Thursday, June 4, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा अपनी हरकतों व कारस्तानियों के कारण अपने क्लब से निकाले गए उर्फ़ शिकारी खुद शिकार हो गया

नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा अपनी जिन कारस्तानियों और करतूतों के कारण अपने क्लब से निकाल दिए गए है, उससे इंटरनेशनल डायरेक्टर का पदभार संभालने की तैयारी कर रहे मनोज देसाई के लिए यह संकट पैदा हो गया है कि उन्होंने मुकेश अरनेजा को असिस्टेंट रोटरी कोऑर्डिनेटर का जो पद दिया है, उसका वह क्या करें ? उल्लेखनीय है कि मनोज देसाई ने असिस्टेंट रोटरी कोऑर्डिनेटर के रूप में मुकेश अरनेजा को चार डिस्ट्रिक्ट्स की जिम्मेदारी सौंपी है, जिनमें उन्हें रोटरी की भावना और उसके आदर्शों के अनुरूप लोगों को शिक्षित व प्रशिक्षित करना है । मनोज देसाई के सामने सवाल लेकिन अब यह खड़ा हो गया है कि जो मुकेश अरनेजा रोटरी की भावना व उसके आदर्शों का पालन न करने के कारण अपने क्लब से निकाल दिए गए हों, वह मुकेश अरनेजा दूसरों को रोटरी की भावना व उसके आदर्शों के बारे में भला कैसे शिक्षण/प्रशिक्षण दे सकेंगे ? मनोज देसाई इस बात पर कोई फिक्र कर रहे हैं या नहीं, यह तो अभी पता नहीं चला है; लेकिन मुकेश अरनेजा इस बात की फिक्र बिलकुल भी नहीं कर रहे हैं । मुकेश अरनेजा का कहना है कि वह भले ही अपने क्लब से निकाल दिए गए हैं, लेकिन मनोज देसाई उन्हें दिया गया असिस्टेंट रोटरी कोऑर्डिनेटर का पद वापस नहीं लेंगे । मुकेश अरनेजा का कहना है कि मनोज देसाई ने उन्हें यह पद इसलिए दिया है क्योंकि मनोज देसाई को इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने/बनवाने में उन्होंने मदद की थी । जाहिर है कि यह पद मनोज देसाई ने उन्हें ईनाम में दिया है, और उन्हें विश्वास है कि मनोज देसाई दिया गया ईनाम वापस नहीं लेंगे । 
मुकेश अरनेजा को मनोज देसाई से तो 'राहत' मिलने की उम्मीद है, किंतु अपने ही क्लब के पदाधिकारियों से उन्हें राहत नहीं मिल सकी । उनकी कारस्तानियों और करतूतों के खिलाफ उनके क्लब के पदाधिकारियों में जो नाराजगी पैदा हुई; और उस नाराजगी के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई करने की जो स्थितियाँ बनीं - उन्हें टालने के लिए मुकेश अरनेजा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना से लेकर रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों तक से मदद की गुहार की; लेकिन वह क्लब से अपने निष्कासन को बचा नहीं सके । खास बात यह रही कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना ने तथा रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस के वरिष्ठ पदाधिकारी जितेंद्र सिंह ने मुकेश अरनेजा को बचाने का प्रयास भी किया, लेकिन क्लब के पदाधिकारियों की तैयारी के सामने उनके प्रयास भी मुकेश अरनेजा को बचा नहीं सके । 
मुकेश अरनेजा का 'गणित' इस बार दरअसल फेल हो गया । मुकेश अरनेजा चूँकि बदतमीजियाँ और बदमाशियाँ करके हमेशा बच निकलते रहे हैं, इसलिए उन्हें पक्का भरोसा था कि वह इस बार भी बच निकलेंगे । किंतु वह यह समझने/पहचानने में चूक गए कि उनके 'पापों' का घड़ा अब इतना भर गया है कि उनके बचने की संभावनाएँ लगातार कम - और खत्म होती जा रही हैं । उल्लेखनीय है कि मौजूदा रोटरी वर्ष के शुरू में भी हालात ऐसे बने थे जिसमें मुकेश अरनेजा को क्लब से निकाले जाने की बात चली थी । खुशामद करके और माफी माँग कर के प्रतिकूल स्थितियों को अनुकूल करने में मुकेश अरनेजा बड़े होशियार रहे हैं; इसी होशियारी का इस्तेमाल करते हुए मौजूदा रोटरी वर्ष के शुरू में आये संकट को टाल देने में मुकेश अरनेजा सफल हो गए थे । मुकेश अरनेजा ने चूँकि अपनी करतूतों के लिए माफी माँग ली थी, इसलिए क्लब के पदाधिकारियों व दूसरे सदस्यों ने समझा था कि मुकेश अरनेजा अब कम-से-कम इस वर्ष अपनी हरकतों से बाज रहेंगे । लेकिन मुकेश अरनेजा ने उस बात को सही साबित किया, जो बात लोग उनके बारे में प्रायः कहते हैं कि जैसे कुत्ते की पूँछ को किसी भी तरह से सीधा नहीं किया जा सकता है, वैसे ही मुकेश अरनेजा को सुधारा नहीं जा सकता है । माफी माँग कर मुकेश अरनेजा ने अपने खिलाफ होने वाली कार्रवाई को तो टलवा दिया, लेकिन अपनी हरकतों से बाज वह नहीं आए । दरअसल उन्होंने सोचा यह था कि मौजूदा वर्ष तो अब निकल ही जायेगा और अगले वर्ष अध्यक्ष पद सँभालने वाले मनीष गोयल तो उनके ही 'आदमी' हैं, तो फिर उन्हें थोड़े दिन के लिए भी सुधरने की जरूरत भला क्या है ?
मुकेश अरनेजा सुधरने का वायदा करके भी नहीं सुधरे और उन्होंने अपनी हरकतें जारी रखीं । उन्होंने गलती यही की कि उन्होंने मौजूदा अध्यक्ष आभा गुप्ता को हल्के में लिया । आभा गुप्ता ने पहली बार तो मुकेश अरनेजा को माफ करने की उदारता और बड़प्पन दिखाया था; लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनकी उदारता और उनके बड़प्पन को मुकेश अरनेजा उनकी कमजोरी समझ रहे हैं, तो उन्होंने मुकेश अरनेजा की गर्दन ऐसे पकड़ी कि गर्दन छुड़ाने के लिए मुकेश अरनेजा छटपटाये तो बहुत, और - और जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि - उन्होंने संजय खन्ना व जितेंद्र सिंह जैसे बड़े पदाधिकारियों की मदद भी जुटाई, किंतु आभा गुप्ता की पकड़ से अपनी गर्दन छुड़ा नहीं पाए और क्लब से बाहर कर दिए गए । 
मुकेश अरनेजा के समर्थकों का कहना है कि मुकेश अरनेजा को भले ही क्लब से बाहर कर दिया गया है, लेकिन मुकेश अरनेजा अभी हार मानने वाले नहीं हैं । क्लब में वापसी करने के लिए उनके पास दो रास्ते हैं : एक तो वह क्लब के सदस्यों की मीटिंग बुला/बुलवा कर दो-तिहाई समर्थन जुटा कर क्लब से उन्हें निकालने के फैसले को वापस करवा सकते हैं; और दूसरा रास्ता उनके पास यह है कि वह रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत कर सकते हैं कि उन्हें क्लब से निकालने की प्रक्रिया में नियमों आदि का पालन नहीं हुआ है, और वहाँ से वह अपने पक्ष में फैसला होने की उम्मीद कर सकते हैं । इन दोनों रास्तों की सफलता को लेकर लेकिन शक इसलिए है क्योंकि क्लब में अधिकतर सदस्य मुकेश अरनेजा के खिलाफ हो गए हैं । इसका सबसे बड़ा सुबूत यह है कि अगले रोटरी वर्ष के लिए बनने वाले बोर्ड में मुकेश अरनेजा गिरोह ने जब अपने लोगों को रखने का प्रयास किया तो उसका तगड़ा विरोध हुआ, जिसके कारण बोर्ड के सदस्यों के लिए चुनाव करवाने की नौबत पैदा हुई - जिसमें मुकेश अरनेजा गिरोह के उम्मीदवार भारी अंतर से पराजित हुए । इससे यही लग रहा है कि रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा के लिए अब शायद कोई जगह नहीं रह गई है । 
मुकेश अरनेजा को क्लब से निकाले जाने की घटना डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में एक अनोखी घटना भी है - डिस्ट्रिक्ट में लोग अभी तक यही सुनते और देखते रहे हैं कि मुकेश अरनेजा ही क्लब्स में झगड़े करवाते हैं और लोगों को उनके क्लब्स से निकलवाते हैं । पिछले वर्षों में क्लब्स से जो लोग निकाले गए हैं, या क्लब्स में अलग-थलग किए गए हैं - उनमें अधिकतर मामलों में मुकेश अरनेजा का ही हाथ बताया/सुना जाता रहा है । मुकेश अरनेजा अभी तक दूसरोँ का ही शिकार करते रहे हैं - लेकिन दूसरों का शिकार करने के लिए वह जिस तरह की हरकतें और कारस्तानियाँ करते रहे हैं, उन्हीं हरकतों और कारस्तानियों का अब वह खुद शिकार हो गए हैं ।