है कि रीजनल काउंसिल के पॉवर ग्रुप की लोगों के बीच जो फजीहत हो रही है, उसे देखते हुए चेयरपरसन पद के लिए चुनाव के पचड़े को छोड़ ही देना बेहतर होगा - और वाइस चेयरपरसन को ही चेयरपरसन बना देना चाहिए । पूजा बंसल खुद भी दबे-छिपे तरीके से तथा उनके नजदीकी भी इस तर्क के आधार पर माहौल बनाने में जुटे हुए हैं । उनका कहना है कि सिर्फ यही एक तरीका है जिसके जरिए पॉवर ग्रुप अपनी फजीहत के दागों को साफ कर सकता है । दीपक गर्ग के इस्तीफे के द्धारा जिस नाटक को अंजाम देने की तैयारी की गई थी, उस नाटक के आलोचना का शिकार हो जाने के कारण पटकथा में जो बदलाव होता नजर आ रहा है - वह बदलाव शांता क्लॉज की भूमिका निभाते हुए पूजा बंसल के लिए गिफ्ट लाने का काम सचमुच करेगा क्या; यह देखना दिलचस्प होगा ।