Tuesday, July 7, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 की डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में अपने आप को उचित जगह पर न पाकर गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश के कई प्रमुख रोटेरियंस अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं; अमित अग्रवाल का मामला तो जेके गौड़ का अवसरवादी रूप सामने लाया

गाजियाबाद । जेके गौड़ ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार सँभालते ही खास तौर पर गाजियाबाद और आमतौर पर उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस को अपना असली 'रूप' दिखाने का जो काम किया है, उससे गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों में भारी नाराजगी के स्वर तो पैदा हुए ही हैं - पर सबसे क्लासिक केस रोटरी क्लब गाजियाबाद प्लेटिनम के वरिष्ठ सदस्य अमित अग्रवाल का सामने आया है । उल्लेखनीय है कि अमित अग्रवाल - उम्मीदवार जेके गौड़ के सबसे बड़े समर्थक थे, और नोमीनेटिंग कमेटी में उनकी भूमिका को जेके गौड़ की जीत में एक बड़े प्रेरक व कारण के रूप में अभी तक देखा जा रहा है । इस नाते से उम्मीद की जा रही थी कि जेके गौड़ जब गवर्नर बनेंगे, तब वह अमित अग्रवाल को अवश्य ही एक बड़ा और महत्वपूर्ण पद सौपेंगे । लेकिन अभी जब डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी सामने आई तो लोग यह देख कर हैरान रह गए कि अमित अग्रवाल को रोटरी वॉलंटियर्स जैसा मामूली पद देकर टरका दिया गया है । इसके अलावा जेके गौड़ ने उन्हें जोनल स्तर का एक पद और भी दिया है । अमित अग्रवाल के साथ किए गए जेके गौड़ के इस सुलूक की जिसे भी जानकारी मिली, उसे खासा तगड़ा झटका लगा । जो लोग जेके गौड़ को बहुत ही घटिया सोच व व्यवहार का व्यक्ति मानते हैं और उन्हें अवसरवादी बताते हैं, उनका भी कहना है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि अमित अग्रवाल के साथ जेके गौड़ इस तरह का 'व्यवहार' करेंगे । अमित अग्रवाल लेकिन थोड़ा खुशकिस्मत भी हैं, क्योंकि इस मौके पर जब गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस उनके प्रति हमदर्दी व्यक्त कर रहे हैं - उन्हें उन आलोक गुप्ता की सहानुभूति भी मिल रही है, जेके गौड़ के बरक्स जिनकी उम्मीदवारी को जीरो करने का उन्होंने अदम्य रवैया अपनाया था । 
यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि जेके गौड़ ने जब अपनी टीम बनाना शुरू ही किया था, तब अमित अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट मीट की चेयर मिलने की चर्चा सुनी गई थी; लेकिन बाद में इस चेयर पर रोटरी क्लब कैपिटल सिटी नई दिल्ली के आशीष माखीजा 'बैठे' हुए मिले/दिखे । उस समय यही सुनने को मिला था कि डिस्ट्रिक्ट मीट की चेयर अमित अग्रवाल से छिनवाने का काम रमेश अग्रवाल ने किया, और यह चेयर आशीष माखीजा को दिलवाने का काम मुकेश अरनेजा ने किया । चर्चा यह थी कि मुकेश अरनेजा के कानूनी झमेलों में आशीष माखीजा एक वकील के रूप में उनकी जो मदद करते रहते है, यह चेयर मुकेश अरनेजा ने उसकी फीस के रूप में उन्हें दिलवाई है । अमित अग्रवाल के लिए झटके की बात सिर्फ यही नहीं रही कि डिस्ट्रिक्ट मीट की चेयर उनसे छिन गई; इससे भी ज्यादा बड़ा झटका उनके लिए यह रहा कि उन्हें जेके गौड़ के कोर ग्रुप में भी कोई जगह नहीं मिली । और जैसे इतना ही काफी नहीं था - जेके गौड़ की तरफ से इस स्थिति के लिए अमित अग्रवाल को ही जिम्मेदार ठहरा दिया गया है । जेके गौड़ और उनकी छाया बने अशोक अग्रवाल से जब कुछेक लोगों ने अमित अग्रवाल के साथ नाइंसाफी होने की बात कही, तो उन्हें इनकी तरफ से सुनने को मिला कि अमित अग्रवाल जिस लायक हैं, उसके अनुरूप उन्हें उचित पद दिए गए हैं । जेके गौड़ व अशोक अग्रवाल ने लोगों से कहा/बताया कि अमित अग्रवाल एक नकारात्मक सोच के व्यक्ति हैं, इसलिए चुनावी राजनीति में तो उनकी मदद ली जा सकती है, किंतु डिस्ट्रिक्ट चलाने के लिए तो सकारात्मक सोच के व्यक्तियों की जरूरत होती है; और उसमें अमित अग्रवाल जैसे लोग फिट नहीं बैठते हैं । जेके गौड़ ने तो एक मजेदार बात और कही, और वह यह कि - नोमीनेटिंग कमेटी में अमित अग्रवाल ने जो किया था वह इसलिए नहीं किया, क्योंकि वह उनके समर्थक थे बल्कि इसलिए किया क्योंकि वह आलोक गुप्ता से बदला लेना चाहते थे और आलोक गुप्ता को नीचा दिखाना चाहते थे । जेके गौड़ का कहना है कि यह सच है कि नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग में की गई अमित अग्रवाल की इस कार्रवाई से उनकी उम्मीदवारी को फायदा हुआ; लेकिन यह तो अमित अग्रवाल ने आलोक गुप्ता से अपनी खुंदक निकालने के लिए किया था; इसके लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनके लिए अमित अग्रवाल को पुरस्कृत करना जरूरी क्यों होना चाहिए ?
जेके गौड़ की इस बात में दम तो है, लेकिन यह दम तब दम तोड़ देता है जब गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश के कई प्रमुख रोटेरियंस डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में अपने आप को उचित जगह पर न पाकर अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में समर्थन पाने के लिए जेके गौड़ जिन प्रमुख रोटेरियंस के चक्कर काटा करते थे, और जिनकी खुशामद करते हुए नहीं थकते थे - डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में उन्हें जेके गौड़ ने 'एरिया ऑफ फोकस' तथा 'गवर्नर्स स्पेशल ऐड्स' तथा और भी गई-गुजरी जगहों पर धकेल दिया है । इसी से लोगों को यह कहने का मौका मिला है कि जेके गौड़ ने जब वरिष्ठ रोटेरियंस की परवाह नहीं की, तो अमित अग्रवाल की ही परवाह वह क्यों करते भला ? अमित अग्रवाल से हमदर्दी रखने वाले लोगों का कहना है कि वरिष्ठ रोटेरियंस ने तो अपनी अपनी सीमाओं में रह ही जेके गौड़ की मदद की, और इसके लिए जेके गौड़ से खुशामद भी करवाई; किंतु अमित अग्रवाल ने तो अपनी सीमा से पार जाकर उनकी मदद की थी और इसके लिए जेके गौड़ से खुशामद भी नहीं करवाई थी - इसलिए जेके गौड़ को अमित अग्रवाल के साथ तो अन्याय नहीं करना चाहिए था । पर अब जब अमित अग्रवाल के साथ किए गए व्यवहार को जेके गौड़ पूरी बेशर्मी के साथ उचित ठहरा रहे हैं, तो लोगों को यह कहने का मौका मिल रहा है कि अमित अग्रवाल को जेके गौड़ ने पहले तो इस्तेमाल किया और अब उन्हें उपयोगी न पाकर दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया है । कुछेक लोगों का कहना है कि उन्होंने अमित अग्रवाल को बताया/समझाया था कि जेके गौड़ बहुत ही मतलबी और अवसरवादी किस्म का व्यक्ति है, इसके चक्कर में ज्यादा पड़ोगे तो अपनी ही फजीहत करवाओगे । इनका कहना है कि अमित अग्रवाल ने उस समय तो उनकी एक न सुनी, किंतु अब जेके गौड़ का रवैया देख कर पछता रहे हैं । 
मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में मिली अपनी अपनी जगहों से निराश, दुखी और नाराज वरिष्ठ रोटेरियंस की नाराजगियों की खबर जेके गौड़ को निरंतर मिल रही हैं, किंतु वह इसकी जरा भी परवाह करते हुए नहीं दिख रहे हैं । यह खबरें देने वाले लोगों से उनका कहना रहता है कि वह इन वरिष्ठ रोटेरियंस को पहचान गए हैं; यह सिर्फ अपनी आपसी बातचीतों में ही नाराजगी व्यक्त कर सकते हैं - इससे ज्यादा कुछ कर पाना इनके बस की बात नहीं है । जेके गौड़ ने किसी किसी से यहाँ तक दावा किया कि जिन लोगों के नाम नाराज लोगों के रूप में लिए जा रहे हैं, उन्हें अपने घर या अपने स्कूल में मीटिंग करने आने के लिए एक फोन करूँ तो अभी दौड़े चले आयेंगे; इसलिए इनकी नाराजगी को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है । गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लोगों में जेके गौड़ के प्रति बढ़ रही नाराजगी आगे क्या गुल खिलायेगी - और खिलायेगी भी या जेके गौड़ का दावा ही सच साबित करेगी; यह तो आने वाले समय में पता चलेगा; किंतु अभी इस नाराजगी ने तरह तरह की दिलचस्प किस्म की चर्चाओं को जरूर हवा दी हुई है ।