Friday, June 26, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080, यानि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में हर किसी को हैरान करते हुए रोटरी इंटरनेशनल ने टीके रूबी द्वारा की गई चुनावी शिकायत को सही पाया और टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के अधिकृत उम्मीदवार का दर्जा देने का फैसला सुनाया

चंडीगढ़ । राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए चुने गए अधिकृत उम्मीदवार टीके रूबी को षड्यंत्रपूर्वक हटाने की कोशिश को रोटरी इंटरनेशनल ने तगड़ा झटका दिया और टीके रूबी को अधिकृत उम्मीदवार मानते हुए आगे की चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने का फैसला सुनाया है । जिन लोगों को उक्त षड्यंत्र से जुड़े तथ्यों की पूरी जानकारी है, उन्हें तो इस फैसले पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ है; लेकिन जो लोग इस मामले को 'राजनीतिक' चश्मे से देख रहे थे, उन्हें इस फैसले ने चौंकाया है । दरअसल हर कोई मान रहा था कि टीके रूबी के साथ जो षड्यंत्र हुआ, उसके वास्तविक सूत्रधार राजेंद्र उर्फ राजा साबू हैं; और चूँकि राजा साबू नहीं चाहते हैं कि टीके रूबी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनें - इसलिए रोटरी में तो टीके रूबी को किसी भी कीमत पर 'न्याय' नहीं ही मिलेगा । हर किसी को विश्वास था कि टीके रूबी की तरफ से रोटरी इंटरनेशनल में की गई शिकायत को रोटरी में खासी धमक रखने वाले राजा साबू निरस्त करवा देंगे । किंतु आज सुबह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय को रोटरी इंटरनेशनल से जो चिट्ठी मिली तो चिट्ठी के मजमून ने जैसे सभी के होश उड़ा दिए । जो लोग यह मानते भी थे कि टीके रूबी का पक्ष बहुत मजबूत है, और जो तथ्य हैं उन्हें देखते हुए टीके रूबी के पक्ष में ही फैसला होना चाहिए - उन्हें भी यह जानकर हैरानी हुई कि उनका मानना सच साबित हुआ है । 
यह हैरानी दरअसल इसलिए ही हुई क्योंकि हर कोई मान रहा था कि राजा साबू कुछ भी करेंगे और टीके रूबी के पक्ष में फैसला होने ही नहीं देंगे । लेकिन अब जब टीके रूबी के पक्ष में फैसला आ गया है, तो लोग दो खेमों में बँटे नजर आ रहे हैं - कुछेक लोगों को लगता है कि राजा साबू की चली नहीं और रोटरी इंटरनेशनल में उनके विरोधियों ने उन्हें नीचा दिखाने के लिए टीके रूबी की शिकायत को निरस्त करने/करवाने की उनकी सिफारिश को सफल नहीं होने दिया; जबकि अन्य कई एक लोगों को लगता है कि राजा साबू ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप किया ही नहीं, और जो होता हो उसे हो जाने दिया । राजा साबू के नजदीकियों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर इस वर्ष जो राजनीति हुई, राजा साबू उससे बहुत दुखी और परेशान थे; तथा चाहते थे कि जल्दी से जल्दी इस मामले का पटापेक्ष हो । असल में, टीके रूबी के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने को निरस्त करने को लेकर जो तमाशा हो रहा था, उसमें - राजा साबू की कोई भूमिका थी या नहीं - फजीहत लेकिन राजा साबू की ही हो रही थी । राजा साबू ने वर्षों की अपनी सक्रियता और संलग्नता से रोटरी में अपनी जो साख व प्रतिष्ठा बनाई थी, वह इस मामले के चलते धूल-धूसरित हो रही थी । राजा साबू का डिस्ट्रिक्ट रोटरी के दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के बीच एक आदर्श व उदाहरण बना हुआ था, और इसके चलते पायलट प्रोजेक्ट से बाहर बना हुआ था तथा एक विशेष हैसियत पाया हुआ था - लेकिन इस मामले के चलते पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट की उक्त विशेष हैसियत छिन गई थी और वह पायलट प्रोजेक्ट में आ गया था । 
इन स्थितियों ने राजा साबू को खिन्न किया हुआ था और वह अपने डिस्ट्रिक्ट के उन पूर्व गवर्नर्स से नाराज बताये जा रहे थे, जिनके कारण बात यहाँ तक आ पहुँची थी । राजा साबू के नजदीकियों का कहना है कि स्थितियों ने जो टर्न लिया था, उसमें राजा साबू खिन्न और नाराज जरूर थे - लेकिन असहाय भी थे । उन्होंने भी समझ लिया था कि टीके रूबी के खिलाफ षड्यंत्र करने वाले पूर्व गवर्नर्स पर उन्होंने यदि शुरू में ही नकेल कसी होती, तो बात इतनी नहीं बिगड़ती । बुरी बात यह हुई कि टीके रूबी के खिलाफ षड्यंत्र करने वाले पूर्व गवर्नर्स ने मामले को अपने पक्ष में करने के लिए जो भी चालें चलीं, वह सब उलटी पड़ीं तथा मामला बद से बदतर ही होता गया । षड्यंत्रकारी पूर्व गवर्नर्स डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए । हालात इस कदर बिगड़ गए कि राजा साबू को मसूरी में आयोजित हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट डेविड हिल्टन के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनिंग असेम्बली कार्यक्रम में लोगों के सवालों का सामना करने से बचने के लिए अपना जाना ही स्थगित करना पड़ा । लोगों के बीच चर्चा थी ही कि राजा साबू ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए टीके रूबी की शिकायत को निरस्त करवा भी दिया, तो टीके रूबी तीन हजार डॉलर फीस वाली शिकायत दर्ज करवायेंगे । इस तरह की बातों से साफ हो गया कि टीके रूबी मामले को आसानी से खत्म नहीं होने देंगे । ऐसे में, जैसा कि राजा साबू के नजदीकियों का कहना है कि राजा साबू को समझ में आ गया कि अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके वह टीके रूबी की शिकायत को निरस्त भले ही करवा दें, लेकिन 'पराजित' उन्हें ही होना है । वह यदि 'जीत' भी गए, तो भी जीतने के बावजूद उनके हिस्से में 'हार' ही आएगी । हिन्दी लेखक सुदर्शन की मशहूर कहानी 'जीत की हार' राजा साबू ने पढ़ी है या नहीं - यह तो नहीं पता, लेकिन जिसने भी पढ़ी होगी, वह समझ रहा होगा कि वर्षों पहले लिखी गई उक्त कहानी राजा साबू की मौजूदा स्थिति पर पूरी तरह फिर बैठती है । 
नजदीकियों के अनुसार, राजा साबू ने समझ लिया कि टीके रूबी से जीती हुई बाजी छीनने के चलते रोटरी में उनकी जो फजीहत हुई है, उसे नियंत्रित करने तथा और आगे न बढ़ने देने का एक ही तरीका है कि वह अपने आप को इस मामले से अलग कर लें और टीके रूबी को न्याय मिलने की राह का अब और रोड़ा न बनें । हालाँकि कुछेक लोग अभी भी टीके रूबी का रास्ता रोकने का जुगाड़ लगाने के फेर में हैं और इसके लिए रोटरी इंटरनेशनल से आई चिट्ठी की लैंग्वेज की अपने तरीके से व्याख्या कर रहे हैं । उन्हें लगता है कि इस चिट्ठी में गोलमोल तरीके से जो लिखा गया है, उसका फायदा उठाते हुए टीके रूबी को जीत से दूर रखा जा सकता है । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल से आई चिट्ठी में लिखा गया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की प्रक्रिया जहाँ तक पूरी हो चुकी है, वह सही है और अब उसके आगे की प्रक्रिया पूरी की जाए । इसका अर्थ हर किसी ने यही निकाला है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक ने 24 फरवरी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए टीके रूबी को अधिकृत उम्मीदवार घोषित करते हुए जो परिपत्र निकाला था, उसे मान्य करते हुए रोटरी इंटरनेशनल ने उसके आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया है । कुछेक लोग लेकिन चिट्ठी की लैंग्वेज में ऐसा कुछ पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे कि टीके रूबी को उनका हक न मिल सके । राजा साबू ने कल चंडीगढ़ में कुछेक पूर्व गवर्नर्स की मीटिंग बुलाई है, जिसमें रोटरी इंटरनेशनल से आए इस फैसले के आधार पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की प्रक्रिया को पूरी करने संबंधी प्रक्रिया पर विचार किया जायेगा । टीके रूबी ने एक बड़ी लड़ाई जीत ली है; उम्मीद की जाती है कि उनकी इस जीत की औपचारिक घोषणा जल्दी ही कर दी जाएगी । 
रोटरी इंटरनेशनल के फैसले को कई लोग टीके रूबी की जीत या राजा साबू - और(या) उनके नजदीकी होने का दावा करने वाले पूर्व गवर्नर्स की हार के रूप में देखने की बजाये रोटरी की जीत के रूप में देख रहे हैं । उन्हें लगता है कि अंत भला तो सब भला ।