नई दिल्ली/गाजियाबाद । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को उकसाने के बाद मुकेश अरनेजा के और भी बुरे दिन शुरू हो गए हैं - क्योंकि लोगों ने अब उन्हें खुल कर तथा सामने सामने लताड़ना शुरू कर दिया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में अभी तक फिर भी लोग मुकेश अरनेजा का थोड़ा बहुत लिहाज किया करते थे और कम से कम उनके मुँह पर बुरा/भला कहने से बचते थे और यदि कोई कुछ कहता भी था तो थोड़ा संयत भाषा का प्रयोग करता था । लेकिन अब लगता है कि लिहाज का पर्दा पूरी तरह से हट गया है । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को मुकेश अरनेजा ने जिस तरह से उकसाया है, उससे मुकेश अरनेजा को दोहरी मार पड़ी है : दिल्ली में अशोक गर्ग की उम्मीदवारी के समर्थन में जुड़े लोगों को इस बात की नाराजगी है कि मुकेश अरनेजा ने उन्हें धोखा दिया, गाजियाबाद/उत्तर प्रदेश के लोग इस बात पर खफा हैं कि मुकेश अरनेजा उनके बीच फूट पैदा करके उन्हें आपस में लड़वाना चाहते हैं । हाल-फिलहाल में संपन्न हुए क्लब्स के अधिष्ठापन समारोहों में ऐसे बहुत से दृश्यों को देखा गया जिनमें कि लोग मुकेश अरनेजा को खूब खरी-खोटी सुना रहे हैं, और मुकेश अरनेजा के लिए जबाव देते तथा उनसे बचना मुश्किल हो रहा है, तथा वह सिर्फ बौखला कर रह जा रहे हैं । लोगों को मनाने के लिए मुकेश अरनेजा हालाँकि अपने सारे फार्मूले, हथकंडे, टोटके इस्तेमाल कर रहे हैं - लेकिन सब फेल साबित हो रहे हैं । मुकेश अरनेजा को ऐसी असहाय व निरुपाय स्थिति में इससे पहले कभी भी नहीं देखा गया है ।
मुकेश अरनेजा की बदकिस्मती से टाइमिंग दरअसल उनके लिए बहुत गलत हो गई है । हाल ही में मुकेश अरनेजा अपनी कारस्तानियों के चलते पहले अपने भाई-भतीजों द्वारा कंपनी से भगाए गए और फिर अपने क्लब से निकाले गए । इन घटनाओं पर लोगों के बीच चर्चा अभी चल ही रही थी कि मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अशोक गर्ग को धोखा देने का किस्सा सामने आ गया । कई लोगों का मानना/कहना हालाँकि यह रहा है कि मुकेश अरनेजा ने अशोक गर्ग को कोई धोखा नहीं दिया है, और उन्होंने वास्तव में अशोक गर्ग की उम्मीदवारी को मदद पहुँचाने के इरादे से ही दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को उकसाया है । मुकेश अरनेजा की चाल है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को उकसा कर वह गाजियाबाद/उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच फूट डलवा देंगे और उन्हें आपस में लड़वा कर सुभाष जैन की स्थिति को कमजोर करके अशोक गर्ग को फायदा पहुँचवा देंगे । कई अन्य लोगों का लेकिन इस थ्योरी पर भरोसा नहीं भी है - उनका मानना/कहना है कि मुकेश अरनेजा की चाल भले ही अशोक गर्ग की उम्मीदवारी को फायदा पहुँचाने के लिए हो, लेकिन उनकी चाल के क्रियान्वन ने अशोक गर्ग की उम्मीदवारी को खासा बुरा झटका दिया है । अधिकतर लोगों का मानना/कहना है कि मुकेश अरनेजा वास्तव में किसी के साथ नहीं है, वह तो रोटरी और डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अपने आप को प्रासंगिक बनाये रखने के लिए पहले अशोक गर्ग को इस्तेमाल कर रहे थे, और अब दीपक गुप्ता को इस्तेमाल करने लगे हैं ।
मुकेश अरनेजा के साथ कंपनी में और क्लब में जो हुआ, उसका जिक्र करते हुए यह भी कहा जा रहा है कि मुकेश अरनेजा की असली समस्या दरअसल यह है कि जिस चीज को वह अपनी चतुराई समझते हैं, वह उनकी मूरखता होती है - और वह मूरखता साबित भी होती है, लेकिन फिर भी वह कोई सबक नहीं सीखते हैं । कंपनी में और क्लब में उनकी जो भी हरकतें रही होंगी, उन्हें अंजाम देते हुए उन्हें सोचा तो यही होगा कि इन हरकतों से उनका रुतबा बढ़ेगा; किंतु नतीजा ठीक उलटा निकला । इससे मुकेश अरनेजा ने भले ही कोई सबक न लिया/सीखा हो, दूसरों को लेकिन यह खूब समझ में आ रहा है कि - जो मुकेश अरनेजा अपनी होशियारी, अपनी तरकीबों, अपने फार्मूलों से अपनी खुद की मदद नहीं कर पाए; और अपने क्लब में वर्षों से साथ रहे सदस्यों तथा कंपनी में अपने ही भाई-भतीजों द्वारा बाहर निकाल दिए गए; उन मुकेश अरनेजा की होशियारी, तरकीबें, फार्मूले दूसरों की भला क्या और कैसे मदद कर पायेंगे ? हमारे समाज में तो वैसे भी कहावत भी है और देखने में भी आता है कि जो गिर गया हो या पिट रहा हो तो हर कोई उसे अपनी तरफ से दो लात और लगा देने का प्रयास करता है । मुकेश अरनेजा के साथ दरअसल यही हुआ है । कंपनी से और क्लब से निकाले जाने की खबरों के सामने आने के बाद उनका इक़बाल, उनका ऑरा खत्म हो गया है - जिसका नतीजा यह हुआ है कि उनके प्रति लोगों के बीच जो लिहाज था, वह खत्म हो गया है और अब हर कोई उनके सामने सामने उनसे तू-तड़ाक करने के लिए प्रस्तुत हो गया है । डिस्ट्रिक्ट में जो लोग किसी से भी कभी कुछ कहते हुए सुने नहीं गए हैं और बड़े शरीफ समझे जाते हैं, और मुकेश अरनेजा के नजदीकी भी रहे हैं, वह लोग भी मुकेश अरनेजा से सीधे सीधे सवाल करने लगे हैं, और उन्हें लताड़ने लगे हैं ।
मुकेश अरनेजा से हमदर्दी रखने वाले लोगों का मानना/कहना है कि कंपनी में और क्लब में उनके साथ जो हुआ उसके कारण लोगों के बीच उनका इक़बाल और उनका ऑरा तो खत्म हुआ, लेकिन लोगों के बीच उनके प्रति सहानुभूति भी बनी; लोगों ने माना/समझा कि मुकेश अरनेजा ने जैसी जो कारस्तानियाँ की हैं उसका नतीजा उन्हें मिल गया है । किंतु लोगों ने जब मुकेश अरनेजा को दीपक गुप्ता को उम्मीदवारी के लिए उकसाते पाया, तो उनकी सहानुभूति विरोध में बदल गई और लोगों ने मुकेश अरनेजा को लताड़ना शुरू कर दिया । लोगों को यह बात खास तौर से बुरी लगी है कि चौतरफा मुसीबतों में घिरे मुकेश अरनेजा अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं, और उनके बीच फूट डाल कर तथा उन्हें आपस में एक-दूसरे के खिलाफ भिड़ाने का प्रयास कर रहे हैं । लोगों का कहना है कि दीपक गुप्ता ने इस बार के चुनावी झमेले से जब अपने आपको अलग और दूर कर लिया था, उनके क्लब के पदाधिकारी लोगों को बता रहे थे कि दीपक गुप्ता ने इस बार अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने से इंकार कर दिया है, और इसी इंकार के भरोसे दीपक गुप्ता के क्लब के पदाधिकारी सुभाष जैन की मीटिंग्स व पार्टियों में जा रहे थे और सुभाष जैन की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन व्यक्त कर रहे थे - तब मुकेश अरनेजा ने अचानक से दीपक गुप्ता को उम्मीदवारी के लिए उकसाना शुरू करके उनके लिए तो भारी समस्या खड़ी कर दी है । मुकेश अरनेजा के प्रति लोगों के बीच संगठित व मुखर हुए इस विरोध ने दीपक गुप्ता के सामने अजीब सा संकट खड़ा कर दिया है - मुकेश अरनेजा का जो समर्थन उनके लिए वरदान होना चाहिए था, वह अभिशाप बनता नजर आ रहा है ।