हापुड़ । लायंस क्लब हापुड़ के 49वें अधिष्ठापन समारोह में उम्मीद से कम लोगों के जुटने को मुकेश गोयल की राजनीति के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । दरअसल मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पारस अग्रवाल और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय मित्तल के संयुक्त मुख्य आतिथ्य में 7 अक्टूबर की शाम को हुए इस कार्यक्रम का उद्देश्य कहने को तो क्लब के नए पदाधिकारियों को अधिष्ठापित करना था, लेकिन वास्तव में इसे मुकेश गोयल द्वारा प्रत्येक वर्ष किए जाने वाले शक्ति-प्रदर्शन के आयोजन के रूप में ही देखा/पहचाना जा रहा था । उल्लेखनीय है कि मुकेश गोयल पिछले कई वर्षों से हापुड़ में एक बड़ा आयोजन करते आ रहे हैं - जिसमें देश के और मल्टीपल के प्रमुख पदाधिकारियों व नेताओं के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट के आम और खास लोगों को आमंत्रित किया जाता है । इस कार्यक्रम के जरिए मुकेश गोयल डिस्ट्रिक्ट और उससे ऊपर की राजनीति में प्रभाव जमाते और 'दिखाते' हैं । इसी उद्देश्य के साथ 7 अक्टूबर की शाम को मुकेश गोयल ने हापुड़ में महफ़िल जोड़ने/जमाने की कार्रवाई की । हापुड़ में प्रत्येक वर्ष आयोजित होते रहे मुकेश गोयल के शक्ति-प्रदर्शन कार्यक्रम में आते रहे लोगों ने इस वर्ष के उनके कार्यक्रम को काफी कमजोर पाया । लोगों का कहना है कि इस बार आश्चर्यजनक रूप से उपस्थिति भी कम रही, और लोगों का उत्साह भी कम देखने को मिला । हापुड़ में होने वाले मुकेश गोयल के कार्यक्रमों में पहली बार यह देखने को मिला कि लोगों के बैठने के लिए जो कुर्सियाँ लगाई गईं थी, वह खाली रह गईं । इस नजारे को देख कर उनके विरोधियों को यह कहने का मौका मिला है कि मुकेश गोयल की राजनीति को ग्रहण लगना शुरू हो गया है, और डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच ही नहीं - अपने लोगों के बीच भी अब उनका पहले जैसा प्रभाव नहीं रह गया है ।
कुछेक लोगों ने इस बार के हापुड़-कार्यक्रम के कमजोर पड़ने के लिए गलत टाइमिंग को जिम्मेदार ठहराया है । उनका तर्क है कि प्रत्येक वर्ष मुकेश गोयल हापुड़ में नवंबर/दिसंबर में कार्यक्रम करते रहे हैं, जब तक सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी राजनीति गर्मी पकड़ चुकी होती है, और हापुड़ का कार्यक्रम सिर्फ मुकेश गोयल का ही नहीं, बल्कि उनके द्वारा समर्थित उम्मीदवार का भी शक्ति-प्रदर्शन कार्यक्रम 'बन' चुका होता है । इस बार अभी सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव का अता-पता ही नहीं है । मुकेश गोयल के नजदीकियों के लिए यह समझना भी मुश्किल हुआ कि इस वर्ष अपना शक्ति-प्रदर्शन करने की मुकेश गोयल को इतनी जल्दी आखिर क्यों थी ? और इस शक्ति-प्रदर्शन के जरिए वह आखिर किस पर दबाव बनाने की कोशिश करना चाह रहे हैं ? इस बार के हापुड़ के कार्यक्रम की तैयारी में लोगों ने यह भी पाया कि सारी तैयारी मुकेश गोयल को अकेले करना पड़ी, और कार्यक्रम की तैयारी में उनके साथ कोई टीम नहीं थी । दरअसल अभी तक के मुकेश गोयल के कार्यक्रमों में बैक-ऑफिस का काम विनय मित्तल सँभालते थे । कार्यक्रम की डिजाईन से लेकर उसके प्रचार-प्रसार और उसकी तैयारी की जिम्मेदारी निभाने में विनय मित्तल की महत्त्वपूर्ण भूमिका हुआ करती थी । इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी सँभालने में विनय मित्तल के व्यस्त रहने के कारण मुकेश गोयल को उनका पहले जैसा सहयोग नहीं मिल सका - और जिसका नतीजा हुआ कि मुकेश गोयल का हापुड़ का कार्यक्रम पिट गया । कुछेक लोगों का यह भी कहना/बताना है कि मुकेश गोयल और विनय मित्तल के बीच पहले जैसे संबंध नहीं रह गए हैं और उनके शीत युद्ध जैसी स्थिति है, इसलिए मुकेश गोयल ने अपने कार्यक्रम में विनय मित्तल का सहयोग लिया ही नहीं - और उनके सहयोग के बिना ही कार्यक्रम आयोजित किया । लोगों के बीच चर्चा रही कि मुकेश गोयल ने विनय मित्तल की बजाये - डिस्ट्रिक्ट ही नहीं, मल्टीपल में और उससे भी ऊपर के लायन-समाज में - 'चोर-गवर्नर' के रूप में कुख्यात हुए एक पूर्व गवर्नर की मदद लेने की कोशिश की, जिस पर उनके नजदीकी ही भड़क गए और उन्होंने मुकेश गोयल को साफ कह दिया कि यदि 'चोर-गवर्नर' कार्यक्रम में आया, तो वह कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे । अपने ही नजदीकियों से मिली इस धमकी को सुन/देख कर मुकेश गोयल ने उक्त 'चोर-गवर्नर' को तो कार्यक्रम में शामिल करने का विचार त्याग दिया, लेकिन समझा जाता है कि उक्त प्रकरण के चलते कई आम और खास लायन सदस्यों ने मुकेश गोयल के कार्यक्रम से दूरी बना ली - और पहली बार मुकेश गोयल का कार्यक्रम राजनीतिक रूप से हल्का रह गया ।
मुकेश गोयल के कार्यक्रम के हल्के रहने की चर्चा में मुकेश गोयल की राजनीति के भविष्य का आकलन भी शुरू हो गया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय मित्तल के साथ शीत-युद्ध चलने की चर्चा के हवाले से कुछेक लोगों को यह लगता है कि मुकेश गोयल अब आगे की अपनी राजनीति विनय मित्तल से अलग होकर खेलेंगे । मुकेश गोयल को नए नए गठजोड़ बनाने तथा दुश्मनों को दोस्त बनाने में महारत हासिल है । अपनी राजनीति चलाने/जमाने के लिए मौका अनुसार किसी के साथ भी गठजोड़ करने के लिए तत्पर रहने की अपनी खूबी के चलते ही मुकेश गोयल वर्षों से डिस्ट्रिक्ट की राजनीति को नियंत्रित किए हुए हैं ।डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को 'ठिकाने' लगाना भी मुकेश गोयल के लिए बाएँ हाथ का काम रहा है - इसलिए कुछेक लोगों को लगता है कि विनय मित्तल से निपट लेना भी मुकेश गोयल के लिए मुश्किल नहीं होगा । किंतु अन्य कई लोगों का मानना/कहना है कि विनय मित्तल थोड़ा अलग किस्म के गवर्नर हैं, और मुकेश गोयल के ही साथी/सहयोगी रहने के कारण राजनीति जानते/समझते हैं - इसलिए मुकेश गोयल के लिए उन्हें उस तरह से हैंडल करना मुश्किल होगा, जिस तरह से वह दूसरे गवर्नर्स को करते रहे हैं । विनय मित्तल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जिस तरह की सक्रियता और पारदर्शिता दिखाई है, उससे 'चोर-गवर्नर' की हरकतों के कारण बदनामी के दलदल में फँसी डिस्ट्रिक्ट की पहचान को उन्होंने पुनर्प्रतिष्ठित करने का लक्ष्य प्राप्त किया है । अपनी साफगोई और किसी भी काम को तत्परता से पूरा करने की खूबी के कारण विनय मित्तल ने मल्टीपल तथा उससे ऊपर के लायन पदाधिकारियों और नेताओं के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच भी अपनी पहचान और साख बनाई है । मजे की बात यह है कि विनय मित्तल के काम/व्यवहार से खुश व प्रभावित होने वाले डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर लोग मुकेश गोयल के नजदीकी ही हैं - और वह सब मुकेश गोयल व विनय मित्तल के बीच शीत-युद्ध की खबरों/चर्चाओं से असमंजस में हैं । अधिकतर लोगों का मानना/कहना है कि विनय मित्तल को नीचा दिखाने/करने के लिए मुकेश गोयल ने यदि 'चोर-गवर्नर' या उसके जैसे लोगों का साथ/समर्थन लिया तो दोनों के कॉमन साथी मुकेश गोयल की बजाये विनय मित्तल का साथ देंगे - और तब मुकेश गोयल के लिए डिस्ट्रिक्ट की राजनीति पर नियंत्रण बनाये रखना मुश्किल हो जायेगा । मुकेश गोयल के ही नजदीकियों का मानना/कहना है कि इस बार के हापुड़ कार्यक्रम के कमजोर रहने से मुकेश गोयल को इसका साफ/स्पष्ट 'संदेश' मिल भी गया है । देखना दिलचस्प होगा कि मुकेश गोयल इस संदेश को कैसे 'पढ़ते' हैं ।