Sunday, June 28, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में गाजियाबाद के वरिष्ठ रोटेरियंस योगेश गर्ग तक के साथ धोखा और चालबाजी करने वाले जेके गौड़ का रवैया यदि अशोक गर्ग के प्रति भी बदला बदला सा है, तो इसमें आश्चर्य की भला क्या बात है ?

नई दिल्ली । जेके गौड़ के बदले-बदले से रवैये ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार अशोक गर्ग को खासा हैरान भी किया है, और बुरी तरह परेशान भी । अशोक गर्ग के नजदीकियों के अनुसार, अशोक गर्ग उन दिनों को याद करके अपनी हैरानी व परेशानी को और बढ़ाते हुए भी दिखते हैं, जब जेके गौड़ खुद उम्मीदवार थे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी को कामयाब बनाने के लिए जेके गौड़ उनकी कैसे कैसे और कैसी कैसी खुशामद किया करते थे, उसे याद करते हुए - और जेके गौड़ के अब के व्यवहार के साथ उसकी तुलना करते हुए अशोक गर्ग अचंभा करते हैं कि कोई व्यक्ति इतना भी बदल सकता है क्या ? पिछले रोटरी वर्ष में भी जेके गौड़ के साथ अशोक गर्ग के इतने घनिष्ट संबंध थे कि जेके गौड़ के कहने पर अशोक गर्ग ने अपने क्लब के वरिष्ठ सदस्य संजीव रस्तोगी को क्लब से ही निकाल/निकलवा दिया था । नजदीकियों के अनुसार, अशोक गर्ग को अब लगता है कि जेके गौड़ ने पिछले वर्षों में उन्हें तरह-तरह से इस्तेमाल किया, और अब जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में उन्हें जेके गौड़ से मदद की उम्मीद है, तो जेके गौड़ उनके साथ ऐसे पेश आते हैं कि जैसे उन्हें पहचानते ही नहीं हैं । अशोक गर्ग को चूँकि दूसरे रोटेरियंस से भी यह सुनने को मिलता है कि जेके गौड़ बहुत बदल गए हैं, अब वह पहले जैसे नहीं रह गए हैं और घमंडी व बदतमीज तक हो गए हैं, तो अशोक गर्ग को थोड़ी सांत्वना तो मिलती है किंतु उनका अचंभा खत्म नहीं होता है । गाजियाबाद के वरिष्ठ रोटेरियंस तक से की जा रही जेके गौड़ की बदतमीजियों की खबरें दरअसल अशोक गर्ग के अचंभे को खत्म नहीं होने दे रही हैं । 
गाजियाबाद के वरिष्ठ रोटेरियंस को जेके गौड़ की ताजा बदतमीजी का शिकार उस समय होना पड़ा, जब 30 जून को आयोजित हो रहे अपने 'संभव - टू मेक पॉसिबल' कार्यक्रम की तैयारियों के सिलसिले में उन्होंने अपनी तथाकथित कोर टीम की मीटिंग बुलाई । इस मीटिंग में उपस्थित लोगों से विचार-विमर्श करने व सलाह लेने की बजाए जेके गौड़ ने अपने फरमान सुनाने पर ही ज्यादा ध्यान दिया । हद तब हुई जब जेके गौड़ ने ऐलान किया कि 30 जून के उक्त कार्यक्रम के लिए वह 25 जून तक ही रजिस्ट्रेशन स्वीकार करेंगे । मीटिंग में मौजूद गाजियाबाद के वरिष्ठ रोटेरियंस राजीव वशिष्ठ, उमेश चोपड़ा, विनोद चावला आदि ने जेके गौड़ को समझाने का प्रयास किया कि अपने डिस्ट्रिक्ट की रोटरी में लोग ऐन कार्यक्रम के दिन तक रजिस्ट्रेशन करवाते हैं, इसलिए इस तरह का फैसला व्यवहारिक नहीं होगा - और यह फैसला लागू नहीं किया जाना चाहिए । जेके गौड़ ने लेकिन इनकी एक न सुनी और 25 जून तक रजिस्ट्रेशन करवाने के फैसले को लागू करने पर अड़े रहे । मीटिंग में मौजूद किसी भी व्यक्ति ने उनके इस फैसले पर सहमति व्यक्त नहीं की, लेकिन जेके गौड़ फिर भी 'अपने' फैसले को लागू करने की जिद पूरी करके ही माने । मीटिंग में मौजूद लोगों के बीच नाराजगी भरे स्वर भी उभरे कि जेके गौड़ को जब किसी की सुननी/माननी ही नहीं है, तो फिर मीटिंग बुलाने का नाटक क्यों करता है ? इस किस्से में मजे की बात यह रही कि मीटिंग में जेके गौड़ को जो बात समझ में नहीं आ रही थी, और जिसे मानने के लिए वह हरगिज तैयार नहीं हुए - वह बात जेके गौड़ को तीन दिन बाद लेकिन समझ में आ गई; जब उन्होंने उक्त कार्यक्रम के लिए 25 जून तक रजिस्ट्रेशन कराने की शर्त को हटा लिया । इस पर कुछेक लोगों ने चुटकी भी ली कि जेके गौड़ की अक्ल का ताला धीरे-धीरे खुलता है क्या, जो उन्हें बात देर से समझ में आती है । 
इस मीटिंग की आड़ में जेके गौड़ ने गाजियाबाद के एक अन्य वरिष्ठ रोटेरियन योगेश गर्ग के साथ एक दूसरी किस्म की चाल खेली । इस मीटिंग में जेके गौड़ ने योगेश गर्ग को भी आमंत्रित किया । योगेश गर्ग ने मीटिंग में आने के लिए हामी भी भर दी - लेकिन ऐन मौके पर उन्हें पता चला कि जेके गौड़ ने इस मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के दूसरे किसी संभावित उम्मीदवार को तो आमंत्रित किया ही नहीं है; संभावित उम्मीदवारों में एक अकेले उन्हीं को जेके गौड़ ने आमंत्रित किया है । यह जानकारी देने वाले ने योगेश गर्ग को यह जानकारी और दी कि उक्त मीटिंग में उनकी उपस्थिति को बना/दिखा कर जेके गौड़ ने उनकी संभावित उम्मीदवारी की राह के लिए रोड़ा तैयार करने की चाल चली है । समय रहते जेके गौड़ द्वारा रची गई साजिश की पोल खुल जाने से योगेश गर्ग ने उक्त मीटिंग में जाना तो स्थगित कर दिया, किंतु योगेश गर्ग को यह जानकर तगड़ा झटका लगा कि जेके गौड़ उनके साथ भी इस तरह की धोखाधड़ी कर सकता है ? जेके गौड़ की इस चालबाजी से सावधान होकर ही योगेश गर्ग ने जेके गौड़ का कामकाज देख रहे अशोक अग्रवाल को फोन करके एक बार फिर याद दिलाया कि डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में उनका नाम किसी भी रूप में नहीं छपना चाहिए । योगेश गर्ग हालाँकि यह बात जेके गौड़ व अशोक अग्रवाल को पहले बता चुके थे; किंतु जेके गौड़ द्वारा रची गई चालबाजी के बेनकाब होने के बाद बाद योगेश गर्ग को डर हुआ कि जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में नाम छापने की हरकत कर सकता है, इसलिए उन्हें अशोक अग्रवाल को वह बात दोबारा से याद दिलाना जरूरी लगा ।
जेके गौड़ ने योगेश गर्ग के साथ जो चालबाजी खेली, उसके बारे में जानकर अशोक गर्ग की अपने प्रति जेके गौड़ के बदले रवैये से पैदा हुई निराशा शायद कुछ कम हुई होगी । उन्हें लगा होगा कि जेके गौड़ जब गाजियाबाद के योगेश गर्ग जैसे वरिष्ठ रोटेरियन को धोखा देने का काम कर सकते हैं और उनके साथ चालबाजी खेल सकते हैं, तो फिर उनके साथ अपना रवैया क्यों नहीं बदल सकते ? अशोक गर्ग के प्रति जेके गौड़ के बदले रवैये के पीछे हालाँकि मुकेश अरनेजा वाले ऐंगल को भी देखा/पहचाना जा रहा है । उल्लेखनीय है कि अशोक गर्ग को मुकेश अरनेजा के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । अशोक गर्ग के समर्थकों व शुभचिंतकों का कहना है कि जेके गौड़ ने आजकल अपना 'आका' चूँकि रमेश अग्रवाल को बनाया हुआ है, और रमेश अग्रवाल तथा मुकेश अरनेजा के बीच छत्तीस का संबंध बना हुआ है - इसलिए जेके गौड़ को भी मुकेश अरनेजा से दूरी बनानी/दिखानी पड़ रही है; और इस चक्कर में अशोक गर्ग को 'पिसना' पड़ रहा है । कुछेक अन्य लोगों का कहना लेकिन यह भी है कि खेमेबाजी के कारण अशोक गर्ग को जेके गौड़ से जो चोट पड़ेगी, वह इतनी बुरी नहीं लगती; जितनी चोट अशोक गर्ग को जेके गौड़ के बदलते व्यवहार और उनके घमंडी हो जाने के कारण लग रही है । अशोक गर्ग के समर्थकों का कहना है कि जेके गौड़ यदि मुकेश अरनेजा के उम्मीदवार होने के नाते भी अशोक गर्ग के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं, तो यह बात भी तो जेके गौड़ के अवसरवादी होने का सुबूत ही है - जेके गौड़ को क्या यह बात याद नहीं है कि रोटरी में आज वह जहाँ हैं, वहाँ तक उन्हें पहुँचाने में मुकेश अरनेजा का कितना और कैसा सहयोग रहा है ? अशोक गर्ग ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का अभियान जब शुरू किया था, तब उन्हें बड़ा भरोसा था कि मुकेश अरनेजा के उम्मीदवार होने का जो लाभ उन्हें मिलेगा, उसके साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जेके गौड़ की भी मदद उन्हें मिलेगी । यह भरोसा उन्हें इसलिए भी था, क्योंकि जेके गौड़ की उम्मीदवारी के समय उन्होंने जेके गौड़ की हर तरह से मदद की थी । अशोक गर्ग को यह देख/जान कर लेकिन खासा झटका लगा है कि जेके गौड़ पूरी तरह अहसानफरामोश निकले । जेके गौड़ की इस अहसानफ़रामोशी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में अशोक गर्ग की चुनौती को बढ़ा दिया है ।