Tuesday, October 9, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सेंट्रल काउंसिल चुनाव में फरीदाबाद व गुड़गाँव के साथियों/समर्थकों के साथ छोड़ जाने के कारण नॉर्दर्न रीजन में वोटों की गिनती में सबसे आगे रहने की अतुल गुप्ता की कोशिश और तैयारी क्या फेल हो सकती है ?

नई दिल्ली । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में पुनर्निर्वाचन के लिए तैयारी कर रहे अतुल गुप्ता को फरीदाबाद और गुड़गाँव के अपने कुछेक साथियों और समर्थकों के साथ छोड़ जाने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए विशेष प्रयास करने पड़ रहे हैं । फरीदाबाद और गुड़गाँव के अपने समर्थकों के साथ छोड़ जाने से अतुल गुप्ता को हालाँकि कोई बड़ा नुकसान होने की संभावना या डर नहीं है; लेकिन अतुल गुप्ता को यह डर जरूर है कि इस कारण से कहीं सबसे ज्यादा वोट जुटाने का उनका लक्ष्य न असफल हो जाए । पिछली बार पहली वरीयता के वोटों की गिनती में अतुल गुप्ता को नवीन गुप्ता और संजीव चौधरी के बाद तीसरा नंबर मिला था । इस बार के चुनावी मुकाबले में उन दोनों के न होने की स्थिति में अतुल गुप्ता की कोशिश है कि वोटों की गिनती में वह पहले नंबर पर रहें । उनकी इस कोशिश को लेकिन फरीदाबाद और गुड़गाँव के उनके कुछेक साथियों/समर्थकों के साथ छोड़ जाने से धक्का लगा है । गुड़गाँव को अतुल गुप्ता के अच्छे समर्थक-आधार के रूप में देखा/पहचाना जाता रहा है । गुड़गाँव ब्रांच के पूर्व चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल के उम्मीदवार हो जाने को तो अतुल गुप्ता ने अपने लिए किसी समस्या के रूप में नहीं लिया है, लेकिन साथी/समर्थक रहे लोगों के साथ छोड़ जाने से उन्हें अपनी उम्मीदवारी के लिए झटका महसूस हुआ है । पिछली बार फरीदाबाद और गुड़गाँव में अतुल गुप्ता, विजय कुमार गुप्ता और 'वॉयस ऑफ सीए' वाले संजय अग्रवाल को अच्छा समर्थन मिला था । 'वॉयस ऑफ सीए' वाले संजय अग्रवाल इस बार उम्मीदवार नहीं हैं । अतुल गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार, अतुल गुप्ता का आकलन है कि गुड़गाँव वाले संजय अग्रवाल गुड़गाँव/फरीदाबाद में उतने वोट भी नहीं ले पायेंगे, जितने वोट यहाँ 'वॉयस ऑफ सीए' वाले संजय अग्रवाल को मिल गए थे - इसलिए नए संजय अग्रवाल की उम्मीदवारी से उन्हें कोई नुकसान होता हुआ नहीं दिख रहा है; लेकिन पुराने साथियों/सहयोगियों और समर्थक रहे लोगों के साथ छोड़ जाने के कारण उनके जरिये उन्हें मिलने वाले वोटों का जो नुकसान होगा, उसकी कमी उनके लिए चिंता की बात है ।
फरीदाबाद में खासा मजेदार सीन बना है । फरीदाबाद में विजय कुमार गुप्ता के कट्टर वाले कुछेक विरोधी अतुल गुप्ता के साथी/समर्थक रहे हैं । अतुल गुप्ता ने लेकिन उनके साथ विरोधाभासी रवैया अपनाया - अतुल गुप्ता ने उनकी मदद तो ले ली, लेकिन खुद उनके कभी काम नहीं आए और उनके साथ उन्होंने हमेशा ही एक दूरी बना कर रखी । दरअसल अतुल गुप्ता ने पाया/जाना यह कि विजय कुमार गुप्ता के यह कट्टर विरोधी नकारात्मक सोच वाले घटिया लोग हैं; और विजय कुमार गुप्ता के प्रति निजी खुन्नस रखने के कारण ही यह उनके विरोधी हैं । विजय कुमार गुप्ता की कोई भी उपलब्धि सुन/देख कर इनकी हालत ऐसी हो जाती है जैसे इनके शरीर में चीटियाँ घुस गईं हैं और इनके शरीर को बुरी तरह काट रही हैं, जिससे इन्हें ऐसी 'खुजली' उठती है कि इनका दिन का चैन और रात की नींद हराम हो जाती है । खुजली मिटाने के लिए फिर यह ऐसी ऐसी हरकतें करते हैं, जिससे विजय गुप्ता का तो कुछ नहीं बिगड़ता - यही लोग एक्सपोज हो जाते हैं, और लोग इनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते हैं और इन्हें तवज्जो देना बंद कर देते हैं । यही कारण है कि जैसे जैसे विरोध के नाम पर इनकी हरकतें बढ़ीं हैं, विजय कुमार गुप्ता को मिलने वाले वोटों की संख्या भी बढ़ी है । लेकिन नॉनसेंस वैल्यू की भी कुछ 'वैल्यू' तो चूँकि होती ही है - उसी को पहचान कर अतुल गुप्ता ने उनका फायदा तो ले लिया; लेकिन अतुल गुप्ता चूँकि अपनी छवि के प्रति सावधान रहते हैं, इसलिए 'खुजलीबाज' लोगों से उन्होंने दूरी भी बना कर रखी ।अतुल गुप्ता ने इस बार तो पहले से ही सावधानी रखी कि फरीदाबाद में विजय कुमार गुप्ता के ऐसे विरोधियों से उन्होंने पूरी तरह दूरी बना ली - जो विजय कुमार गुप्ता का विरोध करने के नाम पर सिर्फ अपनी खुजली मिटाते हैं और छिछोरापन दिखाते हैं । अतुल गुप्ता द्वारा दुत्कारे जाने के बाद फरीदाबाद के उन लोगों ने संजय कुमार अग्रवाल की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया है । अतुल गुप्ता को यह तो समझ में आ रहा है कि यह लोग संजय कुमार अग्रवाल को ज्यादा वोट नहीं दिलवा पायेंगे, लेकिन उनके लिए समस्या की बात यह है कि यह संजय कुमार अग्रवाल को फरीदाबाद में जो भी थोड़े/बहुत वोट दिलवा सकेंगे, उससे नुकसान तो अतुल गुप्ता के वोटों का ही होगा ।
अतुल गुप्ता के लिए गुड़गाँव में अलग तरह की समस्या पैदा हुई है । यहाँ उनके साथी और समर्थक लोग उन पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगा रहे हैं । साथी और समर्थक रहे लोगों का कहना/बताना है कि अतुल गुप्ता ने काम लेने के समय तो उनसे बड़े बड़े वायदे किए और उन्हें तरह तरह के सब्जबाग दिखाए, लेकिन काम निकल जाने के बाद उन्हें पहचानना तक बंद कर दिया । अतुल गुप्ता के इस अवसरवादी रवैये के शिकार अधिकतर युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं, जिन्होंने अतुल गुप्ता से मिले धोखे को जैसे दिल पर ले लिया है, और इस कारण से उन्हें जहाँ मौका मिलता है, वह अतुल गुप्ता के रवैये को लेकर शिकायत करने लगते हैं । अतुल गुप्ता के लिए राहत की बात यह है कि उनसे धोखा खाए लोग चूँकि किसी दूसरे उम्मीदवार के साथ नहीं लगे हैं, इसलिए उनसे धोखा खाए लोगों की नाराजगी अतुल गुप्ता को ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचाती है; लेकिन अतुल गुप्ता के लिए मुसीबत की बात यह बनी है कि उनसे धोखा खाए युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स चूँकि घूमते/फिरते और मिलते/जुलते ज्यादा हैं, और हर जगह अतुल गुप्ता के रवैये का रोना रोते हैं - इसलिए अतुल गुप्ता की बदनामी फैलती है, और यह बदनामी वोटों का नुकसान भी करती है । फरीदाबाद और गुड़गाँव में हो रहे इस नुकसान से अतुल गुप्ता की उम्मीदवारी पर हालाँकि कोई खास असर पड़ता हुआ नहीं नजर आ रहा है, लेकिन इससे उन्हें कुल मिलाकर वोटों का नुकसान होता हुआ तो दिख ही रहा है । वोटों का यह नुकसान सेंट्रल काउंसिल में पुनर्प्रवेश से अतुल गुप्ता को बेशक न रोक सके, लेकिन वोटों की गिनती में सबसे आगे रहने की उनकी कोशिश तथा उनकी तैयारी को फेल जरूर कर सकती है । फरीदाबाद और गुड़गाँव में होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए अतुल गुप्ता प्रयास तो खूब कर रहे हैं, लेकिन उनके प्रयास सचमुच सफल होते हैं या नहीं - यह चुनावी नतीजा आने के बाद ही पता चलेगा ।