Wednesday, August 24, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में ऑर्गेन डोनेशन को लेकर चलाई जा रही संजीव वर्मा की गतिविधियाँ और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर सुब्रमणियम की चुप्पी सवालों के घेरे में

नई दिल्ली । संजीव वर्मा के ट्रस्ट 'रोटरी ऑर्गेन डोनेशन' की संदेहास्पद गतिविधियों के कारण रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ फँसा है । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट अपने कुछेक सदस्यों व पदाधिकारियों की कारस्तानी के चलते पिछले कुछ समय से आरोपों व विवादों में घिरा हुआ है । संजीव वर्मा की हरकत ने इस घेरे को थोड़ा और कस दिया है । संजीव वर्मा इस वर्ष क्लब के अध्यक्ष हैं - इसलिए उनकी हरकत ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर सुब्रमणियम की भूमिका को भी लपेटे में ले लिया है । दिल्ली के प्रतिष्ठित अपोलो अस्पताल में अभी पिछले दिनों ही डॉक्टर्स की मिलीभगत से चलने वाले किडनी रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें कुछेक लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है । इस फर्दाफाश ने मानव अंगों की तस्करी के धंधे को चर्चा के केंद्र में ला दिया है । इन परिस्थितियों में, संजीव वर्मा के ट्रस्ट की गंभीर अनियमितताओं ने उनकी भूमिका को प्रश्नाकुल बना दिया है - और चूँकि संजीव वर्मा की तरफ से उन प्रश्नों को अनसुना किया जा रहा है; इसलिए उनकी भूमिका खासी संदेहास्पद हो जाती है । 
संजीव वर्मा 'रोटरी ऑर्गेन डोनेशन' नाम से एक संस्था चलाते हैं, जिसे लोगों के बीच वह ट्रस्ट बताते हैं । इसका एक पैम्फलेट वह अक्सर रोटेरियंस के बीच बाँटते रहते हैं; और इस नाम से उन्होंने एक बेवसाइट भी बनाई हुई है । बेवसाइट में अपना परिचय उन्होंने रोटेरियन के रूप में ही दिया हुआ है और अपने आप को इसके मुख्य व अकेले कर्ता-धर्ता के रूप में दर्शाया है । उनके द्धारा वितरित किए जाने वाले पैम्फलेट में तथा बेवसाइट में उनके क्लब और या उनके डिस्ट्रिक्ट का कहीं कोई नाम नहीं है । अभी तक उपलब्ध नई डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी - सुधीर मंगला के गवर्नर काल की डायरेक्टरी में पृष्ठ 217 पर डिस्ट्रिक्ट में मान्यता प्राप्त ट्रस्ट्स व सोसायटीज की जो सूची प्रकाशित है, उसमें 'रोटरी ऑर्गेन डोनेशन' का नाम नहीं है । इससे यही आभास मिलता है कि यह एक निजी ट्रस्ट है, जो रोटरी के नाम और उसके चिन्ह का नाजायज व गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल कर रहा है ।


डिस्ट्रिक्ट के नियम-कानून के अनुसार, कहीं भी किसी भी काम में रोटरी का नाम तथा उसका चिन्ह इस्तेमाल करने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की अनुमति जरूरी है, और यह अनुमति देने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में प्रस्ताव पास कराना भी जरूरी होता है । रोटरी ऑर्गेन डोनेशन के मामले में लेकिन इस नियम और प्रक्रिया का कोई पालन नहीं हुआ है । संजीव वर्मा रोटरी ऑर्गेन डोनेशन की गतिविधियाँ पिछले दो-तीन वर्ष से चला रहे हैं, और खुले आम चला रहे हैं - डिस्ट्रिक्ट बायलॉज बनाने वाले 'महान' लोगों का ध्यान लेकिन उनकी इस अवैध हरकत पर नहीं गया; और यदि गया भी तो उन्हें संजीव वर्मा की हरकत पर कार्रवाई करने की जरूरत महसूस नहीं हुई ।
ऐसे में सवाल उठता है कि डिस्ट्रिक्ट बायलॉज क्या सिर्फ डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में छापने के लिए बनाए जाते है ? उन्हें बनाने वालों को उन्हें लागू करवाने की जरूरत क्या सचमुच महसूस नहीं होती ? और या संजीव वर्मा के हाथ इतने लंबे हैं कि डिस्ट्रिक्ट बायलॉज लागू करवाने की जिम्मेदारी निभाने वाले लोगों की गर्दन तक पहुँचे हुए हैं, और उन बेचारों की हिम्मत ही नहीं हो पाई उन्हें रोकने की ?
रोटरी का नाम और चिन्ह इस्तेमाल करने वाले ट्रस्ट्स व सोसायटीज के लिए कानूनन यह भी जरूरी है कि वह अपनी संस्था का वार्षिक लेखा-जोखा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को दें, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पहले जिसे काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सामने रखे तथा फिर डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत करे । रोटरी ऑर्गेन डोनेशन के मामले में लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है । संजीव वर्मा रोटरी ऑर्गेन डोनेशन के सारे लेखा-जोखा को पूरी तरह से छिपाए हुए हैं - और कोई नहीं जानता कि इसके कामकाज को संभव बनाने के लिए वह कहाँ कहाँ से कितना पैसा इकट्ठा करते हैं, और उसे कैसे कैसे कहाँ कहाँ खर्च करते हैं ? रोटरी ऑर्गेन डोनेशन से संबंधित जितने रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, उन पर तो एक अकेले संजीव वर्मा का ही नाम है; लेकिन इसका काम करने में कई मौकों पर रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के वरिष्ठ सदस्य अजीत जालान को उनके साथ देखा गया है - जिन पर रोटरी के नाम पर कई तरह की घपलेबाजियों में संलग्न रहने का आरोप है । रोटरी ऑर्गेन डोनेशन के काम में संजीव वर्मा के साथ अजीत जालान की संलग्नता ने रोटरी ऑर्गेन डोनेशन की गतिविधियों को और भी संदेहास्पद बना दिया है । 
संजीव वर्मा इस वर्ष रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के अध्यक्ष हैं; इसलिए उनकी और भी ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि वह रोटरी के नाम पर जो भी काम करें - उसमें पूरी पारदर्शिता हो, तथा नियमों का पूरी तरह से पालन हो । लोगों का कहना है कि संजीव वर्मा 'रोटरी ऑर्गेन डोनेशन' के नाम पर जो काम कर रहे हैं, वह बहुत अच्छा और बहुत जरूरी काम है; समस्या की बात किंतु यह है कि उनका काम जितना है, 'शोर' उसकी तुलना में उसका कई गुना है; और हिसाब-किताब छिपा हुआ है, काम करने के तरीकों में नियमों का उल्लंघन है; और हिसाब-किताब के मामले में पहले से ही बदनाम चले आ रहे अजीत जालान का संगसाथ है - जिसके कारण संजीव वर्मा निशाने पर आ गए हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में डॉक्टर सुब्रमणियम ने 'रोटरी ऑर्गेन डोनेशन' के मनमाने तरीके से सक्रिय होने पर जो आँखें बंद की हुई हैं, उससे भी मामला गंभीर हुआ है । यह एक बहुत ही बुरा संयोग है कि डॉक्टर सुब्रमणियम जिस अपोलो अस्पताल से संबद्ध रहे हैं, उस अपोलो अस्पताल का नाम मानव अंगों की तस्करी के संबंध में चर्चा में है; और डॉक्टर सुब्रमणियम अपने एक क्लब अध्यक्ष की संदेहास्पद रूप से चलाई जा रही ऑर्गेन डोनेशन की गतिविधि पर चुप्पी साधे बैठे हैं ।