Friday, June 12, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में सेंट्रल काउंसिल पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए वोट जुटाने वास्ते फूल भेज कर लोगों को 'फूल' बनाने की विजय गुप्ता की कोशिश पर साहिल भाटिया के रिएक्शन ने विजय गुप्ता की भारी फजीहत तो की ही है, उनके सामने मुसीबत भी खड़ी कर दी है

फरीदाबाद । साहिल भाटिया को जन्मदिन पर फूल भेजने के चक्कर में विजय गुप्ता को उनसे जो लताड़ सुनने को मिली है उसने विजय गुप्ता के सामने एक अजीब संकट खड़ा कर दिया है । संकट दरअसल यह फैसला करने को लेकर है कि साहिल भाटिया के हाथों उनकी जो सार्वजनिक फजीहत हुई है उसके बाद भी वह चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को उनके जन्मदिन पर फूल भेज कर उन्हें 'फूल' बनाने की अपनी कार्रवाई को जारी रखें, या लोगों को फूल भेजने का काम बंद कर दें । विजय गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि उन्होंने दोनों ऑप्शन पर विचार किया है - और दोनों के फायदों व नुकसानों के बारे में पड़ताल की है; किंतु किसी नतीजे पर पहुँचना अभी उन्हें मुश्किल लग रहा है । विजय गुप्ता जान/समझ रहे हैं कि उनके फूल भेजने पर साहिल भाटिया ने जिस तरह से रिएक्ट किया है, उससे लोगों के बीच उनकी भारी फजीहत हुई है; लेकिन वह यह भी जानते हैं कि अपने जन्मदिन पर उनकी तरफ से भेजे गए फूल पाकर कई चार्टर्ड एकाउंटेंट्स खुश भी हुए हैं और अपनी खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने उन्हें थैंक्स भी कहा है । विजय गुप्ता अच्छी तरह से इस बात को जानते/समझते हैं कि चुनावी वर्ष में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को उनके जन्मदिन पर फूल भेजने की उनकी जो 'नौटंकी' है, उसके पीछे छिपे उद्देश्य को हर कोई जानता/पहचानता है - लेकिन फिर भी अधिकतर लोगों को उनकी यह 'नौटंकी' अच्छी लगती है और वह इससे प्रभावित होते हैं । 
असल में, मौजूदा समय ऐसा समय है जहाँ अधिकतर लोग भावनात्मक रूप से 'अकेले' रह रहे हैं; उन्हें कोई पूछता ही नहीं है; अपना 'होना' उन्हें निरर्थक जान पड़ता है - ऐसे में किसी की तरफ से उन्हें अपने जन्मदिन पर यदि फूलों के गुच्छे के साथ शुभकामनाओं के शब्द मिलते हैं; तो यह जानते हुए भी कि फूल भेजने वाला उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता है और इन फूलों को भेजने के पीछे उसका स्वार्थ है, उन्हें अच्छा लगता है । सब कुछ जानते/समझते हुए भी 'अच्छा लगने' की इस हकीकत में विजय गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी के लिए रास्ता बनता दिखता है - और इसीलिए उन्होंने फूल भेजने की नौटंकी को अपना लिया । विजय गुप्ता को पता है कि कई लोग हैं जो फूल मिलने पर खुश नहीं होंगे, किंतु उन्होंने 'खुश न होने वालों' की बजाए 'खुश होने वालों' पर ध्यान दिया और फूल भेजने की नौटंकी तैयार की । खुश न होने वालों की परवाह विजय गुप्ता ने इसलिए भी नहीं की, क्योंकि उन्होंने पाया कि खुश न होने वाले चूँकि अपनी नाखुशी सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं करते हैं - इसलिए नाखुश लोग उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाते हैं ।
साहिल भाटिया ने लेकिन इस 'व्यवस्था' को पलट देने वाला काम किया है । साहिल भाटिया के रिएक्शन ने बता/जता दिया है कि विजय गुप्ता की नौटंकी को पहचानने/समझने वाले नाखुश लोग अब चुप नहीं बैठेंगे और अपनी नाखुशी को सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्त करेंगे । साहिल भाटिया ने नाखुश होने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को जैसे एक रास्ता दिखा दिया है । नाखुश लोगों के रवैये में आ रहे इस बदलाव ने विजय गुप्ता के सामने चुनौती खड़ी कर दी है । उनके सामने खतरा यह पैदा हो गया है कि साहिल भाटिया की तरह ही कुछेक अन्य लोगों ने भी इसी तरह उनकी सार्वजनिक फजीहत की तो फिर उनकी यह सारी नौटंकी ही फिजूल साबित हो जाएगी । समस्या यह है कि लोगों के जन्मदिन तो ऐन चुनाव के दिन तक आते रहेंगे - इसलिए विजय गुप्ता को कम-से-कम चुनाव के दिन तक तो लोगों को फूल भेजने होंगे: ऐसे में विजय गुप्ता के सामने ऐन चुनाव के दिन तक फजीहत का शिकार होने का खतरा है । अपने जन्मदिन पर विजय गुप्ता की तरफ से मिले फूलों पर साहिल भाटिया द्वारा व्यक्त की गई प्रतिक्रिया को चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच जिस तरह की चर्चा मिली है, उसने विजय गुप्ता को बता/जता दिया है कि फूल भेज कर वोट जुटाने का उनका फार्मूला उलटा असर भी कर सकता है और राजनीतिक फायदे के लिए उनके द्वारा अपनाया गया हथकंडा उन्हें नुकसान भी पहुँचा सकता है । 
विजय गुप्ता के सामने मुसीबत यह खड़ी हो गई है कि लोगों को फूल भेज कर वोट पक्का करने की अपनी तरकीब को उन्होंने यदि अभी तुरंत बंद कर दिया, तो लोगों के बीच मैसेज जायेगा कि साहिल भाटिया के हाथों उनकी जो फजीहत हुई है - उससे वह डर गए हैं; और तब साहिल भाटिया तथा उनके जैसे दूसरे नाखुश रहने वाले लोगों का उत्साह और बढ़ेगा तथा वह उनकी और आफत कर देंगे । विजय गुप्ता के कुछेक नजदीकियों ने हालाँकि उन्हें सलाह दी है कि साहिल भाटिया के हाथों हुईं फजीहत से डर कर उन्हें अभी तुरंत फूल भेजना बंद नहीं करना चाहिए और इंतजार करना तथा देखना चाहिए कि और लोग भी उनके 'दिखाए' रास्ते पर चलते हैं या नहीं - आगे जो स्थिति बने, उसके अनुरूप देखा जाए कि क्या करना सही होगा । उनके नजदीकियों का भी मानना/कहना है कि फूल पाने के बाद दिए गए साहिल भाटिया के रिएक्शन ने विजय गुप्ता की भारी फजीहत तो की ही है, उनके सामने मुसीबत भी खड़ी कर दी है ।