Monday, October 29, 2018

चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के नियमों की अनदेखी करते हुए धीरज खंडेलवाल द्वारा मुंबई में आयोजित किए गए 'एसएमई लीडर अवॉर्ड' पर प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता की मजबूरीभरी चुप्पी इंस्टीट्यूट में अराजकता का सुबूत नहीं है क्या ?

मुंबई । सेंट्रल काउंसिल सदस्य धीरज खंडेलवाल ने मनमाने तरीके से 'एसएमई लीडर अवॉर्ड्स' के आयोजन के जरिये इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता के लिए किरकिरी वाले हालात बना दिए हैं । सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के बीच ही कहा/सुना जाता है कि नवीन गुप्ता कहने को तो इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट जैसे बड़े पद पर हैं, लेकिन उनकी दशा मंदिर के उस घंटे की तरह है - जिसे कोई भी जब चाहे तब 'बजा' देता है और नवीन गुप्ता इस 'बजाये' जाने को असहाय देखते रहते हैं । धीरज खंडेलवाल ने 'एसएमई लीडर अवॉर्ड्स' के जरिये जो हरकत की है, उस पर नवीन गुप्ता की असहायता का आलम यह है कि अन्य कुछेक लोगों के साथ एसबी जावरे, संजीव चौधरी, एनसी हेगड़े जैसे सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने जो स्पष्टीकरण माँगे हैं - नवीन गुप्ता के लिए उनका जबाव तक देना मुश्किल हो रहा है,  और वह इनके सवालों से मुँह छिपाते फिर रहे हैं । 'एसएमई लीडर अवॉर्ड्स' को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं, वह बड़े साधारण से हैं : इस आयोजन को क्या काउंसिल की अनुमति थी; इस आयोजन के लिए बजट तय व पास हुआ था क्या; आयोजन की स्पॉन्सरिंग के लिए काउंसिल की अनुमति थी क्या ? सेंट्रल काउंसिल के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा लिखित रूप में पूछे गए इन सवालों पर नवीन गुप्ता ने लेकिन चुप्पी साधी हुई है । मजे की बात यह है कि नवीन गुप्ता ने अभी पिछले दिनों ही ऐलान किया था कि इंस्टीट्यूट के आयोजनों में स्पॉन्सरशिप नहीं ली जाएगी । धीरज खंडेलवाल ने लेकिन उनके ऐलान की अनदेखी करते हुए 'एसएमई लीडर अवॉर्ड्स' को स्पॉन्सर करा लिया । इससे लगता है कि सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के बीच नवीन गुप्ता की कोई इज्जत ही नहीं है, और जिसे जैसा जो मन करता है वह खुल्लमखुल्ला मनमानी करता है ।
इस मामले में सेंट्रल काउंसिल में गवर्नमेंट नॉमिनी विजय झालानी का रवैया भी बड़ा मजेदार है । अभी पिछले दिनों उन्होंने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मीटिंग में अड़ंगा डाल कर उसे होने नहीं दिया था, क्योंकि उस मीटिंग के लिए चेयरमैन की सहमति नहीं थी । उनका कहना था कि वह इंस्टीट्यूट में कोई गलत काम नहीं होने दे सकते हैं । विजय झालानी लेकिन धीरज खंडेलवाल द्वारा काउंसिल को इग्नोर करके मनमाने तरीके से 'एसएमई लीडर अवॉर्ड' का आयोजन करने के मामले में चुप्पी साधे बैठे हुए हैं, जबकि वह आयोजक कमेटी के सदस्य भी हैं । 'एसएमई लीडर अवॉर्ड्स' का आयोजन कमेटी फॉर मेंबर्स इन इंडस्ट्रीज एंड बिजनेस द्वारा किया गया, जिसके चेयरमैन धीरज खंडेलवाल हैं । कमेटी के 'मिशन' और ऑब्जेक्टिव्स' तो बहुत व्यापक हैं, लेकिन धीरज खंडेलवाल ने अपनी छोटी सोच के चलते उन 'मिशन' व 'ऑब्जेक्टिव्स' को अवॉर्ड देने तक सीमित कर दिया है । धीरज खंडेलवाल को पता था कि इस तरह के मनमाने आयोजन के लिए काउंसिल से उन्हें अनुमति नहीं मिलेगी, लिहाजा वह अनुमति लेने के चक्कर में पड़े ही नहीं । लोगों के बीच चर्चा है कि यह आईडिया उन्हें इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट उत्तम प्रकाश अग्रवाल ने दिया होगा; समझा जाता है कि उत्तम प्रकाश अग्रवाल ने उनसे कहा होगा कि जैसा जो चाहें कर लो - बाद में काउंसिल की मीटिंग में शोर-शराबा होगा, उसे बेशर्मी के साथ झेल लेना; इससे ज्यादा क्या होगा ? धीरज खंडेलवाल को यह आईडिया कुछ ज्यादा ही पसंद आ गया है । उन्होंने 'एसएमई लीडर अवॉर्ड' का आयोजन तो कर ही लिया है, साथ ही दूसरे देशों में काम कर रहे इंस्टीट्यूट के सदस्य चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए भी अवॉर्ड्स फंक्शन करने की घोषणा कर चुके हैं, और जिसके आयोजन के लिए भी उन्होंने काउंसिल से कोई अनुमति नहीं ली है ।
धीरज खंडेलवाल की इस हरकत पर सेंट्रल काउंसिल सदस्य खासे खफा हैं, और इसी कारण से वेस्टर्न रीजन तक का कोई सेंट्रल काउंसिल सदस्य उक्त अवॉर्ड फंक्शन में नहीं गया । वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के भी गिनती के वही सदस्य आयोजन में उपस्थित नजर आये, जिन्हें उत्तम प्रकाश अग्रवाल के 'आदमियों' के रूप में देखा/पहचाना जाता है । उत्तम प्रकाश अग्रवाल ने ही अवॉर्ड बाँटने का काम किया । वह इस आयोजन की आयोजक कमेटी - कमेटी फॉर मेंबर्स इन इंडस्ट्रीज एंड बिजनेस में को-ऑप्टेड सदस्य भी हैं । किसी पूर्व प्रेसीडेंट का किसी कमेटी में को-ऑप्टेड होना उसके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं देखा/पहचाना जाता है; इसीलिए अन्य कोई पूर्व प्रेसीडेंट किसी कमेटी में को-ऑप्टेड नहीं है - लेकिन उत्तम प्रकाश अग्रवाल के लिए पद की गरिमा जैसी चीजों का कोई महत्त्व नहीं है, और इसलिए उन्हें प्रायः नियम विरुद्ध होने वाले आयोजनों में देखा जाता है । 'एसएमई लीडर अवॉर्ड' को भी उत्तम प्रकाश अग्रवाल के आयोजन के रूप में देखा/पहचाना गया है, जिसमें धीरज खंडेलवाल की भूमिका को कठपुतली के रूप में देखा/समझा गया है । धीरज खंडेलवाल को लोगों के बीच उत्तम प्रकाश अग्रवाल की 'कठपुतली' के रूप में ही पहचाना जाता है । लोगों के बीच चर्चा है कि उत्तम प्रकाश अग्रवाल की शह पर ही धीरज खंडेलवाल ने काउंसिल और प्रेसीडेंट की अवहेलना करके 'एसएमई लीडर अवॉर्ड' का आयोजन कर लिया है, और इंटरनेशनल चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए अवॉर्ड्स के आयोजन की तैयारी कर रहे हैं - और प्रेसीडेंट बेचारा मजबूर सा बना चुपचाप सारा तमाशा देख रहा है ।