Sunday, October 28, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की मोहित बंसल की सदस्यता खत्म करने के मामले में मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के स्पष्टीकरण से खुली पोल ने प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता के सामने फजीहतभरी शर्मनाक स्थिति पैदा की

नई दिल्ली । वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट मोहित बंसल के मामले में मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के एक स्पष्टीकरण ने इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता की ऐसी फजीहत की है कि उनके लिए मुँह छिपाना तक मुश्किल हो गया है । मामला वर्षों पहले, मोहित बंसल के चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने से भी पहले उनके खिलाफ बने/चले एक आपराधिक मुकदमे में अपराध सिद्ध होने तथा सजा होने का झूठा दावा करते हुए इंस्टीट्यूट से उनकी सदस्यता खत्म करने/करवाने से जुड़ा है । वर्षों पहले के उक्त मामले में मोहित बंसल को दिल्ली हाईकोर्ट से अपराधमुक्त किए जाने का फैसला हुआ था । लेकिन षड्यंत्रपूर्ण तरीके से 14 जून को हुई सेंट्रल काउंसिल की मीटिंग में अतुल गुप्ता के साथ मिल कर नवीन गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को छिपाते हुए और निचली अदालत से मोहित बंसल को सजा होने वाले फैसले को आधार बनाते हुए मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए माहौल बनाया । वह तो मोहित बंसल की खुशकिस्मती थी कि उस दिन फैसला नहीं हो सका, हालाँकि अतुल गुप्ता और नवीन गुप्ता ने मोहित बंसल की सदस्यता खत्म करने का फैसला करने की पूरी तैयारी की हुई थी । मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स, जिसे एक तरह से इंस्टीट्यूट की पैरेंट बॉडी के रूप में देखा/पहचाना जाता है और इंस्टीट्यूट को जिसके प्रति जबावदेह समझा जाता है, के इस मामले में सामने आए स्पष्टीकरण से यह साबित हो गया है कि जिस आधार पर नवीन गुप्ता ने मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी की थी, वास्तव में वह कोई आधार बनता ही नहीं है । नवीन गुप्ता के लिए फजीहत की बात यह हुई है कि इस स्पष्टीकरण से यह भी साबित हुआ है कि प्रेसीडेंट के रूप में नवीन गुप्ता को नियमों की या तो सही सही समझ नहीं है, और या अपने निजी स्वार्थ के चक्कर में या अपने 'घोंचूपने' में वह उन्हें समझना ही नहीं चाहते हैं ।
मोहित बंसल के मामले में, शुरू से ही माना/समझा गया है कि सारा प्लॉट वास्तव में सेंट्रल काउंसिल सदस्य अतुल गुप्ता द्वारा रचा गया था, और नवीन गुप्ता तो अतुल गुप्ता के षड्यंत्र का शिकार हो गए हैं । अतुल गुप्ता दरअसल मोहित बंसल की पत्नी पूजा बंसल से खफा रहे हैं । पूजा बंसल नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की सेक्रेटरी हैं और सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार हैं । सेक्रेटरी के रूप में पूजा बंसल द्वारा लिए गए कुछेक फैसलों तथा सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत की गई उनकी उम्मीदवारी ने अतुल गुप्ता को प्रशासनिक व राजनीतिक स्तर पर खासा झटका पहुँचाया है । अतुल गुप्ता ने कई अवसरों पर पूजा बंसल पर बड़ी राजनीति करने का आरोप लगाया है; जिसके कारण हालाँकि लोगों की तरफ से उन्हें सुनने को भी मिला कि पूजा बंसल यदि अपने फैसलों के जरिये सचमुच कोई राजनीति कर भी रही हैं, और उनके फैसलों से प्रोफेशन से जुड़े लोगों को तथा इंस्टीट्यूट को यदि फायदा हो रहा है, तो इसमें बुराई क्या है ? पूजा बंसल और मोहित बंसल की सेंट्रल काउंसिल सदस्य संजय अग्रवाल से नजदीकी को देखते/पहचानते हुए अतुल गुप्ता को पूजा बंसल के फैसलों के पीछे संजय अग्रवाल का हाथ भी 'दिखाई' दिया । संजय अग्रवाल के वोटरों पर अतुल गुप्ता की नजर है, लेकिन पूजा बंसल की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने से अतुल गुप्ता को संजय अग्रवाल के वोटरों पर कब्जा करने की अपनी तैयारी फेल होती हुई दिख रही है । इसीलिए पूजा बंसल की उम्मीदवारी पेश होते ही अतुल गुप्ता ने उनके सामने मुश्किलें खड़ी करने और उन्हें परेशान करने के उद्देश्य से उनके पति मोहित बंसल को एक पुराने मामले में आधे-अधूरे तथा झूठे तथ्य पेश करते हुए फँसाने की चाल चल दी । अतुल गुप्ता ने मीटिंग में मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करवाने के लिए षड्यंत्रपूर्ण तरीके से दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को तो छिपा लिया, तथा निचली अदालत से मोहित बंसल को सजा होने वाले फैसले को 'दिखाते' हुए मीटिंग में मोहित बंसल के खिलाफ माहौल बनाया ।   
इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता की चूँकि संजय अग्रवाल के साथ खासी खुन्नस रही है, लिहाजा उन्हें भी संजय अग्रवाल के नजदीकी का शिकार करते हुए संजय अग्रवाल से खुन्नस निकालने का मौका दिखा - तो उन्होंने भी अतुल गुप्ता की कार्रवाई का बिना सोचे-विचारे बढ़-चढ़ कर समर्थन कर डाला । पर जब सच्चाई सामने आई, तो नवीन गुप्ता सहित सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों ने अपने आप को अतुल गुप्ता के हाथों ठगा हुआ पाया । दरअसल इसी कारण से अतुल गुप्ता व नवीन गुप्ता की जोड़ी ने फिर मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है । गौरतलब है कि अतुल गुप्ता व नवीन गुप्ता की जोड़ी पहले तो 14 जून की मीटिंग में ही मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने पर आमादा थी, लेकिन उसके बाद वह मामले को जैसे भूल ही गई । अतुल गुप्ता हालाँकि बीच बीच में लोगों के बीच कहते सुने गए हैं कि मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई शिड्यूल में है, और वह कभी भी हो सकती है । मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स से मिले स्पष्टीकरण ने लेकिन सारा परिदृश्य बदल दिया है; और यह साफ कर दिया है कि मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अतुल गुप्ता व नवीन गुप्ता की जोड़ी ने जो आधार बनाया था, वह आधार किसी भी तरह से तर्कपूर्ण और नियमानुसार नहीं है, और अतुल गुप्ता व नवीन गुप्ता की जोड़ी नियमों की मनमानी व्याख्या करके अपनी अपनी निजी खुन्नस निकाल रही है । मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के स्पष्टीकरण से सबसे ज्यादा फजीहत की स्थिति नवीन गुप्ता के लिए बनी है । वह इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट हैं; उनसे उम्मीद की जाती है कि वह मैच्योर तरीके से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेंगे - लेकिन मोहित बंसल के मामले में मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के पदाधिकारियों के सामने नवीन गुप्ता की जैसी जो पोल खुली है, वह प्रेसीडेंट के रूप में नवीन गुप्ता के लिए सचमुच में बहुत ही शर्म की बात है ।