नई दिल्ली । अशोक गर्ग ने उम्मीदवार के रूप में अपनी सक्रियता को बनाए रख कर मुकेश अरनेजा के उनकी उम्मीदवारी से हाथ खींच लेने की खबरों से परेशान न होने का जो संकेत दिया है, उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए होने वाले चुनावी मुकाबले को खासा रहस्यपूर्ण और दिलचस्प बना दिया है । इस रहस्य और दिलचस्पी में प्रवीन निगम के नजदीकियों व समर्थकों ने यह बताते/कहते हुए और इजाफा किया है कि मुकेश अरनेजा ने प्रवीन निगम की उम्मीदवारी को प्रमुखता दिलाने के लिए उन्हें कई जरूरी सुझाव दिए हैं तथा अपनी मदद का भरोसा दिया है ।इन दो तथ्यों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मुकाबले को इसलिए रहस्यपूर्ण व रोचक बना दिया है, क्योंकि इस बीच मुकेश अरनेजा द्वारा दीपक गुप्ता को भी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए उकसाए जाने की चर्चा लोगों के बीच है । इससे लोगों के बीच चर्चा यह छिड़ी है कि मुकेश अरनेजा इस वर्ष आखिर कितने लोगों को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी 'चुनवायेंगे' ? विभिन्न मौकों पर लोगों के बीच छिड़ने/होने वाली इस चर्चा का निष्कर्ष प्रायः यह निकलता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की आड़ में मुकेश अरनेजा वास्तव में अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास कर रहे हैं - और वह सचमुच में किसी भी उम्मीदवार के साथ गंभीरता के साथ जुड़े नहीं हैं ।सामान्य व्यवहार की बात है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर मुकेश अरनेजा यदि सचमुच में गंभीर होते, तो किसी एक उम्मीदवार का झंडा उठाते - वह तीन उम्मीदवारों को सलाह/सुझाव दे रहे हैं, और उन्हें मदद करने की बात कर रहे है; इससे साबित है कि वह तीनों को ही झाँसा दे रहे हैं ।
मुकेश अरनेजा के नजदीकियों के अनुसार, मुकेश अरनेजा इस समय अपनी कंपनी से निकाले जाने के मामले में बुरी तरह फँसे हुए हैं । कंपनी के प्रमोटर्स के रूप में उनके भाई-भतीजे और दूसरे प्रमुख शेयरहोल्डर्स जिस तरह उनके खिलाफ हो गए हैं, उसके चलते उनके सामने कंपनी मामलों से जुड़ी कई पेचीदगियाँ खड़ी हो गई हैं । कंपनी में अपनी शेयरहोल्डिंग को बचाने और/या उसे उचित रूप में सुरक्षित रखने या पाने के लिए उन्हें जूझना पड़ रहा है - और इसके लिए उन्हें एक्सपर्ट प्रोफेशनल सलाह व मदद की जरूरत है । समस्या सिर्फ इतनी ही नहीं है - एक्सपर्ट प्रोफेशनल सलाह व मदद के लिए उनके सामने मोटी फीस की व्यवस्था करने की भी चुनौती है । नजदीकियों के अनुसार, इस चुनौती से निपटने के लिए मुकेश अरनेजा रोटरी को और रोटरी में अपनी स्थिति को इस्तेमाल कर रहे हैं । कंपनी के झगड़ों/झंझटों में अशोक गर्ग से मदद मिलने की उम्मीद में ही मुकेश अरनेजा ने पहले अशोक गर्ग की उम्मीदवारी का झंडा उठाया था । अशोक गर्ग पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं - इसलिए मुकेश अरनेजा को लगा कि वह अशोक गर्ग की उम्मीदवारी का समर्थन करने के बदले में उनसे मुफ्त में प्रोफेशनल मदद ले लेंगे । जल्दी ही लेकिन उन्हें समझ में आ गया कि उनके जिस तरह के झमेले हैं, उनसे डील करना और उन्हें सँभालना अशोक गर्ग के बस की बात नहीं है । अशोक गर्ग से निराश होकर मुकेश अरनेजा, प्रवीन निगम की शरण में आए ।
प्रवीन निगम भी पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और कंपनी मामलों के एक्सपर्ट हैं । मुकेश अरनेजा को अपने कंपनी संबंधी झमेलों के लिए जिस तरह की प्रोफेशनल मदद की आवश्यकता है, उसे उपलब्ध करवाने की एक्सपर्टीज उन्होंने प्रवीन निगम में देखी/समझी । मुकेश अरनेजा की खुशकिस्मती यह रही कि प्रवीन निगम ने भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की हुई है । प्रवीन निगम के क्लब के एक प्रमुख सदस्य प्रशांत माथुर के साथ मुकेश अरनेजा के अच्छे संबंध पहले से ही हैं; इन्हीं संबंधों का ध्यान रखते हुए प्रवीन निगम ने प्रशांत माथुर के जरिए मुकेश अरनेजा से अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन पाने का प्रयास किया - तो मुकेश अरनेजा को प्रवीन निगम को फाँसने का अच्छा मौका अपने आप मिल गया । मुकेश अरनेजा ने समझ लिया कि प्रवीन निगम का समर्थन करने के बदले में उन्हें अपनी कंपनी के मामलों में प्रवीन निगम की एक्सपर्ट प्रोफेशनल मदद मुफ्त में मिल ही जाएगी । अशोक गर्ग और प्रवीन निगम की उम्मीदवारी को समर्थन दे रहे मुकेश अरनेजा ने अचानक जिस तरह से दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को 'उकसाया', उसमें लोगों को दीपक गुप्ता को इस्तेमाल करने की उनकी चाल ही नजर आई है । लोगों को लग रहा है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को उकसाने के जरिए मुकेश अरनेजा ने दरअसल अशोक गर्ग और प्रवीन निगम को यह 'दिखाने' का काम किया है कि इससे सुभाष जैन का समर्थन-आधार कमजोर होगा - और 'उन्हें' फायदा होगा । दोनों को फायदा होने का वास्ता देकर मुकेश अरनेजा ने कंपनी मामलों के अपने झमेले में उनसे मिल सकने वाली मदद को दरअसल पक्का करने का इंतजाम किया है ।
मुकेश अरनेजा के सामने इस समय कंपनी मामलों के अपने झमेलों से निपटने के साथ-साथ रोटरी और डिस्ट्रिक्ट में अपनी भूमिका को बनाए रखने की भी चुनौती है । रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट शरत जैन के साथ मिल कर जिस तरह मुकेश अरनेजा को किनारे/ठिकाने लगाया हुआ है, उससे रोटरी और डिस्ट्रिक्ट में मुकेश अरनेजा की राजनीति खतरे में पड़ी दिखाई दे रही है । इस खतरे से बचने/उबरने का मौका उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में ही मिल सकता है । मुकेश अरनेजा के नजदीकियों के अनुसार, मुकेश अरनेजा इस मौके में भी अपने लिए अनुकूल अवसर नहीं देख/पा रहे हैं । मुकेश अरनेजा के अपने आकलन के अनुसार, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में सुभाष जैन का पलड़ा भारी दिख रहा है; लोगों ने जिस तरह से उनकी उम्मीदवारी को स्वीकार कर लिया है - उसे देखते/पहचानते/समझते हुए मुकेश अरनेजा को तोड़फोड़ का हथकंडा आजमाना जरूरी लगा है; और माना जा रहा है कि इसी हथकंडे के तहत उन्होंने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को उकसाया है । अशोक गर्ग ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की आहट पर चिंता करने की बजाये जिस तरह की खुशी सी जाहिर की है, उससे भी लोगों को विश्वास हुआ है कि मुकेश अरनेजा ने गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश में क्लब्स के बीच फूट डाल कर राज पाने की कोशिश के तहत दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को उकसाया है ।