Wednesday, July 29, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तथा सीओएल सदस्य रह चुके योगेश मोहन गुप्ता ने रोटरी के बड़े पदाधिकारियों पर रोटरी फाउंडेशन के पैसे पर अय्याशी करने का आरोप लगाते हुए रोटरी फाउंडेशन में पैसे न देने का आह्वान करके रोटरी को ही चुनौती दी

मेरठ । योगेश मोहन गुप्ता ने रोटरी क्लब मुरादाबाद नॉर्थ की एक मीटिंग में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए रोटरी के बड़े पदाधिकारियों पर रोटरी फाउंडेशन के पैसे से अय्याशी करने का आरोप लगाते हुए रोटरी फाउंडेशन में पैसे न देने का जो आह्वान किया है, उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार राजीव सिंघल के लिए भारी मुसीबत खड़ी कर दी है । डिस्ट्रिक्ट में लोगों का कहना है कि योगेश मोहन गुप्ता ने उक्त मीटिंग में जो कुछ भी कहा है, वह पूरी तरह से रोटरी विरोधी है; और इसलिए सुनील गुप्ता को उन्हें तुरंत प्रभाव से डिस्ट्रिक्ट काउंसलर पद से हटा देना चाहिए । सुनील गुप्ता चूँकि योगेश मोहन गुप्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई करते हुए नहीं नजर आ रहे हैं, इसलिए लोगों की नाराजगी के निशाने पर योगेश मोहन गुप्ता के साथ साथ अब सुनील गुप्ता भी आ गए हैं । लोगों का कहना है कि यह रोटरी और डिस्ट्रिक्ट का बड़ा दुर्भाग्य है कि सुनील गुप्ता जैसा कमजोर व्यक्ति डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन गया है, जो रोटरी व रोटरी के बड़े पदाधिकारियों को खुलेआम निशाना बनाये जाते हुए चुपचाप देख रहा है, और निशाना बना रहे व्यक्ति को बड़े पद पर बनाए हुए है । राजीव सिंघल की मुसीबत यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उनकी उम्मीदवारी को योगेश मोहन गुप्ता का जो खुला समर्थन है, वह समर्थन ही अब उनके लिए बोझ बन गया है । उनके लिए एक तरफ तो लोगों को यह जबाव देना मुश्किल हो रहा है कि रोटरी के खिलाफ विषवमन करने वाले योगेश मोहन गुप्ता का समर्थन वह कैसे लेते रह सकते हैं, और दूसरी तरफ योगेश मोहन गुप्ता के प्रति लोगों के बीच पैदा हुई नाराजगी को उन्हें झेलना पड़ रहा है । योगेश मोहन गुप्ता की कारस्तानी पर न डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता से कुछ कहते बन रहा है और न डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की इच्छा रखने वाले राजीव सिंघल ही मुँह खोल पा रहे हैं ।
योगेश मोहन गुप्ता ने रोटरी क्लब मुरादाबाद नॉर्थ की मीटिंग में जो कुछ भी कहा, वह इसलिए ध्यान देने और कार्रवाई करने योग्य है क्योंकि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर रहने के साथ साथ सीओएल में भी रह चुके हैं । ऐसे में, उन्होंने रोटरी के विरोध में और या रोटरी को बदनाम करने वाली कोई बात कही है तो उसका तुरंत से संज्ञान लेने की जरूरत है । योगेश मोहन गुप्ता यदि किसी रोटेरियन विशेष पर बेईमानी और या अय्याशी करने का आरोप लगाते, तो भी यह समझा जा सकता था कि वह रोटरी में घुसपैठ कर चुके बेईमान लोगों की खिलाफत कर रहे हैं और इस तरह रोटरी को 'बचाने' का प्रयास कर रहे हैं; किंतु उन्होंने तो पूरी रोटरी व सभी रोटरी नेताओं को निशाने पर ले लिया और रोटरी फाउंडेशन के खिलाफ ही फतवा दे डाला । अपने इसी उद्बोधन में उन्होंने एक गंभीर आरोप यह भी लगाया कि किसी डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के प्रतिनिधि अधिकारी के रूप में अधिकृत कराने के लिए उनसे दो करोड़ रुपए माँगे गए थे । डिस्ट्रिक्ट और रोटरी के लिए सौभाग्य की बात हालाँकि यह है कि किसी ने भी उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया है; और सभी का मानना और कहना है कि योगेश मोहन गुप्ता इस तरह की बातें दरअसल कुंठा और फ्रस्ट्रेशन में कह रहे हैं । लोगों का कहना है कि योगेश मोहन गुप्ता रोटरी में खुद निर्लज्य किस्म की हरकतें करते रहे हैं, और अब जब उनकी हरकतों के चलते रोटरी में उनकी कोई साख नहीं बची रह गई है तो वह रोटरी को ही निशाना बनाने लगे  हैं । लोगों का यह भी कहना है कि यदि रोटरी में सिर्फ अय्याशी ही होती है, तो फिर वह इसमें बने क्यों हैं - और क्यों यहाँ पद पाने की कोशिशों में लगे रहते हैं ?
योगेश मोहन गुप्ता दरअसल रोटरी के बड़े नेताओं से बुरी तरह खफा हैं - क्योंकि रोटरी के बड़े नेताओं ने पिछले वर्ष सीओएल में दोबारा जाने के उनके बेईंमानीभरे प्रयास को विफल कर दिया था, जिसके चलते डिस्ट्रिक्ट और रोटरी में उनकी भारी फजीहत हुई । उल्लेखनीय है कि पिछले से पिछले वर्ष हुए सीओएल के चुनाव में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की थी । उन्हें बहुत समझाया गया था कि वह एक बार सीओएल में जा चुके हैं, इसलिए अब उन्हें इस होड़ में शामिल नहीं होना चाहिए और दूसरों के लिए मौका छोड़ देना चाहिए । लेकिन अहंकार में चूर योगेश मोहन गुप्ता ने किसी की नहीं सुनी और अपनी बेईमानीपूर्ण कारस्तानियों के बल पर वह चुनाव में कामयाब भी हो गए - लेकिन ललित मोहन गुप्ता ने उनकी बेईमानियों की पोल खोली तो रोटरी इंटरनेशनल ने न सिर्फ योगेश मोहन गुप्ता की चुनावी जीत को निरस्त कर दिया, बल्कि सीओएल के लिए दोबारा होने वाले चुनाव में उनके उम्मीदवार न हो सकने के संकेत भी जारी कर दिए । योगेश मोहन गुप्ता ने हालाँकि बहुत हाथ-पैर मारे कि रोटरी इंटरनेशनल उन्हें इस कदर जलील न करे कि वह डिस्ट्रिक्ट में मुँह दिखाने लायक भी न रहें - इस पर रोटरी इंटरनेशनल ने उनके खिलाफ कोई सीधा कठोर फैसला 'सुनाया' तो नहीं, किंतु उन्हें यह जरूर स्पष्ट कर दिया कि वह सीओएल के चुनाव से दूर ही रहें - अन्यथा उन्हें रोटरी से बाहर कर दिया जायेगा । इस 'संदेश' के कारण ही - सीओएल में दोबारा जाने की जिद पर अड़े तथा उसके लिए हर संभव तिकड़म करने वाले योगेश मोहन गुप्ता को सीओएल के लिए दोबारा हुए चुनाव से अपने आप को दूर रखने के लिए मजबूर होना पड़ा । रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों और नेताओं के इस रवैये ने योगेश मोहन गुप्ता को बुरी तरह निराश किया है - उन्होंने समझ लिया है कि रोटरी में उनकी जैसी जो बदनामी हो गई है, उसके कारण यहाँ अब उन्हें कोई तवज्जो मिलने वाली नहीं है । 
राजीव सिंघल की उम्मीदवारी ने हालाँकि योगेश मोहन गुप्ता में एक नई उम्मीद का संचार किया । राजीव सिंघल के बारे में दरअसल बड़े सुनियोजित तरीके से डिस्ट्रिक्ट में एक प्रचार यह हुआ है कि उनकी इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई के साथ बड़ी निकटता है । योगेश मोहन गुप्ता को लगा कि राजीव सिंघल की उम्मीदवारी की डोर पकड़ कर वह मनोज देसाई तक अपनी पहुँच बना लेंगे; लेकिन जल्दी ही उन्हें समझ में आ गया कि यह बड़ी दूर की कौड़ी है । समस्या उन्हें राजीव सिंघल के रवैये से भी हुई - उन्होंने पाया कि उम्मीदवार के रूप में राजीव सिंघल उनसे फायदा तो उठाना चाहते हैं, किंतु उनके साथ खुले तौर पर जुड़े दिखने से बचते हैं । इसके अलावा, दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी के सामने आने के बाद राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के लिए चुनावी गणित पूरी तरह से पलट गया दिख रहा है । राजीव सिंघल का चुनाव जब तक मधु गुप्ता से होता दिख रहा था, तब तक राजीव सिंघल और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि वह मुकाबले में भारी पड़ेंगे - किंतु दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी ने उनकी उम्मीद की हवा निकाल दी है । राजीव सिंघल तीसरे स्थान पर 'दिख' रहे हैं, और चुनावी मुकाबला दिवाकर अग्रवाल व मधु गुप्ता के बीच होता नजर आ रहा है । राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थकों ने पीछे कोशिश की थी कि मेरठ की एकता का वास्ता देकर वह मधु गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी कर लें; किंतु मधु गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों ने उन्हें समझा दिया कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच पहचान, साख व प्रतिष्ठा के मामले में राजीव सिंघल के मुकाबले मधु गुप्ता का पलड़ा भारी है - इसलिए यदि वास्तव में मेरठ की एकता और प्रतिष्ठा का ख्याल करना है, तो राजीव सिंघल की उम्मीदवारी को वापस ले लेना चाहिए । मधु गुप्ता की उम्मीदवारी को वापस कराने में मिली असफलता से राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थकों के हौंसले बुरी तरह टूट गए हैं । 
एमएस जैन की इंटरनेशनल प्रेसीडेंट को लिखी चिट्ठी और योगेश मोहन गुप्ता का रोटरी क्लब मुरादाबाद नॉर्थ की मीटिंग में किया गया प्रलाप दरअसल इसी टूटे हौंसले से पैदा हुई निराशा का नतीजा है । उल्लेखनीय है कि इन दोनों को राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के बड़े समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जाता है; किंतु यह दोनों अपनी अपनी हरकतों से जिस तरह रोटरी और डिस्ट्रिक्ट को कलंकित कर रहे हैं - उससे राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के लिए मुसीबतें और बढ़ती ही जा रही हैं । मुसीबत डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता की भी बढ़ रही है, जो रोटरी व डिस्ट्रिक्ट को कलंकित होते हुए चुपचाप देख रहे हैं । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि पिछले वर्ष के गवर्नर संजीव रस्तोगी की टीम में प्रमुख पद पर रहते हुए योगेश मोहन गुप्ता ने जब हरकत की थी, तब संजीव रस्तोगी ने उन्हें उनके पद से हटाने जरा भी देर नहीं की थी - किंतु अब योगेश मोहन गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में सुनील गुप्ता मुँह छिपाते और बहानेबाजी करते देखे जा रहे हैं । सुनील गुप्ता कई मौकों पर अपनी यह 'इच्छा' जाहिर कर चुके हैं कि रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में जैसा सम्मान उनके पूर्ववर्ती गवर्नर संजीव रस्तोगी को मिला है, उन्हें उससे भी ज्यादा मिले - लेकिन 'काम' करने के मामले में वह संजीव रस्तोगी का मुकाबला ही नहीं कर पा रहे हैं और लगातार फिसड्डी साबित होते जा रहे हैं । योगेश मोहन गुप्ता ने रोटरी क्लब मुरादाबाद नॉर्थ की मीटिंग में रोटरी को जिस तरह से लांछित किया है, उससे उन्होंने सिर्फ अपना 'चरित्र' ही नहीं प्रकट किया है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता की भी पोल खोल दी है ।