नई दिल्ली । साल भर से लोगों
के साथ मुँहफटी और बदतमीजी करने तथा लोगों को तरह-तरह से अपमानित करते
रहने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल लोगों से अब संबंध सुधारते नजर आ
रहे हैं । जिन लोगों का यह मानना/समझना रहा है कि 'जैसे कुत्ते की दुम
को कितनी ही कोशिश करने के बाद भी सीधा नहीं किया जा सकता है' वैसे ही रमेश
अग्रवाल अपने बुनियादी घटिया स्वभाव को नहीं छोड़ सकते हैं - उन्हें रमेश
अग्रवाल के बदले-बदले से रवैये ने हैरान किया । उन्होंने रमेश अग्रवाल
के बदले-बदले रवैये के पीछे के रहस्य को जानने/समझने की कोशिश की तो भेद
खुला कि क्लब्स में जीओवी का रिकॉर्ड पूरा करने के लिए रमेश अग्रवाल को
'भला बनने/दिखने' का नाटक करना पड़ रहा है । दरअसल रमेश अग्रवाल के घटिया और अपमानजनक व्यवहार के कारण कई क्लब्स ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनकी जीओवी नहीं करवाई है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट के सभी क्लब्स
में जीओवी करने का रिकॉर्ड पूरा कर लेना चाहते हैं - इसीलिये जिन क्लब्स के
लोगों को उन्होंने तरह-तरह से तंग और अपमानित किया उन क्लब्स के लोगों को
जीओवी कराने के लिए अब वह पटाने/मनाने में जुटे हैं ।
रमेश अग्रवाल को इस चक्कर में लोगों से जमकर लताड़ भी सुनने को मिल रही है - लेकिन वह फिर भी लोगों की खुशामद में लगे हुए हैं ।
एक क्लब के एक वरिष्ठ और क्लब में प्रभाव रखने वाले रोटेरियन से रमेश
अग्रवाल ने सिफारिश की कि वह अपने क्लब के पदाधिकारियों को जीओवी करने के
लिए मनाये - तो उन वरिष्ठ रोटेरियन ने उन्हें टका-सा जबाव दिया कि 'रमेश,
मेरे क्लब के लोग तुझसे बहुत ही नाराज हैं । मुझे भी लगता है कि तू अपनी
हरकतों से बाज आयेगा नहीं । जीओवी में तू जरूर कुछ न कुछ बकवास और बेहूदा
बात करेगा ही, उससे भड़क कर क्लब के लोग तेरे साथ पता नहीं क्या करें ? अपनी
हरकतों के चलते राजेंद्र जेना से तू पिट चुका है, केके भटनागर से
पिटते-पिटते बच चुका है - मैं नहीं चाहता कि अब तेरे साथ कुछ और हो, इसलिए
भलाई इसी में है कि मेरे क्लब में आने के बारे में न ही सोच ।' कई लोगों ने इसी तरह के तर्क देकर जीओवी कराने से बचने की कोशिश की तो रमेश अग्रवाल ने इसका भी तोड़ निकाल लिया ।
उन्हें अपने क्लब में न घुसने देने पर आमादा क्लब्स के लोगों को उन्होंने
सुझाव दिया कि 'ठीक है, जीओवी में मैं नहीं आऊँगा । तुम जिसे कहो मैं उसे
अपने प्रतिनिधि के रूप में तुम्हारे यहाँ भेज दूँगा ।' डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर के रूप में नियम-कानूनों की और प्रोटोकॉल की ऊँची-ऊँची बातें करते
रहने वाले रमेश अग्रवाल अब यह कहने में भी कोई शर्म या ग्लानी महसूस नहीं
कर रहे हैं कि जीओवी न करना चाहो तो न करो, बस संबंधित फॉर्म पर हस्ताक्षर
कर दो ताकि रिकॉर्ड पूरा हो जाये ।
रमेश अग्रवाल की इस 'गिरगिटी कलाबाजी' ने उन्हें विनोद चावला के
साथ भी अपने व्यवहार को अच्छा बनाने के लिए मजबूर किया है । यहाँ यह
याद करना प्रासंगिक होगा कि विनोद चावला को तरह-तरह से परेशान करने और
अपमानित करने का रमेश अग्रवाल ने कोई भी मौका नहीं छोड़ा । विनोद चावला
के खुद के क्लब की बात तो छोड़िये, उनके प्रभाव में समझे जाने वाले क्लब तक
को रमेश अग्रवाल ने गाजियाबाद के बाहर के जोन में डाल कर नीचा दिखाने की
हरकत तो की ही; रोटरी क्लब गाजियाबाद के एक कार्यक्रम में उन्हें निशाना
बनांते हुए उनके लिए नितांत असभ्य और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल तक किया ।
लेकिन अब, रमेश अग्रवाल जीओवी कराने के लिए विनोद चावला के साथ मीठा-मीठा
बनने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें तरह-तरह से फुसलाने में लगे हुए हैं ।
उल्लेखनीय है कि यूँ तो हर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को जीओवी का अपना रिकॉर्ड पूरा करने के लिए अपनी गवर्नरी के आख़िरी दिनों में काफी मशक्कत करनी पड़ती है - लेकिन रमेश अग्रवाल का मामला उनसे इसलिए अलग है कि कई क्लब रमेश अग्रवाल के घटिया व्यवहार के कारण जीओवी करने/कराने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं । मजे की बात यह है कि रमेश अग्रवाल ने इस बात को समझ लिया है और इसीलिये वह क्लब के पदाधिकारियों की पसंद के रोटेरियन को अपने प्रतिनिधि के रूप में भेज कर जीओवी कराने का विकल्प दे रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की उपस्थिति के बिना जीओवी होने का रोटरी के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा । रमेश अग्रवाल ने अपनी ओछी किस्म की सोच और अपने घटिया व्यवहार के कारण रोटरी की भावना और उसकी प्रतिष्ठा को बहुत ही नुकसान पहुँचाया है । बिना डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की उपस्थिति के होने वाली जीओवी से डिस्ट्रिक्ट की और रोटरी की साख को जो चोट पहुँची है या पहुँचेगी, वह रमेश अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट को और रोटरी को देन है ।
उल्लेखनीय है कि यूँ तो हर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को जीओवी का अपना रिकॉर्ड पूरा करने के लिए अपनी गवर्नरी के आख़िरी दिनों में काफी मशक्कत करनी पड़ती है - लेकिन रमेश अग्रवाल का मामला उनसे इसलिए अलग है कि कई क्लब रमेश अग्रवाल के घटिया व्यवहार के कारण जीओवी करने/कराने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं । मजे की बात यह है कि रमेश अग्रवाल ने इस बात को समझ लिया है और इसीलिये वह क्लब के पदाधिकारियों की पसंद के रोटेरियन को अपने प्रतिनिधि के रूप में भेज कर जीओवी कराने का विकल्प दे रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की उपस्थिति के बिना जीओवी होने का रोटरी के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा । रमेश अग्रवाल ने अपनी ओछी किस्म की सोच और अपने घटिया व्यवहार के कारण रोटरी की भावना और उसकी प्रतिष्ठा को बहुत ही नुकसान पहुँचाया है । बिना डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की उपस्थिति के होने वाली जीओवी से डिस्ट्रिक्ट की और रोटरी की साख को जो चोट पहुँची है या पहुँचेगी, वह रमेश अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट को और रोटरी को देन है ।