Friday, August 14, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल के सदस्य एसबी जावरे ने रीजनल काउंसिल के लिए यशवंत कसार की उम्मीदवारी को प्रस्तुत करवा कर अपनी जो दिलचस्पी व सक्रियता दिखाई है, उसने पुणे की चुनावी राजनीति को खासा दिलचस्प बना दिया है

पुणे । यशवंत कसार ने वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के संकेत देकर पुणे में इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति को खासा दिलचस्प बना दिया है । यशवंत कसार अभी इंस्टीट्यूट की पुणे ब्रांच के चेयरमैन पद पर हैं । यशवंत कसार ने हालाँकि अभी सिर्फ अपने नजदीकियों को ही अपनी उम्मीदवारी की जानकारी दी है; और सभी को इससे अवगत कराने के लिए उचित मौके का इंतजार कर रहे हैं । अपने समर्थकों को उन्होंने बताया है कि वह जल्दी ही औपचारिक रूप से सभी को अपनी उम्मीदवारी की सूचना देंगे । यशवंत कसार को सेंट्रल काउंसिल सदस्य एसबी जावरे के नजदीकी के रूप में देखा/पहचाना जाता है, और माना जा रहा है कि उनको उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए एसबी जावरे ने ही प्रोत्साहित किया है । पुणे में इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को लगता है कि रीजनल काउंसिल में और रीजनल काउंसिल के माध्यम से पुणे ब्रांच में अपना दबदबा रखने के लिए एसबी जावरे को रीजनल काउंसिल में चूँकि अपना एक 'आदमी' चाहिए, इसलिए ही उन्होंने यशवंत कसार को रीजनल काउंसिल के लिए उम्मीदवार बनवा दिया है । दरअसल अंबरीश वैद्य की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने, तथा उनके जीतने की उम्मीद के बाद पुणे की चुनावी राजनीति में समीकरणों के बदलने की जो स्थितियाँ बनीं - उसके बाद एसबी जावरे के लिए पुणे में इंस्टीट्यूट की राजनीति में अपना दखल बनाए रखने के लिए 'कुछ' करना जरूरी लगा; और उनकी इस जरूरत के नतीजे के रूप में ही यशवंत कसार की उम्मीदवारी सामने आई है ।  
यशवंत कसार की उम्मीदवारी को सर्वेश जोशी की उम्मीदवारी के लिए चुनौती और खतरे के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । माना जा रहा है कि जो मराठा वोट पिछली बार सर्वेश जोशी को मिले थे, वह इस बार यशवंत कसार को मिलेंगे - इसलिए भी मिलेंगे, क्योंकि एसबी जावरे भी उसके लिए प्रयास करेंगे । सर्वेश जोशी को हालाँकि विश्वास है कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स पढ़े-लिखे होते हैं और वह जातीय गोलबंदी में नहीं फँसते हैं, इसलिए मराठावाद के नाम पर यशवंत कसार उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचा पायेंगे । सर्वेश जोशी को भले ही इसका विश्वास हो, लेकिन उनके साथियों/समर्थकों सहित अन्य दूसरे लोगों को उनका तर्क हजम नहीं हो रहा है । यद्यपि यह सच है कि सिर्फ जातीय आधार पर चुनाव जीते/ हारे नहीं जाते हैं - लेकिन चुनावी समर्थन जुटाने में जातीय गोलबंदी भूमिका निभाती अवश्य है - और कभी कभी तो वह भूमिका महत्वपूर्ण भी हो जाती है । सर्वेश जोशी और यशवंत कसार सिर्फ जातीय आधार पर ही एक दूसरे से नहीं भिड़ेंगे, बल्कि अपने अपने काम के सहारे भी एक दूसरे से मुकाबला करेंगे । सर्वेश जोशी को जहाँ रीजनल काउंसिल सदस्य होने के कारण फायदा मिलेगा, वहाँ यशवंत कसार को पुणे ब्रांच का चेयरमैन होने का लाभ मिलने का भरोसा है । यशवंत कसार पुणे ब्रांच में चेयरमैन पद की जिम्मेदारी सँभालने वाले सबसे युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं, इस नाते से वह युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच उनके प्रेरणा स्रोत भी बने हैं और उनके बीच लोकप्रिय भी हुए हैं । पुणे से सेंट्रल काउंसिल सदस्य एसबी जावरे का उन्हें जो समर्थन है, उसके चलते उन्हें सीनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का सहयोग व समर्थन मिलने का भरोसा है । 
यशवंत कसार पुणे ब्रांच के चेयरमैन के रूप में किए जा रहे अपने कामों तथा अपनी सक्रियता के बल पर पुणे से बाहर के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का समर्थन पाने की उम्मीद तो कर सकते हैं, लेकिन उनकी सारी चुनावी निर्भरता पुणे पर ही होगी; उधर रीजनल काउंसिल का सदस्य होने के नाते सर्वेश जोशी के लिए पुणे से बाहर के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का समर्थन जुटाना ज्यादा मुश्किल तो नहीं होना चाहिए, किंतु उनके लिए मुश्किल की बात यह होगी कि रीजनल काउंसिल की अपनी सीट बचाने के लिए उन्हें पुणे के बाहर के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का समर्थन हर हाल में जुटाना ही होगा । यशवंत कसार की उम्मीदवारी ने सर्वेश जोशी के लिए दरअसल समस्या यह खड़ी कर दी है कि पुणे में उनकी 'जगह' को छोटा कर दिया है । ऐसे में, सर्वेश जोशी के लिए दोहरी समस्या यह बनी है कि एक तरफ तो उन्हें पुणे में अपनी 'जगह' बचानी है, और दूसरी तरफ पुणे से बाहर अपने लिए समर्थन जुटाना है । यशवंत कसार के लिए चुनौती की बात यह होगी - और इसी बात पर उनकी सफलता निर्भर है कि पुणे में सर्वेश जोशी की जो 'जगह' है, उसमें वह कितनी जगह पर अपना कब्जा कर सकते हैं ? इन दोनों के लिए ही मुसीबत की बात यह भी होगी कि इन्हें जिन लोगों के पहली वरीयता के वोट मिलेंगे, उनके दूसरी वरीयता के वोट इनके बीच आपस में एक्सचेंज शायद नहीं होंगे - और इस कारण से इन्हें दूसरे के पहले आउट होने का फायदा भी नहीं मिल पायेगा । 
यशवंत कसार की उम्मीदवारी से सत्यनारायण मूंदड़ा और अंबरीश वैद्य को यूँ तो सीधी टक्कर मिलती नहीं दिख रही है; लेकिन यशवंत कसार की उम्मीदवारी के चलते पुणे में राजनीति और वोटों का जो नया समीकरण बनेगा - उसके कारण उनकी स्थिति में अवश्य ही कुछ उलट-फेर होने का अनुमान लगाया जा रहा है, और इस नाते से उन्हें अपनी चुनावी रणनीति व तैयारी में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं । ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह दोनों यशवंत कसार की अचानक से प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी को किस तरह से देख रहे हैं और उनकी उम्मीदवारी के कारण बदली हुई स्थिति में अपनी भूमिकाओं को कैसे देखते हैं । सत्यनारायण मूंदड़ा का जो 'स्टाइल' है, उसमें तो कोई बदलाव भला क्या आ सकेगा - किंतु यह देखना जरूर महत्वपूर्ण होगा कि उनके स्टाइल को तमाम आलोचनाओं के बावजूद जो सफलता मिलती रही है, क्या वह बरक़रार रह पायेगी ? अंबरीश वैद्य ने अपना एक अलग तरह का ऑडियंस बनाया है - जिसके भरोसे से उन्होंने पिछली बार पुणे ब्रांच के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट प्राप्त किए थे; पुणे ब्रांच में लेकिन वह अलग-थलग रहे । अलग-थलग रहने के बावजूद अंबरीश वैद्य ने प्रोफेशन और प्रोफेशन से जुड़े लोगों के लिए एक बड़ा मौलिक किस्म का 'विज़न' दिया है - उनके सामने चुनौती किंतु यह है कि वह लोगों के बीच अपने इस 'विज़न' की महत्ता को स्थापित कर सकें और उसे स्वीकार्य बना सकें । कुछ लोगों को लग रहा है कि अंबरीश वैद्य की 'हवा' तो अच्छी बनी हुई है, किंतु इस हवा को चुनावी समर्थन और वोट में बदलने की तरकीब उन्हें अभी अपनानी है । अंबरीश वैद्य के कुछेक नजदीकियों का ही कहना है कि अंबरीश वैद्य लगता है कि अभी अति-आत्मविश्वास के शिकार हैं, और इसके चलते ही अपनी चुनावी तैयारियों को लेकर गंभीर नहीं हुए हैं । अभी तक तो इस रवैये के बावजूद अंबरीश वैद्य के लिए कोई समस्या नहीं थी, लेकिन अब यशवंत कसार की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने के बाद जो हालात बनते दिख रहे हैं - उसमें अंबरीश वैद्य के सामने अपनी चुनावी तैयारियों को संयोजित व संगठित करने की जिम्मेदारी आ पड़ी है । यशवंत कसार की उम्मीदवारी के जरिए एसबी जावरे ने रीजनल काउंसिल के चुनाव में जो दिलचस्पी व सक्रियता दिखाई है, उसने पुणे की चुनावी राजनीति को खासा दिलचस्प बना दिया है ।