Thursday, October 11, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट अकाउंट्स को मनमाने और अनुचित तरीके से 'बनाने' के आरोपी रहे हेमंत अरोड़ा को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनाए जाने से भड़के माहौल में राजा साबू भी फजीहत का शिकार बने

चंडीगढ़/रुड़की । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हेमंत अरोड़ा को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनाने को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल तो आरोपों के घेरे में आ ही गए हैं, खुद हेमंत अरोड़ा और पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू के लिए भी फजीहत वाली स्थिति बन गई है । हेमंत अरोड़ा को तुरंत प्रभाव से फाइनेंस कमेटी से हटाने की माँग की जा रही है; लोगों का कहना है कि प्रवीन गोयल यदि फाइनेंस कमेटी से उन्हें नहीं हटाते हैं तो राजा साबू को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और हेमंत अरोड़ा को तुरंत डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी से हटवाना चाहिए । डिस्ट्रिक्ट के लोगों का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में प्रवीन गोयल ने हेमंत अरोड़ा को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनाने के लिए राजा साबू से अवश्य ही हरी झंडी ली होगी; ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि हेमंत अरोड़ा 'जैसे' व्यक्ति को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनाने का फैसला प्रवीन गोयल ने क्यों तो लिया - और क्यों राजा साबू ने उन्हें इस फैसले के लिए अपनी तरफ से हरी झंडी दी ? हेमंत अरोड़ा वर्ष 2014-15 के डिस्ट्रिक्ट अकाउंट्स के ऑडिटर थे, और उस वर्ष के अकाउंट्स में भारी झोलझाल हुआ था - और उस झोलझाल में ऑडिटर के रूप में हेमंत अरोड़ा की भूमिका को संदिग्ध देखा/समझा गया था । उक्त भूमिका को लेकर हेमंत अरोड़ा की उस समय भी खासी फजीहत हुई थी । डिस्ट्रिक्ट में लोग तीन वर्ष पुराने उस किस्से को भूलने लगे थे, लेकिन हेमंत अरोड़ा के डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनने की खबर मिलने के बाद से - हेमंत अरोड़ा की तीन वर्ष पहले की वह 'अनुचित' भूमिका एक बार फिर चर्चा में आ गई है, और लोगों की यादें ताजा हो गई हैं । 
उल्लेखनीय है कि दिलीप पटनायक के गवर्नर-वर्ष 2014-15 के डिस्ट्रिक्ट अकाउंट्स की दो बैलेंस-शीट बनी थीं, जिन्हें ऑडिटर के रूप में हेमंत अरोड़ा ने साइन किया था । यह दो बैलेंस-शीट का बनना और साइन होना विवाद और आरोपों का विषय इसलिए बना था - क्योंकि 16 सितंबर 2015 को साइन हुई बैलेंस-शीट में 20,407 रुपए का जो लाभ आ रहा था, वह 30 अक्टूबर 2015 को साइन हुई दूसरी बैलेंस-शीट में 6 लाख 23 हजार 547 रुपए के घाटे में बदल गया । इस 'जादु' को चार्टर्ड एकाउंटेंट व ऑडिटर हेमंत अरोड़ा के 'अनुचित व्यवहार' के रूप में देखा/समझा गया था । हेमंत अरोड़ा को इसलिए भी फजीहत का सामना करना पड़ा था क्योंकि बैलेंस-शीट में ऑडिटर के रूप में उन्होंने खुद दर्ज किया था कि बहुत से खर्चे कच्चे बिल्स के आधार पर हिसाब-किताब में लिए गए हैं । उस समय डिस्ट्रिक्ट के लोगों की तरफ से खुल कर आरोप लगे थे कि डिस्ट्रिक्ट के पैसों में हेराफेरी करने के उद्देश्य से फर्जी तरीके से लाभ को घाटे में बदला गया है - और इसमें दिलीप पटनायक से लेकर राजा साबू की भी मिलीभगत है । विवाद और आरोपों से परेशान और हताश हेमंत अरोड़ा ने कुछेक लोगों के बीच कहा भी था कि सभी जानते हैं कि डिस्ट्रिक्ट में किसके दबाव में न जाने क्या-क्या करना पड़ता है । डिस्ट्रिक्ट अकाउंट्स में फर्जीवाड़ा करने के आरोपों से घिरे हेमंत अरोड़ा के लिए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते फजीहत की ज्यादा स्थिति बनी । वह पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर न होते, तो सिर्फ ऑडिटर होने के नाते फजीहत का शिकार न बनते ।  
हेमंत अरोड़ा पर आरोपों की बौछार से बना माहौल धीरे-धीरे ठंडा पड़ रहा था, लेकिन अब जो फिर से गर्म हो उठा है । 'बिल्ली को थैले से बाहर निकालने' का काम डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ रोटेरियन तथा डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के पूर्व सदस्य एमपी गुप्ता ने किया । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल को पत्र लिख कर उन्होंने हेमंत अरोड़ा के वर्ष 2014-15 के कार्य-व्यवहार का उदाहरण देते हुए डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनाए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज करवायी है । एमपी गुप्ता ने अपने पत्र में प्रवीन गोयल को लिखा है कि हेमंत अरोड़ा के पिछले कृत्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें तुरंत प्रभाव से डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी से हटाया जाए । मजे की बात यह भी है कि हेमंत अरोड़ा को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य गुपचुप रूप से बनाया गया, और इसकी किसी को हवा भी नहीं लगी । इसका पता लोगों को अभी तब लगा, जब डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी की ई-कॉपी उन्हें मिली । प्रवीन गोयल की गवर्नरी का चौथा महीना चल रहा है, लेकिन कामकाज का आलम यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी की हॉर्ड-कॉपी का अभी तक कोई अता-पता नहीं है । डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी की ई-कॉपी भी लोगों को अभी मिल पायी है । इससे ही हेमंत अरोड़ा के डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के सदस्य बनने का लोगों को पता चला - और बबाल हो गया । डिस्ट्रिक्ट में राजा साबू और उनसे जुड़े लोगों की बेईमानियों के किस्से दरअसल इतने इकट्ठे हो गए हैं, कि लोगों को उनके द्वारा लिया जाने वाला कोई भी संदेहास्पद फैसला लूट-खसोट की मदद करने वाला दिखने/लगने लगता है । डिस्ट्रिक्ट के तमाम प्रोजेक्ट्स व ट्रस्ट के हिसाब-किताब जिस तरह से कुछेक लोगों की ही जानकारी में रहते हैं और उन्हें लोगों से - यहाँ तक कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स तक से - छिपा कर रखा जाता है; जिसे लेकर निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी रोटरी इंटरनेशनल तक में शिकायत कर चुके हैं; उसके चलते राजा साबू और उनसे जुड़े पूर्व गवर्नर्स की भूमिका को संदेह से देखा जाता है । इसी कारण से हेमंत अरोड़ा को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनाए जाने से मामला भड़क गया है, और हेमंत अरोड़ा को फाइनेंस कमेटी से हटाने की माँग होने लगी है ।