Thursday, May 9, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद सँभालने की तैयारी कर रहे विनोद बंसल क्या रोटरी के बड़े नेताओं के बीच अपनी पैठ के भरोसे अपने डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स को अपमानित करने का काम कर रहे हैं

नई दिल्ली । सुशील खुराना के लिए यह समझना जब मुश्किल हुआ तो उन्होंने इसकी पड़ताल की कि विनोद बंसल ने डीआरएफसी (डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयर) का पद जब उन्हें दिया है तो इस पद का काम वह आशीष घोष से क्यों करवा रहे हैं ? अपनी पड़ताल में सुशील खुराना को पता चला कि ऐसा इसलिए है क्योंकि विनोद बंसल जानते हैं कि डीआरएफसी पद की जिम्मेदारी सुशील खुराना की बजाये आशीष घोष ज्यादा अच्छी तरह निभा सकते हैं - और विनोद बंसल चूँकि अपने काम में परफेक्शन चाहते हैं इसलिए उन्होंने डीआरएफसी का काम सुशील खुराना की बजाये आशीष घोष से कराया । इस बात को लेकर सुशील खुराना के नाराज होने का विनोद बंसल को जब पता चला तो उन्होंने सुशील खुराना की नाराजगी को यह कहते हुए इग्नोर करने की कोशिश की कि सुशील खुराना को इस बात पर नाराज होने का हक़ इसलिए नहीं है क्योंकि सुशील खुराना को यह पद कम्प्रोमाइज के तहत ही मिला है । विनोद बंसल के इस रवैये ने सुशील खुराना को बुरी तरह अपमानित और आहत किया है । सुशील खुराना क्या 'कम्प्रोमाइज डीआरएफसी' हैं ? यह सच है कि इस पद के लिए दो दावेदार थे - सुशील खुराना और आशीष घोष । इस पद की नियुक्ति का जिम्मा विनोद बंसल और संजय खन्ना का था । सुशील खुराना का नाम विनोद बंसल ने प्रस्तावित किया था और आशीष घोष का नाम संजय खन्ना ने दिया था । विनोद बंसल ने तरह-तरह के दबाव बना कर संजय खन्ना को सुशील खुराना के नाम पर राजी कर लिया और इस तरह सुशील खुराना को डीआरएफसी का पद मिल गया । क्या इस आधार पर सुशील खुराना को 'कम्प्रोमाइज डीआरएफसी' कहा जायेगा ?
सुशील खुराना के एक नजदीकी ने चुटकी ली कि विनोद बंसल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने वाले लोगों ने उनका रास्ता आसान बनाने के लिए रवींद्र सिंह को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी किया था, तो क्या विनोद बंसल को 'कम्प्रोमाइज डिस्ट्रिक्ट गवर्नर' कहा जाये और विनोद बंसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुछेक जिम्मेदारियाँ निभाने का मौका क्या रवींद्र सिंह को देंगे ? जिन भी लोगों के सामने यह किस्सा आया उन सभी का मानना और कहना है कि सुशील खुराना को 'कम्प्रोमाइज डीआरएफसी' कहना और उनका काम किसी और से करवाना सुशील खुराना को जानबूझ कर अपमानित करना है । जिन भी लोगों के सामने यह किस्सा आया उनके लिए हैरानी की बात यह भी रही कि विनोद बंसल को जब यह लगता है कि डीआरएफसी पद की जिम्मेदारी सुशील खुराना की बजाये आशीष घोष ज्यादा अच्छे से निभायेंगे और आशीष घोष का नाम इस पद के लिए प्रस्तावित भी हुआ था, तो उन्होंने आशीष घोष को ही इस पद के लिए क्यों नहीं चुना ? आशीष घोष और संजय खन्ना के साथ वर्षों की अपनी दोस्ती होने की बात वह खुद ही लोगों को बताते भी हैं । तब भी उन्होंने सुशील खुराना का समर्थन करके इन दोनों को अपमानित करने का काम क्यों किया ? इस सवाल का लोगों को जबाव यह मिला कि आशीष घोष के साथ और आशीष घोष का नाम प्रस्तावित करने वाले संजय खन्ना के साथ विनोद बंसल की भले ही वर्षों की दोस्ती रही है, और वह भले ही आशीष घोष को डीआरएफसी पद के लिए सर्वथा उपयुक्त समझते हैं - लेकिन फिर भी उन्होंने आशीष घोष को इस पद पर आने से रोकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया तो इसलिए क्योंकि उन्हें डर था कि आशीष घोष के होते हुए वह रोटरी फाउंडेशन से आने वाली ग्रांट्स में अपनी मनमानी नहीं कर पायेंगे ।
उल्लेखनीय है कि रोटरी फाउंडेशन से आने वाली ग्रांट्स को संभव करने में डीआरएफसी के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं - आशीष घोष चूँकि नियम-कायदे से काम करने वाले व्यक्ति हैं, इसलिए विनोद बंसल को डर रहा कि आशीष घोष कहीं-कहीं अड़ंगा डाल देंगे; सुशील खुराना 'भले' व्यक्ति हैं - विनोद बंसल को भरोसा रहा कि सुशील खुराना से तो वह जहाँ चाहेंगे वहाँ 'अँगूठा' लगवा लेंगे । इसलिए उन्होंने आशीष घोष की बजाये सुशील खुराना को डीआरएफसी बनवाने पर जोर दिया । इस तरह विनोद बंसल ने ग्रांट्स में मनमानी करने का रास्ता साफ कर लिया और काम कराने के लिए उन्होंने आशीष घोष को राजी कर लिया । विनोद बंसल ने सोचा यह था कि सुशील खुराना पद पाकर ही खुश रहेंगे और इस बात पर ध्यान नहीं देंगे कि पद पर होने के बावजूद उन्हें पर्याप्त तवज्जो नहीं मिल रही है । विनोद बंसल की यह बदकिस्मती रही कि सुशील खुराना सिर्फ रबर स्टैम्प बन कर रहने को तैयार नहीं हुए और उन्होंने अपनी नाराजगी को जाहिर किया । इसके बाद विनोद बंसल ने जो कहा, उससे सुशील खुराना को और ज्यादा अपमानित होना पड़ा । इस किस्से को जो लोग पूरा पूरा जानते हैं उनका कहना है कि विनोद बंसल का यह विचित्र रवैया रहा जिसमें उन्होंने पहले तो संजय खन्ना और आशीष घोष को अपमानित किया और फिर इन्हें अपमानित करके जिन सुशील खुराना को खुश किया था, उन्हें अपमानित किया । इस तरह, विनोद बंसल ने दूसरों को अपमानित करने के अपने विशेष हुनर को प्रदर्शित किया ।
संजय खन्ना, आशीष घोष और सुशील खुराना के साथ विनोद बंसल ने यह जो किया, वह तो उसके सामने कुछ भी नहीं जो उन्होंने वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश जैन के साथ किया । सुरेश जैन वर्ष 2001-02 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर थे । सुरेश जैन ने डिस्ट्रिक्ट को रोटरी हेबिटेट सेंटर जैसी अद्भुत सौगात दी है । रोटरी हेबिटेट सेंटर की कल्पना करने और फिर उस कल्पना को संभव करने का काम सुरेश जैन ने लगभग अकेले ही किया है । रोटरी में, किसी रोटेरियन के अकेले दम पर पूरे होने वाले स्थाई महत्व के गिने-चुने ही प्रोजेक्ट होंगे - उनमें एक सुरेश जैन की पहल और सक्रियतापूर्ण संलग्नता के चलते पूरा हुआ डिस्ट्रिक्ट 3010 का रोटरी हेबिटेट सेंटर है । इस प्रोजेक्ट के लिए सुरेश जैन की तारीफ होनी चाहिए, लेकिन सुरेश जैन को विनोद बंसल से कड़ी फटकार सुनने को मिली । हुआ यह कि विनोद बंसल ने अपना एक कार्यक्रम रोटरी हेबिटेट सेंटर में आयोजित किया और वहां उन्हें कुछ अव्यवस्था का शिकार होना पड़ा । उस अव्यवस्था के लिए विनोद बंसल ने सुरेश जैन को खूब खरी-खोटी सुनाई । 'सुरेश जैन कौन हैं', 'सुरेश जैन क्या हैं', 'मैं देखता हूँ कि यहाँ कैसे कार्यक्रम होते हैं' आदि-इत्यादि डायलॉग विनोद बंसल ने सार्वजनिक रूप से बोले । जो लोग उस कार्यक्रम में थे, उनमें से जिनसे भी इन पंक्तियों के लेखक की बात हो सकी उन सभी का कहना रहा कि व्यवस्था में बदइंतजामी तो थी, और विनोद बंसल का नाराज होना स्वाभाविक ही था - लेकिन वह जिस तरह 'आउट ऑफ द प्रोपोर्शन' नाराज हुए उसे देख कर ऐसा लगा जैसे सुरेश जैन के खिलाफ उनके मन में पहले से ही बहुत-सा जहर भरा हुआ था जो मौका मिलते ही फूट पड़ा । लोगों के अनुसार बदइंतजामी तो विनोद बंसल के पेट्स और सेट्स कार्यक्रम में भी बहुत थी । पेट्स में जो हुआ उसके किस्से 'रचनात्मक संकल्प' में पहले बताये जा चुके हैं, सेट्स में उससे कोई सबक नहीं सीखा गया । सेट्स में तो आलम यह हुआ कि लोगों को जो कमरे अलॉट हुए, उन्हें फिर बार-बार बदला गया । लोग अपना सामान लेकर इधर से उधर भटकने के लिए मजबूर हुए - लेकिन वहाँ तो विनोद बंसल ने कोई नाराजगी नहीं दिखाई । वहाँ तो वह लोगों को समझा रहे थे कि कुछ करने में परेशानी तो उठानी ही पड़ती है । अपने पेट्स और सेट्स में बदइंतजामी पर पर्दा डालने की कोशिश करने वाले विनोद बंसल रोटरी हेबिटेट सेंटर की बदइंतजामी पर आपे से बाहर हुए और उन्होंने सुरेश जैन जैसे वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को अपमानित किया - जाहिर है कि यह सिर्फ बदइंतजामी से पैदा हुआ गुस्सा नहीं था ।
विनोद बंसल को जो लोग जानते हैं, उनके लिए विनोद बंसल का यह रवैया बेहद चौंकाने वाला है - क्योंकि उन्होंने विनोद बंसल को हमेशा ही बहुत भले रूप में देखा/पाया है । लोगों ने विनोद बंसल को प्रायः आगे बढ़ कर दूसरों को सम्मान देते हुए ही देखा/पाया है । कुछ लोगों को उनके व्यवहार में चतुराई के तत्व जरूर दिखते रहे हैं लेकिन उसके पीछे अपना काम निकालने का स्वार्थ प्रेरक रहा होता है - उससे आगे जाकर वह दूसरों को अपमानित करें, यह कभी किसी ने नहीं देखा । लेकिन पिछले कुछ समय से विनोद बंसल का रवैया बदला-बदला सा दिखा है । संजय खन्ना-आशीष घोष-सुशील खुराना के साथ उन्होंने जहाँ तक खेल किया, वहाँ तक उनकी 'चतुराई' थी - उसमें कोई बहुत शिकायत की बात नहीं हो सकती है; लेकिन जहाँ उन्होंने सुशील खुराना को अपमानित करना शुरू किया, वहाँ उनका बदला हुआ रूप दिखा । सुरेश जैन के साथ विनोद बंसल ने जो किया, उसकी तो कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है । जो लोग घटना-स्थल पर मौजूद नहीं थे, उनके लिए तो यह विश्वास करना ही मुश्किल होगा कि विनोद बंसल ऐसा कर भी सकते हैं । समझा जाता है कि विनोद बंसल को आजकल रोटरी के बड़े नेताओं के यहाँ जो तवज्जो मिल रही है, उसका असर है कि वह अपने डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स को अपमानित करने तक की हद तक जा रहे हैं । उल्लेखनीय है कि विनोद बंसल आरआईडी (रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर) शेखर मेहता की गुड बुक में तो हैं ही; आरआईडीई (रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट) पीटी प्रभाकर के यहाँ भी उन्होंने अच्छी पैठ बना ली है; आरआईडी'एफ' (रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर 'फ्यूचर') कमल सांघवी तो उनके यार हो गए हैं । कमल सांघवी से पहले जो कोई भी इंटरनेशनल डायरेक्टर बनेगा, विनोद बंसल उससे भी तार जोड़ ही लेंगे । इस तरह, लोगों को लगता है कि जब आने वाले छह-आठ वर्षों के इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद बंसल की जेब में हैं तो फिर उन्हें अपने डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स की परवाह करने की भला क्या जरूरत है ? और जब जरूरत नहीं है, तो फिर उन्हें अपमानित करने में हिचकना क्या ? संजय खन्ना, आशीष घोष, सुशील खुराना और सुरेश जैन के साथ विनोद बंसल ने जो किया उसे बड़े नेताओं की नजदीकी से पैदा हुए उनके '(अति)विश्वास' के नतीजे के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । ऐसे में, डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स के बीच आजकल उत्सुकता और चर्चा का विषय यही है कि विनोद बंसल का अगला निशाना कौन बनता है ?