Tuesday, August 9, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में केआर रवींद्रन की खुराफाती सोच के चलते 'चुनावी अपराधी' घोषित हुए दीपक तलवार, सुशील खुराना और विनोद बंसल की चुनावी सक्रियता डिस्ट्रिक्ट के लिए खतरा तो नहीं बनेगी ?

नई दिल्ली । दीपक तलवार, सुशील खुराना और विनोद बंसल ने इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता तथा सीओएल के लिए अपनी अपनी उम्मीदवारी को लेकर जो तैयारियाँ शुरू की हैं, उनमें डिस्ट्रिक्ट के लिए - और खुद इनके लिए भी एक बड़े खतरे को देखा/पहचाना जा रहा है । दरअसल यह तीनों पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड द्धारा 'चुनावी अपराधी' के रूप में 'पकड़े' जा चुके हैं, और इसके लिए इनकी फटकार के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को निर्देशित किया जा चुका है । चुनावी राजनीति में इनकी सक्रियता चूँकि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की निगरानी में है, इसलिए उम्मीद की गई थी कि कुछ समय यह तीनों चुनावी राजनीति के पचड़े से दूर रहेंगे । चुनावी राजनीति से दूर रहने की बात तो दूर - यह तीनों तो चुनावी राजनीति में सीधे सीधे कूदने की तैयारी करते देखे/सुने जा रहे हैं । यूँ रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड का जो फैसला है, वह इन तीनों के चुनावी राजनीति में उतरने पर तकनीकी रूप से कोई रोक नहीं लगाता है; लेकिन उस फैसले का एक नैतिक व व्यावहारिक रूप भी है - जिसका पालन करने की इन तीनों से उम्मीद की गई थी - लेकिन जो अब ध्वस्त होती दिख रही है । सामाजिक जीवन में रिकॉर्डेड आरोप का एक नैतिक व व्यावहारिक रूप भी होता है, जिसका पालन भी किया ही जाता है : सामाजिक/राजनीतिक संस्थाएँ आरोपी व्यक्ति के साथ दूरी बनाने और 'दिखाने' का काम करती ही हैं; सुनते हैं कि अपराधी गिरोह भी ऐसे लोगों को गिरोह में रखने से बचते हैं जो पहले से ही पुलिस की निगाह में चढ़े होते हैं । इसी तरह की बातों के चलते उम्मीद की गई थी कि दीपक तलवार, सुशील खुराना और विनोद बंसल चूँकि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की निगाह में 'चुनावी अपराधी' के रूप में चढ़े हुए हैं - इसलिए कुछ समय तो यह चुनावी राजनीति के पचड़े से दूर रहेंगे । इनके ऐसा न करने के कारण आशंका यह व्यक्त की जा रही है कि इन्होंने अपने आप को तो खतरे में डाला ही है, साथ ही डिस्ट्रिक्ट को भी मुसीबत में फँसा दिया है । डर है कि इनकी राजनीति के चलते कहीं डिस्ट्रिक्ट 3011 का हाल भी डिस्ट्रिक्ट 3100 जैसा न हो जाए ?
इस डर का बड़ा ठोस आधार यह है कि पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट 3011 के - और खासकर इस डिस्ट्रिक्ट के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के रूप में दीपक तलवार, सुशील खुराना व विनोद बंसल के - मुसीबत में फँसने व आरोपी बनने के लिए जिन केआर रवींद्रन को जिम्मेदार माना गया था, वही केआर रवींद्रन अभी भी निर्णायक हैसियत में हैं; और इस कारण से उक्त फैसले की तलवार डिस्ट्रिक्ट 3011 पर अभी भी लटकी हुई है । उल्लेखनीय है कि सोचा यह गया था कि केआर रवींद्रन के प्रेसीडेंट-काल के पूरा हो जाने पर उनसे छुटकारा मिल जायेगा, और फिर मनमानी करने का अधिकार भी मिल जायेगा । गौर करने वाला तथ्य यह है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के उक्त फैसले का विरोध करते हुए पिछले रोटरी वर्ष में काउंसिल ऑफ गवर्नर्स ने अपनी अंतिम मीटिंग में एक प्रस्ताव पास किया था; प्रस्ताव पास करते हुए काउंसिल ने यह भी तय किया था कि इस विरोध प्रस्ताव को एक जुलाई के बाद रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय को भेजा जायेगा - क्योंकि तब केआर रवींद्रन की बिदाई हो चुकी होगी । उक्त मीटिंग में इस बात को बाकायदा रेखांकित किया गया कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने डिस्ट्रिक्ट 3011 के खिलाफ जो फैसला दिया है, वह चूँकि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की खुराफाती सोच का नतीजा है - इसलिए उनके प्रेसीडेंट रहते विरोध प्रस्ताव भेजने का कोई फायदा नहीं होगा, इसलिए विरोध प्रस्ताव भेजने के लिए केआर रवींद्रन का कार्यकाल पूरा हो जाने तक इंतजार किया जाए । 30 जून को केआर रवींद्रन का प्रेसीडेंट-काल तो पूरा गया, लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3011 तथा इसके आरोपी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के लिए मुसीबत की बात यह रही कि केआर रवींद्रन दक्षिण एशिया में रोटरी के झगड़ों/मामलों को देखने के इंचार्ज बना दिए गए । इस कारण डिस्ट्रिक्ट 3011 तथा उसके आरोपी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के लिए मामला जहाँ का तहाँ ही बना रह गया है, और इसके चलते पिछले रोटरी वर्ष की अंतिम काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में पास हुए विरोध प्रस्ताव को भी रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय भेजने की बजाए धूल खाने के लिए छोड़ दिया गया ।
ऐसी स्थिति में यह और भी जरूरी हो जाता है कि डिस्ट्रिक्ट 3011 की चुनावी राजनीति के चिन्हित 'अपराधी' चुनावी राजनीति के पचड़े से दूर रहें । पिछले रोटरी वर्ष में रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से जो कार्रवाई हुई, उसे पर्दे के पीछे हुए किसी बड़े खेल के नतीजे के रूप में देखा/पहचाना गया था - जिसमें डिस्ट्रिक्ट के कई लोगों की अलग-अलग स्तर पर निभाई गई भूमिकाओं को लेकर बहुत सारे कयास और संदेह अभी भी लगातार बने हुए हैं । इन कयासों व संदेहों के कारण डिस्ट्रिक्ट में कई एक लोगों के बीच के संबंध और ज्यादा तनावपूर्ण हुए हैं । इस बात ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के परिदृश्य को और भी ज्यादा बारूदी बना दिया है, जहाँ एक छोटी से चिंगारी भी डिस्ट्रिक्ट के लिए घातक साबित हो सकती है । सोचने की बात है कि जब काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सदस्य ही यह विश्वास करते हैं कि केआर रवींद्रन के होते हुए उन्हें न्याय नहीं मिलेगा और वह अपने ही एक विरोध प्रस्ताव को धूल खाने के लिए छोड़ देते हैं, तब केआर रवींद्रन चुनावी राजनीति करने के लिए 'अपराधी' घोषित किए गए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को खुल्लम-खुल्ला राजनीति करते कैसे देखेंगे और बर्दाश्त करेंगे ? इसीलिए उम्मीद की गई थी कि दीपक तलवार, सुशील खुराना और विनोद बंसल कुछ समय तक तो - कम से कम केआर रवींद्रन के प्रभावी व निर्णायक हैसियत में रहने तक तो - चुनावी झमेलों से दूर रहेंगे; किंतु इन्हें सीओएल व इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए कमर कसते देख कई लोगों को डिस्ट्रिक्ट के और खुद इनके भी भविष्य के प्रति खतरा पैदा हो रहा नजर आ रहा है ।