नई दिल्ली । हरित अग्रवाल की नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के लिए
जीत पक्की करने के लिए उनके सबसे बड़े समर्थक राजेश शर्मा ने योगिता आनंद पर
अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने के लिए जिस तरह से दबाव बनाया, वह अब बड़े
बबाल का रूप लेता जा रहा है । इस मामले में आरके गौड़ की एंट्री होने से मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है ।
मजे की बात है कि योगिता आनंद इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती हैं,
लेकिन उनके समर्थक और शुभचिंतक चुप बैठने को तैयार नहीं हैं; क्योंकि
उन्हें डर है कि हरित अग्रवाल के समर्थक ऐन मौके पर उनकी उम्मीदवारी को
लेकर कहीं कोई समस्या खड़ी न कर दें; इसलिए वह मामले को ऐसा बना देना
चाहते हैं कि हरित अग्रवाल के समर्थकों के सामने योगिता आनंद की उम्मीदवारी
के खिलाफ कुछ करने का कोई मौका ही न बचे । इस कोशिश में योगिता आनंद के
कुछेक समर्थकों ने आरके गौड़ से संपर्क किया । उल्लेखनीय है कि चार्टर्ड
एकाउंटेंट्स - खास कर युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच आरके गौड़ की
पहचान ऐसी है कि अन्याय और बेईमानी और मनमानीपूर्ण दादागिरी के खिलाफ लड़ाई
में किसी को भी मदद की जरूरत होती है तो वह सबसे पहले आरके गौड़ का फोन
लगाता है । आरके गौड़ भी मदद के लिए तुरंत हाज़िर हो जाते हैं । इस मामले में भी ऐसा ही हुआ ।
आरके गौड़ लेकिन, चूंकि सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार भी हैं, इसलिए मामले में उनके पड़ते ही मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है । मामले ने राजनीतिक रंग इसलिए भी ले लिया, क्योंकि जिन राजेश शर्मा ने हरित अग्रवाल की मदद करने के लिए योगिता आनंद की उम्मीदवारी को वापस कराने का बीड़ा उठाया, वह राजेश शर्मा सेंट्रल काउंसिल के लिए चरनजोत सिंह नंदा की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए बताये जा रहे हैं । मजे की बात यह है कि आरके गौड़ को इस मामले में अभी तक कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ी है - योगिता आनंद के समर्थकों को उन्होंने सिर्फ आश्वस्त भर किया है कि वह चिंता न करें और परेशान न हों - योगिता आनंद की उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने वाला कोई काम नहीं हो सकेगा । यूँ तो यह बात हर कोई कहता जिससे भी योगिता आनंद के समर्थक गुहार लगाते । किंतु अभी यह बात चूँकि आरके गौड़ ने - सेंट्रल काउंसिल के उम्मीदवार आरके गौड़ ने कही है - और सेंट्रल काउंसिल के एक दूसरे उम्मीदवार चरनजोत सिंह नंदा के समर्थक समझे जाने वाले लोगों के संदर्भ में कही है; इसलिए उक्त मामला बड़ा हो गया है ।
आरके गौड़ की एंट्री के बाद, योगिता आनंद की उम्मीदवारी को वापस कराने की मुहिम में जुटे राजेश शर्मा के लिए सचमुच मुसीबत हो गई है कि अब वह क्या करेंगे ? राजेश शर्मा ने जो किया, उसे लेकर हरित अग्रवाल के दूसरे समर्थकों के बीच हालाँकि नाराजगी है - उनका मानना और कहना है कि हरित अग्रवाल की उम्मीदवारी को अच्छा समर्थन मिलता दिख रहा है, इसलिए राजेश शर्मा को ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए जिससे कि हरित अग्रवाल की उम्मीदवारी विवाद में फँसे और कमजोर नज़र आये । राजेश शर्मा नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन रह चुके हैं - इसलिए इस तरह की हरकत की उनसे उम्मीद नहीं की जाती है । इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के चुनाव घटिया हरकतों के कारण लगातार विवादस्पद होते जा रहे हैं - पिछली बार बूथ केप्चरिंग तक की हरकत हो गई थी और इस बार उम्मीदवार को डरा-धमका कर उम्मीदवारी वापस कराने का प्रयास करने का मामला सामने आया है । गंभीर बात यह है कि इस तरह के मामलों में बड़े पदों पर रहे लोगों के नाम आरोपियों के रूप में सामने आये हैं - बूथ केप्चरिंग में सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन अनुज गोयल का नाम है तो डरा-धमका कर उम्मीदवारी वापस कराने के मामले में नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन राजेश शर्मा का नाम है ।
राजेश शर्मा की इस हरकत ने हरित अग्रवाल की उम्मीदवारी को सवालों के घेरे में ला दिया है । लोगों के बीच सवाल पैदा हो रहे हैं कि हरित अग्रवाल क्या इसी तरह की घटिया हरकतों के भरोसे चुनाव जीतने की तैयारी कर रहे हैं; और कि हरित अग्रवाल भी क्या इसी तरह की हरकतें करेंगे जैसी कि राजेश शर्मा कर रहे हैं ? हरित अग्रवाल के कुछेक समर्थकों का ही कहना है कि योगिता आनंद की उम्मीदवारी को वापस कराने के लिए राजेश शर्मा ने जो किया है, हरित अग्रवाल को उसके लिए सार्वजानिक रूप से माफी मांग लेनी चाहिए, ताकि इस कारण से होने वाली बदनामी उनका कोई नुकसान न करे । उल्लेखनीय है कि हरित अग्रवाल के समर्थकों के बीच राजेश शर्मा की भूमिका को लेकर पहले से ही संदेह रहा है और हरित अग्रवाल के ही समर्थक कहते रहे हैं कि राजेश शर्मा समर्थक के भेष में विरोधी की भूमिका निभा रहे हैं । अब फिर हरित अग्रवाल के कुछेक समर्थकों ने सुझाव दिया है कि हरित अग्रवाल को राजेश शर्मा से हाथ जोड़ कर एक यह अहसान करने के लिए कहना चाहिए कि अब वह उन पर कोई अहसान न करें ।
आरके गौड़ लेकिन, चूंकि सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार भी हैं, इसलिए मामले में उनके पड़ते ही मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है । मामले ने राजनीतिक रंग इसलिए भी ले लिया, क्योंकि जिन राजेश शर्मा ने हरित अग्रवाल की मदद करने के लिए योगिता आनंद की उम्मीदवारी को वापस कराने का बीड़ा उठाया, वह राजेश शर्मा सेंट्रल काउंसिल के लिए चरनजोत सिंह नंदा की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए बताये जा रहे हैं । मजे की बात यह है कि आरके गौड़ को इस मामले में अभी तक कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ी है - योगिता आनंद के समर्थकों को उन्होंने सिर्फ आश्वस्त भर किया है कि वह चिंता न करें और परेशान न हों - योगिता आनंद की उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने वाला कोई काम नहीं हो सकेगा । यूँ तो यह बात हर कोई कहता जिससे भी योगिता आनंद के समर्थक गुहार लगाते । किंतु अभी यह बात चूँकि आरके गौड़ ने - सेंट्रल काउंसिल के उम्मीदवार आरके गौड़ ने कही है - और सेंट्रल काउंसिल के एक दूसरे उम्मीदवार चरनजोत सिंह नंदा के समर्थक समझे जाने वाले लोगों के संदर्भ में कही है; इसलिए उक्त मामला बड़ा हो गया है ।
आरके गौड़ की एंट्री के बाद, योगिता आनंद की उम्मीदवारी को वापस कराने की मुहिम में जुटे राजेश शर्मा के लिए सचमुच मुसीबत हो गई है कि अब वह क्या करेंगे ? राजेश शर्मा ने जो किया, उसे लेकर हरित अग्रवाल के दूसरे समर्थकों के बीच हालाँकि नाराजगी है - उनका मानना और कहना है कि हरित अग्रवाल की उम्मीदवारी को अच्छा समर्थन मिलता दिख रहा है, इसलिए राजेश शर्मा को ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए जिससे कि हरित अग्रवाल की उम्मीदवारी विवाद में फँसे और कमजोर नज़र आये । राजेश शर्मा नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन रह चुके हैं - इसलिए इस तरह की हरकत की उनसे उम्मीद नहीं की जाती है । इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के चुनाव घटिया हरकतों के कारण लगातार विवादस्पद होते जा रहे हैं - पिछली बार बूथ केप्चरिंग तक की हरकत हो गई थी और इस बार उम्मीदवार को डरा-धमका कर उम्मीदवारी वापस कराने का प्रयास करने का मामला सामने आया है । गंभीर बात यह है कि इस तरह के मामलों में बड़े पदों पर रहे लोगों के नाम आरोपियों के रूप में सामने आये हैं - बूथ केप्चरिंग में सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन अनुज गोयल का नाम है तो डरा-धमका कर उम्मीदवारी वापस कराने के मामले में नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन राजेश शर्मा का नाम है ।
राजेश शर्मा की इस हरकत ने हरित अग्रवाल की उम्मीदवारी को सवालों के घेरे में ला दिया है । लोगों के बीच सवाल पैदा हो रहे हैं कि हरित अग्रवाल क्या इसी तरह की घटिया हरकतों के भरोसे चुनाव जीतने की तैयारी कर रहे हैं; और कि हरित अग्रवाल भी क्या इसी तरह की हरकतें करेंगे जैसी कि राजेश शर्मा कर रहे हैं ? हरित अग्रवाल के कुछेक समर्थकों का ही कहना है कि योगिता आनंद की उम्मीदवारी को वापस कराने के लिए राजेश शर्मा ने जो किया है, हरित अग्रवाल को उसके लिए सार्वजानिक रूप से माफी मांग लेनी चाहिए, ताकि इस कारण से होने वाली बदनामी उनका कोई नुकसान न करे । उल्लेखनीय है कि हरित अग्रवाल के समर्थकों के बीच राजेश शर्मा की भूमिका को लेकर पहले से ही संदेह रहा है और हरित अग्रवाल के ही समर्थक कहते रहे हैं कि राजेश शर्मा समर्थक के भेष में विरोधी की भूमिका निभा रहे हैं । अब फिर हरित अग्रवाल के कुछेक समर्थकों ने सुझाव दिया है कि हरित अग्रवाल को राजेश शर्मा से हाथ जोड़ कर एक यह अहसान करने के लिए कहना चाहिए कि अब वह उन पर कोई अहसान न करें ।