Sunday, July 5, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की वुमेन मेंबर्स एम्पावरमेंट कमेटी के चेयरमैन के रूप में प्रफुल्ल छाजेड़ की सक्रियता ने वुमेन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को एक अलग तरह का आत्मविश्वास देने के साथ साथ अपने समर्थन-आधार को छोटे शहरों से बढ़ा कर बड़े शहरों तक ले आने का अवसर दिया है

मुंबई । प्रफुल्ल छाजेड़ ने वुमेन मेंबर्स एम्पावरमेंट कमेटी के चेयरमैन के रूप में जिस तरह की सक्रियता दिखाई हुई है, उसमें कई लोगों को उनकी चुनावी तैयारी के संकेत मिल/दिख रहे हैं । जिन लोगों को यह संकेत मिल/दिख रहे हैं, उनमें से अधिकतर को हालाँकि यह बहुत स्वाभाविक भी लग रहा है । उनका मानना और कहना है कि अब जब चुनाव को ज्यादा समय नहीं रह गया है, तो जिन लोगों को उम्मीदवार होना है - वह अपने चुनाव की तैयारी करेंगे ही । प्रफुल्ल छाजेड़ भी यही कर रहे हैं, तो इसीलिए कि उन्हें यह करना ही चाहिए । लेकिन जो लोग प्रफुल्ल छाजेड़ को नजदीक से जानते/पहचानते हैं, उनका यह भी कहना है कि प्रफुल्ल छाजेड़ को काम करने का नशा भी है, और वह काम करने के अवसर खोजते/बनाते तथा उनका उपयोग करते रहते हैं । उन्हें जानने वाले लोगों का कहना है कि प्रफुल्ल छाजेड़ सेल्फ-मेड चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और प्रोफेशन में तथा काउंसिल  चुनावी राजनीति में उन्होंने अभी तक जो कुछ भी पाया/बनाया है, वह अपनी सोच व सक्रियता के भरोसे ही पाया/बनाया है; और इस प्रक्रिया में इस तथ्य को उन्होंने अच्छी तरह समझ लिया है कि काम करना और अच्छे से करना उनकी नियति भी है और उनकी 'मजबूरी' भी है । दरअसल इसीलिए इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की उनके नेतृत्व वाली वुमेन मेंबर्स एम्पावरमेंट कमेटी की इस वर्ष की गतिविधियों ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है । इस कमेटी के चेयरमैन के रूप में प्रफुल्ल छाजेड़ के काम करने के तरीके ने वुमेन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को विशेष रूप से उत्साहित व प्रेरित किया है । 
प्रफुल्ल छाजेड़ के नेतृत्व वाली कमेटी की तरफ से पिछले दिनों कार्यक्रम भी ज्यादा हुए - हिसाब/किताब रखने वाले लोगों के अनुसार यह कमेटी प्रायः एक वर्ष में जितनी सक्रियता दिखाती रही है, प्रफुल्ल छाजेड़ के नेतृत्व में उतनी सक्रियता इसने चार महीने में ही पूरी कर ली है; और जो भी कार्यक्रम हुए हैं, प्रफुल्ल छाजेड़ ने उनकी योजना बनाने से लेकर उन्हें क्रियान्वित करने तथा उनके संचालन तक में वुमेन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को भागीदार बनाने की कोशिश भी की है - और इसी का नतीजा रहा है कि रीजन के वुमेन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स में एक अलग तरह का आत्मविश्वास देखा/पहचाना जा रहा है । पिछले दिनों जहाँ जहाँ कार्यक्रम हुए हैं, वहाँ वहाँ वुमेन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने जैसे पहली बार महसूस हुआ कि इंस्टीट्यूट के बड़े लोगों ने उन पर भी विश्वास किया और उन्हें अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका उपलब्ध कराया । अभी तक आमतौर पर यह होता रहा है कि वुमेन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की भूमिका और सक्रियता सहयोगी की ही रहती रही है और इंस्टीट्यूट के कार्यक्रमों में उन्हें फ्रंट पर आने/रहने का शायद ही कभी मौका मिलता हो । इंस्टीट्यूट की वुमेन मेंबर्स एम्पावरमेंट कमेटी के पिछले वर्षों में हुए कार्यक्रमों में वुमेन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की भूमिका श्रोताओं के रूप में ही रही है, और स्पीकर के रूप में शायद कभी-कभार ही उन्हें न्यौता गया हो । प्रफुल्ल छाजेड़ ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण काम यह किया कि वुमेन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को कार्यक्रमों में फ्रंट की भूमिका सौंपी तथा स्पीकर के रूप में उन्हें ज्यादा से ज्यादा अवसर देने का प्रयास किया ।
चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की वुमेन मेंबर्स एम्पावरमेंट कमेटी के चेयरमैन के रूप में प्रफुल्ल छाजेड़ ने जो कुछ भी किया है, उसे वुमेन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की भागीदारी को बड़ा स्पेस देने/दिलाने के संदर्भ में तो महत्वपूर्ण माना ही जा रहा है; उसके साथ ही उसे प्रफुल्ल छाजेड़ की चुनावी तैयारी के रूप में भी देखा/पहचाना जा रहा है । पिछले चुनाव के नतीजे के डिटेल्स को देखें तो प्रफुल्ल छाजेड़ के लिए यह तैयारी बहुत जरूरी भी लगती है । उल्लेखनीय है कि प्रफुल्ल छाजेड़ को पिछले चुनाव में वोटों की गिनती शुरू होने के पहले दौर में पहली वरीयता के 1278 वोटों के साथ 15वीं पोजीशन प्राप्त हुई थी । पहली वरीयता के वोटों के आधार पर संजीव लालन, दुर्गेश बुच, एनसी हेगड़े और राजेश लोया उनसे आगे थे । पहली वरीयता के 1519 वोटों के साथ राजेश लोया तो उनसे काफी आगे थे । सेकेंड वरीयता के वोटों के सहारे प्रफुल्ल छाजेड़ ने हालाँकि नाटकीय रूप से छलाँग लगाई, और जब दौड़ में 13 लोग बचे रह गए थे, तब भी वह कुल 1819 वोटों के साथ 12 वें नंबर पर थे, और 11 वें नंबर पर 1851 वोटों के साथ एनसी हेगड़े थे । 13वें नंबर के राजेश लोया जब दौड़ से बाहर हुए तब प्रफुल्ल छाजेड़ के वोटों की गिनती 2178 हुई, और वह 1937 की गिनती पर ठहर जाने वाले एनसी हेगड़े से आगे निकले और विजयी घोषित किए गए । जाहिर है कि पिछली बार प्रफुल्ल छाजेड़ के लिए मुकाबला बहुत ही मुश्किल था, और जब तक नतीजा आ नहीं गया - तब तक उनकी जीत पर तलवार लटकी हुई ही थी और बिलकुल अंतिम क्षणों में ही जीत उनके हिस्से में आ सकी थी ।
प्रफुल्ल छाजेड़ पिछली बार भले ही मुश्किल से जीत पाए थे, लेकिन इस बार उनकी जीत को लेकर किसी को भी कोई संशय नहीं है । इसका एक कारण तो यह है कि वेस्टर्न रीजन से सेंट्रल काउंसिल में अभी जो सदस्य हैं, उनमें से तीन अबकी बार उम्मीदवार नहीं हो पायेंगे; इसके अलावा पिछली बार जो लोग 12वें, 13वें, 14वें, 15वें नंबर पर रहे थे - उनके इस बार चुनाव लड़ने को लेकर इंकार और संदेह बना हुआ है । ऐसे में अबकी बार चुनाव लड़ने की पात्रता रखने वाले मौजूद आठ सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों के लिए काउंसिल में वापसी करने को लेकर किसी को कोई संदेह नहीं है । दूसरा कारण, सेंट्रल काउंसिल सदस्य तथा अलग अलग समय पर विभिन्न कमेटियों के पदाधिकारी के रूप में किए गए उनके काम और निरंतर बनी रहने वाली उनकी सक्रियता है - जिसे देखते हुए हर कोई प्रफुल्ल छाजेड़ की उम्मीदवारी को पूरी तरह सुरक्षित मान रहा है । लेकिन फिर भी प्रफुल्ल छाजेड़ के लिए अगला चुनाव महत्वपूर्ण है, तो इसलिए है कि अगले चुनाव में उनके सामने चुनौती चुनाव जीतने भर की नहीं है - बल्कि अच्छी पोजीशन के साथ चुनाव जीतने की है । प्रफुल्ल छाजेड़ के साथ समस्या दरअसल यह रही है कि उनका आधार-क्षेत्र छोटे शहर रहे हैं, जहाँ अपने प्रशंसकों व समर्थकों को वोट में 'बदलना' और उनके वोट सचमुच में हासिल करना थोड़ा मुश्किल होता है । इसलिए ही, हर चुनाव में प्रफुल्ल छाजेड़ को जितने वोट मिलने की उम्मीद व आकलन-चर्चा रहती रही - उन्हें उतने वोट कभी मिल नहीं पाए । वुमेन मेंबर्स एम्पावरमेंट कमेटी के चेयरमैन के रूप में प्रफुल्ल छाजेड़ को मौका मिला है कि अपने समर्थन-आधार को छोटे शहरों से बढ़ा कर बड़े शहरों तक ले आएँ । उनकी सक्रियता के पीछे इसी मौके को क्रियान्वित करने की उनकी कोशिश के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । उम्मीद की जा रही है कि अपनी इस कोशिश के जरिए प्रफुल्ल छाजेड़ इस बार के चुनाव में लोगों को हतप्रभ करेंगे ।