Monday, October 15, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सीपीई कमेटी की चेयरपरसन श्रीप्रिया कुमार द्वारा नॉर्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल के खिलाफ मिली शिकायत की जाँच में अड़ंगा डालने की अतुल गुप्ता की कोशिश कामयाब हो सकेगी क्या ?

नई दिल्ली । अतुल गुप्ता को इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में पुनर्निर्वाचन के लिए चलाया जा रहा अपना चुनाव अभियान बीच में छोड़ कर अपने नजदीकी रिश्तेदार और उनके नॉर्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल को बचाने के लिए जुटना पड़ रहा है । उल्लेखनीय है कि सेंट्रल काउंसिल के सदस्य अतुल गुप्ता के नजदीकी रिश्तेदार नॉर्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल के प्रमुख कर्ता-धर्ता हैं, और इस रिश्तेदारी के चलते नॉर्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल पर अतुल गुप्ता के चुनाव अभियान का अड्डा बन जाने का आरोप लगता रहा है । नॉर्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल के सामने मौजूदा मुसीबत फर्जी तरीके से सीपीई आर्स बाँटने/देने के आरोप के चलते आई है । मामला हाई-प्रोफाइल है, इसलिए उसमें लीपापोती कर पाना मुश्किल बना हुआ है । नॉर्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल ने फर्जी तरीके से सीपीई आर्स बाँटने/देने के जोश में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की सेक्रेटरी पूजा बंसल और उनके पति मोहित बंसल को भी चार सेमिनार्स के 16 घंटे के सीपीई आर्स दे दिए, जबकि यह दोनों किसी भी सेमीनार में उपस्थित नहीं हुए थे । सेमीनार में बिना उपस्थित हुए सीपीई आर्स मिलने पर चकराए मोहित बंसल ने इंस्टीट्यूट की सीपीई (कन्टीन्यूइंग प्रोफेशनल एजुकेशन) कमेटी में इसकी शिकायत कर दी; कमेटी की चेयरपरसन श्रीप्रिया कुमार ने उनकी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए कमेटी के सचिव अजीत नाथ तिवारी को जाँच के आदेश दे दिए और जाँच पूरी होने तक नॉर्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल के सीपीई से जुड़े सभी प्रोग्राम स्थगित करने के लिए कहा है । मजे की बात यह है कि खुद सेंट्रल काउंसिल सदस्य के रूप में अतुल गुप्ता भी इंस्टीट्यूट की सीपीई कमेटी के सदस्य हैं ।
अतुल गुप्ता के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उनकी छत्रछाया में उनके नजदीकी रिश्तेदार द्वारा चलाये जा रहे स्टडी सर्किल में 'चोरी' का सामान 'बेचने' की कोशिश चूँकि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की सेक्रेटरी पूजा बंसल और उनके पति मोहित बंसल को हुई, इसलिए मामला हाई-प्रोफाइल बन गया है । उल्लेखनीय है कि इस तरह के मामले प्रायः यह कहते/बताते हुए रफा-दफा कर दिए जाते रहे हैं कि हो सकता है कि सदस्य ने अपनी जगह किसी और को या अपने ऑर्टिकल को सेमीनार में भेज दिया होगा, जो उनके हस्ताक्षर करके सेमीनार में शामिल हो गया होगा । लेकिन संदर्भित मामले में यह बहाना तर्कसंगत नहीं पड़ता है । रीजनल काउंसिल चूँकि स्टडी सर्किल्स की पैरेंट बॉडी होती है, इसलिए इस बात पर विश्वास करना संभव नहीं है कि स्टडी सर्किल के कर्ता-धर्ता रीजनल काउंसिल के एक प्रमुख पदाधिकारी को नहीं पहचानते हैं - और उनके हस्ताक्षर करके कोई और सेमीनार में शामिल होकर चला गया । इस मामले ने वास्तव में स्टडी सर्किल्स में होने वाली घपलेबाजियों के पिटारे को खोलने का काम किया है । स्टडी सर्किल्स पर फर्जी तरीके से सीपीई आर्स बाँटने/देने का आरोप ही नहीं लगता रहा है, बल्कि सेमिनार्स में उपस्थिति को बढ़ा-चढ़ा कर दिखा कर पैसों की लूट-खसोट करने के आरोप भी लगते रहे हैं । स्टडी सर्किल्स इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों के लिए उड़ान भरने के अड्डे के रूप में भी देखे/पहचाने जाते हैं - और इसलिए इन्हें राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करने के लिए भरसक तरीके से इस्तेमाल किया जाता है । द्वारका सीपीई स्टडी सर्किल की आड़ में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के लिए चुनावी तैयारी करते रहने वाले रतन सिंह यादव ने हाल ही में नए राजनीतिक प्रयोग किए, जिसके तहत उन्होंने सेंट्रल काउंसिल के कुछेक उम्मीदवारों को स्पीकर के रूप में आमंत्रित किया । उनमें से कुछेक से पैसे लेने के आरोप भी उन पर लगे और इंस्टीट्यूट में शिकायत हुई । इस शिकायत के लिए रतन सिंह यादव को सेंट्रल काउंसिल के जिन उम्मीदवार पर शक हुआ, उन्हें भी फिर एक सेमीनार में स्पीकर के रूप में आमंत्रित कर उनके गुस्से को उन्होंने शांत किया और अपने खिलाफ हुई शिकायत को रफा-दफा करवाने का प्रयास किया ।
समझा जाता है कि स्टडी सर्किल्स के कर्ता-धर्ताओं के खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों के कारण ही सीपीई कमेटी की चेयरपरसन श्रीप्रिया कुमार ने नॉर्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल के मामले को खासी गंभीरता से लिया, और जाँच के दायरे में सभी स्टडी सर्किल्स को ले लिया है । वास्तव में, फर्जी तरीके से सीपीई आर्स बाँटना/देना सिर्फ नार्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल का ही मामला नहीं है, बल्कि अधिकतर स्टडी सर्किल्स से जुड़ा मामला है । जो स्टडी सर्किल्स इंस्टीट्यूट की विभिन्न काउंसिल्स के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के सीधे नियंत्रण में हैं, और या उम्मीदवारों के नजदीकी रिश्तेदारों द्वारा नियंत्रित किए जा रहे हैं - उनमें तो मामला बहुत ही खराब है, और वहाँ हर तरह की हेरा-फेरियाँ व बेईमानियाँ होने के आरोप लगते हैं । समझा जाता है कि आरोपों को ध्यान में रखते हुए ही श्रीप्रिया कुमार ने नॉर्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल के मामले में शिकायत मिलने के मौके को स्टडी सर्किल्स में होने वाली मनमानियों व बेईमानियों पर लगाम कसने के अवसर के रूप में देखा/पहचाना और चेयरपर्सनी का चाबुक खड़का दिया है । श्रीप्रिया कुमार द्वारा शुरू की गई कार्रवाई को पंक्चर करने के लिए अतुल गुप्ता के भी सक्रिय होने की चर्चा सुनी जा रही है । उनके नजदीकियों का ही कहना है कि अतुल गुप्ता ने नार्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल के पदाधिकारियों को आश्वस्त किया है, कि उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी और मामला यूँ ही रफादफा हो जाएगा । हालाँकि नार्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल के कुछेक पदाधिकारियों को लग रहा है कि अतुल गुप्ता को चूँकि अगले तीन महीनों में इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए समर्थन जुटाने के काम में लगना है, इसलिए इस मामले में वह ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे कि उनके वाइस प्रेसीडेंट पद की उम्मीदवारी में बात बिगड़े - और इस कारण से नॉर्थ-एक्स सीपीई स्टडी सर्किल के मामले में श्रीप्रिया कुमार द्वारा बैठाई गई जाँच का संभव है कि कोई सकारात्मक नतीजा मिल सके । देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले को ठंडे बस्ते में पहुँचाने के लिए अतुल गुप्ता खुलकर या छिपकर कोई प्रयास करते हैं, या फिर ईमानदारी से जाँच व कार्रवाई होने देते हैं ?