Tuesday, June 30, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080, यानि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में राजा साबू व उनके 'गिरोह' के गवर्नर्स ने डीसी बंसल पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी करने के साथ साथ रोटरी इंटरनेशनल में तीन हजार डॉलर फीस वाली शिकायत दर्ज कराने के लिए भी दबाव बनाया

चंडीगढ़ । राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद पर टीके रूबी के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने पर रोटरी इंटरनेशनल की मुहर लग जाने के बाद उम्मीद की गई थी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद को लेकर चल रहा झगड़ा शांत पड़ जायेगा, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुर्सी से उतरते उतरते दिलीप पटनायक ने जो कारनामा किया है - उसे देख कर लग रहा है कि राजा साबू के नेतृत्व वाली डिस्ट्रिक्ट की लीडरशिप झगड़े को शांत करने/करवाने की बजाये उसे और भड़काने की तैयारी कर रही है । टीके रूबी के क्लब की तरफ से की गई चुनावी शिकायत पर आये रोटरी इंटरनेशनल के फैसले पर कार्रवाई करते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक ने कॉन्करेंस जुटाने/देने के लिए 33 दिन का समय निर्धारित किया है । रोटरी इंटरनेशनल के नियमों के अनुसार, अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज करने वाले उम्मीदवार को कॉन्करेंस जुटाने/देने के लिए 21 दिन का समय निर्धारित है । खुद इन्हीं डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक ने 16 मार्च की अपनी ईमेल के जरिए 22 फरवरी को चुने गए और 24 फरवरी को घोषित किए गए अधिकृत उम्मीदवार टीके रूबी को चेलैंज करने वाले उम्मीदवार डीसी बंसल को 6 अप्रैल तक कॉन्करेंस जुटाने/देने के लिए कहा था - यानि कॉन्करेंस जुटाने/देने के लिए 21 दिन का समय निर्धारित किया था । उन्होंने 26 मार्च को इस चुनावी प्रक्रिया को स्थगित किया था - यानि कॉन्करेंस जुटाने/देने के लिए जो 21  समय दिया गया था, उसमें दस दिन बीत चुके थे । रोटरी इंटरनेशनल ने टीके रूबी की तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत पर फैसला देते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को 'चुनावी प्रक्रिया को जहाँ स्थगित किया गया था, वहाँ से उसे शुरू करने और आगे बढ़ाने' का जिम्मा दिया है । इस हिसाब से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक को कॉन्करेंस जुटाने/देने के लिए बाकी बचे कुल ग्यारह दिन निर्धारित करने थे - लेकिन उन्होंने इसके लिए 33 दिन निर्धारित कर दिए ।   
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक का यह फैसला इसलिए कोई बड़ा मामला नहीं बनाता कि उन्होंने दिनों के मामले में कोई हेरफेर कर लिया है । यह तो बहुत छोटी बात है । जो बात छोटी नहीं है, वह यह कि पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट का गवर्नर रोटरी इंटरनेशनल के नियमों के साथ खिलवाड़ कैसे और क्यों कर रहा है, और राजा साबू आँखों पर पट्टी बाँध कर धृतराष्ट्र क्यों बने हुए हैं ? राजा साबू दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में भाषण देने खड़े होते हैं तो रोटरी के नियमों और आदर्शों की बड़ी ऊँची ऊँची बातें करते हैं; लेकिन उनके अपने डिस्ट्रिक्ट में रोटरी इंटरनेशनल के नियमों व आदर्शों की धज्जियाँ उड़ रही हैं, और वह चुपचाप तमाशा देख रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट में लोगों का हालाँकि कहना है कि राजा साबू तमाशा देख नहीं रहे हैं, बल्कि इस तमाशे को संचालित कर रहे हैं । कोई भी यह नहीं मानेगा कि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट का गवर्नर बिना उनकी सहमति के रोटरी इंटरनेशनल के नियमों को अनदेखा कर सकता है तथा मनमाने तरीके से फैसले ले सकता है । इसलिए ही, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक ने कॉन्करेंस जुटाने/देने में दिनों का जो घपला किया है, उसमें राजा साबू की सहमति और चालबाजी को देखा/पहचाना जा रहा है । दरअसल, टीके रूबी के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने और घोषित होने के बाद से ही डिस्ट्रिक्ट में जो 'फिल्म' दिखना शुरू हुई है, उसके निर्माता, निर्देशक व स्क्रिप्ट लेखक के रूप में राजा साबू का नाम ही लोगों की जुबान पर है । जिस तरह निर्माता, निर्देशक व स्क्रिप्ट लेखक हीरो के सामने तरह तरह की मुश्किलें खड़ी करके और तरह तरह के सस्पेंस पैदा करके फिल्म को आगे बढ़ाते हैं, वैसे ही राजा साबू 'डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वही जो राजा साबू मन भाए' शीर्षक से डिस्ट्रिक्ट में चल रही फिल्म को आगे बढ़ा रहे हैं । 
राजा साबू के नजदीकियों का कहना है कि टीके रूबी को 'परास्त' करने के लिए राजा साबू ने दोहरी रणनीति अपनाई है - एक तरफ तो टीके रूबी को चुनावी दलदल में फँसाने की तैयारी है, और दूसरी तरफ रोटरी इंटरनेशनल की तीन सदस्यीय कमेटी के फैसले को तीन हजार डॉलर फीस के साथ रोटरी इंटरनेशनल की और बड़ी अदालत में चेलैंज करवाने की योजना है । समस्या अभी सिर्फ इन दोनों योजनाओं के क्रियान्वन के लिए डीसी बंसल को राजी करने की है । इन दोनों योजनाओं के क्रियान्वन का 'भार' चूँकि एक अकेले डीसी बंसल को ही 'उठाना' होगा, इसलिए उनका राजी होना बहुत जरूरी है । डीसी बंसल को चुनाव वाले विकल्प के लिए तो राजी माना जा रहा है, लेकिन रोटरी इंटरनेशनल की और बड़ी अदालत में मामले को ले जाने को लेकर वह अभी संशय में बताये जा रहे हैं । जिन लोगों को डीसी बंसल के नजदीकियों व समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जाता है, उनका कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल में राजा साबू जब अभी अपना मनचाहा फैसला नहीं करवा सके, तो आगे की क्या गारंटी है और इस चक्कर में डीसी बंसल के तीन हजार डॉलर नाहक ही खर्च करवा देंगे । इनका यह भी कहना है कि राजा साबू को अब पर्दादारी छोड़ कर खुल कर सामने आ जाना चाहिए - उन्हें इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए कि पर्दा अब बचा नहीं रह गया है, वह अब पूरी तरह हट चुका है; और पर्दा जब हट ही चुका है तो उसके भ्रम में क्या और क्यों रहना ? इनका कहना है कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स यदि खुल कर चुनाव में उत्तर आएँ, तो मनचाहा नतीजा पा सकते हैं । इनकी शिकायत है कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स आधे-अधूरे तरीके से और छिप/बच/डर कर काम करते हैं - जिस कारण 'पकड़े' भी जाते हैं और बदनाम भी होते हैं, लेकिन काम भी नहीं बनता । 
मजे की बात यह है कि राजा साबू व उनके 'गिरोह' के गवर्नर्स तथा डीसी बंसल के समर्थकों के बीच अगली कार्रवाई को लेकर मतभेद हैं - राजा साबू व उनके 'गिरोह' के गवर्नर्स का मानना है कि टीके रूबी से चुनाव जीतना डीसी बंसल के लिए मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव होगा; और इसलिए डीसी बंसल को रोटरी इंटरनेशनल में तीन हजार डॉलर फीस वाली शिकायत वाला रूट 'पकड़ना' चाहिए । लेकिन डीसी बंसल के नजदीकियों व समर्थकों को लगता है कि रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत करके कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि इस समय वहाँ राजा साबू के विरोधियों का पलड़ा भारी है; टीके रूबी की शिकायत पर उनके पक्ष में आए फैसले से यह साबित भी हो गया है; इसलिए चुनाव वाला 'रास्ता' ज्यादा मौजूँ है । डीसी बंसल के नजदीकियों व समर्थकों का मानना और कहना है कि राजा साबू व दूसरे गवर्नर्स यदि पूरे मन से तथा खुल कर साथ दें तो डीसी बंसल निश्चित रूप से चुनाव जीत जायेंगे । डीसी बंसल के नजदीकी व समर्थक एक गंभीर तर्क यह भी दे रहे हैं कि राजा साबू व दूसरे गवर्नर्स को यदि डीसी बंसल की जीत का भरोसा नहीं है, तो फिर वह उन्हें चुनावी रास्ते पर धकेल क्यों रहे हैं ? और क्यों नहीं अपना सारा ध्यान व एनर्जी रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत करने/करवाने वाले विकल्प पर लगाते हैं ? राजा साबू और उनके 'साथी' गवर्नर्स किंतु जिस तरह डीसी बंसल पर दोनों 'रास्तों' पर चलने के लिए दबाव बना रहे हैं, इससे डीसी बंसल के प्रति हमदर्दी रखने वाले लोगों को लग रहा है कि यह नेता लोग सिर्फ अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं, डिस्ट्रिक्ट में अपनी अहमियत दिखाने/जताने के लिए वह 'फ्लॉप' साबित हो चुकी फिल्म को जबरदस्ती चलाते/दिखाने का प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए डीसी बंसल को इस्तेमाल कर रहे हैं । राजा साबू व उनके 'गिरोह' के पूर्व गवर्नर्स तथा डीसी बंसल के समर्थकों के बीच किस तरह की रजामंदी होती है, इस पर आगे का घटना क्रम निर्भर करेगा ।