Saturday, November 17, 2012

सरोज जोशी की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद की उम्मीदवारी के मुद्दे पर, सुशील गुप्ता के समर्थन के बावजूद रमेश अग्रवाल को यश पाल दास से लताड़ खानी पड़ी है

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल को अभी थोड़ी देर पहले ही इंटरनेशनल डायरेक्टर यश पाल दास का यहाँ नीचे प्रस्तुत ई मेल पत्र मिला है । डिस्ट्रिक्ट 3010 के रोटेरियंस अपने गवर्नर रमेश अग्रवाल को इंटरनेशनल डायरेक्टर यश पाल दास द्धारा लिखे गए इस पत्र को पढ़ कर पता नहीं कैसा महसूस करेंगे । क्योंकि यह कोई सामान्य पत्र नहीं है । मुहावरे की भाषा में बात करें तो यह यश पाल दास की तरफ से रमेश अग्रवाल को 'भिगो कर मारा गया जूता है' । पहले आप पत्र पढ़ लीजिये, बाकी बातें उसके बाद करते हैं ।

Dear DG Ramesh,
I am surprised to learn that you are not accepting
the Candidature of Rtn. Saroj Joshi on the pretext
that I gave an opinion that her candidature should
be accepted. Please note that it is my decision
that Rtn Saroj Joshi is eligible to file her name
for DGN Candidate.

Kind regards

Y. P. Das
RI Director

यश पाल दास को - इंटरनेशनल डायरेक्टर यश पाल दास को रमेश अग्रवाल को ऐसा पत्र इसलिए लिखना पड़ा, क्योंकि रमेश अग्रवाल ने बेहद धूर्तता और तिकड़म के साथ अपनी मनमानी व्याख्या करते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के लिए सरोज जोशी की उम्मीदवारी को लेकर यश पाल दास द्धारा दिए गए निर्देश को मानने से इंकार कर दिया था । उल्लेखनीय है कि सरोज जोशी की उम्मीदवारी को लेकर रमेश अग्रवाल ने जो बखेड़ा खड़ा किया था, उस पर इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में यश पाल दास ने बहुत पहले ही अपना स्पष्ट फैसला बता दिया था । अपना फैसला बताने में यस पाल दास से बस एक गलती हो गई - उन्होंने गलती से यह मान/समझ लिया कि रमेश अग्रवाल एक पढ़े/लिखे व्यक्ति हैं और पढ़े/लिखे लोगों की संस्था में एक-दूसरे का सम्मान करते/रखते हुए उनके लिए तमीजपूर्ण शब्दों का इस्तेमाल करना काफी होगा । अपनी इस समझ के चलते यश पाल दास ने रमेश अग्रवाल को जो निर्देश दिया, उसे उन्होंने 'ओपिनियन' के रूप में प्रस्तुत किया । यश पाल दास यह समझने में चूक गए कि रमेश अग्रवाल एक बहुत ही धूर्त और पाजी किस्म का व्यक्ति है और मुहावरे की भाषा में कहें तो सिर्फ 'जूते की भाषा' ही समझता है । रमेश अग्रवाल पहले और अकेले गवर्नर हैं जो अपने व्यवहार के कारण एक वरिष्ठ रोटेरियन राजेंद्र जैना से सार्वजानिक रूप से पिटे और एक अन्य वरिष्ठ रोटेरियन केके भटनागर से पिटते हुए बचाए गए । यश पाल दास को रमेश अग्रवाल की करतूतों के बारे में शायद पता न हो । लेकिन ललित खन्ना की उम्मीदवारी को रोकने के लिए रमेश अग्रवाल ने जो नौटंकी की थी, उसकी जानकारी तो यश पाल दास को थी ही । उल्लेखनीय है कि ललित खन्ना के मामले में भी यश पाल दास के हस्तक्षेप के बाद रमेश अग्रवाल को ललित खन्ना की उम्मीदवारी को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा था । हो सकता है कि यश पाल दास ने समझा हो कि उस अनुभव से सबक लेकर रमेश अग्रवाल सुधर गए हों और पढ़े-लिखे लोगों के 'व्यवहार' को समझने लगे हों । यश पाल दास से दरअसल यही गलती हो गई; वह यह समझने से चूक गए कि रमेश अग्रवाल सुधरने वाली चीज नहीं हैं ।
रमेश अग्रवाल खुशकिस्मत निकले कि सरोज जोशी की उम्मीदवारी को लेकर अपनी धूर्तता को अंजाम देने के लिए उन्हें पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता का साथ भी मिल गया । सुशील गुप्ता अपने आप को डिस्ट्रिक्ट का स्वयं-भू ठेकेदार समझते हैं और विश्वास करते हैं कि डिस्ट्रिक्ट में फैसले करने का अधिकार उन्हें मिला हुआ है । वह यह नहीं बताते कि फैसले करने का अधिकार उन्हें दिया किसने है ? सुशील गुप्ता इंटरनेशनल डायरेक्टर रहे हैं । इस नाते उनसे इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है कि वह यह बात अच्छी तरह जानते ही होंगे कि रोटरी इंटरनेशनल में फैसले करने की एक व्यवस्था है, और उसी व्यवस्था में हुए फैसले मान्य होते हैं । सुशील गुप्ता से इतनी उम्मीद तो की ही जानी चाहिए कि उनका चहेता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर यदि मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर द्धारा लिए गए किसी फैसले से असंतुष्ट है तो वह उसे सलाह दें कि वह उस फैसले के खिलाफ और ऊपर की अथॉरिटी में शिकायत दर्ज करे । सुशील गुप्ता ने यह किस अधिकार से कर लिया कि मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर के फैसले को मनमाने तरीके से एक फर्जी कमेटी बना कर पलट दें । सुशील गुप्ता ने जिस तथाकथित ओवरसाईट कमेटी में सरोज जोशी की उम्मीदवारी के बारे में यश पाल दास द्धारा लिए गए फैसले को पलट देने का फैसला किया, उस ओवरसाईट कमेटी को न तो रोटरी इंटरनेशनल मान्यता देता है और न ही रमेश अग्रवाल के गवर्नर-काल की डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में उसका कोई जिक्र है । रोटरी के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात शायद नहीं हो सकती कि उसके यहाँ इंटरनेशनल डायरेक्टर पद पर रह चुका व्यक्ति अपनी चौधराहट दिखाने के चक्कर में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की इस तरह से अवमानना करे । रमेश अग्रवाल की धूर्तता यह कि जिस तथाकथित कमेटी का उन्होंने अपनी डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में जिक्र तक करना जरूरी नहीं समझा, उसके पास वह सरोज जोशी की उम्मीदवारी जैसे मामले को लेकर चले गए । वैसे देखा जाये तो इसमें रमेश अग्रवाल की भी क्या गलती है ? उन्हें जब पता है कि सुशील गुप्ता को 'अक्ल' नहीं है और वह खुशी-खुशी इस्तेमाल हो सकते हैं तो उन्होंने सुशील गुप्ता का इस्तेमाल कर लिया ।
यहाँ मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के लिए सरोज जोशी की उम्मीदवारी के बारे में इंटरनेशनल डायरेक्टर यश पाल दास द्धारा लिए गए फैसले को मानने से इंकार करने की तथाकथित ओवरसाईट कमेटी की कार्रवाई की शिकायत जब रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय में की गई, तो वहाँ से डिप्टी जनरल कोंसेल एण्ड्रू मेक्डोनल्ड का रमेश अग्रवाल को पत्र आया कि सरोज जोशी की उम्मीदवारी के बारे में उन्हें अपने जोन के इंटरनेशनल डायरेक्टर यश पाल दास के निर्देश का पालन करना चाहिए तथा इस मामले में यदि उन्हें कोई और क्लेरिफिकेशन चाहिए तो उन्हें यश पाल दास से ही बात करना चाहिए । रमेश अग्रवाल ने लेकिन इस पत्र पर भी कोई ध्यान नहीं दिया और वह तरह-तरह से सरोज जोशी की उम्मीदवारी के पेपर्स को स्वीकार करने को लेकर टाल-मटोल करते रहे और उनके क्लब के पदाधिकारियों पर नोमीनेटिंग कमेटी के लिए नाम भेजने का दबाव बनाते रहे । रमेश अग्रवाल की चाल थी कि वह किसी तरह धोखे से सरोज जोशी के क्लब से नोमीनेटिंग कमेटी के लिए नाम ले लें तो फिर उनके लिए सरोज जोशी की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद की उम्मीदवारी के दावे को पचड़े में डालने में आसानी हो जायेगी । सरोज जोशी के क्लब के पदाधिकारी लेकिन उनके किसी झांसे में या धोखे में नहीं आये । इतने सब के बावजूद, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के लिए आवेदन करने के अंतिम दिन तक रमेश अग्रवाल ने जब सरोज जोशी की उम्मीदवारी को लेकर अपना टाल-मटोल बाला रवैया जारी रखा, तब यश पाल दास ने भी समझ लिया कि - मुहाबरे की भाषा में कहें तो - रमेश अग्रवाल को 'जूते की भाषा' ही समझ में आती है; और उन्होंने दो-टूक शब्दों में लिख दिया कि यह उनकी ओपिनियन नहीं है, बल्कि यह उनका फैसला है कि सरोज जोशी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के योग्य हैं ।
यश पाल दास द्धारा लिख कर बताये गये इस स्पष्ट फैसले के बाद उम्मीद तो की जाती है कि रमेश अग्रवाल के पास सरोज जोशी की उम्मीदवारी पर टाल-मटोल करने का अब कोई मौका नहीं बचा है; लेकिन जैसा कि बार-बार की घटनाओं से साबित होता रहा है कि रमेश अग्रवाल बहुत ही धूर्त किस्म की खूबियाँ रखते हैं - इसलिए हो सकता है कि वह और कोई तिकड़म भिड़ाने की कोशिश करें । यश पाल दास के रवैये से भी लेकिन एक बात साफ नज़र आ रही है कि सरोज जोशी की उम्मीदवारी के मुद्दे पर वह रमेश अग्रवाल को बख्शने के मूड में नहीं हैं । ललित खन्ना की उम्मीदवारी के मामले में यश पाल दास एक बार रमेश अग्रवाल के 'कान उमेठ कर उन्हें सीधा कर चुके हैं' । सरोज जोशी की उम्मीदवारी के मामले में भी लगता है कि उन्होंने वही कहानी दोहराने का मन बना लिया है और रमेश अग्रवाल को सबक सिखाने का फैसला कर लिया है । ऐसे में, तमाम धूर्त किस्म की खूबियाँ रखने के बावजूद रमेश अग्रवाल के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के लिए सरोज जोशी की उम्मीदवारी को लेकर टाल-मटोल कर पाना अब संभव नहीं होगा और उन्हें सरोज जोशी की उम्मीदवारी को स्वीकार करना ही पड़ेगा जैसे कि तमाम नौटंकी के बाद भी उन्हें ललित खन्ना की उम्मीदवारी को स्वीकार करना पड़ा था ।