Monday, August 3, 2015

रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन जब उदयपुर में राजा साबू से मिलेंगे तो क्या उनसे यह कहने का साहस करेंगे कि जब उनके जैसे वरिष्ठ लोग ही रोटरी में चुनावी आग भड़कायेंगे, तो फिर रोटरी में चुनावी झगड़ों पर लगाम कैसे लगेगी ? और क्या वह राजा साबू को अपनी वह चिट्ठी पढ़वाने की कोशिश करेंगे, जो उन्होंने क्लब-अध्यक्षों को लिखी है ?

उदयपुर । रोटरी क्लब उदयपुर मीरा द्वारा कुछेक अन्य क्लब के सहयोग से होटल शौर्यगढ़ में होस्ट की जा रही 4 अगस्त की इंटरसिटी मीटिंग में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन जब अपना भाषण दे रहे होंगे और उस भाषण को दूसरे लोगों के साथ पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू भी सुन रहे होंगे, तो वह क्षण 'विरोधाभासों के आमने-सामने होने' का एक विलक्षण क्षण होगा । केआर रवींद्रन व राजा साबू के इस समय आमने-सामने होने को 'विरोधाभासों के आमने-सामने होने' के रूप में इसलिए देखा जा रहा है - क्योंकि ये दोनों इस समय रोटरी को लेकर परस्पर विरोधी रवैया अपनाए हुए हैं : एक तरफ केआर रवींद्रन रोटरी में चुनाव संबंधी समस्याओं से दो-चार होते हुए भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका के क्लब-अध्यक्षों को चुनावी प्रक्रिया में हिस्सेदारी निभाने को लेकर हतोत्साहित कर रहे हैं; तो दूसरी तरह राजा साबू अपने ही डिस्ट्रिक्ट में चुनावी लड़ाई को संभव बनाने के लिए तन-मन से क्लब-अध्यक्षों को प्रोत्साहित करने में लगे हुए हैं । मौजूदा प्रेसीडेंट और भूतपूर्व प्रेसीडेंट के इस परस्पर विरोधी रवैये की टाइमिंग भी बिलकुल मैच करती है । केआर रवींद्रन ने करीब करीब जुलाई के दूसरे सप्ताह से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका के क्लब-अध्यक्षों को चुनावी प्रक्रिया के प्रति आगाह करते हुए पत्र भेजना शुरू किया; और ठीक इसी समय राजा साबू ने अपने डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर्स की फौज अपने डिस्ट्रिक्ट में चुनावी झमेला खड़ा करने के लिए उतार दी । राजा साबू के दिशा-निर्देशन में दूसरे पूर्व गवर्नर्स के साथ साथ निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक, मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन, पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास और खुद राजा साबू चुनावी प्रक्रिया को खुले आम प्रोत्साहित करने तथा संभव बनाने में जुट गए हैं । 
राजा साबू ने बता/दिखा दिया है कि रोटरी में चुनावी झमेलों को लेकर व्यक्त की जा रहीं केआर रवींद्रन की चिंताओं की उन्हें कोई परवाह नहीं है; और चुनावी झमेलों को रोकने के लिए केआर रवींद्रन जो उपाय तय कर रहे हैं, उन्हें उनकी भी चिंता नहीं है । मजे की बात यह है कि ऐसा करके राजा साबू सिर्फ केआर रवींद्रन की ही फजीहत नहीं कर रहे हैं, बल्कि अपनी खुद की फजीहत भी कर रहे हैं । कुछ दिन पहले तक खुद राजा साबू ही उपदेश दिया करते थे कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए चुनाव की नौबत नहीं आने देना चाहिए, और नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी के रूप में स्वीकार कर लेना चाहिए । नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज करने तथा चेलैंज को समर्थन देने का राजा साबू बड़ा विरोध किया करते थे । दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में भाषण देते हुए राजा साबू जब तब अपने डिस्ट्रिक्ट में अधिकृत उम्मीदवार के चेलैंज न होने को लेकर अपनी ही पीठ थपथपाते रहते थे । लेकिन अब उन्हीं राजा साबू ने अपने डिस्ट्रिक्ट में चुने गए अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ न सिर्फ मोर्चा खोल दिया है, बल्कि मोर्चे की अगुवाई करने लगे हैं । नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज करने वाले उम्मीदवार को कॉन्करेंस दिलवाने में राजा साबू ने न सिर्फ पूर्व गवर्नर्स की ड्यूटी लगाई, बल्कि खुद भी ड्यूटी निभाई । दरअसल राजा साबू अभी तक पर्दे के पीछे से चालें चल रहे थे - लेकिन मात पर मात खाए जा रहे थे; जिससे उन्होंने समझ लिया कि अब उन्हें पर्दा हटा कर खुद ही मोर्चा सँभालना होगा । इसे रोटरी की बदकिस्मती ही कहा जायेगा कि जिस समय मौजूदा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट माहौल को सुधारने तथा रोटरी की छवि को दाग-धब्बों से बचाने की चिंता और प्रयास कर रहा है, ठीक उसी समय एक पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट माहौल को बिगाड़ने तथा रोटरी की छवि पर कीचड़ मलने के काम में अपनी सारी ऊर्जा लगा रहा है । 
केआर रवींद्रन और राजा साबू जो कर रहे हैं, वह अपने आप में हालाँकि कोई नई बात नहीं है - लेकिन जिस तरीके से कर रहे हैं, वह अपने आप में विलक्षण जरूर है । रोटरी में हर इंटरनेशनल प्रेसीडेंट रोटरी में सद्भाव बनाए रखने की और चुनावी झगड़ों में न पड़ने की सलाह देता ही है, और प्रायः हर पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजनीति भी करता है - लेकिन रोटरी के 110 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट क्लब-अध्यक्षों को संबोधित करते हुए पत्र लिख कर चुनावी झमेलों से आगाह करे, उन्हें चेतावनी दे और सख्त कार्रवाई करने की धमकी दे; और इसी के साथ 110 वर्षों के इतिहास में शायद यह भी कभी नहीं हुआ होगा कि एक पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट अपनी सारी मर्यादा को ताक पर रख कर पूरी बेशर्मी के साथ चुनावी झगड़े को न सिर्फ प्रोत्साहित करे, बल्कि उसका सक्रिय हिस्सा और सरगना बन जाए । राजा साबू नियम-कानून की और आदर्श की ऊँची ऊँची बातें करते हुए शराफत का चोला तभी तक पहने हुए थे, जब तक उनकी इच्छा के अनुरूप काम हो रहे थे; इस बार लेकिन जैसे ही उनकी इच्छा के विपरीत काम हुआ, राजा साबू ने शराफत का चोला उतारने में जरा भी देर नहीं लगाई ।
राजा साबू को अपने ही डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दरअसल पिछले रोटरी वर्ष में तब झटका लगा, जब डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में नोमीनेटिंग कमेटी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के अधिकृत उम्मीदवार के रूप में रोटरी क्लब हिमालयन रेंजेस के टीके रूबी को चुन लिया । राजा साबू इस चुनाव से इतना भड़के कि षड्यंत्रपूर्ण तरीके से उन्होंने इस चुनाव को ही निरस्त करवा दिया । रोटरी क्लब हिमालयन रेंजेस ने इस निरस्तीकरण के खिलाफ रोटरी इंटरनेशनल में अपील की । राजा साबू ने इस अपील के समर्थन में दी गईं कॉन्करेंस को वापस कराने लिए पूर्व गवर्नर्स की फौज को मैदान में उतार दिया, जिससे कि अपील स्वतः खारिज हो जाए और विचार के लिए स्वीकार ही न हो । राजा साबू को दूसरा झटका यह लगा कि उनकी पूरी फौज एक भी कॉन्करेंस को वापस नहीं करवा सकी और उक्त अपील विचार के लिए स्वीकार हो गई । तब राजा साबू ने उक्त अपील पर सुनवाई करने वाली कमेटी के सदस्यों को प्रभावित करके अपील को खारिज कराने का प्रयास किया, लेकिन वहाँ भी उन्हें मुँह की खानी पड़ी । रोटरी इंटरनेशनल ने टीके रूबी के चुनाव को सही ठहराते हुए आगे की चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने का फैसला सुनाया । रोटरी इंटरनेशनल के इस फैसले ने पर्दे के पीछे से की जा रही राजा साबू की राजनीति की सारी हवा निकाल दी । हवा निकली तो राजा साबू ने शराफत का चोला भी उतार फेंका; उन्होंने समझ लिया कि उनके पर्दे के पीछे रहने से काम नहीं चलेगा - और तब वह पर्दा हटा कर मैदान में सीधे उतर आए । अपनी इज्जत का वास्ता देकर राजा साबू ने चेलैंजर उम्मीदवार के पक्ष में कॉन्करेंस इकट्ठा करवाईं । चेलैंजर उम्मीदवार के पक्ष में कितनी कॉन्करेंस इकट्ठा हुई हैं, इसकी डिस्ट्रिक्ट के लोगों को अभी कोई आधिकारिक जानकारी तो नहीं मिली है - लेकिन चर्चा है कि 45 से 50 के बीच क्लब्स की कॉन्करेंस जुटा ली गईं हैं, जिनमें पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजा साबू तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास के क्लब की भी कॉन्करेंस हैं । 
इसे रोटरी के लिए दुर्भाग्य का समय ही माना/कहा जायेगा कि मौजूदा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन क्लब-अध्यक्षों को चुनावी राजनीति से बचने व दूर रहने की सलाह दे रहे हैं, किंतु ठीक उसी समय एक पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजा साबू अपने डिस्ट्रिक्ट में चुनावी राजनीति के लिए मंच तैयार करने में जुटे हुए हैं । केआर रवींद्रन और राजा साबू ने चुनाव संबंधी जो परस्पर विरोधी स्टैंड लिए है, वह स्टैंड लेने के बाद दोनों एक दूसरे के सामने पहली बार अब उदयपुर में पड़ेंगे । डिस्ट्रिक्ट 3052 की इंटरसिटी मीटिंग में दोनों ही ऊँची ऊँची बातें तो हाकेंगे ही, उसके अलावा भी उदयपुर में दो-ढाई दिन रहते हुए वह रोटरी की समस्याओं पर बातें करेंगे । वह क्या बातें करेंगे, यह तो वह जानें - लेकिन रोटेरियंस क्या यह उम्मीद करें कि केआर रवींद्रन, राजा साबू से यह कहने का साहस करेंगे कि जब उनके जैसे वरिष्ठ लोग ही रोटरी में चुनावी आग भड़कायेंगे, तो फिर रोटरी में चुनावी झगड़ों पर लगाम कैसे लगेगी ? केआर रवींद्रन क्या राजा साबू को अपनी वह चिट्ठी पढ़वाने की कोशिश करेंगे, जो उन्होंने क्लब-अध्यक्षों को लिखी है ?
केआर रवींद्रन की चिट्ठी जो कोई पढ़ना चाहे, वह यहाँ पढ़ सकता है :