Monday, October 29, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अशोक कंतूर की पराजय का ठीकरा विनोद बंसल व विनय भाटिया के सिर फोड़ने की रवि चौधरी की कोशिश ने अगले वर्ष में उम्मीदवार होने की तैयारी कर रहे अजीत जालान के लिए मुश्किलें बढ़ाईं

नई दिल्ली । अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के कई एक समर्थकों का डर अंततः सही साबित हुआ और रवि चौधरी की बदनामी तथा लगातार जारी उनकी हरकतें अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के लिए विनाशकारी साबित हुईं । उल्लेखनीय है कि 'रचनात्मक संकल्प' की 24 सितंबर की रिपोर्ट में अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के कई एक समर्थकों के हवाले से बताया गया था कि रवि चौधरी की बदनामी तथा लगातार जारी उनकी हरकतों ने अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के अभियान को कभी भी 'उठने' नहीं दिया और अब जब चुनाव सिर पर आ गए हैं - तो अशोक कंतूर की उम्मीदवारी का अभियान संकट में फँसा दिख रहा है । अशोक कंतूर के नजदीकियों को अफसोस है कि समर्थकों की इतनी स्पष्ट चेतावनी के सामने आने के बाद भी अशोक कंतूर ने सावधानी नहीं बरती और वह लगातार रवि चौधरी के भरोसे ही बने रहे और आए नतीजे में हार को प्राप्त हुए । अशोक कंतूर ने दरअसल अपने समर्थकों की चेतावनी और हिदायतों की बजाये रवि चौधरी के उस दावे पर ज्यादा भरोसा किया, जिसमें रवि चौधरी ने घोषणा की हुई थी कि उन्हें चाहें जो करना पड़े - वह अशोक कंतूर को चुनाव जितवायेंगे ही । मजे की बात यह रही कि रवि चौधरी सिर्फ अशोक कंतूर को ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नहीं 'चुनवा/बनवा' रहे थे, बल्कि अपने आप को अशोक कंतूर के गवर्नर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में भी बता/दिखा रहे थे और ऐसा करते हुए उन्होंने लोगों को 'उस' वर्ष की डिस्ट्रिक्ट टीम की पोस्ट देने/बाँटने का काम भी शुरू कर दिया था । रवि चौधरी की इस हरकत ने अशोक कंतूर की चुनावी संभावनाओं को खासी तगड़ी चोट दी, जिसका नतीजा उनकी हार के रूप में निकला । 
रवि चौधरी ने हालाँकि 'चाहें जो करना पड़े' वाली अपनी घोषणा पर अमल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । उन्होंने प्रेसीडेंट्स के साथ बदतमीजी करके, उन्हें धमकाने के जरिये और यहाँ तक कि उनके 'अपहरण' तक करके वोट जुटाने/बटोरने का प्रयास किया । हरियाणा के एक क्लब के प्रेसीडेंट को उसके घर से उठा/उठवा कर अपने सामने वोट डलवाने की कोशिश की पोल खुलने के बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया द्वारा कड़ा रवैया अपनाने के बाद रवि चौधरी की मुहिम को थोड़ा झटका तो लगा था, लेकिन फिर भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आए । रवि चौधरी की हरकतों के चलते अशोक कंतूर को सबसे बड़ा झटका पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच नाराजगी पैदा होने के चलते लगा । असल में, रवि चौधरी की बदतमीजीपूर्ण हरकतों को देखते हुए अधिकतर पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को लगा कि वह यदि चुपचाप बैठे तमाशा देखते रहे तो रवि चौधरी की हरकतें डिस्ट्रिक्ट 3011 की पहचान व साख को कलंकित ही करेंगी । डिस्ट्रिक्ट की पहचान व साख को बचाए रखने के लिए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने सक्रियता दिखाई, तो उनकी सक्रियता अशोक कंतूर की उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने का कारण बनी । अशोक कंतूर के लिए रवि चौधरी की बदनामी और हरकतें इस हद तक मुश्किलें बढ़ाने वाली साबित हुईं कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल जैसे उनके घनघोर समर्थक तक उनके विरोधी हो गए । उल्लेखनीय है कि अशोक कंतूर की उम्मीदवारी को शुरू से ही विनोद बंसल का समर्थन था; जिसके चलते विनोद बंसल ने अनूप मित्तल को रास्ते से हटाने के उद्देश्य से सुझाव भी दिया था कि उन्हें दो-तीन वर्ष लोगों के बीच मैच्योर तरीके से काम करना चाहिए और फिर उम्मीदवार के रूप में आना चाहिए । लेकिन अशोक कंतूर के समर्थक के रूप में रवि चौधरी की हरकतों को देखते हुए विनोद बंसल ने अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के समर्थन से हाथ खींच लिया । विनोद बंसल ने अपनी तरफ से हालाँकि चुनाव से दूर रहने तथा तटस्थ होने का दावा किया, लेकिन अशोक कंतूर के समर्थकों/नजदीकियों का कहना रहा कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के समीकरणों को देखते/समझते हुए विनोद बंसल पाला बदल कर अनूप मित्तल की उम्मीदवारी के समर्थक हो गए हैं ।
रवि चौधरी ने अशोक कंतूर की पराजय का ठीकरा विनोद बंसल और विनय भाटिया के सिर फोड़ते हुए उन पर धोखा देने का आरोप लगाया है । रवि चौधरी के लिए परेशानी और चिंता की बात दरअसल यह हो गई है कि अशोक कंतूर की पराजय के लिए यदि सचमुच उन्हें ही जिम्मेदार मान लिया गया, तो उनकी तो राजनीति ही चौपट हो जायेगी । इसलिए रवि चौधरी ने गिनाना/बताना शुरू किया है कि अशोक कंतूर को किन किन क्लब्स के और कितने वोट उनके कारण मिले हैं । रवि चौधरी का दावा है कि वह सहयोग और समर्थन यदि न करते तो अशोक कंतूर को आधे वोट भी नहीं मिल पाते । रवि चौधरी का कहना है कि विनोद बंसल और विनय भाटिया यदि धोखा न देते तो अशोक कंतूर ही विजयी होते । डिस्ट्रिक्ट में मजेदार सीन यह बना दिख रहा है कि अधिकतर लोग डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अशोक कंतूर की पराजय के लिए जहाँ रवि चौधरी की बदनामी और उनकी हरकतों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं रवि चौधरी दावा कर रहे हैं कि उनके कारण ही अशोक कंतूर को ठीक ठाक वोट मिल सके हैं, अन्यथा अशोक कंतूर की बहुत ही बुरी हालत होती । अशोक कंतूर की पराजय से अजीत जालान के लिए अजीब सी समस्या पैदा हो गई है । अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के पक्ष में वोट जुटाने की मुहिम में रवि चौधरी के साथ बढ़चढ़ कर भूमिका निभाने वाले अजीत जालान को अगले रोटरी वर्ष के चुनाव में रवि चौधरी ने अपना उम्मीदवार बनाने की घोषणा की हुई है । रवि चौधरी की बदनामी और उनकी हरकतों के कारण अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के हश्र ने लेकिन अजीत जालान को डरा दिया है । अजीत जालान को लग रहा है कि रवि चौधरी के उम्मीदवार होने का ठप्पा लगने से कहीं उनका हाल भी अशोक कंतूर जैसा न हो । अजीत जालान के सामने समस्या की बात यह भी है कि अशोक कंतूर यदि अगले वर्ष फिर उम्मीदवार हुए तो उनकी उम्मीदवारी का क्या होगा ?