Friday, July 31, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की फरीदाबाद ब्रांच में जिस तरह से पैसों के घपलों और लूट-खसोटों की बातें सामने आ रही हैं, और उनमें विजय गुप्ता व उनके नजदीकियों की मिलीभगत के संकेत मिल रहे हैं - उस पर पर्दा डालने की जिम्मेदारी क्या प्रेसीडेंट मनोज फडनिस ने सचमुच ले ली है

फरीदाबाद । विजय गुप्ता ने इंस्टीट्यूट की फरीदाबाद ब्रांच के चेयरमैन संतोष अग्रवाल तथा सेक्रेटरी प्रदीप कौशिक को भरोसा दिया है कि उन्होंने इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट मनोज फडनिस को पूरी तरह से सेट कर लिया है कि वह तीन अगस्त की मीटिंग के उनके एजेंडे में कोई रूकावट पैदा करने के बारे में सोचेंगे भी नहीं ।उल्लेखनीय है कि फरीदाबाद ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी की तीन अगस्त की प्रस्तावित मीटिंग का प्रमुख एजेंडा ब्रांच के बैंक एकाउंट्स से पैसा निकालने की प्रक्रिया में ट्रेजरार की भूमिका को वैकल्पिक बना देने का नियम पास कराना है । मौजूदा नियम के अनुसार, बैंक से पैसा निकालने में ट्रेजरार की भूमिका जरूरी है, और उसके साथ चेयरमैन या सेक्रेटरी के हस्ताक्षर होने की व्यवस्था है । तीन अगस्त की प्रस्तावित मीटिंग के एजेंडे में चेयरमैन की भूमिका को जरूरी बना देने तथा सेक्रेटरी व ट्रेजरार की भूमिका को वैकल्पिक कर देने की तैयारी है । फरीदाबाद ब्रांच के ट्रेजरार डीसी गर्ग ने इस तैयारी को इंस्टीट्यूट के मान्य निर्देशों का उल्लंघन करने तथा ब्रांच के पैसों का मनमाने तरीके से दुरूपयोग करने के लिए रास्ता बनाने के प्रयास के रूप में रेखांकित किया है; तथा इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट मनोज फडनिस से गुहार लगाई है कि वह हस्तक्षेप करके फरीदाबाद ब्रांच में बैंक एकाउंट्स की देखभाल में छेड़खानी करने की इस तैयारी को सफल न होने दें । इस संबंध में डीसी गर्ग ने मनोज फडनिस को तथ्यों का विस्तार से हवाला देते हुए एक लंबा पत्र लिखा है, जिसमें बताया गया है कि किस तरह से ब्रांच के चेयरमैन और सेक्रेटरी ब्रांच के पैसों का मनमाना इस्तेमाल करना चाहते हैं - जिसमें ट्रेजरार के रूप में चूँकि वह बाधा बन रहे हैं, इसलिए अब वह उन्हें ही रास्ते से हटा देना चाहते हैं । 
मनोज फडनिस को संबोधित अपने पत्र की प्रति डीसी गर्ग ने चूँकि इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल, रीजनल काउंसिल के सदस्यों तथा फरीदाबाद के लोगों को भी भेजी है - इसलिए फरीदाबाद ब्रांच में पैसों की 'लूट-खसोट की व्यवस्था' बनाने की तैयारी पर थोड़ा दबाव महसूस किया जा रहा है । इस दबाव के कारण ब्रांच के चेयरमैन संतोष अग्रवाल और सेक्रेटरी प्रदीप कौशिक कहीं कमजोर न पड़ जाएँ, इसलिए उन्हें ढ़ाढ़स देने के लिए विजय गुप्ता को खुद सामने आना पड़ा है । विजय गुप्ता इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के सदस्य हैं, और इस नाते से वह फरीदाबाद की ब्रांच में एक्सऑफिसो सदस्य हैं । फरीदाबाद ब्रांच को अपने कब्जे में रखने के लिए वह ब्रांच के पदाधिकारियों के चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाते हैं - और भूमिका निभाने की प्रक्रिया में जब भी जरूरत होती है, तब वह पर्दे के सामने आने में भी नहीं हिचकते हैं । ब्रांच के चेयरमैन के चुनाव में जब उन्हें लगता है कि उनके वोट के बिना उनके उम्मीदवार के लिए चुनाव जीतना मुश्किल होगा, तब वह ब्रांच के चुनाव में अपना वोट डालने के लिए आगे आ जाते हैं । इंस्टीट्यूट की महान आदर्श परंपरा में इसे अच्छा नहीं माना जाता है - लेकिन विजय गुप्ता प्रोफेशन व इंस्टीट्यूट की महान आदर्श परंपराओं की बजाए अपने स्वार्थों को तवज्जो देते हैं; और जब कभी आदर्श परंपराएँ उनके स्वार्थ में बाधा बनती हैं, तो वह उन्हें कुचल कर अपने स्वार्थ पूरे करते हैं । फरीदाबाद ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी की तीन अगस्त की मीटिंग के मुख्य एजेंडा के मास्टर माइंड के रूप में विजय गुप्ता को ही देखा/पहचाना जा रहा है । दरअसल इसीलिए इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट मनोज फडनिस को लिखे डीसी गर्ग के पत्र के कारण उक्त एजेंडे के खतरे में पड़ने के संकेत मिले, तो विजय गुप्ता पर्दा हटा कर सामने आ गए हैं । 
विजय गुप्ता ने उक्त एजेंडे को सफल बनाने की तैयारी में लगे फरीदाबाद ब्रांच के चेयरमैन संतोष अग्रवाल व सेक्रेटरी प्रदीप कौशिक को तो आश्वस्त किया ही है कि उन्हें मनोज फडनिस की तरफ से डरने की जरूरत नहीं है; फरीदाबाद के अपने दूसरे समर्थकों को भी बताया है कि डीसी गर्ग बेकार में ही अपनी एनर्जी और समय खराब कर रहे हैं - उन्हें नहीं पता कि मनोज फडनिस फरीदाबाद के किसी मामले में उनके खिलाफ कोई काम कर ही नहीं सकते हैं । विजय गुप्ता लोगों को याद दिला रहे हैं कि पिछले वर्ष ब्रांच के तत्कालीन सेक्रेटरी विपिन मंगला ने तत्कालीन प्रेसीडेंट को ऑडीटोरियम से संबंधित घपलों का हवाला देते हुए खर्चों का ऑडिट कराने के लिए पत्र लिखा था, जिसका लेकिन उन्हें आज तक जबाव भी नहीं मिला है । उल्लेखनीय है कि ब्रांच की बिल्डिंग कमेटी के चेयरमैन के रूप में विजय गुप्ता पर उन घपलों में शामिल होने का आरोप है । विजय गुप्ता का दावा है कि जैसे विपिन मंगला की माँग पर इंस्टीट्यूट का प्रेसीडेंट ऑफिस चुप बना रहा है, वैसे ही डीसी गर्ग को भी प्रेसीडेंट ऑफिस से कोई जबाव नहीं मिलेगा । विजय गुप्ता का कहना है कि प्रेसीडेंट के पद पर चाहें कोई भी बैठा हो, किसी में उनके खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर की बात, उनके खिलाफ हुई शिकायत का संज्ञान लेने तक की हिम्मत नहीं है । विजय गुप्ता का कहना है कि फरीदाबाद से और खासतौर से उनसे संबंधित मामलों में इंस्टीट्यूट का प्रेसीडेंट उन्हें ही समझा/माना जाए । लोगों का कहना है कि इस तरह की बातों से विजय गुप्ता दरअसल अपने नजदीकियों और समर्थकों का हौंसला बनाये रखने का प्रयास कर रहे हैं । फरीदाबाद ब्रांच में जिस तरह से पैसों के घपलों और लूट-खसोटों की बातें सामने आ रही हैं, और उनमें विजय गुप्ता व उनके नजदीकियों की मिलीभगत के संकेत मिल रहे हैं - उससे विजय गुप्ता के सामने अपने नजदीकियों व समर्थकों के उखड़ने/बिदकने का खतरा पैदा हो गया है । इसलिए उन्हें जरूरी लग रहा है कि वह अपने नजदीकियों व समर्थकों को विश्वास दिलाएँ कि इंस्टीट्यूट का प्रेसीडेंट पूरी तरह उनकी 'पकड़' में है ।
फरीदाबाद ब्रांच में बैंक से पैसे निकालने की प्रक्रिया से ट्रेजरार को अलग कर देने की कार्रवाई को जरूरी बताते हुए ब्रांच के चेयरमैन संतोष अग्रवाल व सेक्रेटरी प्रदीप कौशिक ने तर्क दिया है कि ट्रेजरार के रूप में डीसी गर्ग ने कई भुगतान करने से इंकार कर दिया है, जिस कारण ब्रांच के संचालन में बाधा पड़ रही है । उनका कहना है कि यह कदम उन्होंने बहुत मजबूरी में उठाया है, क्योंकि डीसी गर्ग के रवैये के चलते ब्रांच में कामकाज कर पाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव होता जा रहा है । डीसी गर्ग ने लेकिन प्रेसीडेंट मनोज फडनिस को लिखे अपने विस्तृत पत्र में बताया है कि उन्होंने अधिकतर भुगतान किए ही हैं, और जो कुछेक भुगतान रोके हैं - वह ऐसे मामले हैं जिनमें नियम-कानूनों का पालन नहीं किया गया है और जो खर्चे संदेहास्पद हैं । डीसी गर्ग का कहना है कि ऐसे मामलों में भी उन्होंने सुझाव दिया है कि इन मामलों में ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी के सभी सदस्यों की सलाह लेकर फैसला किया जाए । डीसी गर्ग का कहना है कि ब्रांच के खर्चों को लेकर इंस्टीट्यूट के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं, जिनका पालन हर हाल में होना ही चाहिए; और यदि कहीं थोड़ा इधर-उधर होने की जरूरत हो तो ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी के सदस्यों को विश्वास में लेकर ही खर्चों का फैसला करना चाहिए । डीसी गर्ग का कहना है कि ट्रेजरार के रूप में उन्होंने सिर्फ उन्हीं खर्चों के भुगतान को करने से इंकार किया है, जिन खर्चों में न तो नियम-कानून व दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है, और न ही ब्रांच की सामूहिक भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है । डीसी गर्ग का कहना है कि वह ब्रांच के खर्चों में पारदर्शिता रखने की बात कर रहे हैं, और उनकी यह बात चेयरमैन व सेक्रेटरी तथा 'उनके आका' को इतनी बुरी लग रही है कि वह उन्हें प्रक्रिया से ही अलग कर देने पर आमादा हो गए हैं । इसे बिडंवना ही कहा जायेगा कि चार्टर्ड एकाउंटेंट जैसे प्रोफेशन की संस्था में हिसाब-किताब में पारदर्शिता बनाये रखने की बात को दबाने के लिए संस्था की सर्वोच्च कमेटी के एक सदस्य - विजय गुप्ता ने कमर कस ली है । यह देखना दिलचस्प होगा कि इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट मनोज फडनिस इस मामले में न्याय कर पायेंगे और या विजय गुप्ता के 'दावे' को सही साबित करेंगे ।