नई
दिल्ली । दीपक गर्ग के नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पद से
अचानक से हुए इस्तीफे ने इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के सदस्य राजेश
शर्मा को खासी मुसीबत में फँसा दिया है और उनके लिए फजीहत खड़ी कर दी है । दीपक
गर्ग ने पाँच पृष्ठों के हाथ से लिखे अपने इस्तीफे में तो ठीकरा
इंस्टीट्यूट प्रशासन के सिर फोड़ा है, लेकिन अपने नजदीकियों के जरिए अपने
इस्तीफे की अंतर्कथा के मुख्य खलनायक के रूप में वह राजेश शर्मा को निशाना
बना रहे हैं, और राजेश शर्मा को सारी समस्या की जड़ के रूप में पोर्ट्रेट कर
रहे हैं । दीपक गर्ग के नजदीकियों के हवाले से जो सूचनाएँ लोगों को मिल
रही हैं, उनमें कहा/सुना जा रहा है कि राजेश शर्मा ने दीपक गर्ग को अपने
ऑफिस बुला कर तरह तरह की बातों से उन पर इस्तीफे के लिए दबाव बनाया; राजेश
शर्मा ने उन्हें साफ धमकी दी कि उन्होंने यदि इस्तीफा नहीं दिया तो वह
रीजनल काउंसिल के पॉवर ग्रुप में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लगवायेंगे -
और तब उन्हें चेयरमैन पद से भी हटना पड़ेगा और उनकी बदनामी भी होगी । दीपक
गर्ग ने अपने आप को घिरा हुआ पाया और और समझ लिया कि इस्तीफा देने में ही
उनकी भलाई है । राजेश शर्मा ने उनके इस्तीफे को जरूरी बताते हुए तर्क दिया
कि चेयरमैन के रूप में उनकी परफॉर्मेंस
बहुत ही खराब है, और चूँकि उन्हें चेयरमैन बनवाने में 'मेरी ही निर्णायक
भूमिका थी, इसलिए तुम्हारे खराब परफॉर्मेंस के कारण मेरी भी बदनामी हो रही
है ।' दीपक गर्ग अपने इस्तीफे का कारण क्या बताएँ - यह भी राजेश शर्मा ने
ही उन्हें बताया । पिछले छह महीनों में नॉर्दर्न इंडिया रीजन में जो जो
कबाड़ा हुआ, उसके लिए इंस्टीट्यूट प्रशासन को जिम्मेदार ठहराकर दीपक गर्ग ने
अपने आप को भी
आरोपों से बचा लिया, और सेंट्रल काउंसिल सदस्य राजेश शर्मा भी इस आरोप से बच गए कि दीपक गर्ग को
चेयरमैन बनवा कर उन्होंने नॉर्दर्न रीजन को गर्त में धकेल दिया है ।
दीपक गर्ग अपने नजदीकियों के बीच और उनके जरिए अपने इस्तीफे की लेकिन एक अलग कहानी बता रहे हैं । इस कहानी के अनुसार, राजेश शर्मा ने रीजनल काउंसिल के कई सदस्यों को चेयरमैन बनाने/बनवाने की गोली दे रखी है - समस्या की बात लेकिन यह है कि चेयरमैन तो तीन ही लोग बन सकेंगे; राजेश शर्मा को खतरा यह महसूस हो रहा है कि ऐसे में जो लोग चेयरमैन नहीं बन सकेंगे, वह अंतिम और तीसरे वर्ष में अपना गुस्सा निकालेंगे - जिससे उनके सामने चुनाव में मुसीबत खड़ी होगी । विवेक खुराना, राकेश मक्कड़, पंकज पेरिवाल, नितिन कँवर आदि तो राजेश शर्मा से उम्मीद लगाए हुए हैं ही; सुमित गर्ग और राजेंद्र अरोड़ा को भी लगने लगा है कि अपनी राजनीति जमाने के लिए राजेश शर्मा उनसे सहयोग/समर्थन ले रहे हैं, तो इसके बदले में वह उनके लिए क्या 'सोच' रहे हैं ? जाहिर है कि राजेश शर्मा ने इनका समर्थन जुटा तो लिया है, लेकिन इनका समर्थन अपने साथ बनाए रखना उनके लिए बड़ी चुनौती भी है । अपने अगले चुनाव को सुरक्षित बनाए रखने के लिए राजेश शर्मा को इस चुनौती से निपटना ही है । पिछली बार का चुनाव तो वह चरणजोत सिंह नंदा के समर्थन के भरोसे किसी तरह जीत गए थे; किंतु अगली बार जब चरणजोत सिंह नंदा खुद उम्मीदवार होंगे, तब राजेश शर्मा का क्या होगा - इसकी चिंता औरों के साथ-साथ खुद राजेश शर्मा को भी बहुत है । इसलिए राजेश शर्मा को दोस्तों की ज्यादा जरूरत है, दुश्मनों की संख्या यदि बढ़ी - तो अगले चुनाव में उनके लिए मुसीबत होगी । इस परिप्रेक्ष्य में, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के जिन सदस्यों को उन्होंने चेयरमैन बनवाने की गोली दे रखी है, उन्हें चेयरमैन बनवाना उन्हें जरूरी लग रहा है । दीपक गर्ग ने अपने नजदीकियों से और उनके जरिए जो मुख्य बात लोगों तक पहुँचवाई है, वह यह है कि राजेश शर्मा सभी को खुश करने/रखने की कोशिश में सभी को चेयरमैन बनवायेंगे - भले ही वह चार-चार छह-छह महीने के लिए ही चेयरमैन बने/रहें । अपनी इसी योजना को क्रियान्वित करने के लिए राजेश शर्मा ने दीपक गर्ग की चेयरमैनी की बलि ली है ।
दीपक गर्ग के सूचनाओं के पिटारे से अभी जो सूचनाएँ निकल कर आ रही हैं, उनमें बताया जा रहा है कि राजेश शर्मा ने पंकज पेरिवाल को अगला चेयरमैन बनवाने का फैसला कर लिया है । पंकज पेरिवाल रीजनल काउंसिल की सत्ता चौकड़ी द्धारा उपेक्षित रहे हैं, और इस कारण अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हुए सत्ताधारी पॉवर ग्रुप से अलग-थलग रहे हैं । राजेश शर्मा को पंकज पेरिवाल के जरिए पंजाब में अपने अभियान को साधना है, इसलिए उन्हें पंकज पेरिवाल की नाराजगी के चलते हो सकने वाले नुकसान से अपने अभियान को बचाना है । पंकज पेरिवाल को राजेश शर्मा ने ही रीजनल काउंसिल के मौजूदा पॉवर ग्रुप में शामिल होने के लिए राजी किया था । पंकज पेरिवाल इस कारण से राजेश शर्मा से बुरी तरह नाराज थे कि उन्होंने पॉवर ग्रुप में शामिल करके अपना काम तो निकाल लिया, लेकिन फिर बाद में उनकी कोई सुध नहीं ली और उन्हें चौकड़ी द्धारा उपेक्षित व अपमानित होने के लिए अकेला छोड़ दिया । राजेश शर्मा अब उनकी सारी नाराजगी दूर कर देना चाहते हैं और इसीलिए उन्होंने पंकज पेरिवाल को अगला चेयरमैन बनाने की तैयारी कर ली है ।
दीपक गर्ग की तरफ से हो रहे इन खुलासों ने राजेश शर्मा के लिए खासी दोतरफा मुसीबत खड़ी कर दी है । एक तरफ तो दीपक गर्ग के इस्तीफे का जो अप्रत्याशित नाटक हुआ है, उसे न तो इंस्टीट्यूट प्रशासन ने पसंद किया है और न रीजन के बाकी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने । इस नाटक के असली सूत्रधार के रूप में राजेश शर्मा को चिन्हित करते हुए सभी ने अपने अपने तरीके से यही संकेत दिए हैं कि इंस्टीट्यूट में इस तरह की हरकतें नहीं चलने दी जायेंगी । दूसरी तरफ, रीजनल काउंसिल में जो सदस्य राजेश शर्मा के 'आदमी' के रूप में देखे/पहचाने जाते हैं, वह अपने आप को अपमानित महसूस करने लगे हैं : उन्हें लग रहा है कि यह तो तमाशा हुआ है और इस तमाशे के पीछे की जो कहानियाँ सामने आ रही हैं, उससे ऐसा लग रहा है जैसे कि वह राजेश शर्मा के सहयोगी या समर्थक नहीं - बल्कि उनकी कठपुतलियाँ हैं । इंस्टीट्यूट के जीवन में शायद पहली बार कुछ ऐसा हुआ है - जिसने अलग अलग कारणों से सभी को 'शॉक' दिया है, और सभी हतप्रभ हैं, और अपने अपने कारणों से सभी महसूस कर रहे हैं कि जो हुआ है तथा उसके पीछे के जो कारण बताए/सुने जा रहे हैं - वह अच्छा नहीं है । सभी 'चुप' हैं और सिर्फ फुसफुसाहटों के रूप में ही बातें कर रहे हैं; सभी अभी देखना चाहते हैं कि यह नाटक किस दिशा में आगे बढ़ता है ? राजेश शर्मा के लिए मुसीबत की बात यह है कि दीपक गर्ग के इस्तीफे के नाटक के लिए सभी राजेश शर्मा को ही जिम्मेदार मान रहे हैं, और राजेश शर्मा की भूमिका हर किसी के लिए संदेहास्पद हो गई है - इसलिए इस नाटक को अपनी स्क्रिप्ट के अनुसार आगे बढ़ाना और अपनी 'योजना' को क्रियान्वित करना उनके लिए खासा चुनौतीपूर्ण हो गया है ।
राजेश शर्मा के नजदीकियों के अनुसार, राजेश शर्मा को दरअसल यह उम्मीद नहीं थी कि दीपक गर्ग को जितना 'अभिनय' करने के लिए कहा जायेगा - वह उससे ज्यादा अभिनय कर लेंगे । दीपक गर्ग का इस्तीफा तो राजेश शर्मा की स्क्रिप्ट के अनुसार ही हुआ, इसलिए वहाँ तक का नाटक तो ठीक चला - लेकिन इस्तीफा देने के बाद दीपक गर्ग ने स्क्रिप्ट से बाहर जाकर जो 'अभिनय' किया है, उसने राजेश शर्मा के लिए चौतरफा मुसीबत खड़ी कर दी है । उनकी यह मुसीबत नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में आगे क्या गुल खिलायेगी - यह देखना दिलचस्प होगा ।
दीपक गर्ग अपने नजदीकियों के बीच और उनके जरिए अपने इस्तीफे की लेकिन एक अलग कहानी बता रहे हैं । इस कहानी के अनुसार, राजेश शर्मा ने रीजनल काउंसिल के कई सदस्यों को चेयरमैन बनाने/बनवाने की गोली दे रखी है - समस्या की बात लेकिन यह है कि चेयरमैन तो तीन ही लोग बन सकेंगे; राजेश शर्मा को खतरा यह महसूस हो रहा है कि ऐसे में जो लोग चेयरमैन नहीं बन सकेंगे, वह अंतिम और तीसरे वर्ष में अपना गुस्सा निकालेंगे - जिससे उनके सामने चुनाव में मुसीबत खड़ी होगी । विवेक खुराना, राकेश मक्कड़, पंकज पेरिवाल, नितिन कँवर आदि तो राजेश शर्मा से उम्मीद लगाए हुए हैं ही; सुमित गर्ग और राजेंद्र अरोड़ा को भी लगने लगा है कि अपनी राजनीति जमाने के लिए राजेश शर्मा उनसे सहयोग/समर्थन ले रहे हैं, तो इसके बदले में वह उनके लिए क्या 'सोच' रहे हैं ? जाहिर है कि राजेश शर्मा ने इनका समर्थन जुटा तो लिया है, लेकिन इनका समर्थन अपने साथ बनाए रखना उनके लिए बड़ी चुनौती भी है । अपने अगले चुनाव को सुरक्षित बनाए रखने के लिए राजेश शर्मा को इस चुनौती से निपटना ही है । पिछली बार का चुनाव तो वह चरणजोत सिंह नंदा के समर्थन के भरोसे किसी तरह जीत गए थे; किंतु अगली बार जब चरणजोत सिंह नंदा खुद उम्मीदवार होंगे, तब राजेश शर्मा का क्या होगा - इसकी चिंता औरों के साथ-साथ खुद राजेश शर्मा को भी बहुत है । इसलिए राजेश शर्मा को दोस्तों की ज्यादा जरूरत है, दुश्मनों की संख्या यदि बढ़ी - तो अगले चुनाव में उनके लिए मुसीबत होगी । इस परिप्रेक्ष्य में, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के जिन सदस्यों को उन्होंने चेयरमैन बनवाने की गोली दे रखी है, उन्हें चेयरमैन बनवाना उन्हें जरूरी लग रहा है । दीपक गर्ग ने अपने नजदीकियों से और उनके जरिए जो मुख्य बात लोगों तक पहुँचवाई है, वह यह है कि राजेश शर्मा सभी को खुश करने/रखने की कोशिश में सभी को चेयरमैन बनवायेंगे - भले ही वह चार-चार छह-छह महीने के लिए ही चेयरमैन बने/रहें । अपनी इसी योजना को क्रियान्वित करने के लिए राजेश शर्मा ने दीपक गर्ग की चेयरमैनी की बलि ली है ।
दीपक गर्ग के सूचनाओं के पिटारे से अभी जो सूचनाएँ निकल कर आ रही हैं, उनमें बताया जा रहा है कि राजेश शर्मा ने पंकज पेरिवाल को अगला चेयरमैन बनवाने का फैसला कर लिया है । पंकज पेरिवाल रीजनल काउंसिल की सत्ता चौकड़ी द्धारा उपेक्षित रहे हैं, और इस कारण अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हुए सत्ताधारी पॉवर ग्रुप से अलग-थलग रहे हैं । राजेश शर्मा को पंकज पेरिवाल के जरिए पंजाब में अपने अभियान को साधना है, इसलिए उन्हें पंकज पेरिवाल की नाराजगी के चलते हो सकने वाले नुकसान से अपने अभियान को बचाना है । पंकज पेरिवाल को राजेश शर्मा ने ही रीजनल काउंसिल के मौजूदा पॉवर ग्रुप में शामिल होने के लिए राजी किया था । पंकज पेरिवाल इस कारण से राजेश शर्मा से बुरी तरह नाराज थे कि उन्होंने पॉवर ग्रुप में शामिल करके अपना काम तो निकाल लिया, लेकिन फिर बाद में उनकी कोई सुध नहीं ली और उन्हें चौकड़ी द्धारा उपेक्षित व अपमानित होने के लिए अकेला छोड़ दिया । राजेश शर्मा अब उनकी सारी नाराजगी दूर कर देना चाहते हैं और इसीलिए उन्होंने पंकज पेरिवाल को अगला चेयरमैन बनाने की तैयारी कर ली है ।
दीपक गर्ग की तरफ से हो रहे इन खुलासों ने राजेश शर्मा के लिए खासी दोतरफा मुसीबत खड़ी कर दी है । एक तरफ तो दीपक गर्ग के इस्तीफे का जो अप्रत्याशित नाटक हुआ है, उसे न तो इंस्टीट्यूट प्रशासन ने पसंद किया है और न रीजन के बाकी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने । इस नाटक के असली सूत्रधार के रूप में राजेश शर्मा को चिन्हित करते हुए सभी ने अपने अपने तरीके से यही संकेत दिए हैं कि इंस्टीट्यूट में इस तरह की हरकतें नहीं चलने दी जायेंगी । दूसरी तरफ, रीजनल काउंसिल में जो सदस्य राजेश शर्मा के 'आदमी' के रूप में देखे/पहचाने जाते हैं, वह अपने आप को अपमानित महसूस करने लगे हैं : उन्हें लग रहा है कि यह तो तमाशा हुआ है और इस तमाशे के पीछे की जो कहानियाँ सामने आ रही हैं, उससे ऐसा लग रहा है जैसे कि वह राजेश शर्मा के सहयोगी या समर्थक नहीं - बल्कि उनकी कठपुतलियाँ हैं । इंस्टीट्यूट के जीवन में शायद पहली बार कुछ ऐसा हुआ है - जिसने अलग अलग कारणों से सभी को 'शॉक' दिया है, और सभी हतप्रभ हैं, और अपने अपने कारणों से सभी महसूस कर रहे हैं कि जो हुआ है तथा उसके पीछे के जो कारण बताए/सुने जा रहे हैं - वह अच्छा नहीं है । सभी 'चुप' हैं और सिर्फ फुसफुसाहटों के रूप में ही बातें कर रहे हैं; सभी अभी देखना चाहते हैं कि यह नाटक किस दिशा में आगे बढ़ता है ? राजेश शर्मा के लिए मुसीबत की बात यह है कि दीपक गर्ग के इस्तीफे के नाटक के लिए सभी राजेश शर्मा को ही जिम्मेदार मान रहे हैं, और राजेश शर्मा की भूमिका हर किसी के लिए संदेहास्पद हो गई है - इसलिए इस नाटक को अपनी स्क्रिप्ट के अनुसार आगे बढ़ाना और अपनी 'योजना' को क्रियान्वित करना उनके लिए खासा चुनौतीपूर्ण हो गया है ।
राजेश शर्मा के नजदीकियों के अनुसार, राजेश शर्मा को दरअसल यह उम्मीद नहीं थी कि दीपक गर्ग को जितना 'अभिनय' करने के लिए कहा जायेगा - वह उससे ज्यादा अभिनय कर लेंगे । दीपक गर्ग का इस्तीफा तो राजेश शर्मा की स्क्रिप्ट के अनुसार ही हुआ, इसलिए वहाँ तक का नाटक तो ठीक चला - लेकिन इस्तीफा देने के बाद दीपक गर्ग ने स्क्रिप्ट से बाहर जाकर जो 'अभिनय' किया है, उसने राजेश शर्मा के लिए चौतरफा मुसीबत खड़ी कर दी है । उनकी यह मुसीबत नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में आगे क्या गुल खिलायेगी - यह देखना दिलचस्प होगा ।