Tuesday, June 2, 2015

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में तमाम प्रतिकूल चुनौतियों के बावजूद अंबरीश सरीन ने जिस तरह मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन का चुनाव जीता है, उसके चलते डिस्ट्रिक्ट और मल्टीपल की चुनावी राजनीति में उनके बढ़े कद को अपने लिए खतरे और चुनौती के रूप में देख रहे जितेंद्र चौहान ने अंबरीश सरीन को घेरने की योजना बनाई

आगरा । जितेंद्र चौहान ने सभी को हैरान करने वाली गजब की उम्मीद प्रकट की है - कि अंबरीश सरीन एलसीसीआई एक्जीक्यूटिव ऑफीसर्स के लिए उनका नाम प्रस्तावित करेंगे और उन्हें ऑफीसर बनवायेंगे । जितेंद्र चौहान की इस उम्मीद को 'गजब' इसलिए माना जा रहा है क्योंकि सभी जानते हैं कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन का पद अंबरीश सरीन को न मिले, इसके लिए जितेंद्र चौहान ने जमीन-आसमान एक किया हुआ था । उल्लेखनीय है कि लीडरशिप के बैनर तले इकट्ठा हुए दूसरे लोग जहाँ पीएस चावला को चेयरमैन बनवाने की मुहिम में लगे हुए थे, वहाँ जितेंद्र चौहान की मुहिम सिर्फ यह थी कि चेयरमैन चाहे जो बने - बस अंबरीश सरीन न बनें । उन्हीं अंबरीश सरीन से वही जितेंद्र चौहान लेकिन अब उम्मीद कर रहे हैं कि अंबरीश सरीन उन्हें एलसीसीआई में ऑफीसर बनवायें - मजे की बात यह है कि यह जानते हुए भी वह इस तरह की उम्मीद कर रहे हैं कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन इलेक्ट के रूप में अंबरीश सरीन की तरफ से नीरज बोरा का नाम एलसीसीआई की एक्जीक्यूटिव के लिए भेज दिया गया है । जितेंद्र चौहान का मानना और कहना है कि नाम भेजने से कुछ नहीं होता है, एलसीसीआई की एक्जीक्यूटिव का गठन मुंबई में हो रही स्कूलिंग में होगा और अंबरीश सरीन चाहेंगे तो उनका नाम प्रस्तावित कर सकते हैं । जितेंद्र चौहान का तर्क है कि नीरज बोरा के पास लायनिज्म के लिए समय ही नहीं है; उन्हें बड़ी राजनीति करनी है और वह उसी बड़ी राजनीति की व्यस्तता के चलते लायन गतिविधियों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं - इसलिए एलसीसीआई एक्जीक्यूटिव में उन्हें भेज कर क्या फायदा ? 
एलसीसीआई एक्जीक्यूटिव में पद पाने के लिए अंबरीश सरीन का सहयोग प्राप्त करने की जितेंद्र चौहान की कोशिश और उम्मीद दूसरों को भले ही हैरान कर रही हो, लेकिन जितेंद्र चौहान को इसमें कुछ भी अजूबा नहीं लग रहा है । अपने नजदीकियों को उन्होंने कहा है कि किसी भी राजनीति में दोस्तियाँ और दुश्मनियाँ ज्यादा देर नहीं बनी रहती हैं; इसलिए पीछे जो हुआ सो हुआ अब हमें आगे देखना चाहिए । जितेंद्र चौहान का कहना है कि अंबरीश सरीन भी जानते/समझते हैं कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन होने के बावजूद अपने ही डिस्ट्रिक्ट में तवज्जो पाने के लिए अंबरीश सरीन को उनकी शरण में आना ही पड़ेगा । उल्लेखनीय है कि जितेंद्र चौहान और अंबरीश सरीन के डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में अगले लायन वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद-भार सँभालने वाली रेणु नंदा को जितेंद्र चौहान के नजदीक समझा जाता है; और माना जाता है कि अगले लायन वर्ष में गवर्नरी का ताज भले ही रेणु नंदा के सिर पर होगा - लेकिन गवर्नरी करेंगे जितेंद्र चौहान । अगले लायन वर्ष के लिए डिस्ट्रिक्ट टीम के जिन पदाधिकारियों की सूची सामने आई है, उस सूची के अधिकतर नामों को जितेंद्र चौहान के नजदीकियों के रूप में देखा/पहचाना जाता है - और इसी आधार पर माना गया है कि अगले लायन वर्ष की टीम रेणु नंदा ने नहीं, बल्कि जितेंद्र चौहान ने बनाई है । दरअसल इसी मानने/समझने के बीच जितेंद्र चौहान को विश्वास है कि अगले लायन वर्ष में वह रेणु नंदा का 'सहारा' लेकर अंबरीश सरीन को अपनी शरण में आने के लिए मजबूर कर लेंगे । डिस्ट्रिक्ट के अन्य कई नेताओं को भी लगता है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में अंबरीश सरीन की जितेंद्र चौहान के साथ चाहें जैसी भी खटपट रही हो, जितेंद्र चौहान के साथ वह ज्यादा समय तक उस खटपट को बनाये नहीं रख पायेंगे ।   
जितेंद्र चौहान दरअसल इसीलिए प्रयास करना चाहते हैं कि उनके और अंबरीश सरीन के बीच जब खटपट अंततः खत्म होनी ही है, तो वह अभी ही क्यों न खत्म हो जाए । इसीलिए उन्होंने अंबरीश सरीन की तरफ मदद के लिए हाथ बढ़ाया है । दूसरे लोगों को लेकिन लगता है कि जितेंद्र चौहान ने मदद के लिए हाथ बढ़ा कर जल्दी कर दी है । यह सच है कि किसी भी राजनीति में दोस्तियाँ और दुश्मनियाँ ज्यादा दिन तक टिकी नहीं रह पाती हैं, तथा इसी सच के चलते जितेंद्र चौहान और अंबरीश सरीन के बीच की मौजूदा खटपट भी खत्म हो ही जायेगी - लेकिन अंबरीश सरीन के लिए 'घाव' भरने में अभी समय लगेगा । जितेंद्र चौहान के - और उनके कहने के चलते रेणु नंदा के भी - विरोध के कारण मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के लिए अंबरीश सरीन की लड़ाई खासी मुश्किल हो गई थी - इस बात को अंबरीश सरीन के लिए जल्दी भूलना संभव नहीं होगा । इसके अलावा, मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए हुई उनकी जीत ने उनके लिए बड़ी भूमिका की जो राह बनाई है, तथा जितेंद्र चौहान को जो तगड़ा झटका दिया है - अंबरीश सरीन उसका भी फायदा उठाना चाहेंगे । उल्लेखनीय है कि जितेंद्र चौहान की राजनीति भी मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने के बाद ही चमकी थी । डिस्ट्रिक्ट के और मल्टीपल के कई एक नेताओं को लगता है कि तमाम प्रतिकूल चुनौतियों के बावजूद अंबरीश सरीन ने जिस तरह मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन का चुनाव जीता है, उससे डिस्ट्रिक्ट और मल्टीपल की चुनावी राजनीति में उनका कद बढ़ा है । उनका यह बढ़ा कद ही जितेंद्र चौहान को अपने लिए बड़े खतरे और चुनौती के रूप में दिख रहा है । रेणु नंदा को अपने साथ 'दिखा' कर जितेंद्र चौहान दरअसल अंबरीश सरीन पर दबाव बनाना चाहते हैं और उन्हें अपनी शरण में आने के लिए प्रेरित और मजबूर करना चाहते हैं । 
एलसीसीआई एक्जीक्यूटिव में पद के लिए मदद मांग कर जितेंद्र चौहान ने वास्तव में अंबरीश सरीन पर दबाव बनाने की चाल ही चली है । जितेंद्र चौहान को डिस्ट्रिक्ट में इस आरोप का जो सामना करना पड़ रहा है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में उन्होंने डिस्ट्रिक्ट के हितों के खिलाफ काम किया - उसे वह इस प्रति-आरोप से हल्का करना चाहते हैं कि एलसीसीआई एक्जीक्यूटिव में अंबरीश सरीन ने डिस्ट्रिक्ट के हितों की बलि चढ़ा दी है । एलसीसीआई एक्जीक्यूटिव में पद के लिए अंबरीश सरीन से मदद माँग कर के जितेंद्र चौहान ने उनके विरोधी तेवरों को ठंडा करने का दाँव भी चला है । इस तरह, मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में मिले घाव को भरने का जितेंद्र चौहान ने जो प्रयास करना शुरू किया है - उसके क्या नतीजे निकलते हैं, यह कुछ समय बाद ही पता चल सकेगा ।