Sunday, August 28, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत ललित खन्ना की उम्मीदवारी को स्वीकार्यता व विश्वसनीयता मिलती देख डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के सक्रिय खिलाड़ी नेताओं की मुसीबत बढ़ी

नोएडा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के परिदृश्य में ललित खन्ना का यूँ तो कोई सक्रिय खेमा नहीं है - किंतु दीपक गुप्ता और अशोक जैन के खेमे के नेताओं ने जिस तरह से उन्हें अपनी अपनी तरफ खींचने की कोशिशें चलाई हुई हैं, उसके चलते ललित खन्ना की उम्मीदवारी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई को असमंजसपूर्ण तथा दिलचस्प बनाया हुआ है । मजे का सीन यह है कि दोनों खेमे के नेता दिखावे के लिए तो ललित खन्ना की उम्मीदवारी को तवज्जो देने से बचने की कोशिश करते हैं, लेकिन उसके साथ साथ वह ललित खन्ना की उम्मीदवारी को वापस कराने तथा अपनी अपनी तरफ करने के जुगाड़ लगाते हुए भी देखे/सुने जाते है - ऐसे में, लोगों के बीच यही सवाल उठता है कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी में यदि सचमुच कोई दम नहीं है, तो फिर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ी नेताओं को उनकी उम्मीदवारी की उपस्थिति से परेशान क्यों होना पड़ रहा है ? खास बात यह है कि दोनों खेमे के नेता लोग ललित खन्ना को - दूसरे खेमे के वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में भी पोर्ट्रेट करने की कोशिश करते हैं; इसका नतीजा यह निकल रहा है कि डिस्ट्रिक्ट में ललित खन्ना को दोनों खेमे के वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । इस तरह से, होता यह दिख रहा है कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी को 'मिटाने' की कोशिशें बूमरेंग करते हुए वास्तव में उनकी उम्मीदवारी को 'जमाने' का काम कर रही हैं ।
ललित खन्ना की उम्मीदवारी का 'शोर' जरूर कम है, लेकिन क्लब्स के अध्यक्षों के बीच उनकी पैठ जिस तरह से बनती नजर आ रही है - वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का मैदान मार लेने की कोशिशों में जुटे दोनों खेमे के नेताओं के लिए परेशानी का सबब बनी है । चुनावी राजनीति में खेमेबाजी का जो प्रभाव होता है, उस प्रभाव को जमाने/दिखाने में ललित खन्ना भले ही कमजोर पड़ रहे हों - लेकिन उम्मीदवार का जो अपना एक 'प्रभाव' होता/पड़ता है, उस मामले में ललित खन्ना किसी भी तरह से पीछे नहीं हैं । वह वर्षों मुकेश अरनेजा के अच्छे-बुरे समय के साथी/सहयोगी रहे हैं, और इस नाते से राजनीति की तरकीबें अच्छे से जानते/पहचानते भी हैं - और उन्हें इस्तेमाल करने के हुनर से भी परिचित हैं । राजनीति की तरकीबों को जानने/पहचानने की अपनी काबिलियत के चलते ही ललित खन्ना ने बिना किसी के सहयोग/समर्थन के बावजूद डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों के गणित को उलझा दिया है । ललित खन्ना अकेले ही डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों से टक्कर ले रहे हैं, और अपनी उम्मीदवारी के लिए 'मौके' बना रहे हैं - इस बात ने भी उनकी उम्मीदवारी के प्रति लोगों की उत्सुकता को बढ़ाया है; और उनकी उम्मीदवारी के प्रति लोगों के बीच बढ़ती इसी उत्सुकता ने डिस्ट्रिक्ट के चुनावी खिलाड़ियों के सामने मुसीबत खड़ी कर दी है ।
इस तरह, ललित खन्ना की उम्मीदवारी पर किसी की 'छतरी' न होने के जिस तथ्य को उनकी बड़ी कमजोरी के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था - उस तथ्य को उन्होंने अपनी ही छतरी तान कर अपनी ताकत बना लिया है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई के जाने-पहचाने सीन में हर उम्मीदवार किन्हीं दूसरों की छतरी में आगे बढ़ता दिखाई देता है; ललित खन्ना ने लेकिन इस जाने-पहचाने सीन को बदलने का प्रयास किया है - और वह किन्हीं दूसरों की नहीं, बल्कि उन्होंने अपनी ही छतरी में अपने राजनीतिक अभियान को आगे बढ़ाना शुरू किया । इसका उन्हें सुफल भी मिलता दिखा है । वास्तव में, अधिकतर लोग - और इन अधिकतर लोगों में क्लब्स के अध्यक्ष भी आते हैं - उम्मीदवार में 'लीडर' के गुण देखते हैं और उन गुणों को पसंद करते हैं; लीडर जब 'इसके' या 'उसके' 'आदमी' के रूप में सामने आता है, तो वह लोगों पर कोई प्रभाव नहीं छोड़/बना पाता है । उम्मीदवार के रूप में ललित खन्ना ने लोगों के बीच इस कारण से अपनी पैठ बनाई है - क्योंकि वह किसी नेता के 'आदमी' के रूप में लोगों के बीच नहीं हैं । क्लब्स के पदाधिकारी नेताओं की दखलंदाजी और लगातार पड़ते रहने वाले तरह तरह के उनके दबावों से प्रायः परेशान और दुखी रहते हैं, इसलिए भी ललित खन्ना के साथ वह अपने आप को कंफर्टेबल पाते हैं । क्लब्स के पदाधिकारियों की इस कंफर्टेबिलिटी को वोट में बदलने की चुनौती ललित खन्ना के सामने हालाँकि अभी बाकी है; किंतु ललित खन्ना की अभी तक की उपलब्धि ने ही डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ी नेताओं की परेशानी को बढ़ा दिया है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत ललित खन्ना की उम्मीदवारी को उनकी पत्नी नीलू खन्ना की सक्रियता के चलते और व्यापकता व स्वीकार्यता मिल रही है । दरअसल नीलू खन्ना की पहचान सिर्फ ललित खन्ना की पत्नी के रूप में ही नहीं है; बल्कि इंटरनेशनल इनरव्हील डिस्ट्रिक्ट 301 की निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट चेयरपरसन के रूप में एक लीडर की भी है । अभी करीब दो महीने पहले तक वह इंटरनेशनल इनरव्हील डिस्ट्रिक्ट 301 की चेयरपरसन के रूप में सक्रिय थीं, और उनकी सक्रियता को चूँकि कई प्रमुख रोटेरियंस की पत्नियों ने नजदीक से देखा/पहचाना है; इसलिए जब वह ललित खन्ना के साथ क्लब्स के और डिस्ट्रिक्ट के कार्यक्रमों में शामिल होती हैं - तो ललित खन्ना के अभियान को और नजदीकियत तथा विश्वसनीयता मिलती है । नीलू खन्ना रोटरी परिवार में एक बड़े पद पर रही हैं, इस कारण से क्लब्स के पदाधिकारियों तथा दूसरे लोगों के बीच उनका एक 'ऑरा' बनता/दिखता है, जिसका फायदा स्वतः ललित खन्ना के अभियान को मिलता ही है । ललित खन्ना की उम्मीदवारी के अभियान को उनके क्लब के अध्यक्ष विजय भूषण की सक्रियता से भी मनोवैज्ञानिक फायदा मिल रहा है । विजय भूषण उनके साथ भी लोगों के बीच जाते हैं, और खुद अकेले भी अपनी सक्रियता लोगों - खासकर क्लब्स के अध्यक्षों के बीच रखते हैं । दीपक गुप्ता और अशोक जैन के क्लब के अध्यक्ष चूँकि इस तरह की सक्रियता के मामले में ढीले-ढाले दिखते हैं, इसलिए विजय भूषण की सक्रियता ललित खन्ना की उम्मीदवारी के काम भी आती है ।
ललित खन्ना की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन का भाव रखने वाले रोटेरियंस को उनसे बस एक बड़ी शिकायत यही है कि वह कभी भी सीन से गायब हो जाते हैं; हालाँकि उनके नजदीकियों का दावा है कि वह गायब कहीं नहीं होते - वह निरंतर सक्रिय हैं, होता सिर्फ यह है कि कभी कभी उनकी सक्रियता 'दिखना' बंद हो जाती है । जाहिर है कि सक्रिय होने के साथ साथ, सक्रिय 'दिखने' की जरूरत तथा अहमियत को उन्हें अभी समझना है । दीपक गुप्ता और अशोक जैन की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने जिस तरह से बहला-फुसला कर और तरह तरह के ऑफर देकर उन्हें इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी करने तथा अपने अपने साथ आने के लिए 'तैयार' करने का काम शुरू किया है, उससे लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के सक्रिय खिलाड़ी नेताओं के लिए भी ललित खन्ना की उम्मीदवारी को इग्नोर करना संभव नहीं रह गया है; और वह ललित खन्ना की उम्मीदवारी को अपने लिए और अपने उम्मीदवार के लिए चुनौती के रूप में देख रहे हैं ।