Wednesday, June 3, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के पक्ष में हवा बनाने के लिए योगेश मोहन गुप्ता, बृजभूषण और सुनील गुप्ता की तिकड़ी ने भावी इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई के नाम का जो इस्तेमाल करना शुरू किया है; उससे राजीव सिंघल को सचमुच में फायदा होगा क्या ?

मेरठ । राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के बहाने डिस्ट्रिक्ट 3100 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में मनोज देसाई एक प्रमुख मुद्दा बनते हुए दिख रहे हैं । रोटरी क्लब मेरठ साकेत के राजीव सिंघल को अगले रोटरी वर्ष की डिस्ट्रिक्ट की सत्ताधारी तिकड़ी - सुनील गुप्ता, बृजभूषण और योगेश मोहन गुप्ता - के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; और इन तीनों की तरफ से फिलर्स दिए जा रहे हैं कि राजीव सिंघल चूँकि अगले दो वर्षों के लिए इंटरनेशनल डायरेक्टर होने जा रहे मनोज देसाई के 'आदमी' हैं, इसलिए डिस्ट्रिक्ट के दूसरे पूर्व गवर्नर्स भी राजीव सिंघल की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए मजबूर होंगे । उल्लेखनीय है कि इस तिकड़ी ने पहले रोटरी क्लब मेरठ के मनोज जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का उम्मीदवार बनाने का प्रयास किया था - मनोज जैन उम्मीदवार बनने के लिए तैयार होते हुए भी 'दिखे' थे, लेकिन फिर जल्दी ही वह पीछे हट गए । उनके नजदीकियों का कहना रहा कि मनोज जैन अपने को उम्मीदवार बनाये जाने के पीछे छिपे 'इरादों' को पहचान गए और इसलिए फिर उन्होंने उम्मीदवार न बनने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । मनोज जैन के पीछे हटने के बाद तिकड़ी फिर एक नए उम्मीदवार की तलाश में जुटी और राजीव सिंघल उनकी 'पकड़' में आ गए । राजीव सिंघल की उम्मीदवारी अलग-अलग कारणों से तिकड़ी के नेताओं को अपने अपने लिए फायदे का सौदा लग रही है, और इसलिए ही तिकड़ी के तीनों सदस्यों ने अपने अपने तरीके से राजीव सिंघल की उम्मीदवारी को प्रमोट करना शुरू कर दिया है । 
योगेश मोहन गुप्ता को लगता है कि राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के जरिए वह रोटरी में अपने 'बुरे दिनों' से छुटकारा पा सकेंगे, और अपने लिए 'अच्छे दिन' ला सकेंगे । उल्लेखनीय है कि सीओएल चुनाव जीतने के चक्कर में उनकी जो फजीहत हुई, जिसके चलते न सिर्फ जीती-जिताई बाजी उन्हें हार जानी पड़ी, बल्कि सीओएल की चुनावी दौड़ से भी बाहर हो जाना पड़ा - और जिसके कारण वह रोटरी में पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए थे । हर तरफ से ठोकर खाए योगेश मोहन गुप्ता को पता नहीं किस सौदेबाजी के चलते सुनील गुप्ता ने 'सहारा' दिया और योगेश मोहन गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट व रोटरी में पुनर्स्थापित होने का मौका मिला । राजीव सिंघल की उम्मीदवारी की उँगली पकड़ कर योगेश मोहन गुप्ता को विश्वास है कि वह मनोज देसाई का 'पहुँचा' पकड़ लेंगे - और इस तरह से वह रोटरी में एक ऊँची छलाँग लगा लेंगे । बृजभूषण को - राजीव सिंघल का शिक्षा-तंत्र से जो 'रिश्ता' है, उससे लाभ उठाने का मौका दिख रहा है । सुनील गुप्ता की 'जरूरतें' दूसरी हैं । वह एक ऐसा उम्मीदवार चाहते हैं जो पूरी तरह से उनके कहे में रहे, उनके 'खर्चे' उठाए और जिसकी आड़ लेकर वह दूसरे उम्मीदवारों को अपने सामने झुका सकें । राजीव सिंघल के जरिए उन्हें अपनी यह जरूरतें पूरी होने का भरोसा है । हालाँकि कई लोगों का मानना और कहना है कि राजीव सिंघल होशियार व्यक्ति हैं और इन तीनों को अच्छी तरह 'पहचानते' हैं और इसलिए इनके जरिए इस्तेमाल नहीं हो सकेंगे । अन्य कुछेक लोगों का कहना लेकिन यह है कि राजीव सिंघल चाहें कितने ही होशियार हों, किंतु यदि उन्हें गवर्नर बनना हैं तो इनका सहारा उन्हें लेना ही पड़ेगा और ऐसे में इनके हाथों इस्तेमाल होना उनकी मजबूरी भी/ही होगी । 
योगेश मोहन गुप्ता, बृजभूषण और सुनील गुप्ता की तिकड़ी ने राजीव सिंघल को फाँसने तथा अपने साथ फँसाएँ रखने के लिए ही मनोज देसाई के नाम का इस्तेमाल करना शुरू किया है । इन्हें उम्मीद है कि मनोज देसाई के नाम का 'बोझ' रहेगा, तो राजीव सिंघल जल्दी से मैदान छोड़ेंगे नहीं । उल्लेखनीय है कि राजीव सिंघल ने इस वर्ष भी अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की थी, लेकिन चुनावी जोड़तोड़ का खेल शुरू हुआ तो उसका दबाव वह नहीं झेल सके और बिना लड़े ही वह मुकाबले से बाहर हो गए थे । राजीव सिंघल को जानने/पहचानने का दावा करने वाले लोगों का कहना है कि राजीव सिंघल यूँ तो बढ़िया कर्मठ व्यक्ति हैं और रोटरी को तथा रोटरी की राजनीति के समीकरणों को अच्छे से समझते/पहचानते हैं; समस्या किंतु यह है कि चुनावी राजनीति की उठापटक में जो दबाव बनते हैं - उन्हें झेल पाने और उन्हें हल कर पाने का धैर्य वह नहीं रख/दिखा पाते हैं । इसीलिए अधिकतर लोगों के लिए यह विश्वास कर पाना मुश्किल हो रहा है कि राजीव सिंघल चुनावी घमासान में सचमुच बने/टिके रह पायेंगे ? तिकड़ी के जो तीन लोग उनकी उम्मीदवारी का झंडा उठाए दिख रहे हैं, वह भी चूँकि उन्हें गवर्नर चुनवाने/बनवाने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि अपने अपने स्वार्थों को पूरा करने के इरादे से उनकी उम्मीदवारी का झंडा उठाए हुए हैं - इसलिए भी राजीव सिंघल की उम्मीदवारी को लेकर लोगों के बीच संदेह बना हुआ है । इस सच्चाई को समझने के कारण ही तिकड़ी के नेताओं ने मनोज देसाई के नाम का जाप किया हुआ है । उन्हें उम्मीद और विश्वास है कि मनोज देसाई का नाम राजीव सिंघल को चुनावी मैदान में टिके/डटे/बने रहने के लिए ताकत देगा । 
मजे की बात यह है कि अधिकतर लोगों को विश्वासपूर्वक यह भी नहीं पता है कि राजीव सिंघल का मनोज देसाई के साथ आखिर संबंध है क्या ? कुछेक लोगों का कहना है कि दो-तीन वर्ष पहले मनोज देसाई जब एक कार्यक्रम के सिलसिले में मेरठ आए थे तो रात में वह राजीव सिंघल के घर ठहरे थे और उस दौरान उनकी राजीव सिंघल के साथ घनिष्ठता हो गई थी । क्या इस तरह बनी घनिष्ठता के आधार पर मनोज देसाई डिस्ट्रिक्ट 3100 में होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में पार्टी बनेंगे और राजीव सिंघल के लिए 'काम' करेंगे ? सुनील गुप्ता, योगेश मोहन गुप्ता, बृजभूषण की तिकड़ी ने अपने स्वार्थ में मनोज देसाई जैसे बड़े नेता का इस्तेमाल करने का यह जो तरीका अपनाया है, उसने डिस्ट्रिक्ट में एक बड़ी मजेदार बहस छेड़ दी है । तिकड़ी के इन तीन सदस्यों और उनके नजदीकियों का कहना है कि मनोज देसाई का नाम ही काफी है राजीव सिंघल को चुनवाने/जितवाने के लिए; दूसरे लोगों का कहना लेकिन यह है कि तिकड़ी के लोग अपने स्वार्थ में मनोज देसाई का नाम लेकर अभी भले ही लोगों को धोखा दे लें, लेकिन जल्दी ही पोल खुल जायेगी कि अपना अपना काम निकालने/बनाने के लिए इन्होंने मनोज देसाई जैसे बड़े पदाधिकारी के नाम का इस्तेमाल करने में भी हिचक महसूस नहीं की । राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थन में सुनील गुप्ता, बृजभूषण और योगेश मोहन गुप्ता की तिकड़ी ने भावी इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई के नाम का जो गुब्बारा फुलाया है, उसमें हवा सचमुच में भरी रह पायेगी या वह जल्दी ही फूटेगा - यह जानने की दिलचस्पी सभी को है ।