नई दिल्ली | आलोक गुप्ता ने रिश्तेदारी और बनियावाद के सुधीर मंगला के
कार्ड्स को ऐसा छीना है कि विकास गुप्ता और राजीव गुप्ता की सक्रियता के
साथ हुए कार्यक्रम का सुधीर मंगला को निमंत्रण तक नहीं मिला | उल्लेखनीय है
कि सुधीर मंगला ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी
का अभियान 'रिश्तेदारी' की नींव पर खड़ा करने का प्रयास किया था | प्रयास
उनका अच्छा था - क्योंकि रोटरी की चुनावी राजनीति में उम्मीदवार को समय
इतना 'कम' मिलता है कि दूसरी चीजों/बातों से मतदाताओं के बीच पैठ बनाना
थोड़ा मुश्किल होता है; और ऐसे में 'रिश्तेदारी' और 'जाति' काम आती है | तीन
वर्ष पहले रमेश अग्रवाल ने इसका बड़े सुनियोजित तरीके से इस्तेमाल किया था
| उनसे पहले भी हालाँकि कई लोगों ने रिश्तेदारी और जाति का सहारा लिया था
और सफल हुए थे - लेकिन रमेश अग्रवाल ने जिस खुले तौर पर इनका इस्तेमाल
किया, उसका असर यह हुआ कि इनके इस्तेमाल को बुरा मानना/समझना कुछ दूर हुआ |
रमेश अग्रवाल की सफलता से प्रेरित होकर विनोद बंसल ने इनका और भी होशियारी
से इस्तेमाल किया | पिछले वर्ष का मामला बिल्कुल अलग था | पिछले वर्ष
चूँकि सत्ता खेमे की पक्षपातपूर्ण मनमानी और खुली बदमाशी से लड़ाई थी, इसलिए
रिश्तेदारी और जाति का मामला पीछे छूट गया था | इस वर्ष चूँकि कोई खास
मुद्दा नहीं है, इसलिए उम्मीदवार हवा में हाथ-पैर चला रहे हैं | ऐसे में,
सुधीर मंगला ने रिश्तेदारी और जाति का सहारा लेने का जो दांव चला, वह बड़ा
हिट रहा | यह हिट इसलिए भी रहा क्योंकि सुधीर मंगला इस दांव को लेकर बहुत
सक्रिय भी हुए और जब सक्रिय हुए तो लोगों के बीच उन्होंने अपने रिश्तेदारों
की पहचान भी करवाई |
सुधीर मंगला के इस हिट अभियान को लेकिन आलोक गुप्ता ने ग्रहण लगा दिया है | आलोक गुप्ता ने भी उन्हीं कार्ड्स को इस्तेमाल करना शुरू किया, जो सुधीर मंगला इस्तेमाल कर रहे थे, तो नतीजा यह निकलता दिखा कि सुधीर मंगला अपने ही लोगों के बीच बेगाने हो गए | सुधीर मंगला के लिए सबसे बड़ा झटका यह रहा कि उन्हें विकास गुप्ता और राजीव गुप्ता की पहलभरी सक्रियता के साथ हुए कार्यक्रम का निमंत्रण तक नहीं मिला | सुधीर मंगला के लिए यह झटका इसलिए और बड़ा रहा क्योंकि इस कार्यक्रम में आलोक गुप्ता उपस्थित थे - न सिर्फ उपस्थित थे, बल्कि आयोजक लोगों के साथ उनकी नजदीकी भी दिख रही थी | उक्त कार्यक्रम में हालंकि डॉक्टर सुब्रमणियन और सरोज जोशी के रूप में दूसरे उम्मीदवार भी थे, लेकिन सुधीर मंगला की अनुपस्थिति के कुछ अलग ही मतलब निकाले गए | लोगों को जब यह पता चला कि सुधीर मंगला को इस कार्यक्रम का निमंत्रण ही नहीं दिया गया, तब उस 'मतलब' के अर्थ और बड़े हो गए | यह तो पता नहीं चल पाया कि सुधीर मंगला को उक्त कार्यक्रम का निमंत्रण न मिलने के पीछे आलोक गुप्ता का कोई 'मूव' काम कर रहा था या नहीं; लेकिन जो 'दिख' रहा था उससे लोगों के बीच यह संदेश जरूर गया कि जिन कार्ड्स के भरोसे सुधीर मंगला अपनी उम्मीदवारी के समर्थन का आधार बना रहे थे, वह कार्ड्स अब आलोक गुप्ता के हाथों में हैं | इससे पहले फरीदाबाद में सुधीर मंगला द्धारा आयोजित मीटिंग फ्लॉप हो चुकी थी और गाजियाबाद में चार अक्टूबर को प्रस्तावित मीटिंग भी खतरे में नजर आ रही थी - जिसे खतरे से उबारने के लिए उसे चार की बजाये आठ अक्टूबर को आयोजित करने का फैसला लिया जा रहा था | फरीदाबाद और गाजियाबाद में सुधीर मंगला को जो झटका लगा, उसके लिए सुधीर मंगला ने औपचारिक रूप से तो टी20 विश्व कप को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन अपने निशाने पर उन्होंने आलोक गुप्ता को लेना शुरू किया |
सुधीर मंगला ने जिस तरह आलोक गुप्ता को निशाने पर लेना शुरू किया है, उससे लोगों को यही लगा है कि पहले फरीदाबाद में, फिर दिल्ली में और फिर गाजियाबाद में सुधीर मंगला को जो झटका लगा है - सुधीर मंगला उसके लिए आलोक गुप्ता को ही जिम्मेदार मानते हैं | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई को दिलचस्पी के साथ देखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि आलोक गुप्ता ने सुधीर मंगला को कितना क्या नुकसान पहुँचाया है - यह कहना तो अभी मुश्किल है, लेकिन यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि सुधीर मंगला के 'कार्ड्स' आलोक गुप्ता ने अवश्य ही उनसे छीन लिए हैं | आलोक गुप्ता को चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल का नजदीकी समझा जाता है, और इन कार्ड्स को इस्तेमाल करने की महारत का ख़िताब चूँकि रमेश अग्रवाल के पास ही है - इसलिए यह कहने वालों की भी कमी नहीं है कि सुधीर मंगला से इन 'कार्ड्स' को छीनने में कहीं रमेश अग्रवाल ने तो आलोक गुप्ता की मदद नहीं की है ?
आलोक गुप्ता ने सुधीर मंगला के समर्थन-आधार पर जिस तरह का 'हमला' बोला है तथा जिस तरह उनके 'कार्ड्स' अपने हाथ में ले लिए हैं, सुधीर मंगला उससे गंभीर दवाब में आ गए हैं | आलोक गुप्ता की इस कार्रवाई के पीछे रमेश अग्रवाल के होने की संभावनाओं ने तो उन्हें और चिंता में डाल दिया है | आलोक गुप्ता के इस हमले से निपटने के लिए सुधीर मंगला ने फ़िलहाल तो जेके गौड़ को अपनी ढाल बनाया है | आलोक गुप्ता ज्यादा बढ़त न बना सकें, इसके लिए सुधीर मंगला ने कहना/बताना शुरू किया है कि आलोक गुप्ता की इस कार्रवाई से जेके गौड़ को ही फायदा होगा | सुधीर मंगला की निगाह दरअसल ऐसे लोगों पर है जो किसी न किसी कारण से जेके गौड़ के साथ नहीं जाएँगे | 'ऐसे' लोगों को आलोक गुप्ता अपने पक्ष में न कर लें, इसलिए ही सुधीर मंगला ने लोगों को यह बताना/समझाना शुरू किया है कि आलोक गुप्ता के झांसे में मत आना - क्योंकि यदि आयोगे तो जेके गौड़ को फायदा पहुँचेगा | आलोक गुप्ता और उनके समर्थक व शुभचिंतक लेकिन फरीदाबाद, दिल्ली और गाजियाबाद में सुधीर मंगला को मिले झटके से उत्साहित हैं और मान कर चल रहे हैं कि आलोक गुप्ता ने सुधीर मंगला के 'कार्ड्स' अभी तो छीने ही हैं - सुधीर मंगला जब अभी ही दबाव में आ गए हैं तो आगे जब वह उन कार्ड्स को और ज्यादा तैयारी के साथ इस्तेमाल करना शुरू करेंगे, तब क्या होगा ? सुधीर मंगला और आलोक गुप्ता के बीच समर्थन-आधार को लेकर यह जो लड़ाई छिड़ी है, उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई को और रोचक बना दिया है |
सुधीर मंगला के इस हिट अभियान को लेकिन आलोक गुप्ता ने ग्रहण लगा दिया है | आलोक गुप्ता ने भी उन्हीं कार्ड्स को इस्तेमाल करना शुरू किया, जो सुधीर मंगला इस्तेमाल कर रहे थे, तो नतीजा यह निकलता दिखा कि सुधीर मंगला अपने ही लोगों के बीच बेगाने हो गए | सुधीर मंगला के लिए सबसे बड़ा झटका यह रहा कि उन्हें विकास गुप्ता और राजीव गुप्ता की पहलभरी सक्रियता के साथ हुए कार्यक्रम का निमंत्रण तक नहीं मिला | सुधीर मंगला के लिए यह झटका इसलिए और बड़ा रहा क्योंकि इस कार्यक्रम में आलोक गुप्ता उपस्थित थे - न सिर्फ उपस्थित थे, बल्कि आयोजक लोगों के साथ उनकी नजदीकी भी दिख रही थी | उक्त कार्यक्रम में हालंकि डॉक्टर सुब्रमणियन और सरोज जोशी के रूप में दूसरे उम्मीदवार भी थे, लेकिन सुधीर मंगला की अनुपस्थिति के कुछ अलग ही मतलब निकाले गए | लोगों को जब यह पता चला कि सुधीर मंगला को इस कार्यक्रम का निमंत्रण ही नहीं दिया गया, तब उस 'मतलब' के अर्थ और बड़े हो गए | यह तो पता नहीं चल पाया कि सुधीर मंगला को उक्त कार्यक्रम का निमंत्रण न मिलने के पीछे आलोक गुप्ता का कोई 'मूव' काम कर रहा था या नहीं; लेकिन जो 'दिख' रहा था उससे लोगों के बीच यह संदेश जरूर गया कि जिन कार्ड्स के भरोसे सुधीर मंगला अपनी उम्मीदवारी के समर्थन का आधार बना रहे थे, वह कार्ड्स अब आलोक गुप्ता के हाथों में हैं | इससे पहले फरीदाबाद में सुधीर मंगला द्धारा आयोजित मीटिंग फ्लॉप हो चुकी थी और गाजियाबाद में चार अक्टूबर को प्रस्तावित मीटिंग भी खतरे में नजर आ रही थी - जिसे खतरे से उबारने के लिए उसे चार की बजाये आठ अक्टूबर को आयोजित करने का फैसला लिया जा रहा था | फरीदाबाद और गाजियाबाद में सुधीर मंगला को जो झटका लगा, उसके लिए सुधीर मंगला ने औपचारिक रूप से तो टी20 विश्व कप को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन अपने निशाने पर उन्होंने आलोक गुप्ता को लेना शुरू किया |
सुधीर मंगला ने जिस तरह आलोक गुप्ता को निशाने पर लेना शुरू किया है, उससे लोगों को यही लगा है कि पहले फरीदाबाद में, फिर दिल्ली में और फिर गाजियाबाद में सुधीर मंगला को जो झटका लगा है - सुधीर मंगला उसके लिए आलोक गुप्ता को ही जिम्मेदार मानते हैं | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई को दिलचस्पी के साथ देखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि आलोक गुप्ता ने सुधीर मंगला को कितना क्या नुकसान पहुँचाया है - यह कहना तो अभी मुश्किल है, लेकिन यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि सुधीर मंगला के 'कार्ड्स' आलोक गुप्ता ने अवश्य ही उनसे छीन लिए हैं | आलोक गुप्ता को चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल का नजदीकी समझा जाता है, और इन कार्ड्स को इस्तेमाल करने की महारत का ख़िताब चूँकि रमेश अग्रवाल के पास ही है - इसलिए यह कहने वालों की भी कमी नहीं है कि सुधीर मंगला से इन 'कार्ड्स' को छीनने में कहीं रमेश अग्रवाल ने तो आलोक गुप्ता की मदद नहीं की है ?
आलोक गुप्ता ने सुधीर मंगला के समर्थन-आधार पर जिस तरह का 'हमला' बोला है तथा जिस तरह उनके 'कार्ड्स' अपने हाथ में ले लिए हैं, सुधीर मंगला उससे गंभीर दवाब में आ गए हैं | आलोक गुप्ता की इस कार्रवाई के पीछे रमेश अग्रवाल के होने की संभावनाओं ने तो उन्हें और चिंता में डाल दिया है | आलोक गुप्ता के इस हमले से निपटने के लिए सुधीर मंगला ने फ़िलहाल तो जेके गौड़ को अपनी ढाल बनाया है | आलोक गुप्ता ज्यादा बढ़त न बना सकें, इसके लिए सुधीर मंगला ने कहना/बताना शुरू किया है कि आलोक गुप्ता की इस कार्रवाई से जेके गौड़ को ही फायदा होगा | सुधीर मंगला की निगाह दरअसल ऐसे लोगों पर है जो किसी न किसी कारण से जेके गौड़ के साथ नहीं जाएँगे | 'ऐसे' लोगों को आलोक गुप्ता अपने पक्ष में न कर लें, इसलिए ही सुधीर मंगला ने लोगों को यह बताना/समझाना शुरू किया है कि आलोक गुप्ता के झांसे में मत आना - क्योंकि यदि आयोगे तो जेके गौड़ को फायदा पहुँचेगा | आलोक गुप्ता और उनके समर्थक व शुभचिंतक लेकिन फरीदाबाद, दिल्ली और गाजियाबाद में सुधीर मंगला को मिले झटके से उत्साहित हैं और मान कर चल रहे हैं कि आलोक गुप्ता ने सुधीर मंगला के 'कार्ड्स' अभी तो छीने ही हैं - सुधीर मंगला जब अभी ही दबाव में आ गए हैं तो आगे जब वह उन कार्ड्स को और ज्यादा तैयारी के साथ इस्तेमाल करना शुरू करेंगे, तब क्या होगा ? सुधीर मंगला और आलोक गुप्ता के बीच समर्थन-आधार को लेकर यह जो लड़ाई छिड़ी है, उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई को और रोचक बना दिया है |