Friday, November 16, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3054 में बीना देसाई की गवर्नरी से मिली ताकत के भरोसे आशीष देसाई ने अशोक मंगल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने का बीड़ा उठाया

अहमदाबाद । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आशीष देसाई के अशोक मंगल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने के लिए प्रयासरत रहने के चलते 18 नवंबर को जयपुर में होने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग को महज खानापूर्ति के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है - क्योंकि सभी ने मान लिया हुआ है कि उक्त मीटिंग में अशोक मंगल को ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुना जाना है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए यूँ तो कई उम्मीदवार हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला रोटरी क्लब पालनपुर के अशोक मंगल और रोटरी क्लब अहमदाबाद वेस्ट के पवन चपलोत के बीच ही देखा/पहचाना जा रहा है । अशोक मंगल ने दूसरी बार और पवन चपलोत ने तीसरी बार अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की है । सक्रियता के लिहाज से यूँ तो दोनों ही उम्मीदवारों का अच्छा रोटरी-रिकॉर्ड है, लेकिन अहमदाबाद में होने के कारण पवन चपलोत 'दिखाई' ज्यादा देते रहे हैं - जिस कारण से लोगों के बीच अशोक मंगल के मुकाबले उनकी ज्यादा पहचान है । पालनपुर में होने के कारण अशोक मंगल के लिए क्लब्स व डिस्ट्रिक्ट के आयोजनों में ज्यादा आना-जाना संभव नहीं हो पाता है, और इसलिए डिस्ट्रिक्ट में काफी लोग उन्हें नहीं पहचानते हैं - तथा वह भी कई लोगों को सिर्फ नाम से पहचानते हैं । इस कारण अधिकतर लोगों का मानना/कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी सँभालना पवन चपलोत के लिए ज्यादा आसान होगा, और वह प्रभावी तरीके से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के कर्तव्यों का निर्वाह कर सकेंगे । लेकिन जैसा कि एक पुरानी मशहूर फिल्म में दो भाईयों के बीच होने वाली बहस में एक भाई कहता है कि उसके पास यह है, यह है, यह है; तुम्हारे पास क्या है - तो दूसरा भाई कहता है कि मेरे पास माँ है, और पलड़ा उसकी तरफ झुक जाता है; ठीक उसी तर्ज पर अशोक मंगल के पास चूँकि आशीष देसाई हैं - इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की इस वर्ष की चुनावी होड़ में पलड़ा उनकी तरफ झुक जाता है ।
आशीष देसाई की तरफ से अशोक मंगल की तरफदारी करने के लिए तर्क दिया गया है कि छोटे शहरों के लोगों को भी गवर्नर बनने का मौका मिलना चाहिए, जिससे कि छोटे शहरों के लोगों के बीच भी रोटरी के लिए उत्साह पैदा हो और सभी को डिस्ट्रिक्ट का नेतृत्व करने का मौका मिले । आशीष देसाई का यह तर्क सचमुच में एक वाजिब तर्क है, और इसलिए ही उनके तर्क को डिस्ट्रिक्ट की लीडरशिप में व्यापक समर्थन मिला है । हालाँकि कुछेक लोगों का कहना है कि आशीष देसाई को यह समर्थन उनके तर्क के कारण नहीं, बल्कि उनकी पत्नी बीना देसाई के अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के कारण मिला है । डिस्ट्रिक्ट में गुजरात के लोगों के बीच आशीष देसाई का यद्यपि विरोध रहा है, लेकिन अधिकतर लोग चूँकि सत्ता के नजदीक रहना चाहते हैं - इसलिए बीना देसाई की डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी को देखते हुए आशीष देसाई के विरोधी रहे लोग अभी उनके समर्थक बन गए हैं । आशीष देसाई के लिए खुशकिस्मती की बात यह भी रही कि राजस्थान के नेताओं ने इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी पचड़े से अपने आपको दूर कर लिया हुआ है । उनका कहना है कि इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद पर चूँकि गुजरात का नंबर है, इसलिए गुजरात के लोग ही फैसला करें । राजस्थान के नेताओं के इस रवैये से आशीष देसाई को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी का चुनाव करने के लिए और बल मिला - तथा इससे अशोक मंगल के लिए रास्ता और आसान हुआ ।
अशोक मंगल के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने जाने पर लोगों के ऐतराज का कोई बड़ा कारण वैसे है भी नहीं ।लोगों का ऐतराज सिर्फ इसलिए है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के चुनाव में क्षेत्रीय आधार पर 'आरक्षण व्यवस्था' बना देने से कई बार ऐसे लोग गवर्नर बन जाते हैं, जो गवर्नर पद केसाथ न्याय नहीं कर पाते हैं - और इस कारण से रोटरी व डिस्ट्रिक्ट को पिछड़ जाना पड़ता है । इसी वर्ष का उदाहरण देते हुए कहा जा रहा है कि आरक्षण व्यवस्था के चलते नीरज सोगानी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तो बन गए, लेकिन कुछ उनकी बीमारी और कुछ उनके ढीलेढाले रवैये के चलते उनके लिए गवर्नर पद की जिम्मेदारियों का निर्वाह कर पाना मुश्किल बना हुआ है, और बहुत से काम समय से नहीं हो पा रहे हैं । लोगों का कहना है कि इस तरह के अनुभवों से सबक लिया जाना चाहिए और कम से कम इतना तो किया ही जाना चाहिए कि क्षेत्रीय आरक्षण के चलते जिन लोगों को गवर्नर बनना/बनाना है, उन्हें नेतृत्व के लिए तैयार करने के वास्ते उचित ट्रेनिंग भी दी जाए । लोगों का कहना है कि आशीष देसाई जिस भावना के साथ अशोक मंगल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाना/बनवाना चाहते हैं, वह अपने आप में बहुत ही अच्छी बात है - लेकिन आशीष देसाई को साथ ही साथ अशोक मंगल को नेतृत्व के लिए तैयार व प्रेरित करने का काम भी करना चाहिए । कुछेक लोगों का यह भी कहना है कि आशीष देसाई ने जब यह तय कर दिया है कि 18 नवंबर की मीटिंग में नोमीनेटिंग कमेटी को अशोक मंगल को ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनना है, तो फिर मीटिंग करने की जरूरत ही क्या है ? किंतु जो भी हो, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव भले ही नाटक लग रहा हो - नाटक में दिलचस्पी सभी की बनी हुई है, और सभी को 18 नवंबर की नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग और उसके फैसले का इंतजार है ।