Friday, July 10, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के बोर्ड सदस्यों द्वारा सर्वसम्मत फैसले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए सुभाष जैन को क्लब का अधिकृत उम्मीदवार घोषित करने तथा उनकी उम्मीदवारी को क्लब की इज्जत व प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लेने से चुनावी समीकरणों में उलटफेर होने की संभावना बढ़ी

गाजियाबाद । रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के बोर्ड ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए सुभाष जैन की उम्मीदवारी को जिस सहजता के साथ हरी झंडी दे दी है, उसने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को हैरान किया है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को आशंका व उम्मीद थी कि क्लब में चूँकि सुभाष जैन के साथ-साथ योगेश गर्ग ने भी उम्मीदवारी का दावा ठोका हुआ है, इसलिए क्लब में उम्मीदवारी का निर्णय आराम से और जल्दी से तो नहीं ही हो पायेगा - और निर्णय लेने की प्रक्रिया में दोनों उम्मीदवारों व उनके समर्थकों की तरफ से क्लब में खूब पटाखेबाजी होगी । उम्मीदवारी के मुद्दे पर रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल में पटाखेबाजी व तमाशाबाजी होती देखने की प्रतीक्षा कर रहे लोगों को यह जानकर लेकिन भारी निराशा हुई है कि क्लब के लोगों ने दूसरों को मजा लेने का तथा क्लब की फजीहत करने का मौका नहीं दिया और बहुत ही मैच्योर तरीके से एक मुश्किल दिख रहा फैसला सहजता से ले लिया । इस फैसले से नहीं, बल्कि सौहार्दपूर्ण माहौल में फैसला होने से उन लोगों को तगड़ा झटका लगा है जो उम्मीद कर रहे थे कि उम्मीदवारी के फैसले को लेकर सुभाष जैन और योगेश गर्ग अपने अपने समर्थकों के साथ एक दूसरे पर कीचड़ उछालेंगे और तमाशाबाजी करेंगे - जिसमें उन्हें मजा लेने का मौका मिलेगा । डिस्ट्रिक्ट के कई लोगों का कहना है कि उन्हें सचमुच उम्मीद नहीं थी कि सुभाष जैन और योगेश गर्ग के बीच उम्मीदवारी को लेकर चलती दिख रही होड़ इतनी आसानी से और क्लब के सदस्यों के बीच सौहार्द बनाए रखते हुए किसी नतीजे पर पहुँच सकेगी । रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल की डिस्ट्रिक्ट में एक खास पहचान रही है : क्लब के वरिष्ठ सदस्यों में कभी कभी खटपट सुनाई देती रही है, और उनके बीच एक-दूसरे के प्रति जाहिर होने वाली शिकायतें सार्वजनिक चर्चा का विषय भी बनी हैं - लेकिन अपने बीच की नाराजगियों और शिकायतों को क्लब के सदस्य बहुत ही गरिमापूर्ण तरीके से हल करते रहे हैं; और उन्होंने क्लब की साख व प्रतिष्ठा पर कभी आँच नहीं आने दी । इस बार का 'झगड़ा' लेकिन थोड़ा बड़ा और गंभीर था - और इसलिए ही दूसरे लोगों को लग रहा था कि क्लब के सदस्यों के लिए इस बार क्लब की साख व प्रतिष्ठा को बचा पाना मुश्किल ही होगा । लेकिन क्लब के सदस्यों ने दिखा दिया कि बात अगर क्लब की साख व प्रतिष्ठा को बचाने की होगी - तो उनके लिए कुछ भी करना मुश्किल नहीं होगा । 
उल्लेखनीय है कि सुभाष जैन की उम्मीदवारी को हरी झंडी देने का फैसला क्लब की जिस बोर्ड मीटिंग में हुआ, उस बोर्ड मीटिंग में योगेश गर्ग के नजदीकी व समर्थक के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले सदस्य भी थे, और उन्होंने योगेश गर्ग की उम्मीदवारी के लिए वकालत भी की - किंतु जब उन्हें लगा कि उनके तर्क कमजोर पड़ रहे हैं तो फिर उन्होंने सुभाष जैन के पक्ष में हामी भरने में भी देर नहीं लगाई । योगेश गर्ग के इन नजदीकियों और समर्थकों से भी ज्यादा मैच्योर रवैया क्लब के अध्यक्ष आशीष गर्ग ने दिखाया । आशीष गर्ग को सुभाष जैन के 'आदमी' के रूप में देखा/पहचाना जाता है; उनके बारे में यह भी प्रचलित है कि वह जो कहना/करना चाहते हैं उसे किसी की परवाह किए बिना दो-टूक ढंग से कह/कर देते हैं । इस 'ख्याति' के चलते आशंका यह व्यक्त की जा रही थी कि सुभाष जैन की उम्मीदवारी को क्लियर कराने के लिए आशीष गर्ग कहीं ऐसा कुछ न कर बैठें जिससे झमेला खड़ा हो जाए । अपनी 'ख्याति' के विपरीत आशीष गर्ग ने लेकिन बहुत ही संयम का परिचय दिया और वह कोई पक्ष लेने से बचते हुए ही दिखे । योगेश गर्ग और सुभाष जैन के समर्थकों के इस संयमी और मैच्योर व्यवहार ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए क्लब में चल रही उम्मीदवारी की होड़ में सुभाष जैन को जितवाने या योगेश गर्ग को हरवाने का काम नहीं किया - बल्कि क्लब को और रोटरी को 'जितवाया' है । 
रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल की मौजूदा वर्ष की पहली बोर्ड मीटिंग में उम्मीदवारी के मुद्दे पर फैसला करना दरअसल इसलिए जरूरी हो गया था, क्योंकि पिछले रोटरी वर्ष की अंतिम बोर्ड मीटिंग में योगेश गर्ग ने क्लब की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति गुप्ता से इस बात पर अपनी नाराजगी दिखाई थी कि उन्हें उम्मीदवारी के जो आवेदन मिले - उससे क्लब के बोर्ड के सदस्यों को अवगत कराने का काम उन्होंने नहीं किया और इस तरह उन्होंने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं किया । स्वाति गुप्ता का कहना था कि उम्मीदवारी के जो दो आवेदन उन्हें मिले, वह चूँकि अगले रोटरी वर्ष के लिए थे - इसलिए उन्होंने उन पर कोई कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं समझी; और ऐसा करके उन्होंने यदि कोई गलती की है, तो इसे अनजाने में हुई गलती समझा जाए और इसके लिए वह माफी माँगती हैं । योगेश गर्ग ने उन्हें माफ तो कर दिया, लेकिन उन्हें यह सुझाव भी दिया कि अपना अध्यक्ष-काल पूरा होने पर वह अगले अध्यक्ष को उम्मीदवारी के दोनों आवेदन सौंपे और उस पर जल्दी कार्रवाई करने की सिफारिश करें । स्वाति गुप्ता ने 30 जून और या एक जुलाई को जब अध्यक्ष पद आशीष गर्ग को हस्तांतरित किया तो कवरिंग लैटर में योगेश गर्ग द्वारा दिए गए सुझावों को लिख दिया । आशीष गर्ग ने भी अध्यक्ष के रूप में पहला काम वह किया, जिसे करीब ढाई महीने तक न करने और लटकाये रखने के लिए योगेश गर्ग ने स्वाति गुप्ता से नाराजगी व्यक्त की थी । क्लब के बोर्ड के अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में रोटरी इंटरनेशनल ने अपने संविधान के आर्टिकल 10 के सैक्शन 1, सैक्शन 2 और सैक्शन 3 में जो नियम प्रतिपादित किए हैं - उनका अक्षर-अक्षर पालन करते हुए रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के बोर्ड ने अपनी पहली मीटिंग में उम्मीदवारी के मुद्दे पर चर्चा की और एकमत से सुभाष जैन की उम्मीदवारी के पक्ष में फैसला किया । 
उम्मीदवारी पर चर्चा करने बैठे रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के बोर्ड सदस्यों के सामने प्रमुख रूप से दो सवाल थे : एक यह कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए क्लब की तरफ से उम्मीदवारी प्रस्तुत की जाए या नहीं; और दूसरा सवाल यह कि यदि क्लब की तरफ से उम्मीदवारी प्रस्तुत की जानी है तो किसकी उम्मीदवारी प्रस्तुत करें ? पहला सवाल दरअसल इसलिए चर्चा में लिया गया क्योंकि क्लब में भी और क्लब के बाहर के कुछेक लोगों के बीच भी यह चर्चा सुनी गई थी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के चक्कर में क्लब में झगड़ा पैदा हो रहा है और क्लब की बदनामी हो रही है, इसलिए बेहतर यह होगा कि इस चक्कर से दूर ही रहा जाए । बोर्ड मीटिंग में हालाँकि किसी ने भी इस तर्क का समर्थन नहीं किया । सभी की रजामंदी इस बात को लेकर थी कि क्लब में जब दो दो वरिष्ठ सदस्य उम्मीदवारी प्रस्तुत कर रहे हैं, तब उम्मीदवारी से पीछे हटने में क्लब की ज्यादा बदनामी होगी । सभी ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि यह ठीक है कि उम्मीदवारी के चलते बहुत सी ऐसी अप्रिय बातें हो रही हैं तथा ऐसी समस्याएँ खड़ी हो रही हैं, जो क्लब की साख व प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं हैं - किंतु क्लब उन बातों और समस्याओं का सामना करने तथा आपस में मिलबैठ कर उन्हें हल करने की बजाये, उनसे बचने और मुँह छिपाने की कोशिश करेगा तो अपनी साख व प्रतिष्ठा को खोयेगा । बोर्ड मीटिंग में सभी ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि हम लोग भी और क्लब के दूसरे सदस्य भी मैच्योर लोग हैं और अपने झगड़ों को आपस में बातचीत करके हल कर सकते हैं; इसलिए जो भी झगड़े हैं उन्हें हल कर लेने का विश्वास रखते हुए क्लब को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करना चाहिए । ऐसा करना इसलिए भी जरूरी समझा गया कि क्लब में झगड़े की बात फैला कर क्लब के बाहर के जो लोग क्लब को बदनाम कर रहे हैं, तथा क्लब को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की होड़ से बाहर करने का षड्यंत्र कर रहे हैं, उन्हें उचित जबाव दिया जा सके । 
क्लब की तरफ से उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का फैसला तो आराम से हो गया, किंतु उम्मीदवारी योगेश गर्ग और सुभाष जैन में से किसकी प्रस्तुत हो - यह फैसला करना थोड़ा पेचीदा काम था । मीटिंग में मौजूद एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि उम्मीदवार को लेकर बातचीत जब शुरू हुई, तो माहौल में थोड़ी गर्मी पैदा हो गई थी । ऐसा लगा जैसे योगेश गर्ग और सुभाष जैन के समर्थक अपनी अपनी तरफ से पूरी तैयारी करके मीटिंग में आए थे । योगेश गर्ग के समर्थकों ने क्लब में और रोटरी में योगेश गर्ग के लंबे योगदान का हवाला देते हुए तर्क दिया कि डिस्ट्रिक्ट में योगेश गर्ग की बड़ी पहचान है, और डिस्ट्रिक्ट के कई बड़े नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध हैं - इसलिए उनकी उम्मीदवारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए । सुभाष जैन के समर्थकों का कहना रहा कि डिस्ट्रिक्ट में बेशक योगेश गर्ग की बड़ी पहचान है, लेकिन हाल-फिलहाल की उनकी गतिविधियों को देखें तो लगता है कि रोटरी में उन्हें जो कुछ करना था उसे वह कर चुके हैं तथा आगे रोटरी के लिए ज्यादा कुछ करने का उनमें पहले जैसा उत्साह बचा नहीं रह गया है, जबकि सुभाष जैन ने अपनी सक्रियता से यह दिखाया/जताया है कि उनमें रोटरी के लिए बहुत कुछ करने का हौंसला अभी बाकी है और क्लब उनमें अपना भविष्य देख/पा सकता है । इस बात के पक्ष में सुभाष जैन के रोटरी फाउंडेशन की ऑर्च क्लम्प सोसायटी के सदस्य बनने का जिक्र किया गया, जिसके लिए सुभाष जैन को इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की प्रशंसा तो मिली ही, साथ ही मनोज देसाई ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर सुभाष जैन को प्रमुखता से स्थान भी दिया और उनकी तस्वीर लगाई । इस पर योगेश गर्ग की वकालत करने वालों ने टिप्पणी की कि यह काम तो सुभाष जैन ने अपनी उम्मीदवारी की हवा बनाने के लिए किया; जिसका सुभाष जैन के समर्थकों ने तुरंत जबाव दिया कि यदि इसे सच भी मान लिया जाए, तो इसमें गलत क्या है ? 
सुभाष जैन के समर्थकों ने यह तथ्य भी बताया कि सुभाष जैन ने पिछले रोटरी वर्ष में जब अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत नहीं की थी, तब भी उन्होंने दो हजार डॉलर रोटरी फाउंडेशन में दिए थे और साथ ही घोषणा भी की थी कि क्लब को अपने लक्ष्य तक पहुँचने में कुछ कमी पड़ेगी, तो वह उस कमी को भी पूरा करेंगे । इसलिए यह कहना झूठा प्रचार है कि सुभाष जैन जो कर रहे हैं, वह सिर्फ अपनी उम्मीदवारी को ध्यान में रखकर कर रहे हैं । सुभाष जैन जब उम्मीदवार नहीं थे, तब भी वह रोटरी का 'काम' कर रहे थे; और जब उम्मीदवार बने, तब और जोरशोर से रोटरी का काम करने लगे । किसी भी उम्मीदवार को अपनी उम्मीदवारी की हवा बनाने के लिए बहुत कुछ करना ही होता है; कुछ करने वाले उम्मीदवार से बेहतर वह उम्मीदवार भला कैसे हो सकता है, जो उम्मीदवार बनने से पहले भी कुछ न कर रहा हो, और उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के बाद अपनी उम्मीदवारी की हवा बनाने के लिए भी कुछ न कर रहा हो ? सुभाष जैन के समर्थकों की इस तरह की बातें सुनकर योगेश गर्ग के समर्थकों के हौंसले पस्त पड़ गए और उनसे कुछ कहते हुए नहीं बना । सुभाष जैन के समर्थकों ने इसके बाद जो तर्क दिया, उसे सुनकर तो योगेश गर्ग के समर्थक सुभाष जैन के समर्थक बन गए । सुभाष जैन के समर्थकों का कहना रहा कि योगेश गर्ग ने करीब ढाई महीने पहले अपनी उम्मीदवारी तो प्रस्तुत की है, किंतु अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने हेतु इन ढाई महीनों में उन्होंने किया कुछ नहीं है - इससे ऐसा लग रहा है कि जैसे वह अपनी उम्मीदवारी के प्रति जरा भी गंभीर नहीं हैं, और वह सिर्फ सुभाष जैन की उम्मीदवारी को बिगाड़ने के लिए अपनी उम्मीदवारी की बात कर रहे हैं । योगेश गर्ग के समर्थक भी यह दावा नहीं कर सके कि योगेश गर्ग अपनी उम्मीदवारी के प्रति सचमुच गंभीर हैं; और इसके साथ ही योगेश गर्ग की उम्मीदवारी की वकालत किसी ने नहीं की और सुभाष जैन सर्वसम्मति से क्लब की तरफ से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार घोषित कर दिए गए । सुभाष जैन को उम्मीदवार घोषित करने के साथ ही बोर्ड सदस्यों ने यह फैसला भी किया कि अभी तक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए सुभाष जैन अकेले अपने दम पर अपना अभियान चला रहे थे, किंतु अब उनके अभियान में क्लब भी जुटेगा - क्योंकि उनकी उम्मीदवारी अब क्लब की इज्जत और प्रतिष्ठा का मुद्दा भी बन गई है ।  
सुभाष जैन की उम्मीदवारी पर क्लब के बोर्ड सदस्यों की सर्वसम्मत मोहर लगते ही, यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई । इसकी एक वजह यह भी रही कि रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के बोर्ड सदस्य जिस समय डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए क्लब के अधिकृत उम्मीदवार के रूप में सुभाष जैन के नाम पर सर्वसम्मत सहमति दर्ज और घोषित कर रहे थे, ठीक उसी समय शहर के कई रोटेरियंस के साथ सुभाष जैन रोटरी क्लब गाजियाबाद के भजन संध्या कार्यक्रम में थे - और वहीं उन्हें अपने अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने की सूचना मिली, और उनसे दूसरे लोगों को जानकारी मिली । सुभाष जैन के इतनी आसानी से क्लब के सर्वसम्मत उम्मीदवार बन जाने से दूसरे उम्मीदवारों की उम्मीदों को खासा तगड़ा झटका लगा है, और उन्हें अपनी चुनावी रणनीति नए सिरे से बनाने की जरूरत महसूस हुई है । सुभाष जैन की उम्मीदवारी को रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के बोर्ड सदस्यों ने जिस तरह अपनी इज्जत और प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है और घोषित कर दिया है, उससे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के समीकरणों में काफी उलटफेर देखने को मिल सकता है ।