Tuesday, October 16, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में रवि सचदेवा के उम्मीदवार के रूप में वापस लौटने के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई के समीकरणों में आये नाटकीय परिवर्तन ने अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी का रास्ता आसान बनाया

नोएडा । रवि सचदेवा के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई में वापस लौट आने से अमित गुप्ता की चुनावी स्थिति को तगड़ा झटका लगा है, और अशोक अग्रवाल के लिए चुनावी मुकाबला आसान होता हुआ नजर आया है । दरअसल रवि सचदेवा के घर पर डकैतों के हुए हमले के बाद रवि सचदेवा जिस तरह अपने परिवार को सुरक्षित करने की चिंता और व्यवस्था करने में व्यस्त हुए, उसके चलते लोगों के बीच संदेश गया कि रवि सचदेवा के लिए अब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव लड़ पाना मुश्किल होगा । रवि सचदेवा की पारिवारिक मुश्किल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई को दो-पक्षीय बना दे रही थी और माना जाने लगा था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अशोक अग्रवाल और अमित गुप्ता के बीच ही मुकाबला होगा । रवि सचदेवा के मुकाबले से बाहर होने में अमित गुप्ता के लिए लाभ की स्थिति देखी/पहचानी जा रही थी; क्योंकि माना/समझा जा रहा था कि रवि सचदेवा के उम्मीदवार न रहने की स्थिति में उनके समर्थक अमित गुप्ता की उम्मीदवारी के साथ जुड़ेंगे ।रवि सचदेवा के चुनावी परिदृश्य से दूर होने के कारण उनके समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच निराशा तो देखी/पहचानी जा रही थी, लेकिन यह बहुत साफ नहीं हो रहा था कि वह अंततः करेंगे क्या - क्योंकि उनमें से कुछेक लोगों को अशोक अग्रवाल के नजदीक जाता हुआ देखा जा रहा था, तो कुछेक को अमित गुप्ता की तरफ बढ़ता हुआ पाया जा रहा था । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों ने यह भी महसूस किया कि अमित गुप्ता के यहाँ अपनी अनुकूल स्थितियों का राजनीतिक लाभ उठाने का चूँकि कोई 'मैकेनिज्म' नहीं है, इसलिए रवि सचदेवा के चुनावी दौड़ से बाहर होते 'दिखने' के चलते बने मौके का डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी संदर्भ में अमित गुप्ता उचित फायदा नहीं उठा पा रहे हैं ।
अमित गुप्ता के समर्थक और शुभचिंतक हालाँकि उम्मीद लगाये हुए थे कि धीरे धीरे रवि सचदेवा के सभी साथी/समर्थक अमित गुप्ता के साथ आ जायेंगे । लेकिन रवि सचदेवा के उम्मीदवार के रूप में वापस आ जाने से उनकी उक्त उम्मीद पर पानी फिर गया है । रवि सचदेवा के उम्मीदवार के रूप में वापस लौट आने से अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों ने बड़ी राहत महसूस की है । उनका कहना है कि हालाँकि अमित गुप्ता से सीधा मुकाबला होने पर भी अशोक अग्रवाल के लिए कोई समस्या नहीं थी - क्योंकि रवि सचदेवा के उम्मीदवार न रहने की स्थिति में उन्हें मिलने वाले वोट अमित गुप्ता को ट्रांसफर नहीं हो रहे थे; और अब जब रवि सचदेवा उम्मीदवार के रूप में वापस लौट आए हैं, तब तो अशोक अग्रवाल के सामने कोई चुनौती बची ही नहीं रह गई है । रवि सचदेवा के चुनावी मुकाबले से बाहर होने की बातें बनने और फिर उम्मीदवार के रूप में उनके वापस आने से बने माहौल में अशोक अग्रवाल के समर्थकों व शुभचिंतकों को अपना दोहरा लाभ होता हुआ नजर आ रहा है - उन्हें लग रहा है कि रवि सचदेवा को पहले तो उस नुकसान की भरपाई करने में जुटना पड़ेगा जो उनके चुनावी मुकाबले से बाहर होने की बातें बनने से उन्हें हुआ है; और उनके भरपाई में जुटने से अमित गुप्ता पर दबाव बनेगा कि कहीं रवि सचदेवा उनके पाले में गए अपने समर्थकों को वापस न ले जाएँ । अमित गुप्ता और रवि सचदेवा के बीच होने वाली छीना-झपटी अशोक अग्रवाल के लिए अनुकूल माहौल बनाती हैं और उन्हें निश्चिंत करती है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी परिदृश्य में जिस समय उम्मीदवारों को अपने अपने समर्थन-आधार को बढ़ाने और उसे मजबूत करने में जुटना होता है,  उस समय पर रवि सचदेवा को अपने 'हो चुके' नुकसान की भरपाई करने में तथा अमित गुप्ता को अपने 'हो सकने' वाले नुकसान को बचाने में जुटना पड़ रहा है - यह स्थिति अशोक अग्रवाल के लिए एक अलग फायदे का कारण बनती/बनाती है । इस स्थिति ने दरअसल उन नेताओं को भी असमंजस में डाल दिया है, जो अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के पक्ष में नहीं हैं । उनके लिए वास्तव में यह समझना मुश्किल हो रहा है कि वह अमित गुप्ता और रवि सचदेवा में से किस की उम्मीदवारी का झंडा उठाएँ ? अपने प्रतिद्धंद्धियों और विरोधियों के असमंजस में फँसे होने से अशोक अग्रवाल के समर्थकों व शुभचिंतकों के लिए अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए समर्थन बढ़ाने व मजबूत करने का काम और आसान हो गया है । उनके लिए डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यह कहते/बताते हुए अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बनाना और आसान हो गया है कि अमित गुप्ता और रवि सचदेवा के पास जब अपना कोई समर्थन-आधार ही नहीं है, और जो एक दूसरे के समर्थकों को 'छीनने' की होड़ में लगे हैं - तब फिर उनके लिए मुकाबले में टिके/बने रहना कैसे संभव होगा । रवि सचदेवा के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मुकाबले में वापस लौटने से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई के समीकरणों में जो नाटकीय परिवर्तन हुआ है, उसमें अशोक अग्रवाल के लिए एकदम से जो अनुकूल उछाल आया है - उससे डिस्ट्रिक्ट का चुनावी परिदृश्य दिलचस्प व रोमांचपूर्ण हो उठा है ।