गाजियाबाद । अशोक अग्रवाल ने गाजियाबाद में कविनगर के रामलीला मैदान में आयोजित हुए दशहरा मेला में लगे रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3012 के स्टॉल में लगातार अपनी उपस्थिति बना/दिखा कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को लोगों के बीच और मजबूती दी है । उल्लेखनीय है कि इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन ने रोटरी की पहचान और सेवा कार्यों के संदर्भ में उसकी जरूरतों व पहुँच को एक नई ऊँचाई देते हुए पहली बार आम लोगों के बीच रोटरी को ले जाने तथा स्थापित करने की पहल की है । उल्लेखनीय है कि आम लोगों के बीच रोटरी की पहचान बड़े होटलों में इकट्ठा होकर खाने-पीने वाले लोगों के संगठन की है; आम लोगों के बीच माना/कहा भी जाता है कि रोटेरियंस कभी-कभार बड़े होटलों से बाहर निकलते भी हैं, तो सिर्फ थोड़ी देर के लिए और फोटो-सेशन करने/करवाने के लिए । सुभाष जैन ने पहली बार रोटरी को बड़े होटलों से बाहर रहने वाले आम लोगों के बीच व्यापक स्तर पर लाने का काम किया । रोटरी में पहली बार यह हुआ कि रोटरी एक ऐसे आयोजन का हिस्सा बनी, जिसमें हजारों/लाखों आम लोगों की भागीदारी होती है - और यह सिर्फ कुछ घंटों या एक दिन के लिए नहीं हुआ । सुभाष जैन ने कई दिनों तक चलने वाली रामलीला के दौरान लगने वाले मेले में रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3012 का सिर्फ स्टॉल ही नहीं लिया/लगवाया, बल्कि अपनी खुद की उपस्थिति को भी नियमित रूप से बनाए रखा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुभाष जैन चूँकि स्वयं उक्त स्टॉल पर हर दिन शाम आठ बजे से रात बारह बजे तक उपस्थित रहते थे, इसलिए डिस्ट्रिक्ट के बड़े व प्रमुख पदाधिकारी भी लगातार यहाँ आते रहे और ऐसे में स्वाभाविक ही था कि यहाँ डिस्ट्रिक्ट की राजनीति भी - कुछ प्रत्यक्ष व कुछ अप्रत्यक्ष रूप में - हुई ही । इस वर्ष होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संभावित उम्मीदवारों में एक अकेले अशोक अग्रवाल ने दशहरा मेले में लगे डिस्ट्रिक्ट स्टॉल का और यहाँ होने वाली प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष राजनीति का राजनीतिक लाभ उठाया ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों में अमित गुप्ता भी दो एक दिन थोड़े थोड़े समय के लिए तो स्टॉल पर दिखाई दिए, लेकिन अशोक अग्रवाल जैसी नियमितता वह वहाँ नहीं बनाए रख सके । स्टॉल पर चूँकि स्वास्थ्य संबंधी जाँच-पड़ताल की व्यवस्था की गई थी, इसलिए आम लोगों की स्टॉल में दिलचस्पी बढ़-चढ़ कर नजर आ रही थी, जिससे रोटेरियंस को उत्साह मिल रहा था और एक दूसरे से सुनकर दशहरा मेले में लगे रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3012 के स्टॉल पर रोटेरियंस की संख्या पिछले दिनों से ज्यादा होती थी । रोटेरियंस ने जब सुना कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन खुद स्टॉल पर मौजूद रहते हैं, तो डिस्ट्रिक्ट के आम व खास रोटेरियंस तथा पदाधिकारियों के बीच स्टॉल पर उपस्थित होने/दिखने की होड़ सी रहने लगी । गजब यह हुआ कि सिर्फ गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के दूसरे शहरों से ही नहीं, बल्कि दिल्ली और सोनीपत से भी रोटेरियंस गाजियाबाद के कविनगर रामलीला मैदान के दशहरा मेले में लगे रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3012 के स्टॉल पर पहुँचे । अशोक अग्रवाल ने इस स्थिति का जमकर फायदा उठाया । उक्त स्टॉल पर हर रोज उपस्थित होकर अशोक अग्रवाल ने स्टॉल पर आने/जुटने वाले रोटेरियंस के साथ मिल/जुल कर अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन को मजबूत करने का काम किया । अशोक अग्रवाल को इससे दोहरा फायदा हुआ - एक तरफ तो आम व खास रोटेरियंस के बीच/साथ उनकी उपस्थिति ज्यादा दिखी, जिसके चलते उन्हें अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन और पक्का करने का मौका मिला; दूसरी तरफ डिस्ट्रिक्ट के आम और खास लोगों के बीच यह संदेश गया कि रोटरी में एक बड़े और पहली बार हो रहे एक जेनुइन किस्म के आयोजन में उम्मीदवारों में एक अकेले उन्होंने ही रुचि दिखाई, जिसके चलते रोटरी को लेकर उनकी प्रतिबद्धता के प्रति लोगों को एक आश्वासन मिला ।
दशहरा मेले में लगे रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3012 के स्टॉल से अशोक अग्रवाल ने जो फायदा उठाया, उसे देख/जान कर दूसरे उम्मीदवारों और उनके समर्थकों व शुभचिंतकों को अब अफसोस भी हो रहा है कि एक अच्छे अवसर को उन्होंने व्यर्थ में गँवा दिया । खासकर अमित गुप्ता के समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच इस अवसर को गँवा देने का अफसोस कुछ ज्यादा ही है । हालाँकि अमित गुप्ता के कुछेक नजदीकियों ने यह बताते हुए मामले में लीपापोती करने की कोशिश की है कि अमित गुप्ता और उनके साथी उन दिनों दरअसल 20 अक्टूबर के दीवाली उत्सव की तैयारी में व्यस्त थे, इसलिए वह दशहरा मेले में लगे स्टॉल पर ज्यादा ध्यान नहीं दे सके । अमित गुप्ता और उनके साथियों के लिए बदकिस्मती की बात लेकिन यह रही कि 20 अक्टूबर का उनका आयोजन भी वैसा प्रभाव नहीं दिखा पाया, जैसा के लिए उन्होंने तैयारी की थी । 20 अक्टूबर का दीवाली उत्सव यूँ तो क्लब का आयोजन था, लेकिन अमित गुप्ता और उनके समर्थकों ने उसे अमित गुप्ता की उम्मीदवारी के शक्ति-प्रदर्शन के कार्यक्रम के रूप में करने की तैयारी की । उनकी कोशिश थी कि यह कार्यक्रम अशोक अग्रवाल के हाल ही में हुए शक्ति-प्रदर्शन से बड़ा हो । इसके लिए जगह भी बड़ी चुनी गई, लेकिन लोगों की कम उपस्थिति के चलते उनकी सारी तैयारी पर पानी फिर गया । 20 अक्टूबर के इस कार्यक्रम में शामिल हुए जो लोग अमित गुप्ता के जुलाई में हुए कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे, उनका कहना है कि यह कार्यक्रम तो जुलाई के आयोजन से भी हल्का रहा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी दौड़ को देखते हुए करीब तीन महीने बाद होने वाले कार्यक्रम को बड़ा तथा ज्यादा प्रभावी होना चाहिए था - किंतु जो नहीं हो सका । अपनी अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से किए गए आयोजनों में अशोक अग्रवाल के आगे रहने तथा दशहरा मेले में लगे स्टॉल में अपनी निरंतर सक्रियता बना/दिखा कर अशोक अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अपनी बढ़त बनाने का जो काम किया है, उसने दूसरे उम्मीदवारों के सामने मुश्किलों को खासा बढ़ा दिया है ।