गाजियाबाद । अशोक अग्रवाल के क्लब के नए पदाधिकारियों के अधिष्ठापन समारोह में आम और खास रोटेरियंस पदाधिकारियों की जुटी भीड़ ने अशोक अग्रवाल और उनके साथियों को भारी राहत दी है और उन्हें स्वाभाविक रूप से गदगद किया है । अधिष्ठापन समारोह में एक-आध को छोड़ कर सभी पूर्व और भावी गवर्नर्स के साथ-साथ सत्तर-पिचहत्तर क्लब्स के प्रेसीडेंट की उपस्थिति ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के अभियान में नई जान फूँकी है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी परिदृश्य में अशोक अग्रवाल को दरअसल इस चर्चा से बड़ी चुनौती मिल रही थी कि चूँकि अधिकतर क्लब्स के प्रेसीडेंट युवा रोटेरियंस हैं, इसलिए उनका तालमेल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के दूसरे उम्मीदवार अमित गुप्ता से ज्यादा बनता दिख रहा है । प्रेसीडेंट्स से तालमेल बनाने के मामले को अशोक अग्रवाल के लिए बड़ी चुनौती के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था । इस मामले में अशोक अग्रवाल की वरिष्टता ही उनके लिए बाधा बनती नजर आ रही थी । अशोक अग्रवाल के लिए चुनौती की बात यह दिख रही थी कि प्रेसीडेंट्स उन्हें तवज्जो देते हुए तो लग रहे थे; और इस कारण अशोक अग्रवाल को उनसे कोई शिकायत व समस्या भी नजर नहीं आ रही थी - लेकिन फिर भी उन्हें लगातार फीडबैक मिल रहा था कि प्रेसीडेंट्स के बीच अमित गुप्ता का मामला ज्यादा मजबूत है, और उन्हें इस मोर्चे पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है । अधिकतर क्लब्स के प्रेसीडेंट के युवा होने की स्थिति का दरअसल अमित गुप्ता ने मनोवैज्ञानिक व व्यावहारिक फायदा उठाया । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों ने देखा/पाया/समझा कि अमित गुप्ता ने संयोगवश मिले मौके का बड़ी होशियारी और तरकीब से इस्तेमाल किया और प्रेसीडेंट्स के बीच अपनी पैठ बनाई । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी घमासान में प्रेसीडेंट्स के बीच बनी अमित गुप्ता की यह पैठ अशोक अग्रवाल के लिए बड़ी चुनौती रही है ।
अशोक अग्रवाल के नजदीकियों से उनके क्लब के अधिष्ठापन समारोह की तैयारी को लेकर समारोह से पहले जो सूचनाएँ और बातें सुनने को मिलीं थीं, उनसे आभास हुआ था कि अधिष्ठापन समारोह के जरिये अशोक अग्रवाल उक्त चुनौती का जबाव देने की कोशिश कर रहे हैं - और इस कोशिश के चलते वह ज्यादा से ज्यादा प्रेसीडेंट्स को अधिष्ठापन समारोह में उपस्थित दिखाना चाहते हैं । उल्लेखनीय है कि समारोह घोषित रूप से था तो क्लब के नए पदाधिकारियों को अधिष्ठापित करने का, लेकिन इसके पीछे वास्तविक उद्देश्य अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी की शक्ति का प्रदर्शन करना था । यह प्रदर्शन प्रेसीडेंट्स की उपस्थिति से ही प्रभावी बनता, और इसीलिए अशोक अग्रवाल और उनके साथियों की कोशिश थी कि इस अधिष्ठपन समारोह में वह अधिक से अधिक प्रेसीडेंट्स की उपस्थिति को संभव करें । अपनी कोशिश और अपने लक्ष्य को पूरा हुआ देख अशोक अग्रवाल और उनके साथियों को स्वाभाविक रूप से बड़ी राहत मिली है । अब वह कह/बता सकते हैं कि सीनियर/जूनियर का गैप होने के बावजूद प्रेसीडेंट्स के साथ उनका उतना अलगाव नहीं है, जितना कि लोगों को दिखता रहा है । अशोक अग्रवाल के क्लब के अधिष्ठापन समारोह के नाम पर हुए उनकी उम्मीदवारी के शक्ति-प्रदर्शन में अच्छी-खासी संख्या में प्रेसीडेंट्स के शामिल होने से अशोक अग्रवाल और उनके साथियों को एक सबक यह भी मिला कि सीनियर/जूनियर का भेद होने के बावजूद प्रेसीडेंट्स के बीच पैठ बनाना उनके लिए कोई असंभव काम नहीं है - मुश्किल भले ही हो ।
अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के शक्ति-प्रदर्शन कार्यक्रम में अधिकतर पूर्व व भावी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के उपस्थित होने में भी अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए सकारात्मक संदेश देखे/पहचाने जा रहे हैं । जिन कुछेक पूर्व व भावी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को अलग अलग कारणों से अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए खतरे के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, उन्होंने भी अशोक अग्रवाल के कार्यक्रम में उपस्थित होना/रहना जरूरी समझा - तो इसका अर्थ यही माना/लगाया जा रहा है कि वह भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अशोक अग्रवाल की स्थिति को मजबूत मान रहे हैं, और यह संकेत नहीं देना चाहते हैं कि वह अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के खिलाफ हैं । अशोक अग्रवाल और उनके साथियों के लिए एक बड़ी कामयाबी समारोह में क्लब्स के मठाधीश टाइप के नेताओं की उपस्थिति भी रही । अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए क्लब्स के मठाधीश टाइप के नेता लोग भी बड़ी मुसीबत और चुनौती बने हुए थे । कई क्लब्स के मठाधीश टाइप के नेता लोग दरअसल जेके गौड़ से मिले धोखे से चोट खाये हुए हैं, और इसके लिए अशोक अग्रवाल को भी जिम्मेदार मानते/ठहराते रहे हैं । अशोक अग्रवाल और उनके साथियों को इस बात का बड़ा डर रहा है कि जेके गौड़ के मतलबी और अवसरवादी रवैये से धोखा खाये लोग कहीं अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने का प्रयास न करें । क्लब्स के मठाधीश टाइप के नेताओं की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में कोई सीधी भूमिका और या भागीदारी तो नहीं होती है, कई क्लब्स में तो प्रेसीडेंट ही इन्हें तवज्जो नहीं देते हैं - किंतु माहौल बनाने और या बिगाड़ने में इनकी बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है; और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव बने/बिगड़े माहौल से प्रभावित होता ही है । अशोक अग्रवाल और उनके साथियों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की तैयारी के तहत क्लब्स के मठाधीश टाइप के नेताओं को भी साधने पर पूरा ध्यान दिया; अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के शक्ति-प्रदर्शन कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दिखा कर उन नेताओं ने भी अशोक अग्रवाल और उनके साथियों को निराश नहीं किया है ।
अशोक अग्रवाल के क्लब के समारोह में प्रत्येक सेगमेंट के लोगों की मौजूदगी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के अभियान को आगे बढ़ाने और मजबूती देने का काम तो किया ही है - साथ ही अशोक अग्रवाल की संगठन क्षमता और जरूरतों को व्यापक रूप से समझने/पहचानने की काबिलियत को भी जाहिर किया है । प्रतिकूल स्थितियों को अनुकूल बनाने तथा दूर जाते दिख रहे लोगों को नजदीक लाने के प्रयासों को व्यावहारिक रूप से क्रियान्वित करने की इस कार्यक्रम के जरिये दिखी अशोक अग्रवाल की क्षमता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में उनकी स्थिति को खासा प्रमुख बना दिया है ।