गाजियाबाद । एक बैंक लोन डिफॉल्टर चार्टर्ड एकाउंटेंट संजय गुप्ता की चुनावी सक्रियता ने इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी अपनी उम्मीदवारी के लिए वोट जुटाने की मुकेश कुशवाह व अनुज गोयल की कोशिशों ने चुनावी परिदृश्य को एक मजेदार रंग दे दिया है । संजय गुप्ता पहले मुकेश कुशवाह के समर्थक के रूप में देखे/पहचाने जाते थे; लेकिन स्टेट बैंक से लिए गए लोन्स को न चुकाने के मामले में वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट व स्टेट बैंक के डायरेक्टर गिरीश आहुजा की मदद दिलवा पाने में असफल रहने के कारण वह मुकेश कुशवाह के खिलाफ हो गए हैं, और उन्होंने अनुज गोयल की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया है । संजय गुप्ता इससे पहले इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में किसी न किसी के समर्थक तो रहे हैं, लेकिन ज्यादा सक्रिय नहीं रहे; किंतु इस बार वह अनुज गोयल की उम्मीदवारी के पक्ष में घर घर जा कर जमकर प्रचार कर रहे हैं । उनके प्रचार में ज्यादातर मुकेश कुशवाह के प्रति जहरभरी बातें उगलना होता है, इसलिए उनकी सक्रियता ने गाजियाबाद में जोरों की तथा सेंट्रल रीजन के दूसरे हिस्सों में फुसफुसाहटभरी गर्मी पैदा की हुई है । इस मामले में गिरीश आहुजा जैसी बड़ी शख्सियत का नाम शामिल होने से बात और गंभीर भी हो गई है । संजय गुप्ता का मुकेश कुशवाह पर तो सीधा सीधा आरोप है ही कि उनके मामले में मुकेश कुशवाह को चूँकि पैसे मिलने की उम्मीद नहीं थी, इसलिए उन्होंने उनके मामले में दिलचस्पी नहीं ली; कहीं कहीं संजय गुप्ता ने इस आरोप के लपेटे में गिरीश आहुजा को भी ले लिया है ।
उल्लेखनीय है कि संजय गुप्ता ने कई वर्ष पहले ज्वैलरी का बिजनेस किया था, जिसके लिए उन्होंने स्टेट बैंक से भारी लोन लिया था । स्टेट बैंक से ही उनके नाम एक हाऊसिंग लोन भी रहा । बिजनेस उनका चला नहीं, फलस्वरूप लोन वह चुका नहीं सके । समय से लोन चुकाने की कोशिश करने की बजाये संजय गुप्ता तरह तरह के आरोप लगाते हुए बैंक पदाधिकारियों से उलझते और रहे, जिसके कारण उनका मामला गंभीर होता गया । संजय गुप्ता ने बैंक पदाधिकारियों पर जो जो आरोप लगाये, उनमें झूठ/सच चाहें जो हो; मामले में बुनियादी बात लोन चुकाने की जो थी - उसे पूरा करने में संजय गुप्ता असफल ही रहे, जिस कारण उनकी गर्दन फँसती गई । पिछले दिनों बैंक की तरफ से संजय गुप्ता को ओटीएस (वन टाइम सेटलमेंट) का ऑफर मिला । इस ऑफर को निपटाने के बावजूद संजय गुप्ता को मुसीबत से छुटकारा लेकिन नहीं मिला । बैंक ने लोन बसूलने के लिए सख्ती दिखाई और उनकी संपत्ति को 'कब्जे' में ले लिया । इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने एक बड़ी सिफारिश खोजी, जो उन्हें स्टेट बैंक में डायरेक्टर गिरीश आहुजा के रूप में नजर आई । गिरीश आहुजा तक पहुँच बनाने में संजय गुप्ता ने मुकेश कुशवाह की मदद ली । गिरीश आहुजा ने लेकिन जब संजय गुप्ता के मामले को देखा/जाना और उसे बुरी तरह उलझा हुआ पाया तो उन्होंने कुछ करने से साफ इंकार कर दिया । चर्चा है कि गिरीश आहुजा ने संजय गुप्ता को इस बात के लिए लताड़ भी लगाई कि बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों से उलझने की बजाये उन्होंने यदि लोन चुकाने में दिलचस्पी ली होती, तो नौबत यहाँ तक न आती । गिरीश आहुजा की इस लताड़ को सुन तथा उनके रवैये को देख कर मुकेश कुशवाह ने संजय गुप्ता की मदद करने के मामले से हाथ खींच लिया । इससे संजय गुप्ता बुरी तरह भड़क गए ।
मुकेश कुशवाह के लिए कोढ़ में खाज वाली बात यह हुई कि चुनावी राजनीति के नाजुक मौके पर अनुज गोयल ने संजय गुप्ता को 'पकड़' लिया और उन्हें आश्वस्त किया कि उनके झंझट से वह उन्हें राहत दिलवायेंगे । संजय गुप्ता को अभी तक कोई राहत नहीं मिली है - और जो लोग उनके मामले से परिचित हैं, उनका कहना है कि संजय गुप्ता को वैसी कोई राहत मिल भी नहीं पायेगी जैसी राहत वह चाहते हैं - लेकिन अनुज गोयल ने कुछेक प्रभावी लोगों से उनकी बात चूँकि करवा दी है या करवा देने का भरोसा दिया है, इसलिए संजय गुप्ता फिलहाल अनुज गोयल के बड़े समर्थक बन गए हैं । वर्षों अनुज गोयल के घोर विरोधी रहे संजय गुप्ता फिलहाल अनुज गोयल के चुनाव प्रचार में जोरशोर से लगे हैं, और अपने लोन को चुकाने की चिंता करने की बजाये अनुज गोयल को वोट दिलवाने के अभियान में सक्रिय दिलचस्पी ले रहे हैं - जिसके तहत वह अनुज गोयल के साथ जा जा कर न सिर्फ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स से मिल रहे हैं, बल्कि फोन से तथा वाट्स-ऐप में मुकेश कुशवाह के खिलाफ तरह तरह के आरोप लगाते हुए बातें बताने व पोस्ट्स लिखने का काम कर रहे हैं । संजय गुप्ता की तरफ से गंभीर आरोप यह सुना गया है कि मुकेश कुशवाह उनका काम करवाने के बदले में पैसे चाहते थे, और जब मुकेश कुशवाह को लगा कि उनसे उन्हें पैसे नहीं मिल पायेंगे, तो वह उनकी मदद करने से पीछे हट गए । इस तरह के आरोप के लपेटे में कहीं कहीं संजय गुप्ता ने गिरीश आहुजा को भी ले लिया है । संजय गुप्ता की इस तरह की बातें मुकेश कुशवाह की उम्मीदवारी को कितना नुकसान और अनुज गोयल की उम्मीदवारी को कितना फायदा पहुँचायेंगी, यह तो बाद में पता चलेगा - अभी लेकिन उनकी बातों ने खास तौर से गाजियाबाद में तथा आम तौर से सेंट्रल रीजन में चुनावी माहौल में गर्मी जरूर पैदा कर दी है ।