Monday, October 22, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के प्रेसीडेंट के रूप में, संजीव सिंघल की फर्म के खिलाफ कार्रवाई कर चुके अमरजीत चोपड़ा द्वारा संजीव सिंघल की उम्मीदवारी का झंडा उठा लेने से आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को इंस्टीट्यूट प्रशासन व बिग फोर फर्म्स की मिलीभगत का जीवंत और पुख्ता उदाहरण मिला

नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में प्रवेश पाने के लिए संजीव सिंघल की बिग फोर से जुड़ी पहचान को छिपाने तथा 'देशी अवतार' में आने की कोशिशों ने चुनावी परिदृश्य में मजेदार चर्चाओं को जन्म दिया है, और इस चर्चा में इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट अमरजीत चोपड़ा को भी घसीट लिया गया है । दरअसल उम्मीदवारों की फाइनल सूची में संजीव सिंघल के नाम के साथ उनका घर का पता देख कर लोगों को बातें बनाने का मौका मिला कि संजीव सिंघल आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के वोट पाने के लिए बिग फोर से जुड़ी अपनी पहचान को छिपाना चाहते हैं, और इसीलिए उन्होंने अपने ऑफिस की बजाए अपने घर का पता दिया है - ताकि जो चार्टर्ड एकाउंटेंट्स राजनीतिक रूप से ज्यादा सक्रिय नहीं रहते हैं और ज्यादा जानते/बूझते नहीं हैं, उन्हें बरगलाया जा सके । उल्लेखनीय है कि आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच बिग फोर फर्मों को लेकर विरोध का भाव/तेवर रहता है; आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स मानते/समझते हैं कि बिग फोर फर्म्स तरह तरह के फर्जी तरीकों से बड़े काम हथिया लेती हैं, और फिर उनके लिए काम की खुरचन ही बची रह पाती है । बिग फोर फर्म्स को आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के 'दुश्मन' के रूप में ही देखा/पहचाना जाता है । नफरा (एनएफआरए - नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी) जैसी मुसीबत के लिए बिग फोर फर्म्स को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । चर्चा में कहा/बताया जाता है कि बेईमानियाँ बिग फोर फर्म्स करती हैं, जिनसे निपटने के लिए सरकार ने नफरा का गठन कर दिया है - लेकिन जो आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए मुसीबत बन गया है । मजे की बात यह है कि इंस्टीट्यूट प्रशासन कई बार बिग फोर के खिलाफ कार्रवाई करने का नाटक करता हुआ तो दिखता है, पर वह एक नूरा-कुश्ती से ज्यादा नहीं होता है - और इस तरह आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स दोनों तरफ से ठगे जाते हैं, बिग फोर की तरफ से भी और इंस्टीट्यूट प्रशासन व उसके पदाधिकारियों की तरफ से भी । 
आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स दोनों तरफ से कैसे ठगे जाते हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट अमरजीत चोपड़ा के व्यवहार में देखा जा सकता है । उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में अमरजीत चोपड़ा जब इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट थे, तब बिग फोर फर्म्स के काम करने के तौर-तरीकों के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की थी और उनके तौर तरीकों को लेकर जोरदार तरीके से विरोधी बयानबाजी भी की थी; लेकिन वही अमरजीत चोपड़ा अब उसी बिग फोर फर्म के पार्टनर संजीव सिंघल की उम्मीदवारी के प्रस्तावक बने हैं । वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट और अभी हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पार्ट-टाइम डायरेक्टर बने एस गुरुमूर्ति के एक ट्वीट से भी समझा जा सकता है कि कैसे इंस्टीट्यूट प्रशासन वास्तव में बिग फोर के हितों की ही रखवाली करता है, और आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को धोखा देता है । सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के अभियान में संजीव सिंघल ने कई मौकों पर आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच बिग फोर के प्रति उनकी नाराजगी तथा उनके विरोध के चलते मुसीबत का सामना किया । संजीव सिंघल ने लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने तथा अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से गिरीश आहुजा की भी मदद ली, लेकिन संजीव सिंघल की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए गिरीश आहुजा तक को लोगों से खरीखोटी सुननी पड़ी । यह बड़ा गजब 'सीन' रहा । गिरीश आहुजा का आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच बड़ा सम्मान है; कोई सोच भी नहीं सकता कि आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स उनके प्रति असम्मान भी दिखा और व्यक्त कर सकते हैं । इसे बिग फोर के प्रति आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के विरोध के सुबूत के रूप में ही देखा/पहचाना गया कि इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत संजीव सिंघल की उम्मीदवारी का समर्थन करने के चक्कर में गिरीश आहुजा तक को लोगों के बीच फजीहत का शिकार होना पड़ा ।
ऐसे में, इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट और प्रेसीडेंट के रूप में संजीव सिंघल की फर्म को 'बेईमानीपूर्ण' तरीकों से कामकाज करने का आरोपी ठहरा चुके अमरजीत चोपड़ा ने संजीव सिंघल की उम्मीदवारी का झंडा उठाया । समझा जाता है कि अमरजीत चोपड़ा सिर्फ संजीव सिंघल की उम्मीदवारी के प्रस्तावक ही नहीं हैं, बल्कि उनकी उम्मीदवारी के मुख्य रणनीतिकार भी हैं । अमरजीत चोपड़ा को चुनावी राजनीति का खासा लंबा अनुभव है । प्रेसीडेंट हो चुकने के बाद अधिकतर लोग जहाँ इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति से किनारा कर लेते हैं, या वही लोग सक्रिय रहते हैं जिन्हें अपने बेटों को इंस्टीट्यूट की राजनीति में स्थापित करना होता है - वहाँ अमरजीत चोपड़ा अभी भी सक्रिय हैं और कई एक उम्मीदवारों की मदद करते देखे/सुने जा सकते हैं । इस कारण से माना/समझा जाता है कि अमरजीत चोपड़ा ने ही संजीव सिंघल को गुरूमंत्र दिया होगा कि उम्मीदवार के रूप में आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के वोट यदि प्राप्त करने हैं, तो बिग फोर के उम्मीदवार की छवि से आजाद होना होगा - और लोगों के बीच एक आम प्रैक्टिसिंग चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में प्रस्तुत होना होगा । संजीव सिंघल ने पिछले दिनों अपनी पहचान को देशी रूप देने की बड़ी कोशिश की है, जिसके तहत वह हिंदी में भी मैसेज लिखने/भेजने लगे हैं, अचानक से वह कंपनी की बजाए आम लोगों की तरह बनी ईमेल आईडी इस्तेमाल करने लगे है, और अपने ऑफिशियल ठिकाने के रूप में उन्होंने ऑफिस की बजाए घर का पता दे दिया है । समझा जाता है कि यह आईडिया उन्हें अमरजीत चोपड़ा ने ही दिया होगा । आखिर यह करतब अमरजीत चोपड़ा ही कर और दिखा सकते हैं कि प्रेसीडेंट के रूप में जिस फर्म के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की वकालत की थी, उसी फर्म के पार्टनर के रूप में संजीव सिंघल को इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में प्रवेश दिलवाने के लिए उन्होंने कमर कस ली है ।  
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इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट के रूप में अमरजीत चोपड़ा ने बिग फोर फर्म्स, और खासकर संजीव सिंघल की पार्टनरशिप फर्म के खिलाफ क्या कार्रवाई की थी और क्या कहा था, इसे लेकर एक अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के एक अंश का तथा एस गुरुमूर्ति के ट्विट का स्क्रीन शॉट :