गाजियाबाद । सुभाष जैन ने रोटरी फाउंडेशन की ऑर्च क्लम्प सोसायटी की सदस्यता के लिए अपनी स्वीकार्यता देकर इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई का दिल जीतने का काम तो किया ही है, साथ ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के लिए हवा बनाने के संदर्भ में भी ऊँची छलाँग लगाई है । सुभाष जैन का यह कदम मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा गया है; और जो लोग उनके एक उम्मीदवार की 'भूमिका' निभा लेने के प्रति सशंकित थे, उन्होंने भी माना और कहा है कि सुभाष जैन ने अपने इस मास्टर स्ट्रोक से अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में लोगों के बीच गहरी पैठ बनाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है । दरअसल किसी भी दूसरी राजनीति की तरह, रोटरी की चुनावी राजनीति में भी परसेप्शन का बड़ा रोल होता है । राजनीति में महत्त्व इस बात का नहीं होता कि वास्तव में आप क्या हैं; महत्त्व इस बात का होता है कि आप लोगों के बीच किस रूप में देखे/पहचाने जाते हैं । डिस्ट्रिक्ट 3012 के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई हो सकता है कि रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के सुभाष जैन को जानते/पहचानते भी न हों; हो सकता है कि वह सुभाष जैन को जानते/पहचानते हों, किन्तु सिर्फ उतना ही जितना कि वह और बहुत से रोटेरियंस को जानते/पहचानते हैं; उद्घाटन अवसर पर मौजूद रोटेरियंस में कई ऐसे लोग थे, जिनकी मनोज देसाई से पुरानी और नजदीक की पहचान रही है - लेकिन मंच पर मनोज देसाई से सम्मानित होने का मौका सुभाष जैन को मिला । और सिर्फ यही नहीं, मनोज देसाई ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर डिस्ट्रिक्ट 3012 के उद्घाटन अवसर का जिक्र करते हुए जो छोटी सी टिप्पणी की है और जो तस्वीरें लगाई हैं, उनमें भी सुभाष जैन को प्रमुखता से स्थान मिला है । सुभाष जैन को यह 'स्थान' रोटरी फाउंडेशन की ऑर्च क्लम्प सोसायटी की सदस्यता लेने की घोषणा करने के कारण ही मिला है; और उनकी इसी घोषणा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उनकी उम्मीदवारी को लोगों के बीच एकदम से एक ठोस आधार दे दिया है ।
उल्लेखनीय है कि सुभाष जैन शायद पहले ऐसे रोटेरियन हैं जो ऑर्च क्लम्प सोसायटी की सदस्यता के लिए उस समय अपनी पात्रता बना रहे हैं, जबकि वह अभी गवर्नर वाली सूची में नहीं हैं । ऑर्च क्लम्प सोसायटी दरअसल रोटरी फाउंडेशन की एक बड़ी खास व क्लॉसी सोसायटी है, और इस नाते इसकी सदस्यता वास्तव में एक ऊँचा मामला है । इस बात को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता अभी पिछले वर्ष ही इस सोसायटी के सदस्य बने हैं, और पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू ने अभी करीब चार महीने पहले, 18 मार्च को इस सोसायटी की सदस्यता ली है । जिस सोसायटी की सदस्यता लेने में सुशील गुप्ता व राजा साबू जैसे महारथियों को जहाँ इतना समय लग गया, वहाँ सुभाष जैन ने यदि अभी ही इस सोसायटी की सदस्यता ले ली है, तो यह रोटरी के इतिहास की बड़ी बात तो है ही । यहाँ इस तथ्य को याद करना भी प्रासंगिक होगा कि दिल्ली से ऑर्च क्लम्प सोसायटी का पहला सदस्य बनने का श्रेय पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल के नाम है । सिर्फ दिल्ली ही नहीं, उत्तर और पूर्व के पास-पड़ोस के 12/15 रोटरी डिस्ट्रिक्ट्स में विनोद बंसल ऑर्च क्लम्प सोसायटी के सदस्य बनने वाले पहले रोटेरियन हैं । हालाँकि वह भी इस सोसायटी सदस्य तब बने, जब वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर थे ।
रोटरी फाउंडेशन के रचयिता और संस्थापक ऑर्च सी क्लम्प के नाम पर स्थापित ऑर्च क्लम्प सोसायटी की सदस्यता रोटरी फाउंडेशन में ढाई लाख अमेरिकी डॉलर देने वाले व्यक्ति को मिलती है । इस सोसायटी के सदस्य बनने वाले रोटेरियन का उसके जीवन साथी के साथ रोटरी इंटरनेशनल के अमेरिका स्थित मुख्यालय में आयोजित होने वाले इंडक्शन समारोह में सम्मान किया जाता है; और उसके परिचय के साथ उसकी तथा उसके जीवन साथी की तस्वीर उसी मुख्यालय की अठारहवीं मंजिल पर स्थापित इंटरएक्टिव गैलरी में लगाई जाती है । ऑर्च सी क्लम्प रोटरी इंटरनेशनल के छठे प्रेसीडेंट थे, और उन्होंने ही वर्ष 1917 में रोटरी फाउंडेशन की स्थापना की थी । इस सोसायटी के अभी करीब दो सौ सदस्य हैं । रोटरी फाउंडेशन की इस बहुत खास और क्लॉसी सोसायटी का सदस्य बनकर सुभाष जैन ने रोटरी के बड़े नेताओं के बीच तो अपनी पहचान बनाई ही है, साथ ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में भी लोगों के बीच भरोसा पैदा किया है ।
लोगों के बीच उनकी उम्मीदवारी को लेकर इस तरह का भरोसा बने, सुभाष जैन को इसकी बहुत जरूरत भी थी । सुभाष जैन ने ऑर्च क्लम्प सोसायटी की सदस्यता के जरिए जो मास्टर स्ट्रोक खेला है, उसे देख कर लोगों ने भी मान लिया है कि सुभाष जैन अब एक उम्मीदवार के 'तेवर' में आ गए हैं और उनके सामने जो चुनौतियाँ हैं भी, उन्हें वह सचमुच में हल करने की दिशा में बढ़ चले हैं । सुभाष जैन के इस 'तेवर' ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को खासा दिलचस्प बना दिया है ।