नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर
सुब्रमणियम के अकर्मणता और या पक्षपाती रवैये के चलते रोटरी क्लब दिल्ली
साऊथ वेस्ट की वित्तीय धांधलियों का मामला डिस्ट्रिक्ट के दो प्रमुख
रोटेरियंस - अनूप मित्तल व अजीत जालान के बीच तू तू मैं मैं में तब्दील
होता जा रहा है; और इसके चलते यह रोटरी तथा डिस्ट्रिक्ट 3011 के लिए बदनामी
भरा सबब बनता जा रहा है । इस मामले में बड़ी खास बात लेकिन यह है कि डॉक्टर
सुब्रमणियम को ज्यादा कुछ काम करना भी नहीं है । निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
सुधीर मंगला मामले से जुड़े सारे तथ्य डॉक्टर सुब्रमणियम को सौंप कर उनसे
उचित कार्रवाई करने की सिफारिश कर चुके हैं । हो सकता है कि आरोपों को अपनी
जाँच पड़ताल में सही पाते हुए सुधीर मंगला ने क्लब को निलंबित करने की जो
सिफारिश की है, डॉक्टर सुब्रमणियम उसे उचित न मानते हों - लेकिन वह इस बात
को कहते हुए अपना फैसला तो दें, ताकि मामला निपटने की और बढ़े । डॉक्टर
सुब्रमणियम लेकिन मामले पर कुंडली मारे बैठे हैं । किसी के लिए भी यह समझना
मुश्किल हो रहा है कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट में की धांधलियों पर
कार्रवाई करने की सुधीर मंगला की सिफारिश पर डॉक्टर सुब्रमणियम चुप्पी
क्यों बनाए हुए हैं ? सुधीर मंगला ने अपनी कार्रवाई - मामले की पड़ताल
करने से लेकर डॉक्टर सुब्रमणियम को की गई सिफारिश तक की कार्रवाई - के
दस्तावेज चूँकि रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय को भी भेजे हुए हैं; जिस कारण
रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट की घपलेबाजी का मामला खासा गंभीर हो गया है -
जिसकी अनदेखी करना डिस्ट्रिक्ट को खासा महँगा पड़ सकता है । लेकिन डॉक्टर
सुब्रमणियम का मामले पर कोई ध्यान नहीं है ।
डॉक्टर सुब्रमणियम के इस रवैये पर कुछेक लोगों का कहना है कि वह फैसला लेने की क्षमता ही नहीं रखते हैं; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वह बन जरूर गए हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी निभा सकने की काबिलियत उनमें नहीं है और इसीलिए वह मामले को लटकाए हुए हैं । अन्य कुछ लोगों को आशंका लेकिन यह है कि डॉक्टर सुब्रमणियम के गवर्नर-काल के अभी तक के खर्चों को लेकर अजीत जालान उन्हें 'ब्लैकमेल' कर रहे हैं, जिस कारण वह सुधीर मंगला की सिफारिश पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं; घपलों के सुबूत इतने पुख़्ता हैं कि वह सुधीर मंगला के निष्कर्षों को ख़ारिज भी नहीं कर सकते हैं - इसलिए उन्होंने फैसला न करने वाला रवैया अपना लिया है । समस्या से मुँह चुरा लेने से समस्या हल तो नहीं हो जाती है - बल्कि वह अपने साईड इफेक्ट्स और प्रकट करती है । इस मामले में भी यही हो रहा है । डॉक्टर सुब्रमणियम के चुप्पी साध लेने के बावजूद मामला चूँकि शांत नहीं पड़ा, तो मोर्चा अजीत जालान ने संभाला । अजीत जालान क्लब के प्रमुख सदस्यों में हैं और क्लब में जिन घपलों का आरोप है, उनमें कुछेक में उनकी परोक्ष/अपरोक्ष मिलीभगत के संकेत व सुबूत हैं । अभी तक वह पर्दे के पीछे से मोर्चा सँभाले हुए थे तथा क्लब के खिलाफ हो सकने वाली कार्रवाई को 'रोके' हुए थे; मामले को शांत होता न देख उन्होंने पर्दा हटा दिया और खुल कर सामने आ डटे ।
अजीत जालान ने क्लब की घपलेबाजियों को पर्सनल झगड़े में बदलने का प्रयास करते हुए अनूप मित्तल को निशाना बनाया । डिस्ट्रिक्ट में कई कई पदों पर रहते हुए अनूप मित्तल रोटरी की सेवा करते रहे हैं और कई उल्लेखनीय रिकॉर्ड बनाते रहे हैं । प्रसंगवश एक रिकॉर्ड का यहाँ जिक्र करना मामले को समझने में मदद करेगा : पिछले रोटरी वर्ष में रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट ने रोटरी फाउंडेशन में 1057 अमेरिकी डॉलर दिए थे, जिनमें 1000 अमेरिकी डॉलर अनूप मित्तल के थे । बाकी 57 अमेरिकी डॉलर में रोटरी की बड़ी बड़ी बातें करने वाले अजीत जालान का कितना हिस्सा था, इस रहस्य पर पर्दा पड़ा ही रहे तो ज्यादा अच्छा है । बहरहाल, अजीत जालान ने आरोपों और उनके सुबूतों का सीधा जबाव देने की बजाए अनूप मित्तल को निशाना बनाया । यह सच है कि घपलेबाजियों को सामने लाने का काम अनूप मित्तल ने किया है; किंतु उन्होंने तो हिसाब-किताब को लेकर आरोप लगाए थे; जिनकी जाँच-पड़ताल करने पर निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला ने आरोपों को सही पाया । इससे जाहिर है कि अनूप मित्तल कोई पर्सनल झगड़ा नहीं कर रहे थे; किंतु अजीत जालान ने उन्हें निशाना बना कर मामले को पर्सनल बनाने का प्रयास किया । अजीत जालान के लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि वह 'चोट' तो अनूप मित्तल को पहुँचाना चाहते थे, लेकिन अपनी इस हरकत से वह 'घायल' अपनी पत्नी को कर बैठे । रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के घपलेबाजों को बचाने के प्रयासों का साईड इफेक्ट यह हुआ है कि इस मामले में अब अजीत जालान की पत्नी अंजु जालान का नाम भी जुड़ गया है ।
उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के वर्ष 2014-15 के हिसाब-किताब में गड़बड़ी के गंभीर आरोप हैं, और इस आरोप के लिए अजीत जालान पर उस वर्ष क्लब के ट्रेजरार पद का कामकाज संभाले होने का हवाला देते हुए जिम्मेदारी डाली गई है । अनूप मित्तल को निशाना बनाते हुए लिखे पत्र में अजीत जालान ने दावा किया कि वह कभी भी रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के ट्रेजरार नहीं रहे हैं । तकनीकी रूप से अजीत जालान का दावा बिलकुल सच है; लेकिन उन्होंने यह दावा एक 'व्यावहारिक सच' को छिपाने की नीयत से किया, और उनकी यही होशियारी मामले में उनकी पत्नी का नाम आ जाने के कारण उन्हें उल्टी पड़ी । वास्तव में वर्ष 2014-15 में क्लब की ट्रेजरार उनकी पत्नी अंजु जालान थीं । क्लब में जो लोग जालान दंपति को जानते हैं, उनका कहना है कि अंजु जालान एक भली सीधी सादी महिला हैं, जिन्हें अपने राजनीतिक व आर्थिक स्वार्थ में 'इस्तेमाल' करते हुए अजीत जालान ने क्लब का ट्रेजरार बनवा दिया था । तकनीकी रूप से क्लब की ट्रेजरार अंजु जालान थीं, लेकिन ट्रेजरार का काम अजीत जालान ही करते थे । वर्ष 2014-15 का क्लब का हिसाब-किताब क्लब के सदस्यों को यदि अभी तक नहीं मिला है, तो इसका कारण यही माना/समझा जा रहा है कि उस वर्ष के हिसाब-किताब में भारी घपलेबाजी है । उस वर्ष अजीत जालान की पत्नी क्लब की ट्रेजरार थीं, तब अजीत जालान घपलेबाजी के आरोप से इस तर्क से भला कैसे बच सकते हैं कि वह कभी क्लब के ट्रेजरार नहीं रहे ? अपने इस दावे के जरिए अजीत जालान क्या यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्ष 2014-15 की घपलेबाजी के लिए मुझे मत पकड़ो, मेरी पत्नी को पकड़ो ? अजीत जालान को शायद इस बात का आभास नहीं रहा होगा कि आरोपों से बचने की उनकी होशियारी उनके साथ-साथ उनकी पत्नी को भी आरोपों के दलदल में घसीट लेगी ।
इस मामले में और गंद फैले, इससे बचने का एक ही उपाय है कि लंबित पड़े इस मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर सुब्रमणियम तुरंत से फैसला करें - जो ठीक समझें, वह फैसला करें; ताकि मामला निर्णायक दिशा में आगे बढ़े । इस मामले में फैसला करने के डॉक्टर सुब्रमणियम के रवैये को लेकर उनके एक नजदीकी ने एक कहानी 'बनाई' है, जिसका 'संदेश' खासा दिलचस्प और प्रासंगिक है । कहानी के अनुसार, अनूप मित्तल एक शाम डॉक्टर सुब्रमणियम से मिले और उन्हें रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के घपलों के बारे में विस्तार से बताया और उचित करवाई करने की माँग की । डॉक्टर सुब्रमणियम ने उनकी पूरी बात बहुत ध्यान से सुनी और कहा : 'अनूप, तुम बिलकुल ठीक कह रहे हो । यू आर राईट । यू आर एब्सोल्यूट्ली राईट ।' अगले दिन शाम को अजीत जालान उनसे मिले और उन्होंने तमाम आरोपों को तरह तरह के तर्क देते हुए झूठा बताया और क्लब के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का उनसे अनुरोध किया । डॉक्टर सुब्रमणियम ने उनकी भी पूरी बात बड़े ध्यान से सुनी और बोले : अजीत, तुम बिलकुल ठीक कह रहे हो । यू आर राईट । यू आर एब्सोल्यूट्ली राईट ।' अजीत जालान जब चले गए, तब डॉक्टर सुब्रमणियम की पत्नी डॉक्टर ललिता उन पर बहुत बिगड़ी कि तुम कैसे व्यक्ति हो; दोनों को राईट और एब्सोल्यूट्ली राईट बता रहे हो; दोनों में से राईट तो कोई एक ही होगा न । डॉक्टर ललिता ने डॉक्टर सुब्रमणियम से कहा कि आपको फैसला करना चाहिए कि दोनों में से कौन सचमुच राईट है । डॉक्टर ललिता ने कहा कि आपको याद रखना चाहिए कि आप डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हो; और आपको किसी एक के पक्ष में फैसला करना चाहिए । डॉक्टर सुब्रमणियम ने अपनी पत्नी की नाराजगी भरी और सलाहपूर्ण बातों को ध्यान से सुना और कहा : 'ललिता, तुम बिलकुल ठीक कह रही हो । यू आर राईट । यू आर एब्सोल्यूट्ली राईट ।' यह सुनकर डॉक्टर ललिता ने अपना सिर पीट लिया ।
कहानी में डॉक्टर ललिता ने अपना सिर पीट लिया; तो डिस्ट्रिक्ट में डॉक्टर सुब्रमणियम के टालू रवैये से उत्साहित होकर अजीत जालान ने अनूप मित्तल की तरफ जो पत्थर फेंका था, उससे अपनी पत्नी को ही घायल कर लिया है । देखना दिलचस्प होगा कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट की घपलेबाजियों का मामला और क्या क्या तमाशे दिखवायेगा ?
डॉक्टर सुब्रमणियम के इस रवैये पर कुछेक लोगों का कहना है कि वह फैसला लेने की क्षमता ही नहीं रखते हैं; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वह बन जरूर गए हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी निभा सकने की काबिलियत उनमें नहीं है और इसीलिए वह मामले को लटकाए हुए हैं । अन्य कुछ लोगों को आशंका लेकिन यह है कि डॉक्टर सुब्रमणियम के गवर्नर-काल के अभी तक के खर्चों को लेकर अजीत जालान उन्हें 'ब्लैकमेल' कर रहे हैं, जिस कारण वह सुधीर मंगला की सिफारिश पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं; घपलों के सुबूत इतने पुख़्ता हैं कि वह सुधीर मंगला के निष्कर्षों को ख़ारिज भी नहीं कर सकते हैं - इसलिए उन्होंने फैसला न करने वाला रवैया अपना लिया है । समस्या से मुँह चुरा लेने से समस्या हल तो नहीं हो जाती है - बल्कि वह अपने साईड इफेक्ट्स और प्रकट करती है । इस मामले में भी यही हो रहा है । डॉक्टर सुब्रमणियम के चुप्पी साध लेने के बावजूद मामला चूँकि शांत नहीं पड़ा, तो मोर्चा अजीत जालान ने संभाला । अजीत जालान क्लब के प्रमुख सदस्यों में हैं और क्लब में जिन घपलों का आरोप है, उनमें कुछेक में उनकी परोक्ष/अपरोक्ष मिलीभगत के संकेत व सुबूत हैं । अभी तक वह पर्दे के पीछे से मोर्चा सँभाले हुए थे तथा क्लब के खिलाफ हो सकने वाली कार्रवाई को 'रोके' हुए थे; मामले को शांत होता न देख उन्होंने पर्दा हटा दिया और खुल कर सामने आ डटे ।
अजीत जालान ने क्लब की घपलेबाजियों को पर्सनल झगड़े में बदलने का प्रयास करते हुए अनूप मित्तल को निशाना बनाया । डिस्ट्रिक्ट में कई कई पदों पर रहते हुए अनूप मित्तल रोटरी की सेवा करते रहे हैं और कई उल्लेखनीय रिकॉर्ड बनाते रहे हैं । प्रसंगवश एक रिकॉर्ड का यहाँ जिक्र करना मामले को समझने में मदद करेगा : पिछले रोटरी वर्ष में रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट ने रोटरी फाउंडेशन में 1057 अमेरिकी डॉलर दिए थे, जिनमें 1000 अमेरिकी डॉलर अनूप मित्तल के थे । बाकी 57 अमेरिकी डॉलर में रोटरी की बड़ी बड़ी बातें करने वाले अजीत जालान का कितना हिस्सा था, इस रहस्य पर पर्दा पड़ा ही रहे तो ज्यादा अच्छा है । बहरहाल, अजीत जालान ने आरोपों और उनके सुबूतों का सीधा जबाव देने की बजाए अनूप मित्तल को निशाना बनाया । यह सच है कि घपलेबाजियों को सामने लाने का काम अनूप मित्तल ने किया है; किंतु उन्होंने तो हिसाब-किताब को लेकर आरोप लगाए थे; जिनकी जाँच-पड़ताल करने पर निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला ने आरोपों को सही पाया । इससे जाहिर है कि अनूप मित्तल कोई पर्सनल झगड़ा नहीं कर रहे थे; किंतु अजीत जालान ने उन्हें निशाना बना कर मामले को पर्सनल बनाने का प्रयास किया । अजीत जालान के लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि वह 'चोट' तो अनूप मित्तल को पहुँचाना चाहते थे, लेकिन अपनी इस हरकत से वह 'घायल' अपनी पत्नी को कर बैठे । रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के घपलेबाजों को बचाने के प्रयासों का साईड इफेक्ट यह हुआ है कि इस मामले में अब अजीत जालान की पत्नी अंजु जालान का नाम भी जुड़ गया है ।
उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के वर्ष 2014-15 के हिसाब-किताब में गड़बड़ी के गंभीर आरोप हैं, और इस आरोप के लिए अजीत जालान पर उस वर्ष क्लब के ट्रेजरार पद का कामकाज संभाले होने का हवाला देते हुए जिम्मेदारी डाली गई है । अनूप मित्तल को निशाना बनाते हुए लिखे पत्र में अजीत जालान ने दावा किया कि वह कभी भी रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के ट्रेजरार नहीं रहे हैं । तकनीकी रूप से अजीत जालान का दावा बिलकुल सच है; लेकिन उन्होंने यह दावा एक 'व्यावहारिक सच' को छिपाने की नीयत से किया, और उनकी यही होशियारी मामले में उनकी पत्नी का नाम आ जाने के कारण उन्हें उल्टी पड़ी । वास्तव में वर्ष 2014-15 में क्लब की ट्रेजरार उनकी पत्नी अंजु जालान थीं । क्लब में जो लोग जालान दंपति को जानते हैं, उनका कहना है कि अंजु जालान एक भली सीधी सादी महिला हैं, जिन्हें अपने राजनीतिक व आर्थिक स्वार्थ में 'इस्तेमाल' करते हुए अजीत जालान ने क्लब का ट्रेजरार बनवा दिया था । तकनीकी रूप से क्लब की ट्रेजरार अंजु जालान थीं, लेकिन ट्रेजरार का काम अजीत जालान ही करते थे । वर्ष 2014-15 का क्लब का हिसाब-किताब क्लब के सदस्यों को यदि अभी तक नहीं मिला है, तो इसका कारण यही माना/समझा जा रहा है कि उस वर्ष के हिसाब-किताब में भारी घपलेबाजी है । उस वर्ष अजीत जालान की पत्नी क्लब की ट्रेजरार थीं, तब अजीत जालान घपलेबाजी के आरोप से इस तर्क से भला कैसे बच सकते हैं कि वह कभी क्लब के ट्रेजरार नहीं रहे ? अपने इस दावे के जरिए अजीत जालान क्या यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्ष 2014-15 की घपलेबाजी के लिए मुझे मत पकड़ो, मेरी पत्नी को पकड़ो ? अजीत जालान को शायद इस बात का आभास नहीं रहा होगा कि आरोपों से बचने की उनकी होशियारी उनके साथ-साथ उनकी पत्नी को भी आरोपों के दलदल में घसीट लेगी ।
इस मामले में और गंद फैले, इससे बचने का एक ही उपाय है कि लंबित पड़े इस मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर सुब्रमणियम तुरंत से फैसला करें - जो ठीक समझें, वह फैसला करें; ताकि मामला निर्णायक दिशा में आगे बढ़े । इस मामले में फैसला करने के डॉक्टर सुब्रमणियम के रवैये को लेकर उनके एक नजदीकी ने एक कहानी 'बनाई' है, जिसका 'संदेश' खासा दिलचस्प और प्रासंगिक है । कहानी के अनुसार, अनूप मित्तल एक शाम डॉक्टर सुब्रमणियम से मिले और उन्हें रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के घपलों के बारे में विस्तार से बताया और उचित करवाई करने की माँग की । डॉक्टर सुब्रमणियम ने उनकी पूरी बात बहुत ध्यान से सुनी और कहा : 'अनूप, तुम बिलकुल ठीक कह रहे हो । यू आर राईट । यू आर एब्सोल्यूट्ली राईट ।' अगले दिन शाम को अजीत जालान उनसे मिले और उन्होंने तमाम आरोपों को तरह तरह के तर्क देते हुए झूठा बताया और क्लब के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का उनसे अनुरोध किया । डॉक्टर सुब्रमणियम ने उनकी भी पूरी बात बड़े ध्यान से सुनी और बोले : अजीत, तुम बिलकुल ठीक कह रहे हो । यू आर राईट । यू आर एब्सोल्यूट्ली राईट ।' अजीत जालान जब चले गए, तब डॉक्टर सुब्रमणियम की पत्नी डॉक्टर ललिता उन पर बहुत बिगड़ी कि तुम कैसे व्यक्ति हो; दोनों को राईट और एब्सोल्यूट्ली राईट बता रहे हो; दोनों में से राईट तो कोई एक ही होगा न । डॉक्टर ललिता ने डॉक्टर सुब्रमणियम से कहा कि आपको फैसला करना चाहिए कि दोनों में से कौन सचमुच राईट है । डॉक्टर ललिता ने कहा कि आपको याद रखना चाहिए कि आप डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हो; और आपको किसी एक के पक्ष में फैसला करना चाहिए । डॉक्टर सुब्रमणियम ने अपनी पत्नी की नाराजगी भरी और सलाहपूर्ण बातों को ध्यान से सुना और कहा : 'ललिता, तुम बिलकुल ठीक कह रही हो । यू आर राईट । यू आर एब्सोल्यूट्ली राईट ।' यह सुनकर डॉक्टर ललिता ने अपना सिर पीट लिया ।
कहानी में डॉक्टर ललिता ने अपना सिर पीट लिया; तो डिस्ट्रिक्ट में डॉक्टर सुब्रमणियम के टालू रवैये से उत्साहित होकर अजीत जालान ने अनूप मित्तल की तरफ जो पत्थर फेंका था, उससे अपनी पत्नी को ही घायल कर लिया है । देखना दिलचस्प होगा कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट की घपलेबाजियों का मामला और क्या क्या तमाशे दिखवायेगा ?