Monday, November 5, 2018

रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के रूप में जयपुर में हुए स्वागत समारोह की व्यवस्था और भव्यता की सुशील गुप्ता द्वारा की गई प्रशंसा को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी लड़ाई में अशोक गुप्ता की दावेदारी को मजबूत करने/बनाने के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है

नई दिल्ली । दिल्ली, जयपुर और कोलकाता में हुए स्वागत समारोहों में जयपुर के आयोजन की भूरि भूरि प्रशंसा करके इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता ने रोटरी की राजनीति में खासी गर्मी पैदा कर दी है । जयपुर के आयोजन की उनकी तारीफ के पीछे रोटरी की चुनावी राजनीति में अशोक गुप्ता को उनकी तरफ से हरी झंडी मिलने के संकेत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । रोटरी जोन 4 में दो वर्ष बाद होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के संदर्भ में सुशील गुप्ता की इस हरी झंडी के खास अर्थ निकाले/बताए जा रहे हैं । मजे की बात यह है कि खास अर्थ निकाले जाने का ज्यादा काम सुशील गुप्ता के अपने डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3011 में हो रहा है, जहाँ इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए तीन उम्मीदवार तैयारी करते हुए सुने जा रहे हैं । जयपुर के आयोजन की सुशील गुप्ता द्वारा की गई प्रशंसा ने दिल्ली में हुए स्वागत समारोह के जरिये बढ़त लेने की विनोद बंसल की कोशिश को तो तगड़ा झटका दिया है । दरअसल सुशील गुप्ता के मुँह से तारीफ सुनने के बाद और लोगों के मुँह भी खुल गए और फिर सभी कहने/बताने लगे कि दिल्ली के आयोजन के मुकाबले जयपुर का आयोजन कहीं ज्यादा भव्य, व्यवस्थित और प्रभावी रहा । जयपुर के आयोजन की तारीफ और उसकी तुलना में दिल्ली के आयोजन को कमजोर व अव्यवस्थित बताने की कुछेक लोगों की कोशिशों के पीछे विनोद बंसल को 'कमजोर' करने/'दिखाने' का उद्देश्य भी देखा/पहचाना गया है । जयपुर में हुए स्वागत समारोह की व्यवस्था की सुशील गुप्ता द्वारा की गई प्रशंसा ने दिल्ली के आयोजन के जरिये चुनावी राजनीति में पैठ बनाने की विनोद बंसल की कोशिश पर विराम लगाने में जुटे लोगों को अच्छा मसाला दे दिया है ।
सुशील गुप्ता के दिल्ली में हुए स्वागत समारोह की बड़ी खास व प्रभावी बात यह रही थी कि उक्त आयोजन में देश की रोटरी राजनीति का प्रत्येक बड़ा नेता उपस्थित हुआ था । दिल्ली के उक्त आयोजन को 'अपना' आयोजन 'दिखाते'/जताते हुए विनोद बंसल ने इस तथ्य को इस रूप में व्याख्यायित किया कि रोटरी का देश का हर बड़ा नेता 'उनके' साथ है । 'पक्षपातपूर्ण' आरोपों के चलते आयोजन में हुई बदइंतजामी तथा अव्यवस्था के कारण विनोद बंसल को आयोजन के दौरान भी तथा उसके बाद भी जो आलोचना सुननी पड़ी, उससे आयोजन की इस 'उपलब्धि' का लेकिन वह कोई लाभ नहीं उठा सके हैं । विनोद बंसल की खुशकिस्मती रही कि जयपुर में हुए सुशील गुप्ता के स्वागत समारोह में रोटरी के बड़े नेताओं में एक अकेले पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई ही पहुँचे, और इस कारण से बड़े नेताओं की उपस्थिति के संदर्भ में उनके दिल्ली के आयोजन का पलड़ा ही भारी रहा - लेकिन जयपुर के आयोजन की व्यवस्था और भव्यता ने विनोद बंसल को उक्त उपलब्धि का लाभ नहीं लेने/मिलने दिया । दरअसल दिल्ली के आयोजन में जिम्मेदारियों को लेने/देने तथा बड़े नेताओं को तवज्जो देने के जोश में संतुलन गड़बड़ा देने के चलते विनोद बंसल को अपने डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ बड़े नेताओं की भी आलोचना सुननी पड़ी । 'अपने' डायरेक्टर पीटी प्रभाकर के प्रति दिखाए अतिरिक्त लगाव के चलते विनोद बंसल को आयोजन के दौरान ही कई एक बड़े नेताओं से उलाहने सुनने को मिले । आयोजन में विभिन्न मौकों पर आगे रहने वाले लोगों के चयन को लेकर विनोद बंसल को अपने डिस्ट्रिक्ट के खास लोगों की जो नाराजगी झेलना पड़ी, वह अलग बात है । इससे विनोद बंसल की 'लीडरशिप' क्षमताओं पर सवाल उठे । 
जयपुर आयोजन में लोगों को ऐसा कोई तमाशा देखने/सुनने को नहीं मिला - और इस बात को अशोक गुप्ता की 'लीडरशिप' की खूबी के रूप में देखा/पहचाना गया । दरअसल जयपुर में सुशील गुप्ता के स्वागत कार्यक्रम की जो परिकल्पना रची गई - उसमें सांस्कृतिक नजारा भी था, वैभव के परंपरागत तरीके भी थे और इस सबसे बड़ी बात अनुशासन का पालन भी था; जिससे आयोजन को एक अलग तरह की गरिमा मिली और जिसने हर किसी को प्रभावित किया । जो लोग जयपुर नहीं भी पहुँच सके, उन्हें आयोजन की तस्वीरों ने आयोजन की भव्यता व अनुशासन से परिचित तो करवाया ही - उसके प्रभाव की गिरफ्त में भी लिया । जयपुर के आयोजन को - और या आयोजन की तस्वीरों को - देखकर हर किसी को दिल्ली के आयोजन की कमियाँ और ज्यादा महसूस हुईं और कईयों के तो जैसे 'घाव' ताजा हो गए । स्वागत समारोह की व्यवस्था और भव्यता देख कर खुद सुशील गुप्ता जिस तरह से भाव-विह्वल हो गए और स्वागत आयोजन की जोरदार शब्दों में प्रशंसा कर बैठे, उससे जयपुर आयोजन की राजनीतिक महत्ता व राजनीतिक प्रभाव खासा व्यापक हो गया और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी लड़ाई में अशोक गुप्ता की दावेदारी को मजबूत करने/बनाने का काम कर गया है ।