Thursday, August 6, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में पहले प्रेसीडेंट इलेक्ट और फिर प्रेसीडेंट पद की जिम्मेदारियों का खासे उत्साह व पूरी पूरी दिलचस्पी के साथ निर्वाह कर रहे पुनप्रीत सिंह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी रवि चौधरी की कारस्तानियों के कारण अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए मजबूर हुए; और डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के लालच में पूर्व गवर्नर दमनजीत सिंह भी चुपचाप तमाशा देखते रहे

नई दिल्ली । रवि चौधरी की हरकतों से परेशान होकर उनके क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली वेस्ट के अध्यक्ष पुनप्रीत सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है । क्लब की जिस मीटिंग में पुनप्रीत सिंह का इस्तीफा स्वीकार हुआ, करीब डेढ़ घंटा चली उस मीटिंग में रवि चौधरी ने इस्तीफे के कारणों की चर्चा तक नहीं होने दी - और बाद में अपनी हरकतों पर पर्दा डालने के उद्देश्य से उन्होंने अफवाह यह फैलाई कि पुनप्रीत सिंह क्लब के एक लाख रुपये लेकर भाग गए हैं । इस मामले में सबसे शर्मनाक भूमिका पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दमनजीत सिंह की रही, जिन्होंने उस मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए पुनप्रीत सिंह के इस्तीफे के कारणों पर चर्चा न होने देने के उद्देश्य से रवि चौधरी तथा उनके साथियों द्वारा मचाये जा रहे हुड़दंग को नियंत्रित करने का कोई प्रयास तक नहीं किया - और इस्तीफे के कारणों को मीटिंग के रिकॉर्ड पर नहीं आने दिया । दरअसल रवि चौधरी ने दमनजीत सिंह से वायदा किया हुआ है कि वह उन्हें अपने गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनायेंगे - डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद छिन न जाए, इसलिए दमनजीत सिंह ने रवि चौधरी के इरादे को चुपचाप पूरा होने दिया; और रवि चौधरी की हरकतें मीटिंग के रिकॉर्ड पर नहीं आ सकीं । 
क्लब में दूसरे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेशचन्द्र ने कुछेक जगह यह तो कहा है कि पुनप्रीत सिंह के साथ जो हुआ, वह अच्छा नहीं हुआ है - लेकिन इससे ज्यादा कुछ कहने/करने से उन्होंने भी बचने की कोशिश की । क्लब के ही सदस्यों का कहना है कि रमेशचन्द्र ने इतना जो कह दिया, वही बहुत है - इससे ज्यादा कुछ कहा तो उन्हें भी पता है कि रवि चौधरी और उनके हुड़दंगी साथी उन्हें भी क्लब से बाहर का रास्ता दिखा/दिखवा देंगे ।
रवि चौधरी को क्लब में अशोक कंतूर के रूप में एक पक्के वाले समर्थक भी मिल गए हैं । अशोक कंतूर ने अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार होने की तैयारी शुरू कर दी है - और उन्होंने मान लिया है कि उन्हें यदि कामयाब होना है तो उन्हें रवि चौधरी की हाँ में हाँ मिलानी ही होगी । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने के बाद रवि चौधरी की 'हैसियत' में जो इजाफा हुआ है, उससे रवि चौधरी की हरकतों में और तेजी ही आई है - और इस तेजी का पहला शिकार क्लब के अध्यक्ष पुनप्रीत सिंह बने हैं । रवि चौधरी यूँ तो अपनी हरकतों के लिए पहले से बदनाम रहे हैं, लेकिन उम्मीद की जा रही थी कि गवर्नर बनने की लाइन में आने के बाद उनमें जिम्मेदारी का भाव आयेगा और वह अपनी हरकतों को छोड़ना शुरू करेंगे । किंतु पुनप्रीत सिंह के साथ उन्होंने जो किया, उससे उन्होंने साबित किया है कि उनका 'सुधरना' मुश्किल ही है । 
पुनप्रीत सिंह की शिकायत रही कि रवि चौधरी ने शुरू से ही उन पर हावी होने की और उन्हें अपने इशारों पर नचाने की कोशिश की, और जब उन्होंने देखा कि उनकी कोशिशें सफल नहीं हो रही हैं - तो उन्होंने पुनप्रीत सिंह से चिढ़ना शुरू कर दिया और उन्हें जब तब अपमानित करने लगे । अध्यक्ष के रूप में पुनप्रीत सिंह की पहली ही मीटिंग में रवि चौधरी उपस्थित नहीं हुए । मीटिंग के बाद पुनप्रीत सिंह ने फोन करके जब उनसे कहा कि मेरी पहली मीटिंग में तो आपको आना चाहिए था, तो रवि चौधरी से उन्हें सुनने को मिला कि जब मैं तुम्हारे बारे में अच्छा सोच नहीं सकता, तो मैं अच्छा बोलता क्या, और इसलिए मैंने मीटिंग में न आना ही उचित समझा । रवि चौधरी के इस जबाव से ही उनकी घटिया सोच के स्तर को समझा/पहचाना जा सकता है । रवि चौधरी यदि अपने ही क्लब के अध्यक्ष के बारे में अच्छा नहीं सोच सकते थे, तो उन्होंने कभी भी क्लब में अध्यक्ष के कामकाज या रवैये को लेकर कोई शिकायत क्यों नहीं की थी ? अध्यक्ष के रूप में पुनप्रीत सिंह के कामकाज या रवैये को लेकर शिकायतरूपी कोई बात तो रवि चौधरी अब भी नहीं कह रहे हैं । दरअसल पुनप्रीत सिंह से उनकी खुन्नस का कारण सिर्फ यह रहा कि पुनप्रीत सिंह उनके कंट्रोल में नहीं आए, और उनके इशारों पर नाचने के लिए तैयार नहीं हुए । 
पुनप्रीत सिंह और रवि चौधरी के बीच मामला तब और बिगड़ गया, जब रवि चौधरी ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में दूसरे अध्यक्षों के बीच विनय भाटिया के पक्ष में माहौल बनाने की बात कही । इस पर पुनप्रीत सिंह ने रवि चौधरी से कहा कि वह विनय भाटिया को समझाएँ कि उनके व्यवहार के कारण अध्यक्षों के बीच उनके बारे में अच्छी राय नहीं है, और वह कुछेक नेताओं पर अपनी निर्भरता को छोड़ कर लोगों के तथा खासतौर से अध्यक्षों के बीच अपने लिए जगह बनाएँ । पुनप्रीत सिंह ने रवि चौधरी से साफ बता दिया कि अध्यक्षों के बीच अभी तो विनय भाटिया के प्रति समर्थन का कोई भाव नहीं है । यह सुनकर रवि चौधरी बुरी तरह भड़क गए और उन्होंने पुनप्रीत सिंह से साफ कह दिया कि जो अध्यक्ष विनय भाटिया का साथ नहीं देगा, उसे देख लिया जायेगा । लगता है कि अध्यक्षों को 'देख लेने' की शुरुआत रवि चौधरी ने अपने ही क्लब से शुरू कर दी है ! 
रवि चौधरी ने और या क्लब के किसी भी सदस्य ने अध्यक्ष के रूप में पुनप्रीत सिंह के कामकाज या रवैये पर कभी भी कोई ऊँगली नहीं उठाई । रवि चौधरी और अशोक कंतूर ने लेकिन तरह तरह से पुनप्रीत सिंह के काम में अड़चन पैदा करने, भिन्न भिन्न तरीकों से उन्हें परेशान व अपमानित करने का सिलसिला शुरू कर दिया । बुरी तरह से परेशान और निराश होकर पुनप्रीत सिंह ने जब अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की तो रवि चौधरी ने क्लब के सदस्यों पर दबाव बनाया कि कोई भी न तो पुनप्रीत सिंह से इस्तीफा देने का कारण पूछेगा और न ही उनसे पद पर बने रहने का अनुरोध करेगा । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दमनजीत सिंह की अध्यक्षता में पुनप्रीत सिंह के इस्तीफे को स्वीकार करने के लिए जो मीटिंग हुई, उसमें कुछेक लोगों ने इस्तीफे के कारण पर चर्चा करने की माँग की, लेकिन रवि चौधरी और उनके संगी-साथियों ने इस माँग का पुरजोर विरोध किया । मजे की बात यह रही कि करीब डेढ़ घंटा चली मीटिंग में पुनप्रीत सिंह के इस्तीफे के कारणों पर चर्चा नहीं हुई, बल्कि इस बात पर चर्चा हुई कि कारणों पर चर्चा हो या न हो । अंततः जीत रवि चौधरी की ही हुई । यह जीत उन्हें प्राप्त करना ही थी, क्योंकि यदि पुनप्रीत सिंह के इस्तीफे के कारणों की चर्चा हो जाती - तो रवि चौधरी की कारस्तानियों की पोल खुल जाती ।
रवि चौधरी को लगता है कि उन्होंने अपनी कारस्तानियों की पोल को खुलने से बचा लिया है - पर सचमुच ऐसा हुआ कहाँ ?  डिस्ट्रिक्ट में लोगों को भले ही यह डिटेल्स न पता हों कि जो पुनप्रीत सिंह खासे उत्साह और पूरी पूरी दिलचस्पी के साथ पिछले कुछेक महीनों से पहले प्रेसीडेंट इलेक्ट और फिर प्रेसीडेंट पद की जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे थे; वह अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए आखिर मजबूर क्यों हुए; और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी रवि चौधरी ने क्लब की मीटिंग में उनके इस्तीफे के कारणों की चर्चा आखिर होने क्यों नहीं दी - किंतु लोगों के बीच यह चर्चा तो अवश्य ही छिड़ गई है कि रवि चौधरी जब अपने क्लब में ही काम करने वाले पदाधिकारियों को परेशान करने तथा उन्हें अपमानित करने के काम में लग गए हैं, तो फिर अपनी हरकतों से डिस्ट्रिक्ट में क्या गंद मचायेंगे ?