नई दिल्ली । रमेश अग्रवाल ने अपने क्लब की एक मीटिंग में शरत जैन को पेम वन के आमंत्रितों की सूची के संदर्भ में जिस तरह से कई लोगों के बीच लताड़ा, उससे संकेत मिले हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में काम करने के लिए शरत जैन जिस तरह की आजादी चाहते हैं - रमेश अग्रवाल उन्हें उस तरह की आजादी देने को बिलकुल भी तैयार नहीं हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट शरत जैन ने अभी आधिकारिक रूप से अपने गवर्नर-काल के लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के नाम का ऐलान तो नहीं किया है, लेकिन लोगों के बीच उन्होंने यह संकेत जरूर दिए हुए हैं कि रमेश अग्रवाल ही उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होंगे । अपने क्लब की मीटिंग में रमेश अग्रवाल ने जिस अंदाज में शरत जैन को लताड़ा, उसमें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर वाला भाव समाहित नजर आया । पेम वन के आमंत्रितों की सूची को लेकर रमेश अग्रवाल ने जिस तरह से सार्वजनिक रूप से शरत जैन को यह कहते हुए लताड़ पिलाई कि जिन लोगों ने तुम्हारी उम्मीदवारी का खुला विरोध किया था, उन्हें अपनी टीम में लेकर मेरी बेइज्जती करोगे क्या - उससे भी जाहिर हुआ है कि रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद-भार जैसे 'संभाल' लिया है । उल्लेखनीय है कि कई अवसरों पर रमेश अग्रवाल ने बार-बार यह संकेत साफ तौर पर दिए भी हैं कि शरत जैन के गवर्नर-काल की टीम चुनने का काम वह करेंगे - और करेंगे क्या, उन्होंने करना शुरू भी कर दिया है । रमेश अग्रवाल को यह काम शुरू करना दरअसल इसलिए भी जरूरी लगा - क्योंकि उन्हें डर हुआ कि शरत जैन कहीं 'गलत' लोगों को अपनी टीम में प्रमुख पद न दे दें । उन्हें डर इसलिए हुआ - क्योंकि उन्होंने सुना कि शरत जैन लोगों को बता/जता रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वह किसी एक नेता के पिट्ठू बन कर नहीं रहेंगे और तटस्थ भूमिका निभाते हुए सभी को साथ लेकर चलेंगे ।
शरत जैन की इस तरह की बातों से रमेश अग्रवाल का माथा ठनका और फलस्वरूप उन्होंने शरत जैन की नकेल कसने की तैयारी कर ली । नकेल कसने की तैयारी के तहत ही रमेश अग्रवाल ने उस सूची पर खुला हमला बोला, जिसे शरत जैन ने पेम वन में आमंत्रित किए जाने वाले लोगों के नाम से तैयार की थी । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में यह एक प्रथा सी बन गई है कि पेम वन में प्रेसीडेंट इलेक्ट के अलावा उन्हीं लोगों को आमंत्रित किया जाता है, जिन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट अपनी टीम में प्रमुख पद देने के बारे में विचार कर रहा होता है । शरत जैन द्वारा तैयार की गई पेम वन के आमंत्रितों की सूची को देखने के बाद रमेश अग्रवाल ने अपने क्लब की एक मीटिंग में शरत को निशाना बनाया - तो इसके पीछे रमेश अग्रवाल का एक खास मकसद था । रमेश अग्रवाल के नजदीकियों ने ही बताया कि कई लोगों के सामने शरत जैन को निशाना बनाने के पीछे एक उद्देश्य तो लोगों को यह 'दिखाना/बताना' था कि शरत जैन ने यदि कोई ऐसा फैसला कर भी लिया है जो रमेश अग्रवाल को पसंद नहीं है, तो उसका मतलब यही है कि वह फैसला शरत जैन ने उन्हें अँधेरे में रख कर किया है; और दूसरा उद्देश्य यह 'दिखाना/बताना' था कि शरत जैन का ऐसा कोई फैसला वह हर्गिज मंजूर नहीं करेंगे; और तीसरा उद्देश्य शरत जैन को यह 'बताना/दिखाना' था कि उन्होंने यदि उनसे पूछे बिना कोई फैसला किया और या उन्हें पसंद न आने वाला फैसला किया तो वह शरत जैन को भरी सभा में भी लज्जित करेंगे ।
रमेश अग्रवाल को ऐसा दिखाना/जताना दरअसल इसलिए जरूरी लग रहा है - क्योंकि उन्हें शरत जैन को भी ठीक उसी तरह से अपना 'गुलाम' बनाना है, जैसा उन्होंने जेके गौड़ को बनाया हुआ है । जेके गौड़ ने जिस तरह से रमेश अग्रवाल के सामने पूरी तरह से समर्पण किया हुआ है, रमेश अग्रवाल ठीक उसी तरह का पूरा पूरा समर्पण अब शरत जैन से भी चाहते हैं । इसमें समस्या लेकिन यह आड़े आ रही है कि शरत जैन अपने आप को जेके गौड़ से बेहतर गवर्नर दिखाना व साबित करना चाहते हैं । जेके गौड़ और शरत जैन की पर्सनलिटी में जो अंतर है, उसके कारण डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लगता भी है कि शरत जैन रोटरी और डिस्ट्रिक्ट को उस तरह से डी-ग्रेड नहीं करेंगे, जैसे कि जेके गौड़ ने किया है - और शरत जैन रोटरी व डिस्ट्रिक्ट की गरिमा व प्रतिष्ठा का कुछ तो ख्याल रखेंगे । शरत जैन निश्चित रूप से लोगों के बीच 'दूसरा जेके गौड़' नहीं बनना चाहेंगे - किंतु इसके लिए उन्हें अपने आपको रमेश अग्रवाल की छाया से बाहर निकालना होगा; उनके लिए मुसीबत की बात यह है कि रमेश अग्रवाल को इस बात का पता है कि शरत जैन उनकी छाया से बाहर निकलना चाहते हैं । दरअसल इसीलिए रमेश अग्रवाल ने उनके प्रति क्रूर रवैया अपनाने का निश्चय किया हुआ है - जिसका इज़हार रमेश अग्रवाल ने क्लब की एक मीटिंग में कर दिखाया है । यूँ तो रमेश अग्रवाल लोगों के साथ बद्तमीजियाँ करने को लेकर पहले से ही खासे कुख्यात हैं - और अब उन्होंने दिखा दिया है कि वह शरत जैन जैसे भले व्यक्ति को भी नहीं छोड़ेंगे ।
रमेश अग्रवाल की समस्या यह है कि उन्होंने मुकेश अरनेजा के साथ जो दुश्मनी मोल ले ली है, उसमें सतीश सिंघल का सहयोग/समर्थन मुकेश अरनेजा को मिलता दिखने के कारण रमेश अग्रवाल अपनी स्थिति को कमजोर पा रहे हैं । इस कमजोर नजर आ रही स्थिति को वह शरत जैन के सहयोग से ही मजबूत बनाने/करने की उम्मीद रखते हैं । सतीश सिंघल चूँकि रमेश अग्रवाल से बुरी तरह भड़के हुए हैं, और जब/जहाँ मौका मिलता है - रमेश अग्रवाल के प्रति अपना गुबार निकालने से परहेज नहीं करते हैं; इसलिए भी रमेश अग्रवाल को शरत जैन का सहारा चाहिए ही । और सिर्फ सहारा ही नहीं चाहिए - रमेश अग्रवाल को शरत जैन पूरी तरह अपनी मुट्ठी में चाहिए । रमेश अग्रवाल समझ रहे हैं कि शरत जैन को जेके गौड़ की तरह अपनी मुट्ठी में करके ही वह मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल से निपट सकते हैं । इसीलिए रमेश अग्रवाल नहीं चाहते हैं कि शरत जैन की टीम में मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल के नजदीकियों को कोई जगह मिले । इसीलिए, शरत जैन द्वारा तैयार की गई पेम वन के आमंत्रितों की सूची में रमेश अग्रवाल ने जब मुकेश अरनेजा के नजदीकियों को देखा, तो उनका गुस्सा भड़क उठा और अपने इस गुस्से को 'दिखाने' के लिए उन्होंने उचित मौके का इंतजार किया तथा क्लब की मीटिंग में उन्हें जब वह मौका मिलता हुआ नजर आया तो कई लोगों के सामने उन्होंने शरत जैन को लताड़ लगाने में देर नहीं लगाई ।
शरत जैन से हमदर्दी रखने वाले जिन लोगों को इस घटना की जानकारी मिली, उनका स्पष्ट रूप से मानना और कहना है कि शरत जैन यदि रमेश अग्रवाल की बद्तमीजियों से खुद को बचाना चाहते हैं तो उन्हें रमेश अग्रवाल के साथ वैसा ही सुलूक करना होगा, जैसा सुलूक मुकेश अरनेजा की बद्तमीजियों से बचने के लिए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अमित जैन ने किया था । लेकिन लाख टके का सवाल यही है कि अमित जैन जैसा साहस शरत जैन दिखा भी पायेंगे क्या ? अधिकतर लोगों का हालाँकि मानना और कहना है कि शरत जैन वैसा साहस नहीं दिखा पायेंगे और कुल मिलाकर अपने आप को 'दूसरा जेके गौड़' ही बना लेंगे ।