Tuesday, October 16, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने जा रहे भरत पांड्या द्वारा अगले रोटरी वर्ष में होने वाले इंदौर इंस्टीट्यूट के पदाधिकारियों की सूची डिस्ट्रिक्ट 3054 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल की उम्मीदों व अपेक्षाओं का गला घोटती सी दिख रही है

जयपुर । अगले रोटरी वर्ष में इंदौर में होने वाले रोटरी जोन इंस्टीट्यूट के लिए भरत पांड्या द्वारा घोषित की गई पदाधिकारियों की सूची में नाम न देख कर डिस्ट्रिक्ट 3054 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल को जोर का झटका लगा है, और इस झटके ने अनिल अग्रवाल और उनके साथियों को तो निराश किया ही है - साथ ही अन्य कई लोगों को हैरान भी किया है । दरअसल अनिल अग्रवाल ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में भरत पांड्या की जैसी मदद की थी, उसके चलते अनिल अग्रवाल को ही नहीं - बल्कि अन्य कई लोगों को पूरी/पक्की उम्मीद थी कि इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में भरत पांड्या जब भी पदों की बंदरबाँट करेंगे - अनिल अग्रवाल का नंबर अवश्य ही लगेगा । चेन्नई इंस्टीट्यूट में भरत पांड्या ने लेकिन जब इंदौर में होने वाली अगली इंस्टीट्यूट के लिए प्रमुख पदों की घोषणा की, तो घोषणा को सुनने वालों को अनिल अग्रवाल का नाम न लिए जाने पर हैरानी हुई । चेन्नई इंस्टीट्यूट में अनुपस्थित रहे अनिल अग्रवाल के नजदीकियों से बाद में सुनने को मिला कि भरत पांड्या के इस 'व्यवहार' से अनिल अग्रवाल खुद भी बहुत आहत महसूस कर रहे हैं । हालाँकि अनिल अग्रवाल ने अपने नजदीकियों के बीच यह कहते/बताते हुए अपना हौंसला और अपनी उम्मीद भी बनाये रखी/दिखाई कि भरत पांड्या ने स्वयं कहा है कि वह अभी चेन्नई इंस्टीट्यूट में मौजूद लोगों के नामों की ही घोषणा कर रहे हैं, इसलिए उनका नाम अभी घोषित नहीं हुआ है । अनिल अग्रवाल ने उम्मीद जताई है कि इंदौर इंस्टीट्यूट के लिए भरत पांड्या जब अपनी पूरी टीम की घोषणा करेंगे, तो टीम में उनका नाम अवश्य ही होगा । 
अनिल अग्रवाल के नजदीकियों के लिए, भरत पांड्या की टीम में अनिल अग्रवाल का नाम होने या न होने की बात का रोमांच लेकिन अब खत्म हो गया है । उनका कहना है कि महत्त्वपूर्ण पद तो बँट गए हैं, अब तो बस टीम में खुरचन वाले पद ही बचे हैं - जिनका मिलना या न मिलना एक बराबर ही है । भरत पांड्या ने इंदौर इंस्टीट्यूट के पदाधिकारियों की सूची में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अपने मददगार रहे लोगों को जिस दिल-खोल तरीके से उपकृत किया है, उसे देखते हुए अनिल अग्रवाल को उक्त सूची में नाम न होने का झटका कुछ ज्यादा ही जोर से लग गया 'सुना' जा रहा है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के जिन सदस्यों ने भरत पांड्या की उम्मीदवारी का समर्थन किया था, उन सभी को भरत पांड्या ने इंदौर इंस्टीट्यूट की टीम में प्रमुख पदों से सुसज्जित कर दिया है । इंस्टीट्यूट के चेयरमैन और सेक्रेटरी जैसे महत्त्वपूर्ण पद तक उन्होंने चुनाव में मदद करने के 'गणित' के आधार पर बाँट दिए हैं । अनिल अग्रवाल को वास्तव में इसी बात से झटका लगा है, और अन्य कई लोगों को हैरानी हुई है । इनको लगता है कि मदद करने के 'गणित' के आधार पर ही भरत पांड्या ने जब पदों की बंदरबाँट की है, तब तो अनिल अग्रवाल को महत्त्वपूर्ण पद अवश्य ही मिलना चाहिए था । वास्तव में, इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अनिल अग्रवाल ने भरत पांड्या की जैसी मदद की थी, वैसी मदद भरत पांड्या को किसी और से मिल ही नहीं सकती थी । कई लोगों का मानना और कहना है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में चेलैंजिंग उम्मीदवार अशोक गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट में होते हुए भी अनिल अग्रवाल ने जिस हिम्मत के साथ भरत पांड्या की उम्मीदवारी का झंडा उठाया हुआ था - उसके लिए वह भरत पांड्या से एक अच्छे 'अवॉर्ड' का हक रखते हैं, लेकिन भरत पांड्या ने लगता है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की कुर्सी पर बैठने से पहले ही अनिल अग्रवाल के उपकार को भुला दिया है ।
भरत पांड्या के नजदीकियों का कहना लेकिन यह है कि भरत पांड्या की नजर में अनिल अग्रवाल की मदद वास्तव में कोई मदद थी ही नहीं - वह तो बस अशोक गुप्ता के प्रति अपनी खुन्नस निकालने के लिए उनकी उम्मीदवारी का झंडा उठाये हुए थे । भरत पांड्या के समर्थक नेताओं का भी मानना/कहना रहा है कि अनिल अग्रवाल अपने डिस्ट्रिक्ट की राजनीति के चलते अशोक गुप्ता का विरोध करने के अभियान पर थे - न कि भरत पांड्या की उम्मीदवारी का समर्थन व सहयोग कर रहे थे; और इसीलिए भरत पांड्या को उनसे वोटों का कोई सहयोग नहीं मिला । भरत पांड्या के लोगों का तो बल्कि यहाँ तक कहना है कि भरत पांड्या की उम्मीदवारी के समर्थन की बात कहते/करते हुए अनिल अग्रवाल कई बार अशोक गुप्ता को आश्वस्त करते हुए भी सुने/देखे गए कि मैं तो आपके ही साथ हूँ, और लोग झूठे ही अफवाह उड़ा रहे हैं कि मैं आपका विरोध कर रहा हूँ । दरअसल इस तरह के नजारों को देख कर ही भरत पांड्या के खेमे में अनिल अग्रवाल की भूमिका के प्रति संदेह पैदा हो गया था और उन्हें भरोसे के साथी के रूप में स्वीकार किए जाने से बचा गया था । किसी भी चुनाव में उम्मीदवारों के समर्थकों और विरोधियों की एक 'श्रेणी' स्वतः बन जाती है, और उसके बनने को व्यापक स्तर पर 'स्वीकार' भी कर लिया जाता है - लेकिन जोन चार में हुए रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में डिस्ट्रिक्ट 3054 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल की भूमिका ने एक अलग ही 'श्रेणी' बनाई, जिसके चलते वह किसी भी तरफ 'स्वीकार' नहीं हुए । कुछेक लोगों का यह भी मानना और कहना है कि भरत पांड्या यदि अनिल अग्रवाल को ज्यादा तवज्जो देते हैं, तो लोगों के बीच यह समझा जायेगा कि वह अशोक गुप्ता को नीचा दिखाने और उन्हें चिढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं; भरत पांड्या अपने समर्थकों को उपकृत करने का काम तो खुल कर करना चाहते हैं, लेकिन विरोधी रहे लोगों से सीधे-सीधे पंगा लेने से भी बचने का प्रयास कर रहे हैं - ताकि उनकी डायरेक्टरी में कोई बखेड़ा खड़ा न हो । भरत पांड्या की यह 'सावधानी' अनिल अग्रवाल की उम्मीदों व अपेक्षाओं का गला घोटती सी दिख रही है ।